अव्यक्त बापदादा-18.05.1969

"...कई ऐसी आत्माएं आप के सामने आयेंगी जो अन्दर एक और बाहर से दूसरी होगी।

परीक्षा के लिए आयेंगी।

क्योंकि कई समझते हैं कि यह सिर्फ रटे हुए हैं।

तो कई रंग रूप से आर्टिफीसियल रूप में भी परखने लिए आयेंगे, भिन्न-भिन्न रूप से।

इसलिये यह ध्यान रखना है कि यह किसलिये आया है?

उनकी वृत्ति क्या है?

और अशुद्ध आत्माओं की भी बड़ी सम्भाल करनी है।

ऐसे-ऐसे केस भी बहुत होंगे दिन प्रतिदिन पाप आत्मायें तो बहुत होते हैं।

आपदायें, अकाले मृत्यु, पाप कर्म बढ़ते जाते हैं तो उन्हों की वासनायें जो रह जाती हैं वह फिर अशुद्ध आत्माओं के रूप में भटकती हैं।

इसलिये यह भी बहुत बड़ी सम्भाल रखनी है।

कोई में अशुद्ध आत्मा की प्रवेशता होती है तो उनको भगाने लिए

एक तो धूप जलाते हैं और आग में चीज को तपाकर लगाते हैं और लाल मिर्ची भी खिलाते हैं।

तो आप सभी को फिर योग की अग्नि से काम लेना है।

हर कर्मेन्द्रियों को योगाग्नि में तपाना है तो फिर कोई वार नहीं कर सकेंगे।

थोड़ा भी कहाँ ढीलापन हुआ, कोई भी कर्मेन्द्रियाँ ढीली हुई तो फिर प्रवेशता हो सकती है।

वह अशुद्ध आत्माएं भी बड़ी पावरफुल होती हैं।

वह माया की पावर भी कम नहीं होती।

यह बहुत ध्यान रखना है।..."