अव्यक्त बापदादा-07.06.1970


"...वर्तमान समय जो कर्म कर रहे हो।

वह भविष्य के लॉ बन रहे हैं।

आप सभी का कर्म भविष्य का लॉ है।

जो लॉ-मेकर्स होते हैं वह सोच-समझकर शब्द निकालते हैं।

क्योंकि

उनका एक-एक शब्द भविष्य के लिए लॉ बन जाता है।

सभी के हर संकल्प भविष्य के लॉ बन रहे हैं।

तो कितना ध्यान देना चाहिए!

अभी तक एक बात को पकड़ते हैं तो विधान को छोड़ देते हैं।

कब विधान को पकड़ते हैं तो विधि को छोड़ देते हैं।

लेकिन विधि और विधान दोनों के साथ ही विधाता की याद आती हैं।

अगर विधाता ही याद रहे तो विधि और विधान दोनों ही साथ स्मृति में रहेगा।

लेकिन विधाता भूल जाता है तो एक चीज़ छूट जाती है।

विधाता की याद में रहने से विधि और विधान दोनों साथ रहते हैं।

विधाता को भूलने से कभी विधान छूट जाता है तो कभी विधि छूट जाती है।

जब दोनों साथ रहेंगे तब सफलता गले का हार बन जाएगी। ..."