In response of BaapDada's Murli dated 21-06-2019 ...

मेरे प्राणप्यारे बाबा
हे जगत के सृजनहार बाबा
अपने बच्चे ब्रह्माकुमार नरेश की दिल व जान से ईश्वरीय स्नेह संपन्न ओमशान्ति व नमस्ते स्वीकार करना जी।
ये पत्र आपको प्यारे बाबा अपने आत्मिक स्वरूप में स्थित होकर आज साकारी दुनिया अथवा कर्मक्षेत्र से लिख रहा हूं।

प्राणप्यारे बाबा आज आपने क्लास में आते ही हम सभी बच्चों को बहुत प्यार से ओमशान्ति कहा। हम बच्चों से पूछा कि हम रूहानी बच्चे क्या कर रहे हैं? अव्यभिचारी याद में बैठे हैं। फिर आपने बताया कि एक होती है अव्यभिचारी याद, दूसरी होती है व्यभिचारी याद। अव्यभिचारी याद अथवा अव्यभिचारी भक्ति जब पहले शुरू होती है तो सब शिव की पूजा करते हैं। बाबा आपने बताया कि ऊंच ते ऊंच आप ही हैं, आप शिक्षक भी है। पढ़ाते हैं। क्या पढ़ाते हैं? मनुष्य से देवता बनाते हैं। देवता से मनुष्य बनने में हम बच्चों को 84 जन्म लगे हैं। और मनुष्य से देवता बनने में एक सेकण्ड लगता है। बाबा आपने कहा कि हम बच्चे जानते हैं - हम बाप की याद में बैठे हैं। बाबा ही हमारा टीचर भी है, सतगुरू भी है। योग सिखाते हैं कि एक की याद में रहो।

मीठे बाबा आप खुद कहते हैं - हे आत्माओं, हे बच्चे, देह के सब सम्बन्ध छोड़ो, अब वापिस जाना है। यह पुरानी दुनिया बदल रही है। अभी यहाँ रहना नहीं है। पुरानी दुनिया के विनाश लिए ही यह बारूद आदि बनाये हुए हैं। नैचुरल कैलेमिटीज भी मदद करती है। विनाश तो होना है जरूर। तुम पुरूषोत्तम संगमयुग पर हो। यह हम बच्चे जानते हैं । हम बच्चे अभी लौट रहे हैं इसलिए बाबा आप कहते हैं इस पुरानी दुनिया, पुरानी देह को भी छोड़ना है। देह सहित जो भी इस दुनिया में देखने में आता है, यह सब विनाश हो जाना है। शरीर भी खत्म होना है। अब हम आत्माओं को घर लौटना है। लौटने बिगर नई दुनिया में आ नहीं सकेंगे।

बाबा आपने बताया कि अभी आप हमें पुरूषोत्तम बनाने का पुरूषार्थ करा रहे हैं। पुरूषोत्तम हैं यह देवतायें। सबसे ऊंच ते ऊंच है निराकार बाप। फिर मनुष्य सृष्टि में आओ तो इसमें हैं ऊंच देवता। वह भी मनुष्य हैं परन्तु दैवीगुणों वाले। फिर वही आसुरी गुणों वाले बनते हैं। अब फिर आसुरी गुणों से दैवीगुणों में जाना पड़े। सतयुग में जाना पड़े। किसको? तुम बच्चों को। तुम बच्चे पढ़ रहे हो औरों को भी पढ़ाते हो। मीठे बाबा आपने बताया कि सिर्फ बाप का ही मैसेज देना है। बेहद का बाप बेहद का वर्सा देने आये हैं। अब हद का वर्सा पूरा होता है। बाबा आप ने समझाया है - 5 विकारों रूपी रावण की जेल में सब मनुष्य हैं। सब दुःख ही उठाते हैं। सूखी रोटी मिलती है। बाप आकरके सबको रावण की जेल से छुड़ाए सदा सुखी बनाते हैं। बाप के सिवाए मनुष्य को देवता कोई बना न सके। तुम यहाँ बैठे हो, मुनष्य से देवता बनने के लिए।


बाबा आपने बताया कि अभी है कलियुग। बहुत धर्म हो गये हैं। हम बच्चों को रचता और रचना का परिचय खुद बाबा आप बैठ देते हैं। हम तो सिर्फ ईश्वर, परमात्मा कहते थे। हमको यह पता भी नहीं था कि वह बाप भी है, टीचर भी है, गुरू भी है। आपको कहा जाता है सतगुरु। अकालमूर्त भी कहा जाता है। हम आत्माओं को आत्मा और जीव कहा जाता है। बाबा आप अकालमूर्त इस शरीर रूपी तख्त पर बैठे हैं। आप जन्म नहीं लेते हैं। तो आप अकालमूर्त बाप हम बच्चों को समझाते हैं - कि आपका अपना रथ नहीं है, आप हम बच्चों को पावन कैसे बनायें तो आपको तो रथ चाहिए ना। आप अकालमूर्त को भी तख्त तो चाहिए। अकाल तख्त मनुष्य का होता है, और कोई का नहीं होता है। बाबा आपने बताया कि हम हर एक को तख्त चाहिए। अकालमूर्त आत्मा यहाँ विराजमान है। बाबा आपने बताया कि आप सभी के बाप हैं, आपको कहा जाता है महाकाल, आप पुनर्जन्म में नहीं आते हैं। हम आत्मायें पुनर्जन्म में आती हैं। मीठे बाबा आपने बताया कि आप आते हैं कल्प के संगमयुगे। बाबा आपने ये भी बताया कि भक्ति को रात, ज्ञान को दिन कहा जाता है। और कहा कि यह पक्का याद करो। मुख्य हैं ही दो बातें - अल्फ और बे, बाप और बादशाही। बाबा आप आकर बादशाही देते हैं और बादशाही के लिए पढ़ाते हैं इसलिए इसको पाठशाला भी कहा जाता है।

भगवानुवाच, बाबा आप भगवान् तो है निराकार। बाबा आपने बताया कि आपका भी पार्ट होना चाहिए। आप हैं ऊंच ते ऊंच भगवान, आपको सभी याद करते हैं। बाबा आपने बताया कि ऐसा कोई मनुष्य नहीं होगा जो भक्ति मार्ग में याद न करता हो। दिल से ही सब पुकारते हैं - हे भगवान, हे लिबरेटर, ओ गॉड फादर क्योंकि आप हैं सभी आत्माओं के फादर, बाबा आप जरूर बेहद का ही सुख देंगे। मीठे बाबा आपने बताया कि हद का बाप हद का सुख देते हैं। कोई को पता नहीं। मीठे बाबा अब आप आये हैं, हम बच्चों को कहते हैं - बच्चों, और संग तोड़ मुझ एक बाप को याद करो। यह भी आप ने बताया है हम देवी-देवता नई दुनिया में रहते हैं। वहाँ तो अपार सुख हैं। उन सुखों का अन्त नहीं पाया जाता है। मीठे बाबा आपने ये भी समझाया कि नये मकान में सदैव सुख होता है, पुराने में दुःख होता है। तब तो आप हम बच्चों के लिए नया मकान बनवाते हैं। हम बच्चों का Budhiyog भी नये मकान में चला जाता है। बाबा आपने बताया कि यह तो हुई हद की बात। अभी तो आप हमारे बेहद के बाप नई दुनिया बना रहे हैं। बाबा आपने ये भी बताया कि पुरानी दुनिया में जो कुछ देखते हो वह कब्रिस्तान होना है और अभी परिस्तान स्थापन हो रहा है। बाबा आपने ये भी बताया कि हम संगमयुग पर हो। कलियुग की तरफ भी देख सकते हो, सतयुग की तरफ भी देख सकते हो। बाबा आपने हम बच्चों प्रति कहा कि हम बच्चे संगमयुग पर साक्षी हो देखते हैं।


मीठे बाबा आपने यह भी बताया कि प्रदर्शनी में अथवा म्युजियम में जो समझने आते हैं तो वहाँ भी हमें उनको संगम पर खड़ा कर देना है। बाबा आपने समझाने का तरीका बताया कि उन्हें समझाओ कि इस तरफ है कलियुग, उस तरफ है सतयुग। हम बीच में हैं। बाप नई दुनिया स्थापन करते हैं। जहाँ पर बहुत थोड़े मनुष्य होते हैं। और कोई भी धर्म वाला नहीं आता है। सिर्फ हम ही पहले-पहले आते हो। मीठे बाबा आपने बताया कि अभी आप हमारे से स्वर्ग में जाने का पुरूषार्थ करा रहे हैं। मीठे बाबा आपने बताया कि हम आत्माओं ने आपको पावन बनने के लिए ही पुकारा है कि हे बाबा, हमको पावन बनाकर पावन दुनिया में ले चलो। हम ऐसे नहीं कहते कि शान्तिधाम में ले चलो। बाबा आपने बताया कि परमधाम को कहा जाता है स्वीट होम। अभी हमको घर जाना है, जिसको मुक्तिधाम कहा जाता है, जिसके लिए ही सन्यासी आदि शिक्षा देते हैं। बाबा आपने सन्यासियों के लिए बताया कि वह सुखधाम का ज्ञान दे नहीं सकते। वह हैं निवृति मार्ग वाले। मीठे बाबा आपने हम बच्चों को समझाया गया है - कौन-कौन धर्म कब-कब आते हैं। मनुष्य सृष्टि रूपी झाड़ में पहले-पहले फाउन्डेशन हमारा है। बीज को कहा जाता है वृक्षपति। मीठे बाबा आपने बताया कि आप वृक्षपति ऊपर में निवास करते हैं। जब झाड़ एकदम जड़जड़ीभूत हो जाता है, तब आप आता हैं देवता धर्म स्थापन करने। बाबा आपने इस मनुष्य सृष्टि के बनेन ट्री को याद किया कि बनेन ट्री का बड़ा वन्डरफुल झाड़ है। बिगर फाउन्डेशन बाकी सारा झाड़ खड़ा है। बाबा आपने इस द्वारा समझाया कि इस बेहद के झाड़ में भी आदि सनातन देवी-देवता धर्म है नहीं। बाकी सब धर्म खड़े हैं। मीठे बाबा आपने स्मृति दिलायी कि हम मूलवतन निवासी थे। यहाँ पार्ट बजाने आये हैं। बाबा आपने हम बच्चों के पार्ट के बारे में बताया कि हम बच्चे आलराउन्ड पार्ट बजाने वाले हैं इसलिए 84 जन्म हैं मैक्सीमम। फिर मिनिमम एक जन्म। बाबा फिर आपने मनुष्य आत्माओं की भूल बतायी कि मनुष्य फिर कह देते 84 लाख जन्म। वह भी किसके होंगे - यह भी समझ नहीं सकते। बाबा आप आकर हम बच्चों को समझाते हैं - 84 जन्म हम लेते हैं। मीठे बाबा आपने बताया कि पहले-पहले हम आत्मायें आपसे हम बिछुड़ते हैं। सतयुगी देवतायें ही पहले होते हैं। मीठे बाबा आपने पूछा कि जब हम आत्मायें देवी देवता के रूप में यहाँ पार्ट बजाती हैं तो बाकी सब आत्मायें कहाँ चली जाती हैं? बाबा फिर आपने बताया कि यह भी हम जानते हैं - बाकी सब आत्मायें शान्तिधाम में होती हैं। तो शान्तिधाम अलग हुआ ना। बाकी दुनिया तो यही है। पार्ट यहाँ बजाते हैं। नई दुनिया में सुख का पार्ट, पुरानी दुनिया में दुःख का पार्ट बजाना पड़ता है। बाबा आपने बताया कि सुख और दुःख का यह खेल है। वह है रामराज्य। बाबा आपने हमें बताया कि दुनिया में कोई भी मनुष्य यह नहीं जानते कि सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है। न रचयिता को, न रचना के आदि, मध्य, अन्त को जानते हैं। ज्ञान का सागर एक बाप को ही कहा जाता है। बाबा फिर आपने बताया कि रचयिता और रचना के आदि, मध्य, अन्त का ज्ञान कोई शास्त्र में है नहीं। आप ही हमें सुनाते हैं। फिर यह प्रायः लोप हो जाता है। सतयुग में यह रहता नहीं।

मीठे बाबा आपने बताया कि भारत का ही प्राचीन सहज राजयोग गाया हुआ है। गीता में भी राजयोग नाम आता है। मीठे बाबा आप हम आत्माओं पर कितनी मेहरबानी करते हैं जो राजयोग सिखलाकर राजाई का वर्सा देते हैं। बाकी आपने बताया कि रचना से वर्सा मिल न सके। वर्सा मिलता ही है आप रचयिता बाप से। मीठे बाबा फिर आपने बताया कि हर एक मनुष्य क्रियेटर है, बच्चों को रचते हैं। वह हैं हद के ब्रह्मा, यह है बेहद के ब्रह्मा। वह है निराकार आत्माओं के पिता, वह लौकिक पिता, यह फिर है प्रजापिता। बाबा फिर आपने पूछा कि प्रजापिता कब होना चाहिए? क्या सतयुग में? नहीं। फिर आपने बताया कि पुरूषोत्तम संगमयुग पर ही होना चाहिए। मीठे बाबा आपने बताया कि मनुष्यों को यह भी पता नहीं है कि सतयुग कब होता है। उन्होंने तो सतयुग, कलियुग आदि को लाखों वर्ष दे दिये हैं। बाबा ये तो आप ही समझाते हैं 1250 वर्ष का एक युग होता है। फिर आपने कहा कि 84 जन्मों का भी हिसाब चाहिए ना। सीढ़ी का भी हिसाब चाहिए ना - हम कैसे उतरते हैं। पहले-पहले फाउन्डेशन में हैं देवी-देवता। उनके बाद फिर आते हैं इस्लामी, Bodhi. बाबा आप ने झाड़ का राज भी बताया है। मीठे बाबा आप के सिवाए तो कोई सिखला नहीं सकते।आप नहीं आते तो ये ज्ञान कौन देते बाबा! बाबा आपने बताया कि हम बच्चों को लोग कहते हैं कि यह चित्र आदि कैसे बनायें? किसने सिखाया? बाबा आपने कहा कि हमें बोलो, बाबा ने हमें ध्यान में दिखाया, फिर हम यहाँ बनाते हैं। फिर उनको बाप ही इस रथ में आकर करेक्ट करते हैं कि ऐसे-ऐसे बनाओ। खुद ही करेक्ट करते हैं।

मीठे बाबा फिर आपने बताया कि Shri Krishna को श्याम-सुन्दर कहते हैं, परन्तु मनुष्य तो समझ नहीं सकते कि क्यों कहा जाता है? यह वैकुण्ठ का मालिक था तो गोरा था फिर गांवड़े का छोरा सांवरा बना, इसलिए उनको ही श्याम-सुन्दर कहते हैं। यही पहले आते हैं। ततत्वम। मीठे बाबा आपने बताया कि इन लक्ष्मी-नारायण की राजाई चलती है। आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना कौन करते हैं? यह भी किसको पता नहीं है। भारत को भी भुलाए हिन्दुस्तान के रहवासी हिन्दू कह देते हैं। बाबा आपने बताया कि आप भारत में ही आते हैं। इसी भारत में देवताओं का राज्य था जो अब प्रायःलोप हो गया है। बाबा आप आकर हमारे लिए फिर से उस दैवी राज्य की स्थापना करते हैं। पहले-पहले है ही आदि सनातन देवी देवता धर्म। आपने समझाया कि यह झाड़ expansion को पाता रहता है। नये-नये पत्ते, मठ-पंथ पिछाड़ी में आते हैं। तो उनकी भी शोभा हो जाती है। फिर अन्त में जब सारा झाड़ जड़जड़ीभूत अवस्था को पाता है, तब फिर आप स्वयं आते हैं। गायन है ना कि यदा यदा हि.......। मीठे बाबा आपने बताया कि हम आत्मा अपने को भी नहीं जानती, तो आप हमारे बाप को भी नहीं जानती। अपने को भी गाली देते, बाप को और देवताओं को भी गाली देते रहते हैं। हम बिल्कुल तमोप्रधान, बेसमझ बन जाते हैं तब आप आते हैं। हमारे कल्याण के लिए बाबा आपने कहा कि पतित दुनिया में ही आपको आना पड़े। बाबा जब आप आकर हम बच्चों को लायक बना देते हैं तो आप कितना बड़ा पुण्य का काम हमारे से कराते हैं और हमें श्रेष्ठ स्वमान में स्थित करते हैं जो आप कहते हैं कि तुम मनुष्यों को जीयदान देते हो अर्थात् मनुष्य से देवता बनाते हो। सब दुःखों से दूर कर देते हो, सो भी आधाकल्प के लिए। गायन भी है ना वन्दे मातरम। फिर हमारे से ही पूछते हैं कि कौन-सी मातायें, जिनकी वन्दना करते हैं? तुम मातायें हो, सारी सृष्टि को बहिश्त बनाती हो। भल पुरूष भी हैं, लेकिन मैजारिटी माताओं की है इसलिए बाप माताओं की महिमा करते हैं। बाबा आप आकर हमको इतनी महिमा लायक बनाते हैं। शुक्रिया बाबा आपका शुक्रिया. जगत के सृजनहार का बारम्बार शुक्रिया।


आपके विश्व के नवनिर्माण की सेवा में...

आपका सिकीलधा बच्चा
ब्रह्माकुमार नरेश