इस पुस्तिका में...
परम आदरणीया दादी हृदयामोहिनी जी के माध्यम से आलमाईटी ज्ञान के सागर शिवबाबा और प्यारे अव्यक्त ब्रह्माबाबा ने
;18 जनवरी,1969 से 2017 तकद्ध हमें जो अव्यक्त पालना दी
बापदादा ने हमें नर से श्रीनारायण व नारी से श्रीलक्ष्मी बनने का लक्ष्य दे उच्च पद के लिए इन ईष्वरीय शिक्षाओं से सजाकर षक्तिषाली बनाया है। इस पुस्तिका के विषय श्मेरा प्यारा घर ष्परमधामश् अनुसार प्राण-प्यारे बापदादा के अव्यक्त महावाक्यों का तिथि के क्रम-अनुसार संकलन कर उन्हें संजोया गया है।
उम्मीद है कि बाबा के इन अनमोल महावाक्यों का अनेक अव्यक्त वाणियों से एक ही विषय पर किये संकलन का अध्ययन और दोहराकर अभ्यास में लाना अनेक ब्राह्मण आत्माओं की उन्नति में मददगार साबित होगा।
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ठववा कमेपहदमक ंदक बवउचपसमक इल ब्रह्माकुमार नरेश भाई
ब्रह्माकुमारीज,Û विश्व कल्याण सरोवर, सोनीपत
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म्कपजमक वद ज्ीनतेकंलए 18.01.2024
23.01.1970
पहले आत्मा परमधाम की निवासी है...
"... जैसे पहले आत्मा परमधाम की निवासी, सर्व गुणों का स्वरुप है।
वैसे ही यहाँ भी (मधुबन में ) अपनी स्थिति का अनुभव करने के लिए आये हो ।
मधुबन में आये हो उस स्थिति का टेस्ट करने।
टेस्ट करने बाद उनको सदा के लिए अपनाना है । ..."
24.01.1970
यही स्मृति रखो हम परमधाम निवासी हैं...
"...याद की इतनी शक्ति है जो अनुभव यहाँ पाते हो वह वहाँ भी स्मृति में रखेंगे तो अविनाशी बन जायेंगे।
बु(ि में बार-बार यही स्मृति रखो हम परमधाम निवासी हैं।
कत्र्तव्य अर्थ यहाँ आये हैं।
फिर वापस जाना है।..."
26.01.1970
परमधाम के निवासी समझते हो ?...
"... अपने को कहाँ के निवासी समझते हो ?
परमधाम के निवासी समझते हो ?
यह कितना समय याद रहती है ?
यह एक ही बात याद रहे कि हम परमधाम निवासी आत्मा इस व्यक्त देश में ईश्वरीय कत्र्तव्य करने के निमित्त आये हुए हैं।..."
28.05.1970
ऐसा पक्का ठप्पा लगाना जो सिवाए वाया परमधाम३
श्...ऐसा पक्का ठप्पा लगाना जो सिवाए वाया परमधाम, बैकुण्ठ और कहाँ न चली जाएँ । जैसे गवर्नमेन्ट सील लगाती है तो उसको कोई खोल नहीं सकता वैसे आलमाइटी गवर्नमेन्ट की सील हरेक को लगाना है । ...श्
18.06.1971
देह के देश को भूल अशरीरी परमधाम निवासी बन जाओ३
श्...ऐसी प्रैक्टिस है जो कहते ही इस देह और देह के देश को भूल अशरीरी परमधाम निवासी बन जाओ? अभी- अभी परमधाम निवासी से अव्यक्त स्थिति में स्थित हो जाओ, अभी-अभी सेवा के प्रति आवाज में आये, सेवा करते हुए भी अपने स्वरूप की स्मृति रहे - ऐसे अभ्यासी बने हो? ऐसा अभ्यास हुआ है? वा जब परमधाम निवासी बनने चाहें तो परमधाम निवासी के बजाय बार-बार आवाज में आ जायें - ऐसा अभ्यास तो नहीं करते हो? ...श्
28.07.1971
हमारा आत्मा के रूप से परमधाम देश है३
श्... स्वदेशी हो वा विदेशी चीजों से आकर्षित होते हो? सदैव समझते हो हम स्वदेशी हैं, यह विदेश की चीज टच भी नहीं करनी है? ऐसा अपने ऊंचे देश का, आत्मा के रूप से परमधाम देश है और इस ईश्वरीय परिवार के हिसाब से मधुबन ही अपना देश है, दोनों देश का नशा रखो। हम स्वदेशी हैं, विदेश की चीजों को टच भी नहीं कर सकते। ...श्
24.06.1974
पार्ट समाप्त कर महसूस करें कि हम स्वयं परमधाम में हैं३
श्... जो महारथी हैं अर्थात् ‘पास विद आॅनर’ होने वाले हैं, तो उनकी नींद का टाइम भी योग-युक्त स्थिति में गिना जाता है। उनकी स्टेज ऐसी होगी, जैसे कि पार्ट समाप्त कर वह स्वयं परमधाम में हैं और उनको योग की ही महसूसता होगी। ...श्
15.09.1974
मैं अशरीरी और परमधाम का निवासी हूँ३
श्... अमृतवेले भी जैसे यह अभ्यास करना है-हम जैसे कि अवतरित हुए हैं। कभी ऐसे समझो कि मैं अशरीरी और परमधाम का निवासी हूँ अथवा अव्यक्त रूप में अवतरित हुई हूँ और फिर स्वयं को कभी निराकार समझो। यह तीन स्टेजिस पर जाने की ऐसी प्रैक्टिस हो जाए जैसे कि एक कमरे से दूसरे कमरे में जाना होता है। ...श्
13.09.1975
सेकेण्ड में साकार वतन से पार निराकारी परमधाम के निवासी३
श्... अपने को सेकेण्ड में साकार वतन से पार निराकारी परमधाम के निवासी बना सकते हो? इसको कहा जाता है - परिवर्तन शक्ति। संगमयुग पर विशेष खेल ही परिवर्तन का है। ...श्
08.10.1975
अपने घर परमधाम वा शान्तिधाम में भीण्ण्ण्
श्... अपने घर परमधाम वा शान्तिधाम में भी सर्व चमकते हुए सितारों के समान आत्माओं के बीच विशेष चमकते हुए घर के श्रृंगार, साकार सृष्टि अर्थात् विश्व के अन्दर विश्व ड्रामा के अन्दर हीरो पार्टधारी, विशेष पार्ट बजाने वाली विशेष आत्मायें हो, अर्थात् विश्व के श्रृंगार हो। ऐसे अपने को श्रेष्ठ श्रृंगार समझते हुए चलते हो? ...श्
19.10.1975
यदि कोई घर ;परमधामद्ध का सही रास्ता बतायें ३
श्... अन्ध-श्र(ा की पट्टियाँ आँखों पर बंधी हुई हैं - और ढूँढ रहे हैं मंजिल को। यह खेल देखा है ना, जो आँखों पर पट्टी बांधे हुए होते हैं तो फिर रास्ता कैसे ढूँढते हैं? जहाँ से आवाज आयेगा वहाँ चल पड़ेंगे। अन्दर घबराहट होगी क्योंकि आँखों पर पट्टी है। तो भक्त भी अन्दर से दुःख-अशान्ति से घबड़ा रहे हैं। जहाँ से कोई आवाज सुनते हैं कि फलानी आत्मा बहुत जल्दी प्राप्ति कराती है तो उस आवाज के पीछे अन्ध-श्र(ा में भाग रहे हैं। कोई ठिकाना नहीं। दूसरी तरफ गुड़ियों के खेल में इतने मस्त कि यदि कोई घर ;परमधामद्ध का सही रास्ता बतायें तो कोई सुनने के लिये तैयार नहीं। ...श्
23.01.1976
लाइट-हाउस अर्थात् अपना ज्योति देश३ परमधाम३
श्...यह रिहर्सल ;त्मीमंतेंसद्ध करो और ड्रिल करो अति और अन्त की ड्रिल। अभी-अभी अति सम्बन्ध में और अभी-अभी जितना सम्पर्क में उतना न्यारा। जैसे लाइट हाउस में समा जाए! लाइट-हाउस अर्थात् अपना ज्योति देश। अभी-अभी कर्म-क्षेत्र, अभी-अभी परमधाम। ...श्
28.04.1977
अपने को सदा परमधाम निवासी समझो३
श्... बाप-दादा सदैव कहते हैं कि कहाँ भी रहते हो लेकिन अपने को सदा परमधाम निवासी व मधुबन निवासी समझो। निराकार स्थिति के हिसाब से परमधाम निवासी, साकार स्थिति के हिसाब से मधुबन निवासी। ...श्
27.05.1977
परमधाम निवासी होकर परमधाम की बातें सुनो३
श्... स्वरूप बनना - इसका अभ्यास होना चाहिए। मैं आत्मा निराकार हूँ - यह बार-बार सुनते हो, लेकिन निराकार स्थिति के अनुभवी बनकर सुनो। जैसी पाइंट, वैसा अनुभव। परमधाम की बातें सुनो तो परमधाम निवासी होकर परमधाम की बातें सुनो। ...श्
05.06.1977
आत्मा के नाते, आपका घर ‘परमधाम’ है३
श्... नष्टोमोहा बनने की सहज युक्ति कौनसी है? सदैव अपने घर की स्मृति में रहो। आत्मा के नाते, आपका घर ‘परमधाम’ है और ब्राह्मण जीवन के नाते, साकार सृष्टि वृक्ष में यह ‘मधुबन’ आपका घर है, क्योंकि ब्रह्मा बाप का घर मधुबन है। यह दोनों ही घर स्मृति में रहे, तो नष्टोमोहा हो जायेंगे। क्योंकि जब अपना परिवार, अपना घर कोई बना लेते तो उसमें मोह जाता, अगर उसको दफ्तर समझो तो मोह नहीं जाएगा। ...श्
22.06.1977
सदैव अपने को परमधाम निवासी समझो३
श्... इस समय अपने को गुजराती, पंजाबी, यू.पी. निवासी तो नहीं समझते? सदैव अपने को परमधाम निवासी वा पार्ट बजाने लिए मधुबन निवासी समझो। ...श्
30.06.1977
तख्त नशीन परमधाम के चमकते हुए सितारे३
श्... बापदादा जानते हैं कि सभी बच्चों के अन्दर स्नेह, सहयोग की भावना और बाप समान बनने का श्रेष्ठ संकल्प भी है। इन सबको देख बाप-दादा बच्चों को स्वयं से भी सर्व श्रेष्ठ ताज, तख्त नशीन परमधाम के चमकते हुए सितारे और विश्व के सर्व आत्माओं के दिल के सहारे, विश्व की आत्माओं के आगे सदा पूर्वज और पूज्य - ऐसे श्रेष्ठ देखने चाहते हैं। ...श्
29.11.1978
परमधाम निवासी साथी बाप अनुभव होता है३
श्... सर्व ब्राह्मण आत्माओं के नयनों में एक बाप नूर के समान समाया हुआ है - इसीलिए ब्राह्मण संसार में जहाँ देखे वहाँ तू ही तू का प्रैक्टीकल अनुभव होता है। इसी अनुभव को भक्तों ने सर्वव्यापी शब्दों में कहा है - बच्चों के वर्तमान समय का अनुभव परमधाम निवासी बाप है वा हर संकल्प और कर्म में सदा साथ है परमधाम निवासी साथी बाप अनुभव होता है वा सदा साथी बाप अनुभव होता है ? क्या अनुभव होता है साथ वा साथी ? सर्व के साथी सर्वव्यापी नहीं हुआ! भक्तों ने शब्द कापी किया है - लेकिन कब और कैसे का भावार्थ भूल जाने के कारण गायन बदल ग्लानि हो गई। ...श्
19.12.1978
परमधाम निवासी आत्मिक स्वरूप का अनुभव करायेंगे३
श्... ‘हम सो-सो हम’ के जादू के मन्त्र का अनुभव करायेंगे अर्थात् 84 जन्मों का ही ज्ञान स्मृति में दिलायेंगे। अभी-अभी स्थूल वतन, संगम युग के सुख की अनुभूति करायेंगे, अभी-अभी सुक्ष्म फरिश्ते स्वरूप का अनुभव करायेंगे। अभी-अभी परमधाम निवासी आत्मिक स्वरूप का अनुभव करायेंगे, अभी-अभी स्वर्ग के सुखमय जीवन का अनुभव करायेंगे। एक सेकेण्ड में इन चारों ही धामों का अनुभव करायेंगे, यह है जादू मन्त्र। ...श्
12.01.1979
स्वयं भगवान आपको पढ़ाने के लिए परमधाम से आते हैं३
श्... स्वयं भगवान आपको पढ़ाने के लिए परमधाम से आते हैं। लण्डन वा अमेरिका से नहीं आते हैं - इस लोक से भी पार जहाँ तक साइन्स वाले स्वप्न में भी पहुँच नहीं सकते ऐसे परमधाम से स्पेशल आपके पढ़ाने के लिए आते हैं। ...श्
01.02.1979
परमधाम में भी समीप होंगे३
श्... जो जितना प्यारा होगा उतना समीप होगा - तो कितने समीप हो? अभी भी समीप हो और परमधाम में भी समीप होंगे फिर भविष्य में भी समीप - तो तीनों ही स्थानों के समीप हो ना। ...श्
19.11.1979
मैं आत्मा परमधाम से अवतरित हुई हूँ३
श्... सदा अपने को फाॅरेन अर्थात् परमधाम निवासी समझ कर चलते हो? सदैव यह अनुभव हो कि मैं आत्मा परमधाम से अवतरित हुई हूँ, विश्व-कल्याण का कर्तव्य करने के लिए। तो इस स्मृति से क्या होगा? जो भी संकल्प करेंगे, जो भी कर्म करेंगे, जो भी बोल बोलेंगे, जहाँ भी नजर जायेगी, सर्व का कल्याण करते रहेंगे। यह स्मृति लाइट हाउस का कार्य करेगी। ...श्
26.11.1979
जब चाहो परमधाम निवासी योगी बनो३
श्... जैसे बाप प्रवेश होते हैं और चले जाते हैं, तो जैसे परमात्मा प्रवेश होने योग्य हैं वैसे मरजीवा जन्मधारी ब्राह्मण आत्मायें अर्थात् महान आत्मायें भी प्रवेश होने योग्य हैं। जब चाहो कर्मयोगी बनो, जब चाहो परमधाम निवासी योगी बनो, जब चाहो सूक्ष्मवतन वासी योगी बनो। स्वतन्त्र हो। तीनों लोकों के मालिक हो। ...श्
30.11.1979
बाप परमधाम से आते हैं३
श्... आधाकल्प आप दर्शन करने जाते रहे, अभी बाप परमधाम से आते हैं आपके दर्शन के लिए। देखने को ही दर्शन कहते हैं। बाप बच्चों को देखने के लिए आते हैं। वह दर्शन नहीं यह दर्शन अर्थात् मिलना। ऐसा दर्शन जिससे प्रसन्न हो जाएं। ...श्
02.01.1980
जाना चाहें परमधाम में और धरती को ही छोड़ न सके३
श्... किसी भी प्रकार का एक्सीडेण्ट न हो। जाना चाहें परमधाम में और धरती को ही छोड़ न सकें या और कोई पहाड़ी से टकराकर गिर जाए। व्यर्थ संकल्प भी एक पहाड़ी से टकराना है। तो एक्सीडेंट से परे एवररेडी बु(ि का विमान है? पहले इस विमान पर चढ़ेंगे तब वह विमान मिलेगा। ...श्
04.01.1980
निराकारी घर परमधाम३
श्... साकार घर मधुबन और निराकारी घर परमधाम। आस्ट्रेलिया आपका दफ्तर है। जैसे आफिस में कार्य के लिए जाते हैं ऐसे आप भी सेवा के लिए जा रहे हो। दफ्तर में जाते हैं तो घर तो नहीं भूलता हैं ना। तो घर की एड्रेस अगर आपसे कोई पूछे तो क्या देंगे? ...श्
04.02.1980
साइलेन्स की शक्ति से सितारों से भी परे परमधाम का अनुभव३
श्... साइन्स वाले मेहनती बच्चे हैं, अब सितारों तक मेहनत कर रहे हैं। चन्द्रमा में कुछ नहीं मिला तो सितारें ही सही। लेकिन आप बच्चे साइलेन्स की शक्ति से सितारों से भी परे परमधाम का अनुभव आदि से कर रहे हो फिर भी हरेक बच्चे को मेहनत का फल जरूर मिलता है। उनको भी विश्व में नाम-मान-शान और सफलता की अल्पकाल की खुशी प्राप्त हो जाती है। ...श्
13.04.1981
आप है ही परमधाम निवासी आत्मा३
श्... अवतार अर्थात् ऊपर से आने वाली आत्मा। मूलवतन की स्थिति में स्थित हो ऊपर से नीचे आओ। नीचे से ऊपर नहीं जाओ। है ही परमधाम निवासी आत्मा, सतोप्रधान आत्मा। अपने आदि, अनादि स्वरूप में रहो। ...श्
16.01.1982
सेकण्ड में पहुँच जाते हो ना- परमधाम में३
श्... सबसे ज्यादा दूर और कौन-सा स्थान है? ;परमधामद्ध ठीक बोल रहे हो। लेकिन जितना ही दूर स्थान है उतना ही पहुँचने में सेकण्ड लगता है। सेकण्ड में पहुँच जाते हो ना- परमधाम में। सेकण्ड में पहुँचते हो वा देरी लगती है? ...श्
14.03.1982
मैं आत्मा परमधाम निवासी हूँ३
श्... शान्त स्वरूप तो हो लेकिन शान्ति की अनुभूति किस प्वाइन्ट के आधार पर होती है, जैसे देखो मैं आत्मा परमधाम निवासी हूँ, इससे भी शान्ति की अनुभूति होती हैं ...श्
कभी परमधाम में चले जाओ३
श्... आप लोगों को पिकनिक करना, बाहर में जाना अच्छा लगता है ना! तो चले जाओ बाहर, कभी परमधाम में चले जाओ, कभी स्वर्ग में चले जाओ, कभी मधुबन में आ जाओ, कभी लण्डन सेन्टर में चले जाओ, कभी आस्ट्रेलिया पहुँच जाओ। वैरायटी होने से रमणीकता में आ जायेंगे। ...श्
17.03.1982
सेकण्ड में परमधाम तक पहुँच कर आ सकते हैं३
श्... सभी नालेजफुल हो ना? शरीर से चलना, उठना भी मुश्किल है लेकिन पाण्डव सेना के हिसाब से सेकण्ड में परमधाम तक पहुँच कर आ सकते हैं। वे तो एक हिमालय के ऊपर झण्डा लहराते हैं लेकिन शिव शक्ति पाण्डव सेना ने तीनों लोकों में अपना झण्डा लहरा दिया है। ...श्
13.04.1982
बाप को परमधाम निवासी बना दिया!ण्ण्ण्
श्... त्यागी जो हैं वह लौकिक प्रवृत्ति से पार हो गये लेकिन देह की प्रवृत्ति अर्थात् अपने आपको ही चलाने और बनाने में व्यस्त रहना वा देह भान की नेचर के वशीभूत रहना और उसी नेचर के कारण ही बार-बार हिम्मतहीन बन जाते हैं। जो स्वयं भी वर्णन करते कि समझते भी हैं, चाहते भी हैं लेकिन मेरी नेचर है। यह भी देह भान की, देह की प्रवृत्ति है। जिसमें शक्ति स्वरूप हो इस प्रवृत्ति से भी निवृत्त हो जाएँ - वह नहीं कर पाते। यह त्यागी की बात सुनाई लेकिन महात्यागी लौकिक प्रवृत्ति, देह की प्रवृत्ति दोनों से निवृत्त हो जाते - लेकिन सेवा की प्रवृत्ति में कहाँ-कहाँ निवृत्त होने के बजाए फँस जाते हैं। ऐसी आत्माओं को अपनी देह का भान भी नहीं सताता क्योंकि दिन-रात सेवा में मगन हैं। देह की प्रवृत्ति से तो पार हो गये। इस दोनों ही त्याग का भाग्य - ज्ञानी और योगी बन गये, शक्तियों की प्राप्ति, गुणों की प्राप्ति हो गई। ब्राह्मण परिवार में प्रसि( आत्मायें बन गये। सेवाधारियों में वी.आई.पी. बन गये। महिमा के पुष्पों की वर्षा शुरू हो गई। माननीय और गायन योग्य आत्मायें बन गये लेकिन यह जो सेवा की प्रवृत्ति का विस्तार हुआ, उस विस्तार में अटक जाते हैं। यह सर्व प्राप्ति भी महादानी बन औरों को दान करने के बजाए स्वयं स्वीकार कर लेते हैं। तो ‘मैं और मेरा‘ शु( भाव की सोने की जंजीर बन जाती है। भाव और शब्द बहुत शु( होते हैं कि हम अपने प्रति नहीं कहते, सेवा के प्रति कहते हैं। मैं अपने को नहीं कहती कि मैं योग्य टीचर हूँ लेकिन लोग मेरी मांगनी करते हैं। जिज्ञासु कहते हैं कि आप ही सेवा करो। मैं तो न्यारी हूँ लेकिन दूसरे मुझे प्यारा बनाते हैं। इसको क्या कहा जायेगा? बाप को देखा वा आपको देखा? आपका ज्ञान अच्छा लगता है, आपके सेवा का तरीका अच्छा लगता है, तो बाप कहाँ गया? बाप को परमधाम निवासी बना दिया! इस भाग्य का भी त्याग। जो आप दिखाई न दें, बाप ही दिखाई दे। महान आत्मा प्रेमी नहीं बनाओ ‘परमात्म प्रेमी बनाओ‘। इसको कहा जाता है और प्रवृत्ति पार कर इस लास्ट प्रवृत्ति में सर्व अंश त्यागी नहीं बनते। ...श्
06.01.1983
बु(ि बल द्वारा सैर भी कराते हैं। अभी-अभी परमधाम३
श्... अमृतवेले ब्रह्मा माँ - ‘‘आओ बच्चे, आओ बच्चे’’ कह विशेष शक्तियों की खुराक बच्चों को खिलाते हैं। जैसे यहाँ घी पिलाते थे और साथ-साथ एक्सरसाइज भी कराते थे ना! तो वतन में भी घी भी पिलाते अर्थात् सूक्ष्म शक्तियों की ;ताकत कीद्ध चीजें देते और अभ्यास की एक्सरसाइज भी कराते हैं। बु(ि बल द्वारा सैर भी कराते हैं। अभी-अभी परमधाम, अभी-अभी सूक्ष्मवतन। अभी-अभी साकारी सृष्टि, ब्राह्मण जीवन। तीनों लोकों में दौड़ की रेस कराते हैं। जिससे विशेष खातिरी जीवन में समा जाए। तो सुना ब्रह्मा माँ क्या करते हैं। ...श्
19.05.1983
मधुबन घर से ही पास मिलेंगी परमधाम घर में जाने की३
श्... आप सबका घर मधुबन है। मधुबन घर से ही पास मिलेंगी परमधाम घर में जाने की। साकार रीति से मधुबन घर है और निराकारी दुनिया परमधाम है। मधुबन असली घर है, जहाँ आप लोग जा रहे हो, वह सेवा केन्द्र है। घर समझेंगे तो फँस जायेंगे। सेवाकेन्द्र समझेंगे तो न्यारे रहेंगे। जिन आत्माओं के प्रति निमित्त बनते हो उनकी सेवा के सम्बन्ध से निमित्त हो, ब्लड कनेक्शन के सम्बन्ध से नहीं। सेवा का कनेक्शन है। सदा याद और सेवा में रहो तो नष्टोमोहा सहज ही बन जायेंगे। ...श्
18.01.1985
परमधाम में जाना मुश्किल भी लगता हो३
श्... विशेष समर्थ भव का वरदान सदा साथ रखना। कोई भी ऐसी बात आये तो यह दिन और यह वरदान याद करना तो स्मृति समर्थी लायेगी। सेकण्ड में बु(ि के विमान द्वारा मधुबन में पहुँच जाना। क्या था, कैसा था और क्या वरदान मिला था। सेकण्ड में मधुबन निवासी बनने से समर्थी आ जायेगी। मधुबन में पहुँचना तो आयेगा ना। यह तो सहज है, साकार में देखा है। परमधाम में जाना मुश्किल भी लगता हो, मधुबन में पहुँचना तो मुश्किल नहीं। तो सेकण्ड में बिना टिकट के, बिना खर्चे के मधुबन निवासी बन जाना। तो मधुबन सदा ही हिम्मत हुल्लास देता रहेगा। जैसे यहाँ सभी हिम्मत हुल्लास में हो, किसी के पास कमजोरी नहीं है ना। तो यही स्मृति फिर समर्थ बना देगी। ...श्
23.01.1985
सेकण्ड में परमधाम, कितना दूर है३
श्... बापदादा द्वारा यह तीसरा नेत्र दिव्य नेत्र मिला है, जैसे आजकल साइन्स का साधन दूरबीन है जो दूर की वस्तु को समीप और स्पष्ट अनुभव कराती है, ऐसे यह दिव्य नेत्र भी दिव्य दूरबीन का काम करते हैं। सेकण्ड में परमधाम, कितना दूर है। जिसके माइल गिनती नहीं कर सकते, साइंस का साधन इस साकार सृष्टि के सूर्य चांद सितारांे तक देख सकते हैं। लेकिन यह दिव्य नेत्र तीनों लोकों को, तीनों कालों को देख सकते हैं। इस दिव्य नेत्र को अनुभव का नेत्र भी कहते हैं। अनुभव की आँख, जिस आँख द्वारा 5000 वर्ष की बात इतनी स्पष्ट देखते जैसे कि कल की बात है। कहाँ 5 हजार वर्ष और कहाँ कल! तो दूर की बात समीप और स्पष्ट देखते हो ना। ...श्
12.03.1985
एक परमधाम निवासी समझ याद करने से बु(ि कैसे एकाग्र हो जाती है३
श्... परमात्मा सर्वव्यापी नहीं है, लेकिन एक बाप को एक रूप से जानने से क्या-क्या विशेष प्राप्तियाँ हुई, उन प्राप्तियों को सुनाते हुए सर्वव्यापी की बातों को स्पष्ट कर सकते हो। एक परमधाम निवासी समझ याद करने से बु(ि कैसे एकाग्र हो जाती है वा बाप के सम्बन्ध से क्या प्राप्तियों की अनुभूति होती है? इस ढंग से सत्यता और निर्मानता, दोनों रूप से सि( कर सकते हो। ...श्
25.11.1985
आपका घर तो आत्मा के नाते परमधाम है३
श्...घर में आये हो या घर से आये हो? अगर उसको घर समझेंगे तो ममत्व जायेगा। लेकिन वह टैम्प्रेरी सेवा स्थान है। घर तो सभी का ‘मधुबन’ है ना। आत्मा के नाते परमधाम है। ब्राह्मण के नाते मधुबन है। जब कहते ही हो कि हेड आिफस माउण्ट आबू है तो जहाँ रहते हो वह क्या हुई? आॅफिस हुई ना! तब तो हेड आॅफिस कहते। तो घर से आये नहीं हो लेकिन घर में आये हो। आॅफिस से कभी भी किसको चेन्ज कर सकते हैं। घर से निकाल नहीं सकते। आॅफिस तो बदली कर सकते। घर समझेंगे तो मेरा-पन रहेगा। सेन्टर को भी घर बना देते। तब मेरा-पन आता है। सेन्टर समझें तो मेरा-पन नहीं रहे। घर बन जाता, आराम का स्थान बन जाता तब मेरा-पन रहता है। ...श्
27.02.1986
याद कौन-सा घर आता है? मधुबन या परमधाम३
श्...याद कौन-सा घर आता है? मधुबन या परमधाम। सेवा स्थान पर सेवा करते भी सदा ही मधुबन और मुरली यही याद रहता है ना। ...श्
14.10.1987
स्वयं भगवान मेरे लिए परमधाम से पढ़ाने लिए आये हैं३
श्... मुरली सुनते हो तो यह स्मृति रहे कि गाॅडली स्टूडेन्ट लाइफ ;ईश्वरीय विद्यार्थी जीवनद्ध अर्थात् भगवान का विद्यार्थी हूँ, स्वयं भगवान मेरे लिए परमधाम से पढ़ाने लिए आये हैं। यही विशेष प्राप्ति है जो स्वयं भगवान आता है। इसी स्मृति-स्वरूप से जब मुरली सुनते हैं तो कितना नशा होता! अगर साधारण रीति से नियम प्रमाण सुनाने वाला सुना रहा है और सुनने वाला सुन रहा है तो इतना नशा अनुभव नहीं होगा। लेकिन भगवान के हम विद्यार्थी है - इस स्मृति को स्वरूप में लाकर फिर सुनो, तब अलौकिक नशे का अनुभव होगा। ...श्
23.12.1987
बाप परमधाम से इस पुराने पराये देश में प्रवेश हो आते हैं३
श्... जैसे बाप परमधाम से इस पुराने पराये देश में प्रवेश हो आते हैं, ऐसे आप सभी भी परमधाम निवासी श्रेष्ठ आत्मायें, सहजयोगी आत्मायें ऐसे अनुभव करती हो कि हम भी परमधाम निवासी आत्मायें इस साकार शरीर में प्रवेश कर विश्व के कार्य अर्थ निमित्त हैं? आप भी अवतरित हुई ब्राह्मण आत्मायें हो। ...श्
31.12.1987
निराकार बाप परमधाम निवासी हैं लेकिन३
श्... बापदादा - दोनों ही आपके साथ चलने के लिए रूके हुए हैं। निराकार बाप परमधाम निवासी हैं लेकिन संगमयुग पर साकार द्वारा पार्ट तो बजाना पड़ता है ना। इसलिए आपके इस कल्प का पार्ट समाप्त होने के साथ बाप, दादा - दोनों का भी पार्ट इस कल्प का समाप्त होगा। फिर कल्प रिपीट होगा। इसलिए निराकार बाप भी आप बच्चों के पार्ट साथ बँधा हुआ है। शु( बन्धन है। ...श्
14.01.1988
अपना घर - परमधाम याद रहता है ना?ण्ण्ण्
श्...रूहानी यात्रियों को सदा क्या याद रहता है? अपना घर - परमधाम याद रहता है ना? वहाँ ही जाना है। तो अपना घर और अपना राज्य स्वर्ग - दोनों याद रहता है या और बातें भी याद रहती हैं? पुरानी दुनिया तो याद नहीं आती है ना? ऐसे नहीं - यहाँ रहते हैं तो याद आ जाती है। रहते हुए भी न्यारे रहना, क्योंकि जितना न्यारे रहेंगे उतना ही प्यार से बाप को याद कर सकेंगे। ...श्
16.02.1988
चाहे परमधाम में और आत्मायें रहती भी हैं लेकिन३
श्... जब बाप का साकार ब्रह्मा तन में अवतरण होता है तो बापदादा को इसमें भी विशेष शिव बाप को विशेष इस बात की खुशी रहती - कितने समय से अपने समीप स्नेही बच्चों से अलग परमधाम में रहते, चाहे परमधाम में और आत्मायें रहती भी हैं लेकिन जो पहली रचना की आत्मायें हैं, जो बाप समान बनने वाली सेवा के साथी आत्मायें हैं, वह कितने समय के बाद अवतरित होने से फिर से आकर मिलती हैं! कितने समय की बिछुड़ी हुई श्रेष्ठ आत्मायें फिर से आकर मिलती हैं! अगर कोई अति स्नेही बिछुड़ा हुआ मिल जाए तो खुशी में विशेष खुशी होगी ना। अवतरण दिवस अर्थात् अपनी आदि रचना से फिर से मिलना। ...श्
20.02.1988
यही मेरे सिकीलधे लाड़ले बच्चे हैं, अनादि देश परमधाम के निवासी हैं३
श्... बापदादा जानते हैं कि यही मेरे सिकीलधे लाड़ले बच्चे हैं, अनादि देश परमधाम के निवासी हैं और साथ - साथ सृष्टि के आदि के इसी भारत भूमि में जब सतयुगी स्वदेश था, अपना राज्य था, जिसको अभी भारत कहते हैं, तो आदि में इसी भारत देशवासी थे। इसी भारत भूमि में ब्रह्मा बाप के साथ - साथ राज्य किया है। अपने राज्य में सुख - शान्ति सम्पन्न अनेक जन्म व्यतीत किये हैं। इसलिए आदि देशवासी होने के कारण भारत भूमि से दिल का स्नेह है। ...श्
07.03.1988
अमृतवेले या तो परमधाम में या सूक्ष्मवतन में चले जाओ३
श्... जैसे स्थान का स्थिति पर प्रभाव पड़ता है, ऐसे अमृतवेले या तो परमधाम में या सूक्ष्मवतन में चले जाओ, बाप के साथ बैठ जाओ। अमृतवेला शक्तिशाली होगा तो सारा दिन स्वतः ही मदद मिलेगी। तो अपने भाग्य को स्मृति में रखो - ‘‘वाह, मेरा भाग्य!‘‘ दिनचर्या ही भगवान से शुरू होती। ...श्
23.03.1988
यह आवाज गूँजेगा तभी स्वीट - होम ;परमधामद्ध का गेट खुलेगा३
श्... चारों ओर अभी यह आवाज गूँजे कि ‘हमारा बाबा‘! ब्रह्माकुमारियों का बाबा नहीं, हमारा बाबा! जब यह आवाज गूँजेगा तभी स्वीट - होम ;परमधामद्ध का गेट खुलेगा। क्योंकि जब हमारा बाबा कहें तब मुक्ति का वर्सा मिले और आपके बाप के साथ - साथ, चाहे बाराती बन के चले लेकिन सबको वापिस जाना ही है, ले ही जाना है। ...श्
19.11.1989
आत्माओं का घर परमधाम है३
श्... सब ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारियों का असली घर - मधुबन ही है ना। आत्माओं का घर परमधाम है लेकिन ब्राह्मणों का घर मधुबन है। ...श्
23.11.1989
परमधाम में एक सेकण्ड की रफ्तार है३
श्... मन को जब उड़ना आ गया, प्रैक्टिस हो गई तो सेकण्ड में जहाँ चाहे वहाँ पहुँच सकता है। अभी-अभी साकार वतन में, अभी-अभी परमधाम में एक सेकण्ड की रफ्तार है। तो ऐसी तेज रफ्तार है? सदा अपने भाग्य के गीत गाते उड़ते रहो। ...श्
01.12.1989
हर रोज सिक व प्रेम से यादप्यार देने के लिए परमधाम से३
श्... बाप बच्चों को सदा अपने से भी आगे रखते हैं। सदा बच्चों के गुणों का गायन करते हैं। हर रोज सिक व प्रेम से यादप्यार देने के लिए परमधाम से साकार वतन में आते हैं। वहाँ से भेजते नहीं लेकिन आकर देते हैं। रोज यादप्यार मिलता है ना। इतना श्रेष्ठ सम्मान और कोई दे नहीं सकता। स्वयं बाप ने सम्मान दिया है, इसलिए अविनाशी सम्मान अधिकारी बने हो। ...श्
13.03.1990
परमधाम कहा और पहुँचे, ऐसी प्रैक्टिस है?ण्ण्ण्
श्... बापदादा भी विदेश से आते हैं। सबसे दूर से दूर से आते हैं लेकिन आते सेकण्ड में हैं। आप सभी भी सेकण्ड में उड़ती कला का अनुभव करते हो? सेकण्ड में उड़ सकते हो? इतने डबल लाइट हो, संकल्प किया और पहुँच गये। परमधाम कहा और पहुँचे, ऐसी प्रैक्टिस है? कहाँ अटक तो नहीं जाते हो? कभी कोई बादल तंग तो नहीं करते हैं, केयरफुल भी और क्लियर भी ऐसे है ना। ...श्
03.11.1992
अनादि काल परमधाम में भी आप रूहानी सितारों की चमक३
श्... जैसे साकारी दुनिया में आकाश बीच सितारे सब चमकते हुए दिखाई देते हैं, लेकिन कोई विशेष चमकने वाले सितारे स्वतः ही अपनी तरफ आकर्षित करते हैं, लाइट होते हुए भी उन्हों की लाइट विशेष चमकती हुई दिखाई देती है। ऐसे अनादि काल परमधाम में भी आप रूहानी सितारों की चमक अर्थात् रूहानी राॅयल्टी की झलक विशेष अनुभव होती है। ...श्
30.11.1992
अनादि स्थान ‘परमधाम’ आवाज से परे है३
श्... आप आत्माओं का आदि स्वरूप क्या है? आवाज से परे रहना या आवाज में आना? तो अभी मुश्किल क्यों लगता है? 63 जन्मों ने आदि संस्कार भुला दिया है। जब अनादि स्थान ‘परमधाम’ आवाज से परे है, वहाँ आवाज नहीं है और आदि स्वरूप आत्मा में भी आवाज नहीं है-तो फिर आवाज से परे होना मुश्किल क्यों? यह मध्य-काल का उल्टा प्रभाव कितना पक्का हो गया है! ब्राह्मण जीवन अर्थात् जैसे आवाज में आना सहज है वैसे आवाज से परे हो जाना-यह भी अभ्यास सहज हो जाये। इसकी विधि है-राजा होकर के चलना और कर्म-इन्द्रियों को चलाना। राजा आॅर्डर करे-यह काम नहीं होना है। तो प्रजा क्या करेगी? मानना पड़ेगा ना। ...श्
20.12.1992
वह परमधाम में भी समीप है और राजधानी में भी समीप है३
श्... हर चलन से बाप का अनुभव हो-इसको कहते हैं बाप समान। तो समीप रहना चाहते हो या दूर? इस एक जन्म में संगम पर स्थिति में जो समीप रहता है, वह परमधाम में भी समीप है और राजधानी में भी समीप है। एक जन्म की समीपता अनेक जन्म समीप बना देगी। ...श्
31.12.1992
जब परमधाम में जायेंगे तब ही३
श्... आप लोगों का स्लोगन है-मुक्ति और जीवनमुक्ति जन्मसि( अधिकार है। तो अधिकार प्राप्त किया है? या जब परमधाम में जायेंगे तब ही प्राप्त करेंगे? वहाँ तो पता ही नहीं पड़ेगा-मुक्ति क्या है, जीवन-मुक्ति क्या है। इसका अनुभव तो अभी होता है। अनुभवी हो ना। ...श्
18.01.1993
जब परमधाम में हैं तो भी सुख-स्वरूप हैं३
श्... आप आत्माओं का अनादि, आदि स्वरूप भी सुख-स्वरूप है। जब परमधाम में हैं तो भी सुख-स्वरूप हैं और जब आदि देवता बने तो भी सुख-स्वरूप थे! तो अपने अनादि और आदि स्वरूप को स्मृति में रखो तो कभी भी दुःख की लहर नहीं आयेगी। ...श्
07.03.1993
अनादि काल में भी परमधाम में बाप के समीप रहने वाली हो३
श्... आप ऊंचे ते ऊंचे भगवान द्वारा डायरेक्ट पालना, पढ़ाई और श्रेष्ठ जीवन की श्रीमत लेने वाली आत्मायें हो। जानते हो ना अपने को? अपने अनादि काल को देखो-अनादि काल में भी परमधाम में बाप के समीप रहने वाली हो। अपना स्थान याद है ना? तो अनादि काल में भी हाइएस्ट हो, समीप, साथ हो और आदिकाल में भी सृष्टि-चक्र के सतयुग काल में देव-पद प्राप्त करने वाली आत्मायें हो। देव आत्माओं का समय ‘आदिकाल’ भी सर्वश्रेष्ठ है और साकार मनुष्य जीवन में सर्व प्राप्ति सम्पन्न, श्रेष्ठ हो। सृष्टि-चक्र के अन्दर ये देव पद अर्थात् देवता जीवन ही ऐसी जीवन है जहाँ तन, मन, धन, जन-चारों ही प्रकार की सर्व प्राप्तियां प्राप्त हैं। अपनी दैवी जीवन याद है? कि भूल गये हो? अनादि काल भी याद आ गया, आदि काल भी याद आ गया! अच्छी तरह से याद करो। तो दोनों समय में हाइएस्ट हो ना! ...श्
16.12.1993
परमधाम निवासी तो सहज ही याद आता है ना३
श्... आबू निवासी सुनने से परमधाम निवासी तो सहज ही याद आता है ना। क्योंकि आबू है ब्रह्मा बाबा का, तो ब्रह्मा बाबा याद आया तो शिव बाप सहज ही याद आयेगा, कम्बाइन्ड है ना। तो ‘आबू निवासी’ सुनने से स्वीट होम भी याद आ जाता है अर्थात् बापदादा दोनों सहज याद आ जाते हैं। ...श्
31.12.1993
आत्मा के नाते एड्रेस है परमधाम३
श्... सेवा के कारण अलग-अलग स्थान पर गये हो। आत्मा के नाते एड्रेस है परमधाम और ब्राह्मण आत्मा के नाते से एड्रेस है मधुबन। तो खुशी है ना कि हम मधुबन वाले हैं! कहीं भी सेवा अर्थ हो लेकिन अपना असली एड्रेस भूलते हैं क्या! चाहे कलकत्ता में भी रहने वाले हों लेकिन कहेंगे ओरीजिनल हम राजस्थान के हैं। तो ब्राह्मण अर्थात् मधुबन निवासी। और ऐसे समझने से कभी भी अपने हद के सेवा-स्थान से लगाव नहीं होगा। तो सदैव प्रवृत्ति में रहते लक्ष्य रखो कि सेवा-स्थान पर सेवा के लिये हैं। ...श्
03.04.1994
परमधाम में आप सभी आत्मायें कितनी समीप होंगी!ण्ण्ण्
श्... साकार वतन में तो साकार की बातें होती हैं। देखो, परमधाम में आप सभी आत्मायें कितनी समीप होंगी! सभी साथ होंगे ना और सूक्ष्म वतन में भी इतना बेहद है जो जितना समीप आना चाहे आ सकते हैं। लेकिन बच्चों का स्नेह निराकार और आकार को भी साकार बनाना चाहता है। तो बाप क्या कहते हैं? जी हजूर, जी हाजर। बच्चे तो बाप के भी हजूर हैं, मालिक हैं ना। ...श्
26.11.1994
जब आप परमधाम से आई तो३
श्... जब ओरीजिनल आदत विस्मृति की नहीं है। आदि में स्मृति स्वरूप प्रालब्ध प्राप्त करने वाली देवात्मायें हो, योग लगाने का पुरूषार्थ नहीं करते लेकिन स्मृति स्वरूप की प्रालब्ध प्राप्त करते हो। तो आदि में भी स्मृति स्वरूप का प्रत्यक्ष जीवन है और अनादि आत्मा, जब आप परमधाम से आई तो आप विशेष आत्माओं के संस्कार स्वतः ही स्मृति स्वरूप हैं। और अन्त में संगम पर भी स्मृति स्वरूप बनते हो ना! तो अनादि, आदि और अन्त - तीनों ही काल स्मृति स्वरूप हैं। विस्मृति तो बीच में आई। तो आदि, अनादि स्वरूप सहज होना चाहिये या मध्य का स्वरूप? सोचते हो कि हाँ, मैं आत्मा हूँ लेकिन स्मृति स्वरूप हो चलना, बोलना, देखना उसमें अन्तर पड़ जाता है। तो यह स्मृति में रखो कि हम परमात्म पालना की अधिकारी आत्मायें हैं। ...श्
19.01.1995
कभी परमधाम में चले जाते हो३
श्... हर समय के संकल्प की आज्ञा स्पष्ट मिली हुई है। अमृतवेले क्या संकल्प करना है ये भी स्पष्ट है ना! तो फाॅलो करते हो कि कभी परमधाम में चले जाते हो और कभी निद्रालोक में चले जाते हो? हर कर्म में, हर समय कदम पर कदम है? बाप का कदम एक और बच्चे का कदम दूसरा हो तो उसे आज्ञाकारी नहीं कहेंगे ना! ...श्
25.03.1995
संकल्प द्वारा सेकण्ड से भी कम समय में परमधाम तक पहुँच सकते हो३
श्... सबसे श्रेष्ठ खजाना संकल्प का खजाना है और आप सबका श्रेष्ठ संकल्प ही ब्राह्मण जीवन का आधार है। संकल्प का खजÛाना बहुत शक्तिशाली है। संकल्प द्वारा सेकण्ड से भी कम समय में परमधाम तक पहुँच सकते हो। संकल्प शक्ति एक आॅटोमेटिक राॅकेट से भी तीव्र गति वाला राॅकेट है। जहाँ चाहो वहाँ पहुँच सकते हो। चाहे बैठे हो, चाहे कोई कर्म कर रहे हो लेकिन संकल्प के खजाने से वा शक्ति से जिस आत्मा के पास पहुँचना चाहो उसके समीप अपने को अनुभव कर सकते हो। जिस स्थान पर पहुँचना चाहो वहाँ पहुँच सकते हो। जिस स्थिति को अपनाना चाहो, चाहे श्रेष्ठ हो, खुशी की हो, चाहे व्यर्थ हो, कमजोरी की हो, सेकण्ड के संकल्प से अपना सकते हो। संकल्प किया-मैं श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा हूँ तो श्रेष्ठ स्थिति और श्रेष्ठ अनुभूति होगी और संकल्प किया मैं तो कमजोर आत्मा हूँ, मेरे में कोई शक्ति नहीं है, तो सेकण्ड के संकल्प से खुशी गायब हो जायेगी। परेशानी के चिन्ह स्थिति में अनुभव होंगे। लेकिन दोनों स्थिति का आधार संकल्प है। ...श्
25.03.1995
जब रेस्ट करेंगे ना तो परमधाम के रिट्रीट हाउस में जायेंगे३
श्... भारत तो है ही, अभी भारत का मेला लगना है। बापदादा को भारत ही पसन्द आया, लण्डन का रिट्रीट हाउस नहीं। जब रेस्ट करेंगे ना तो परमधाम के रिट्रीट हाउस में जायेंगे। तो भारतवासियों से विशेष बाप का प्यार है और भारतवासियों को भी विशेष नाज है, नशा है कि स्वर्ग भी विशेष तो भारत ही बनेगा और बनाने वाला बाप भी भारत में ही आते हैं। और स्टोरी भी विशेष तो आदि से अन्त तक भारत की है। तो भारत अविनाशी खण्ड है। इसीलिये भारतवासी सबसे नम्बरवन अखण्ड, अचल, अडोल स्थिति वाले बनने ही हैं। ...श्
06.04.1995
अनादि काल में तो परमधाम में भी आप विशेष आत्माओं की पर्सनालिटी सबसे ऊंची है३
श्... आपको अपने रूहानी पर्सनालिटी का नशा है! अनादि काल में तो परमधाम में भी आप विशेष आत्माओं की पर्सनालिटी सबसे ऊंची है। चाहे आत्मायें सब चमकती हुई ज्योति हैं लेकिन आप रूहानी पर्सनालिटी वाली आत्माओं की चमक अन्य सब आत्माओं से न्यारी और प्यारी है। अपने अनादि काल की पर्सनालिटी को स्मृति में लाओ। आई स्मृति में? देख रहे हो? बापदादा के साथ-साथ कैसे रूहानी पर्सनालिटी में दिखाई दे रहे हैं। अपने आपको देख सकते हो? तो चले जाओ अनादि काल में। कितने टाइम में जा सकते हो? जाने में कितना टाइम लगेगा? सेकण्ड से कम ना! कि एक दिन, एक घण्टा चाहिये? सेकण्ड से भी कम जहाँ चाहो वहाँ पहुँच सकते हो। तो अनादि काल की अपनी पर्सनालिटी देख ली? ...श्
18.01.1997
परमधाम से पहली आत्मा कौन सी जायेगी?ण्ण्ण्
श्... आत्मा बिन्दू रूप में रहेगी, तो ड्रामा बिन्दू भी काम में आयेगा और समस्याओं को भी सेकण्ड में बिन्दू लगा सकेंगे और बिन्दू बन परमधाम में बिन्दू जायेगी। जाना है या सीधा स्वर्ग में जायेंगे? कहाँ जायेंगे? पहले घर जायेगे या राज्य में जायेंगे? बाप के साथ घर तक तो चलना है ना कि सीधा राज्य में चले जायेंगे, बाप को पूछेंगे नहीं! तो बिन्दू बाप के साथ बिन्दू बन पहले घर जाना है। वैसे राज्य का पासपोर्ट नहीं मिलेगा। परमधाम से राजधानी में जाने का पासपोर्ट आटोमेटिक मिल जायेगा, किसको देने की आवश्यकता नहीं। जितना नजदीक होंगे, उतना नम्बरवार परमधाम से राज्य में आयेंगे, परमधाम से पहली आत्मा कौन सी जायेगी? किसके साथ जायेंगे? ब्रह्मा बाप के साथ जायेंगे! ...श्
06.03.1997
परमधाम का दरवाजा ही नहीं खोलते हैं३
श्... अभी सिर्फ ब्रह्मा बाप आप बच्चों का इन्तजार कर रहा है। रोज बांहे पसार कर आओ बच्चे, आओ बच्चे कहते हैं। तो बाप समान बनो और चलो वतन में। परमधाम का दरवाजा ही नहीं खोलते हैं। आपके लिए रूका हुआ है। ब्रह्मा बाबा तो बीच-बीच में कहते हैं, दरवाजा खोलो, दरवाजा खोलो। लेकिन बाप कहते हैं अभी थोड़ा रूको, थोड़ा रूको। ...श्
13.11.1997
थोड़ा समय भी बाप के साथ परमधाम की स्थिति में स्थित होंगे तो३
श्... अब मनोबल को बढ़ाओ। बेहद की सेवा जो अभी आप वाणी या सम्बन्ध, सहयोग से करते हो, वह मनोबल से करो। तो मनोबल की बेहद की सेवा अगर आपने बेहद की वृत्ति से, मनोबल द्वारा विश्व के गोले के ऊपर ऊंचा स्थित हो, बाप के साथ परमधाम की स्थिति में स्थित हो थोड़ा समय भी यह सेवा की तो आपको उसकी प्रालब्ध कई गुणा ज्यादा मिलेगी। ...श्
31.01.1998
कितना बड़ा भाग्य है जो स्वयं बाप अपना परमधाम छोड़कर आपको शिक्षा देने के लिए आते हैं३
श्... अमृतवेले से लेकर जब उठते हो तो परमात्म प्यार में लवलीन होके उठते हो। परमात्म प्यार उठाता है। दिनचर्या की आदि परमात्म प्यार होता है। प्यार नहीं होता तो उठ नहीं सकते। प्यार ही आपके समय की घण्टी है। प्यार की घण्टी आपको उठाती है। सारे दिन में परमात्म साथ हर कार्य कराता है। कितना बड़ा भाग्य है जो स्वयं बाप अपना परमधाम छोड़कर आपको शिक्षा देने के लिए आते हैं। ऐसे कभी सुना कि भगवान रोज अपने धाम को छोड़ पढ़ाने के लिए आते हैं! आत्मायें चाहे कितना भी दूर-दूर से आयें, परमधाम से दूर और कोई देश नहीं है। है कोई देश? अमेरिका, अफ्रीका दूर है? परमधाम ऊंचे ते ऊंचा धाम है। ऊंचे ते ऊंचे धाम से ऊंचे ते ऊंचे भगवन, ऊंचे ते ऊंचे बच्चों को पढ़ाने आते हैं। ऐसा भाग्य अपना अनुभव करते हो? ...श्
31.01.1998
परमधाम में हैं तो सोचना स्वरूप नहीं हैं, स्मृति स्वरूप हैं३
श्... सबसे बड़े ते बड़ा है अनुभवी मूर्त बनना। अनादि काल में जब परमधाम में हैं तो सोचना स्वरूप नहीं हैं, स्मृति स्वरूप हैं। मैं आत्मा हूँ, मैं आत्मा हूँ - यह भी सोचने का नहीं है, स्वरूप ही है। आदिकाल में भी इस समय के पुरूषार्थ का प्रालब्ध स्वरूप है। ...श्
18.01.1999
अभी सभी ऊँचे ते ऊँचे परमधाम में बाप के साथ बैठ सर्व आत्माओं को रहम की दृष्टि दो३
श्... अभी आत्माओं को इच्छाओं से बचाओ। बिचारे बहुत दुःखी हैं। बहुत परेशान हैं। तो अभी रहमदिल बनो। रहम की लहर बेहद के वैराग्य वृत्ति द्वारा फैलाओ। अभी सभी ऊँचे ते ऊँचे परमधाम में बाप के साथ बैठ सर्व आत्माओं को रहम की दृष्टि दो। वायब्रेशन फैलाओ। फैला सकते हैं ना? तो बस अभी परमधाम में बाप के साथ बैठ जाओ। वहाँ से यह बेहद के रहम का वायुमण्डल फैलाओ। ...श्
01.03.1999
परमधाम छोड़कर क्यों आये हैं?ण्ण्ण्
श्... संगमयुग पर ब्रह्माकुमार वा ब्रह्माकुमारी अकेले नहीं हो सकते। सिर्फ जब सेवा में, कर्मयोग में बहुत बिजी हो जाते हो ना तो साथ भी भूल जाते हो और फिर थक जाते हो। फिर कहते हो थक गये, अभी क्या करें! थको नहीं, जब बापदादा आपको सदा साथ देने के लिए आये हैं, परमधाम छोड़कर क्यों आये हैं? सोते, जागते, कर्म करते, सेवा करते, साथ देने के लिए ही तो आये हैं। ...श्
15.03.1999
आॅर्डर करो - परमधाम में चलो, तो परमधाम में चला जाये।
श्... कहते हैं ट्रैफिक कन्ट्रोल 3 मिनट नहीं होता, शरीर का कन्ट्रोल हो जाता है, खड़े हो जाते हैं, नाम है मन के कन्ट्रोल का लेकिन मन का कन्ट्रोल कभी होता, कभी नहीं भी होता। कारण क्या है? कन्ट्रोलिंग पावर की कमी। इसे अभी और बढ़ाना है। आर्डर करो, जैसे हाथ को ऊपर उठाना चाहो तो उठा लेते हो। क्रेक नहीं है तो उठा लेते हो ना! ऐसे मन, यह सूक्ष्म शक्ति कन्ट्रोल में आनी है। लाना ही है। आॅर्डर करो - स्टाॅप तो स्टाॅप हो जाए। सेवा का सोचो, सेवा में लग जाए। परमधाम में चलो, तो परमधाम में चला जाये। सूक्ष्मवतन में चलो, सेकण्ड में चला जाए। जो सोचो वह आर्डर में हो। अभी इस शक्ति को बढ़ाओ। ...श्
30.11.1999
आॅर्डर करो - स्टाॅप तो स्टाॅप हो जाए। परमधाम में चलो, तो परमधाम में चला जाय३
श्... मधुबन का वायुमण्डल पावरफुल है, इस वायुमण्डल में इस समय मन को कण्ट्रोल कर सकते हो? चाहे मिनट में करो, चाहे सेकण्ड में करो लेकिन कर सकते हो? आॅर्डर दो मन को, बस आत्मा परमधाम निवासी बन जाओ। देखो मन आॅर्डर मानता है या नहीं मानता है? ...श्
31.12.1999
कैसे भी करके मुझे अपने साथ परमधाम में ले ही जाना है, चाहे मार से चाहे प्यार से ले ही जाना है३
श्... जैसे बापदादा ने पहले कहा है कि कैसे भी करके मुझे अपने साथ परमधाम में ले ही जाना है, चाहे मार से चाहे प्यार से ले ही जाना है। अज्ञानियों को मार से और आप बच्चों को प्यार से। ऐसे ही बापदादा अभी भी कहते हैं कि कैसे भी करके दुनिया के आगे महान आत्माओं को फरिश्ते रूप में प्रत्यक्ष करना ही है। तो तैयार हो ना? बापदादा ने सुनाया ना - कैसे भी करके बनाना तो है ही। नहीं तो नई दुनिया कैसे आयेगी! ...श्
16.12.2000
विनाश होगा तो बाप तो परमधाम में चले जायेंगे ना!ण्ण्ण्
श्... कभी-कभी सोचते हैं कि क्या विनाश होना है या होना नहीं है! 99 का चक्कर भी पूरा हो गया, 2000 भी पूरा होना ही है। अब कब तक? बापदादा सोचते हैं - हँसी की बात है कि विनाश को सोचना अर्थात् बाप को विदाई देना क्योंकि विनाश होगा तो बाप तो परमधाम में चले जायेंगे ना! ...श्
24.02.2002
परमधाम तक तो पहुँचना मुश्किल है लेकिन३
श्...ऐसे आपस में प्रोग्राम बनाओ जो किसी भी आत्मा को कम से कम समय में दुःख की दुनिया से पार करके थोड़े समय के लिए भी शान्ति की यात्रा करा सको। चलो, परमधाम तक तो पहुँचना मुश्किल है लेकिन दुःख के दुनिया की शान्ति की यात्रा तो कर सकते हैं। ...श्
25.10.2002
याद आ रहा है परमधाम?ण्ण्ण्
श्... बापदादा देख रहे हैं कि बच्चों की रायल फैमिली कितनी श्रेष्ठ है! अपने अनादि राॅयल्टी को याद करो, जब आप आत्मायें परमधाम में भी रहती हो तो आत्मा रूप में भी आपकी रूहानी राॅयल्टी विशेष है। सर्व आत्मायें भी लाइट रूप में हैं लेकिन आपकी चमक सर्व आत्माओं में श्रेष्ठ है। याद आ रहा है परमधाम? अनादि काल से आपकी झलक फलक न्यारी है। जैसे आकाश में देखा होगा सितारे सभी चमकते हैं, सब लाइट ही हैं लेकिन सर्व सितारों में कोई विशेष सितारों की चमक न्यारी और प्यारी होती है। ऐसे ही सर्व आत्माओं के बीच आप आत्माओं की चमक रूहानी राॅयल्टी, प्युरिटी की चमक न्यारी है। याद आ रहा है ना? ...श्
13.02.2003
आप तो परमधाम तक उड़ा लेंगे३
श्... ट्रांसपोर्ट वाले तो सभी को प्लेन से भी ऊंचा उड़ायेंगे ना। प्लेन तो यहाँ तक चलता है, आप तो परमधाम तक उड़ा लेंगे। तीनों लोकों का सैर कराने वाले ट्रांसपोर्ट है। ...श्
28.02.2003
परमधाम, स्वीट होम में भी साथ-साथ चलेंगे या आगे पीछे चलेंगे?ण्ण्ण्
श्... अगर आक्युपेशन भी है तो बाप और बच्चों का एक ही विश्व परिवर्तन करने का आक्युपेशन है और वायदा क्या है? कि परमधाम, स्वीट होम में भी साथ-साथ चलेंगे या आगे पीछे चलेंगे? साथ-साथ चलना है ना! तो ऐसा स्नेह आपका और बाप का है। ...श्
17.10.2003
जब आप आत्मायें परमधाम में रहती तो कितनी चमकती हुई आत्मायें दिखाई देती हो३
श्... सोचो, आप विशेष आत्माओं की अनादि आदि पर्सनैलिटी और रॉयल्टी कितनी ऊंची है! अनादि रूप में भी देखो जब आप आत्मायें परमधाम में रहती तो कितनी चमकती हुई आत्मायें दिखाई देती हो। उस चमक की राॅयल्टी, पर्सनैलिटी कितनी बड़ी है। दिखाई देती है? और बाप के साथ-साथ आत्मा रूप में भी रहते हो, समीप रहते हो। जैसे आकाश में कोई-कोई सितारे बहुत ज्यादा चमकने वाले होते हैं ना! ऐसे आप आत्मायें भी विशेष बाप के साथ और विशेष चमकते हुए सितारे होते हो। परमधाम में भी आप बाप के समीप हो और फिर आदि सतयुग में भी आप देव आत्माओं की पर्सनैलिटी, राॅयल्टी कितनी ऊंची है। सारे कल्प में चक्कर लगाओ, धर्म आत्मा हो गये, महात्मा हो गये, धर्म पितायें हो गये, नेतायें हो गये, अभिनेतायें हो गये, ऐसी पर्सनैलिटी कोई की है, जो आप देव आत्माओं की सतयुग में है? अपना देव स्वरूप सामने आ रहा है ना? ...श्
17.10.2003
परमधाम में भी समीप नहीं रहेंगे३
श्... बाप समान बनना है। समान नहीं बनेंगे तो मजा नहीं आयेगा। परमधाम में भी समीप नहीं रहेंगे। पूज्य में भी फर्क पड़ जायेगा, सतयुग के राज्य भाग्य में भी फर्क पड़ जायेगा। ...श्
15.11.2003
आप सभी को भी फरिश्ता बन परमधाम में चलना है३
श्... नम्बरवन ब्रह्मा की आत्मा ने प्रत्यक्ष साकार रूप में भी फरिश्ता जीवन का अनुभव कराया और फरिश्ता स्वरूप बन गया। उसी फरिश्ते रूप के साथ आप सभी को भी फरिश्ता बन परमधाम में चलना है। तो इसके लिए मन की एकाग्रता पर अटेन्शन दो। आॅर्डर से मन को चलाओ। ...श्
30.11.2003
अभी सेकण्ड में सभी श्मैं परमधाम निवासी श्रेष्ठ आत्मा हूँ श्, इस स्मृति के स्विच को आॅन करो३
श्... सेकण्ड में स्मृति का स्विच आॅन कर सकते हो? कर सकते हो? कैसे भी सरकमस्टांश हों, कैसी भी समस्या हो, स्मृति का स्विच आॅन करो। यह अभ्यास करो क्योंकि फाइनल पेपर सेकण्ड का ही होना है, मिनट भी नहीं। सोचने वाला नहीं पास कर सकेगा, अनुभव वाला पास हो जायेगा। तो अभी सेकण्ड में सभी श्मैं परमधाम निवासी श्रेष्ठ आत्मा हूँ श्, इस स्मृति के स्विच को आॅन करो और कोई भी स्मृति नहीं हो। कोई बु(ि में हलचल नहीं हो, अचल। ...श्
02.02.2004
परमधाम में भी देखो आप पूर्वज आत्माओं का स्थान बाप के साथ समीप का है३
श्... अपने कल्प वृक्ष का चित्र सामने लाओ, अपने को देखो आपका स्थान कहाँ है! जड़ में भी आप हो, तना भी आप हो। साथ में परमधाम में भी देखो आप पूर्वज आत्माओं का स्थान बाप के साथ समीप का है। जानते हो ना! इसी नशे से कोई भी आत्मा से मिलते हो तो हर धर्म की आत्मा आपको यह हमारे हैं, अपने हैं, उस दृष्टि से देखते हैं। अगर उस पूर्वज के नशे से, स्मृति से, वृत्ति से, दृष्टि से मिलते हो, तो उन्हों को भी अपनेपन का आभास होता है क्योंकि आप सर्व के पूर्वज हो, सबके हो। ऐसी स्मृति से सेवा करने से हर आत्मा अनुभव करेगी कि यह हमारे ही पूर्वज वा ईष्ट फिर से हमें मिल गये। ...श्
02.02.2004
परमधाम निवासी बाप के साथ-साथ लाइट हाउस बन विश्व को लाइट दे सकते हो?ण्ण्ण्
श्... अभी रूहानी ड्रिल याद है? एक सेकण्ड में अपने पूर्वज स्टेज में आए परमधाम निवासी बाप के साथ-साथ लाइट हाउस बन विश्व को लाइट दे सकते हो? तो एक सेकण्ड में सभी चारों ओर देश-विदेश में सुनने वाले, देखने वाले लाइट हाउस बन विश्व के चारों ओर सर्व आत्माओं को लाइट दो, सकाश दो, शक्तियां दो। ...श्
17.02.2004
बापदादा तो परमधाम से आये हैं३
श्... बापदादा कहाँ से आया है? बापदादा तो परमधाम से आये हैं। तो बच्चों से प्यार है ना! तो जन्म दिन कितना श्रेष्ठ है, जो भगवान को भी आना पड़ता है। हाँ यह ;बर्थ डे का एक बैनर सभी भाषाओं का बनाया हुआ दिखा रहे हैंद्ध अच्छा बनाया है, सभी भाषाओं में लिखा है। बापदादा सभी देश के सभी भाषाओं वाले बच्चों को बर्थ डे की मुबारक दे रहे हैं। ...श्
05.03.2004
अब कब परमधाम का दरवाजा खोलेंगे?ण्ण्ण्
श्... क्या है कि एक तरफ एडवांस पार्टी बापदादा को बार-बार कहती है - कब तक, कब तक, कब तक? दूसरा - प्रड्डति भी बाप को अर्जा करती है, अभी परिवर्तन करो। ब्रह्मा बाप भी कहते हैं कि अब कब परमधाम का दरवाजा खोलेंगे? साथ में चलना है ना, रह तो नहीं जाना है ना! साथ चलेंगे ना! साथ में गेट खोलेंगे! चाहे चाबी ब्रह्मा बाबा लगायेगा, लेकिन साथ तो होंगे ना! तो अभी यह परिवर्तन करो। बस, लाना ही नहीं है। मेरी चीज ही नहीं है, दूसरे की, रावण की चीज क्यों रखी है! दूसरे की चीज रखी जाती है क्या? तो यह किसकी है? रावण की है ना! उसकी चीज आपने क्यों रखी है? रखनी है? नहीं रखनी है ना, पक्का? ...श्
15.10.2004
एक आकार वतन से आता, एक परमधाम से आता, तो अमेरिका उसके आगे क्या है? कुछ भी नहीं३
श्... अमेरिका वाले दूरदेशी वाले है या बाप दूरदेशी है? अमेरिका तो इस दुनिया में है। बाप तो दूसरी दुनिया से आता है। तो सबसे दूरदेशी कौन? अमेरिका नहीं। सबसे दूरदेशी बापदादा है। एक आकार वतन से आता, एक परमधाम से आता, तो अमेरिका उसके आगे क्या है? कुछ भी नहीं। ...श्
20.02.2005
अमेरिका दूर है या परमधाम दूर है? ३
श्... आप भी दूर से आये हैं लेकिन बापदादा तो परमधाम से आया है। उसकी भेंट में अमेरिका क्या है! अमेरिका दूर है या परमधाम दूर है? सबसे दूरदेशी बापदादा है। बच्चे याद करते और बाप हाजिर हो जाते हैं। ...श्
07.03.2005
परिवर्तन करने का कार्य भी साथ है और घर परमधाम में चलने में भी साथ-साथ हंै३
श्...यह साथ-साथ का वायदा बच्चों से बाप का है। अभी भी संगम पर कम्बाइण्ड साथ है, अवतरण भी साथ है, परिवर्तन करने का कार्य भी साथ है और घर परमधाम में चलने में भी साथ-साथ है। यह है बाप और बच्चों के प्यार का स्वरूप। ...श्
25.03.2005
शिव बाप परमधाम से आये क्यों हैं?ण्ण्ण्
श्... बापदादा तो सर्वशक्तिवान है ना! अकेले बन जाते हो तब ही कमजोर बन जाते हो। कम्बाइन्ड रूप में रहो। बापदादा हर एक बच्चे के हर समय सहयोगी हैं। शिव बाप परमधाम से आये क्यों हैं? किसलिए आये हैं?बच्चों के सहयोगी बनने के लिए आये हैं। देखो ब्रह्मा बाप भी व्यक्त से अव्यक्त हुए किसलिए? साकार शरीर से अव्यक्त रूप में ज्यादा से ज्यादा सहयोग दे सकते हैं। तो जब बापदादा सहयोग देने के लिए आफर कर रहे हैं तो अकेले क्यों बन जाते? मेहनत में क्यों लग जाते? 63 जन्म तो मेहनत की है ना! क्या वह मेहनत के संस्कार अभी भी खींचते हैं क्या? मुहब्बत में रहो, लव में लीन रहो। ...श्
25.03.2005
बापदादा विशेष बच्चों के लिए परमधाम से सौगात लाये हैं३
श्... मेहनत अच्छी लगती है क्या? क्या आदत से मजबूर हो जाते हो? सहज योगी हैं, बापदादा विशेष बच्चों के लिए परमधाम से सौगात लाये हैं, पता है क्या सौगात लाये हैं? तिली पर भिस्त लाया है। ;हथेली पर स्वर्ग लाये हैंद्ध आपका चित्र भी है ना। राज्य भाग्य लाये हैं बच्चों के लिए। इसलिए बापदादा को मेहनत अच्छी नहीं लगती। ...श्
25.02.2006
अभी परमधाम से अपने सूक्ष्मवतन में पहुंच जाओ३
श्...बापदादा सभी को चाहे यहाँ सम्मुख बैठे हैं, चाहे देश विदेश में दूर बैठे सुन रहे हैं या देख रहे हैं, सभी बच्चों को ड्रिल कराते हैं। सभी रेडी हो गये। सब संकल्प मर्ज कर दो, अभी एक सेकण्ड में मन बु(ि द्वारा अपने स्वीट होम में पहुँच जाओ। अभी परमधाम से अपने सूक्ष्मवतन में पहुंच जाओ। अभी सूक्ष्मवतन से स्थूल साकार वतन अपने राज्य स्वर्ग में पहुंच जाओ। अभी अपने पुरूषोत्तम संगमयुग में पहुंच जाओ। अभी मधुबन में आ जाओ। ऐसे ही बार-बार स्वदर्शन चक्रधारी बन चक्र लगाते रहो। ...श्
14.03.2006
एक सेकण्ड में बाप के साथ परमधाम में ऊँचे ते ऊँचे स्थान, ऊँचे ते ऊँचा बाप, उनके साथ ऊँची स्थिति में बैठ जाओ३
श्... अभी एक सेकण्ड में अपने मन से सब संकल्प समाप्त कर एक सेकण्ड में बाप के साथ परमधाम में ऊँचे ते ऊँचे स्थान, ऊँचे ते ऊँचा बाप, उनके साथ ऊँची स्थिति में बैठ जाओ। और बाप समान मास्टरसर्वशक्तिवान बन विश्व की आत्माओं को शक्तियों की किरणें दो। ...श्
02.02.2007
पहले-पहले आत्मा जब परमधाम में रहते हो तो३
श्... आप परमात्म ब्राह्मण आत्मायें आदि-मध्य-अन्त तीनों ही काल में होलीएस्ट रहती हो। पहले-पहले आत्मा जब परमधाम में रहते हो तो वहाँ भी होलीएस्ट हो फिर जब आदि में आते हो तो आदिकाल में भी देवता रूप में होलीएस्ट आत्मा रहे। होलीएस्ट अर्थात् पवित्र आत्मा की विशेषता है - प्रवृत्ति में रहते सम्पूर्ण पवित्र रहना। और भी पवित्र बनते हैं लेकिन आपकी पवित्रता की विशेषता है - स्वप्नमात्र भी अपवित्रता मन-बु(ि में टच नहीं करे। सतयुग में आत्मा भी पवित्र बनती और शरीर भी आपका पवित्र बनता। आत्मा और शरीर दोनों की पवित्रता जो देव आत्मा रूप में रहती है, वह श्रेष्ठ पवित्रता है। जैसे होलीएस्ट बनते हो, इतना ही हाइएस्ट भी बनते हो। सबसे ऊंचे ते ऊंचे ब्राह्मण आत्मायें और ऊंचे ते ऊंचे बाप के बच्चे बने हो। आदि में परमधाम में भी हाइएस्ट अर्थात् बाप के साथ-साथ रहते हो। ...श्
03.03.2007
परमधाम में तो है ही लेकिन अभी संगम में परमात्मा आपके साथ कहाँ रहता है?ण्ण्ण्
श्... अगर कोई आप बच्चों से पूछे, परमात्मा कहाँ रहता है? परमधाम में तो है ही लेकिन अभी संगम में परमात्मा आपके साथ कहाँ रहता है? आप क्या जवाब देंगे? परमात्मा को अभी हम पवित्र आत्माओं का दिलतख्त ही अच्छा लगता है। ऐसे है ना? आपके दिल में बाप रहता, आप बाप के दिल में रहते। रहते हैं? ...श्
17.03.2007
मन को परमधाम मे लेके आओ३
श्... 5 मिनट में मनकी एक्सरसाइज करो, मन को परमधाम मे लेके आओ, सूक्ष्मवतन में फरिश्तेपन को याद करो फिर पूज्य रूप याद करो, फिर ब्राह्मण रूप याद करो, फिर देवता रूप याद करो । कितने हुए? पांच । तो पांच मिनट मंे 5 - यह एक्सरसाइज करो और सारे दिन में चलते फिरते यह कर सकते हो । इसके लिए मैदान नही चाहिए, दौड़ नही लगानी है, न कुर्सी चाहिए, न सीट चाहिए, न मशीन चाहिए । जैसे और एक्सरसाइज शरीर की आवश्यक है, वह भले करो, उसकी मना नहीं है । लेकिन यह मन की ड्रील, एक्सरसाइज, मन को सदा खुश रखेगी । उमंग-उत्साह में रखेगी, उड़ती कला का अनुभव करायेगी । तो अभी- अभी यह ड्रील सभी शुरू करो - परमधाम से देवता तक । ...श्
18.01.2008
बाप तो परमधाम में, सूक्ष्मवतन में बैठा है३
श्... बापदादा को तो खेल देखने में रहम आता है, मजा नहीं आता है क्योंकि बापदादा देखते हैं बच्चे अपनी बात दूसरे के ऊपर रखने में बहुत होशियार हैं। क्या खेल करते? बातें बना देते हैं। सोचते हैं कौन देखने वाला है! मैं जानूं मेरी दिल जाने। बाप तो परमधाम में, सूक्ष्मवतन में बैठा है। अगर किसको कहो कि यह नहीं करना चाहिए, तो खेल क्या करते हैं पता है? हाँ हुआ तो है लेकिन... लेकिन जरूर डालते हैं। लेकिन क्या? ऐसा था ना, ऐसा किया ना, ऐसे होता है ना, तभी हुआ, मैंने नहीं किया, ऐसे हुआ तभी द्य अभी इसने किया, तभी किया। नहीं तो मैं नहीं करता, तो यह क्या हुआ? अपनी महसूसता, रियलाइजेशन कम है। अच्छा, मानों उसने ऐसा किया, तभी आपने किया, चलो बहुत अच्छा। पहला नम्बर वह हुआ, दूसरा नम्बर आप हुए, ठीक है। बापदादा यह भी मान लेते हैं। आप पहला नम्बर नहीं है, दूसरा नम्बर हैं लेकिन अगर आप सोचते हो कि पहला नम्बर परिवर्तन करे तो मैं ठीक हूँगा, ठीक है? यह समझते हैं ना उस समय। मानो पहला नम्बर परिवर्तन करता है। बापदादा और सभी पहले नम्बर वाले को कहते हैं आपकी गलती है, आपको परिवर्तन करना है, ठीक है। अच्छा अगर पहले नम्बर वाले ने परिवर्तन किया, तो पहला नम्बर किसको मिलेगा? आपका तो पहला नम्बर नहीं होगा। परिवर्तन शक्ति में आपका पहला नम्बर नहीं होगा। पहला नम्बर आपने उसको दिया तो आपका कौन सा नम्बर हुआ? दूसरा नम्बर हुआ ना। अगर आपको कहें दूसरा नम्बर हैं तो मंजूर करेंगे। करेंगे? कहेंगे नहीं, ऐसे था, वैसे था, कैसे था... यह भाषा बहुत खेल में आती है। ऐसे वैसे कैसे यह खेल बन्द करके मुझे परिवर्तन होना है। मैं परिवर्तन होके दूसरे को परिवर्तन करूँ, लेकिन अगर दूसरे को परिवर्तन नहीं कर सकते हो तो शुभ भावना, शुभ कामना तो रख सकते हो! वह तो आपकी अपनी चीज है ना! तो हे अर्जुन मुझे बनना है। पहला विश्व के राज्यधारी लक्ष्मी-नारायण के समीप आपको आना है या दूसरे नम्बर वाले को? ...श्
02.02.2008
परमधाम में बाप के साथ बैठ जाओ३
श्... अभी एक सेकण्ड में, एक सेकण्ड हुआ, एक सेकण्ड में सारी सभा जो भी जहाँ है वहाँ मन को एक ही संकल्प में स्थित करो मैं बाप और मैं परमधाम में अनादि ज्योतिबिन्दु स्वरूप हूँ, परमधाम में बाप के साथ बैठ जाओ। ...श्
18.02.2008
सबसे टाॅप क्या है! परमधाम३
श्... जैसे कोई टाॅप स्थान होता है ना तो वहाँ खड़े हो जाओ तो कितना सारा स्पष्ट दिखाई देता है। ऐसे आपकी टाॅप की स्टेज, सबसे टाॅप क्या है! परमधाम। बापदादा कहते हैं सेवा की और फिर टाॅप की स्टेज पर बाप के साथ आकर बैठ जाओ। जैसे थक जाते हैं ना तो 5 मिनट भी कहाँ शान्ति से बैठ जाते हैं ना तो फर्क पड़ जाता है ना। ऐसे ही बीच-बीच में बाप के साथ आकर बैठ जाओ। ...श्
02.04.2008
परमधाम में भी साथी हैं और राज्य में भी ब्रह्मा बाप के साथी रहेंगे३
श्... क्या अपने हमजिन्स मनुष्यात्माओं को दुःख और अशान्ति से परिवर्तन नहीं कर सकते? एक तो आपने चैलेन्ज किया है और दूसरा बापदादा को भी वायदा किया है, हम सभी अभी भी आपके कार्य में साथी हैं, परमधाम में भी साथी हैं और राज्य में भी ब्रह्मा बाप के साथी रहेंगे। यह वायदा किया है ना! तो साथ चलेंगे, साथ रहेंगे, और अभी भी साथ हैं। तो बाप का इशारा समय प्रति समय प्रैक्टिकल देख रहे हो - अचानक एवररेडी। ...श्
15.11.2008
मन बु(ि को परमधाम में एकाग्र कर सकते हो?ण्ण्ण्
श्... अभी एक सेकण्ड में अपने मन के बु(ि के मालिक बन मन बु(ि को परमधाम में एकाग्र कर सकते हो? अभी एक मिनट बापदादा देखने चाहते हैं सभी एकाग्र हो परमधाम निवासी बन जाओ। ...श्
18.01.2009
सेकण्ड में परमधाम, सूक्ष्मवतन, स्थूल मधुबन साकार वतन, जहाँ चाहेंगे वहाँ बिना मेहनत के सेकण्ड में पहुंच जायेंगे३
श्... दाता के बच्चे हो तो जो भी आवे हर एक को कोई न कोई गुण की गिफ्ट दो। तो एक सेकण्ड में वह दृढ़ संकल्प, दाता का संकल्प लिफ्ट बन जायेगा और सेकण्ड में परमधाम, सूक्ष्मवतन, स्थूल मधुबन साकार वतन, जहाँ चाहेंगे वहाँ बिना मेहनत के सेकण्ड में पहुंच जायेंगे। कोई भी सामने आये उसको खाली हाथ नहीं भेजना, कोई न कोई गुण की, चेहरे से, चलन से, मुख से गुण की सौगात के बिना नहीं मिलना। ...श्
28.02.2010
मन को बु(ि को आप एक सेकण्ड में परमधाम में टिका सकते हो!ण्ण्ण्
श्... अभी यह प्रैक्टिस करो कि मन को बु(ि को आप एक सेकण्ड में परमधाम में टिका सकते हो! अभी अपने को फरिश्ते रूप में टिकाओ। अभी अपने को मैं ब्राह्मण मास्टर सर्वशक्तिवान स्थिति में हूँ, इस मास्टर सर्वशक्तिवान स्थिति में स्थित हो जाओ। ;बापदादा ने ड्रिल कराईद्ध ऐसी प्रैक्टिस सारे दिन में जब भी समय मिले, बार-बार मन को एकाग्र करके देखो। जहाँ चाहो, जो चाहो वहाँ मन एकाग्र हो। पुरूषार्थ एक मिनट लगे, एक सेकण्ड में फुलस्टॉप क्योंकि ऐसा समय हलचल का अभी तैयारी कर रहा है इसलिए माइण्ड कन्ट्रोल -मन मेरा है, मैं मन नहीं, मेरा मन है तो मेरे के ऊपर मैं का कन्ट्रोल है? यह ड्रिल बहुत आवश्यक है। ...श्
02.02.2011
बाप कहाँ से आये हैं? परमधाम से३
श्... बापदादा कहाँ से आये हैं? परमधाम से ब्रह्मा बाप भी सूक्ष्मवतन से आये हैं। तो कौन दूर से आया? सबसे दूर कौन? यह है बाप और बच्चों के प्यार का नजारा। आपने कहा मेरा बाबा और बाप ने कहा मेरा बच्चा। सिर्फ एक को जानने से कितना वर्सा मिल गया। दुनिया वाले सुख के लिए शान्ति के लिए ढूंढ रहे हैं - कहाँ शान्ति मिलेगी कहाँ सुख मिलेगा और आपकी जीवन ही सुख शान्ति सम्पन्न हो गई। ...श्
02.02.2011
बाप रोज परमधाम से आते हैं कितना दूर से आते हैं ३
श्... नये भी हैं पुराने भी हैं तो यह पक्का पक्का पक्का नोट करो मुरली नहीं मिस करनी है। क्योंकि बाप रोज परमधाम से आते हैं कितना दूर से आते हैं बच्चों के लिए आता है ना! जैसे बाप मुरली मिस नहीं करते ऐसे बच्चों को भी मुरली मिस नहीं करना है। ...श्
17.02.2011
परमधाम से बापदादा आता है आके महावाक्य उच्चारण करते हैं३
श्... अभी बाकी जो भी समय मिला है उसमें बाप के महावाक्य परमधाम से बापदादा आता है सूक्ष्मवतन से ब्रह्मा बाबा आता है और आके महावाक्य उच्चारण करते हैं इसलिए मुरली कभी भी एक दिन भी मिस नहीं करना। अपना बापदादा का दिलतख्त छूट जायेगा। इसलिए जो भी मुरली मिस करते हैं वह समझें हम तीन तख्त के मालिक नहीं दो तख्त के मालिक भी यथाशक्ति बनेंगे। इसलिए मुरली मुरली मुरली। ...श्
02.03.2011
क्योंकि परमधाम से आत्मा आती है३
श्... पहला पहला जन्म वैसे भी सतोप्रधान होता है क्योंकि परमधाम से आत्मा आती है। तो भक्तों के तरफ भी आज दृष्टि गई। तो काॅपी बड़ी युक्तियुक्त की है क्योंकि आपके शुरू-शुरू वाले विशेष भक्त जैसा आपका प्रैक्टिकल कर्म है वैसे ही उन्होंने भी यादगार की काॅपी अच्छी बनाई है। ...श्
02.02.2012
अपना जो देश है परमधाम३
श्... हिम्मत नहीं छोड़ते हैं, हिम्मत रखते हैं और एक दो को भी हिम्मत देके चला रहे हैं और बाप भी मदद करते हैं। तो विदेश वाले नहीं लेकिन अपना जो देश है परमधाम, उसके अच्छे अनुभव करके बस समय को समीप करना है, इसमें पान का बीड़ा उठाओ। पहले हम करके दिखायेंगे। निमित्त बनके दिखायेंगे। अच्छा है। बापदादा खुश तो है, तो नहीं खुश है। ...श्
19.02.2012
परमधाम से पहले-पहले आये हैं तो पहला जन्म सदा सतोप्रधान होता है३
श्... बापदादा को आज आपके भक्त भी विशेष याद आ रहे हैं क्योंकि आपके भक्तों ने जो आपने किया है वह काॅपी बहुत अच्छी की है क्योंकि द्वापर में परमधाम से पहले-पहले आये हैं तो पहला जन्म सदा सतोप्रधान होता है इसलिए उन्होंने काॅपी बहुत अच्छी की है। तो आज के दिन बच्चों के साथ आपके भक्त भी याद आ रहे हैं। वतन में तो आज अमृतवेले से बहुत बच्चों की रौनक थी। हर बच्चा समझता था कि मैं बापदादा को अपनी मुबारक दूं और बापदादा ने भी हर बच्चे की मुबारक अति स्नेह से स्वीकार की। ...श्
02.02.2013
अशरीरी बन अपने घर परमधाम जायेंगे३
श्...यह परमात्म प्यार एक जन्म में इतना श्रेष्ठ बना रहा है जो आत्मा लवलीन बन, अशरीरी बन अपने घर परमधाम जायेंगे, साथ में अपने राज्य के अधिकारी बन जायेंगे। ...श्
30.11.2013
अकेली आत्मा परमधाम में कैसे जाती३
श्... जो आज मुरली में बाबा ने सेवा के प्रकार बताये, सभी सेवायें करने का बाबा ने भाग्य दिया है जो आज यह नहीं लगता कि इस आत्मा से बाबा ने यह सेवा नहीं कराई है। जो भी बाबा डायरेक्शन देता है, समझाता है, वह जाकर किसको नहीं समझाया तो बाबा नाश्ता करने नहीं देगा। ज्ञान का भोजन काँनों से सुना है, मुख में ब्रह्मा भोजन खाया है, उसकी शक्ति हम सबको चला रहा है। हमारा साथी, सहारा, सहयोगी बाबा है, बाबा का साथ न होता तो हम अकेली आत्मा परमधाम में कैसे जाती। ...श्
31.03.2016
अगर लेटने का करेंगे तो आधा तो परमधाम में चले जायेंगे३
श्... भले आराम से लेटे हुए नहीं हो लेकिन बैठे तो ठीक हो ना। और ऐसा ही होना चाहिए अगर लेटने का करेंगे तो आधा तो परमधाम में चले जायेंगे। तो बापदादा को भी जब आना होता है ना, तो बहुत नजÛारे सामने आते हैं। यह तो होंगे ही फिर भी प्रड्डति भी हम लोगों को अच्छा सहारा देती है। ...श्
20.03.2017
आप सभी को फरिश्ता बन परमधाम चलना है३
श्... हर बात में, वृत्ति, दृष्टि, कर्म... सबमें न्यारापन अनुभव हो। यह बोल रहा है लेकिन न्यारा-न्यारा, आत्मिक प्यारा, ऐसे फरिश्तेपन की अनुभूति स्वयं भी करो और औरों को भी कराओ। ब्रह्मा बाप जो फरिश्ता रूप में आप सबका साथी है, अब उनके समान आप सभी को फरिश्ता बन परमधाम चलना है, इसके लिए मन की एकाग्रता पर अटेन्शन दो। आॅर्डर से मन को चलाओ। ...श्
10.04.2017
आपकी टाॅप की स्टेज, सबसे टाॅप क्या है! परमधाम३
श्... अभी आपस में जैसे सर्विस की मीटिंग करते हो, प्राब्लम हल करने के लिए करते हो ना। ऐसे यह मीटिंग करो, यह प्लैन बनाओ। याद और सेवा। याद का अर्थ है शान्ति की पावर और वह प्राप्त होगी, जब आप टाॅप की स्टेज पर होंगे। जैसे कोई टाॅप स्थान होता है ना तो वहाँ खड़े हो जाओ तो कितना सारा स्पष्ट दिखाई देता है। ऐसे आपकी टाॅप की स्टेज, सबसे टाॅप क्या है! परमधाम। बापदादा कहते हैं सेवा की और फिर टाॅप की स्टेज पर बाप के साथ आकर बैठ जाओ। जैसे थक जाते हैं ना तो 5 मिनट भी कहाँ शान्ति से बैठ जाते हैं ना तो फर्क पड़ जाता है ना। ऐसे ही बीच-बीच में बाप के साथ आकर बैठ जाओ। ...श्
- ओमशान्ति -
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