क्योंकि वर्तमान समय बहुत प्रजा बढ़ती रहेगी।
तो प्रजा और नजदीक वाले को परखने के लिए बहुत प्रैक्टिस चाहिए।
परखने की मुख्य बात यह है कि उनके नयनों से ऐसा महसूस होगा जैसे कोई निशाने तरफ किसका खास अटेन्शन होता है तो उनके नयन कैसे होते हैं?
तीर लगाने वाले वा निशाना लगाने वाले जो मिलेट्री के होते हैं, वो पूरा निशाना रखते हैं।
उनके नयन, उनकी वृत्ति उस समय एक ही तरफ होगी।
तो जो ऐसा निश्चय बुद्धि पक्का होगा उनके चेहरे से ऐसे महसूस होगा जैसेकि कोई निशान-बाज है।
...यह प्रैक्टिस अभी करो।
फिर जज करो हमारी परख ठीक है वा नहीं।
फिर प्रैक्टिस करते-करते परख यथार्थ हो जावेगी।
दृष्टि में सृष्टि कहा जाता है ना।
तो आप उनकी दृष्टि से पूरी सृष्टि को जान सकते हो। ..."