From Today's Murli - 28.07.2020

इसमें ज़रा भी अदली-बदली नहीं हो सकती...

"...तुम बच्चों की बुद्धि में इस बेहद ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त का राज़ रहना चाहिए।

जो रिपीट होता रहता है।

उस हद के नाटक में तो एक एक्टर निकल जाता है तो फिर बदले में दूसरा आ सकता है।

कोई बीमार हुआ तो उनके बदले फिर दूसरा एड कर देंगे।

यह तो चैतन्य ड्रामा है, इसमें ज़रा भी अदली-बदली नहीं हो सकती।..."

 

 

"...हर 5 हज़ार वर्ष बाद यह सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है सो बुद्धि में रहना चाहिए। ..."

"...वास्तव में यह यात्रा अथवा युद्ध अक्षर सिर्फ समझाने में काम में लाते हैं।

बाकी इसमें युद्ध आदि कुछ है नहीं।

यात्रा भी अक्षर है।

बाकी है तो याद।

याद करते-करते पावन बन जायेंगे।

यह यात्रा पूरी भी यहाँ ही होगी।

कहाँ जाना नहीं है।

बच्चों को समझाया जाता है पावन बनकर अपने घर जाना है।..."

"...बाप राय देते हैं बहुत सहज, मुझे याद करो।

बाकी बैठे तो यहाँ ही हो।

कहाँ जाते नहीं हो।

बाप आकर कहते हैं मुझे याद करो तो तुम पावन बन जायेंगे।

युद्ध कोई है नहीं।

अपने को तमोप्रधान से सतोप्रधान बनाना है।..."

"...बाबा रास्ता बताते हैं, श्रीमत देते हैं, याद में रहने की मत देते हैं।..."
"...हर 5 हज़ार वर्ष बाद यह सृष्टि का चक्र कैसे फिरता है सो बुद्धि में रहना चाहिए।

अब एक बाप की ही याद में रहना है।

यहाँ तुमको फुर्सत अच्छी रहती है।

सवेरे में स्नान आदि कर बाहर घूमने फिरने में बड़ा मज़ा आता है,

अन्दर में यही याद रहे हम सब एक्टर्स हैं।..."

"...मनुष्य घूमते-फिरते हैं, उनकी कुछ भी कमाई नहीं।

तुम तो बहुत कमाई करते हो।

बुद्धि में चक्र भी याद रहे फिर बाप को भी याद करते रहो।

कमाई करने की युक्तियां बाबा बहुत अच्छी-अच्छी बताते हैं।... "

"...बाबा ने कहा है - मुझे याद करो तो सतोप्रधान बन जायेंगे।

चलते-फिरते बुद्धि में याद रहे तो माया की खिट-खिट समाप्त हो जायेगी।

तुम्हारा बहुत-बहुत फ़ायदा होगा।... "

"...तन्दुरूस्ती के लिए पैदल करना भी अच्छा है।

बाबा भी याद पड़ेगा और ड्रामा का राज़ भी बुद्धि में रहेगा, कितनी कमाई है।

यह है सच्ची कमाई, वह कमाई पूरी हुई फिर इस कमाई का चिंतन करो।... "