30.06.1973

"...राजयोग का अर्थ क्या सुनाते हो?

सर्वश्रेष्ठ अर्थात् सभी योगों का राजा है और इससे राजाई प्राप्त होती है।

राजाओं का राजा बनने का योग है।

आप सभी राजयोगी हो या राजाई भविष्य में प्राप्त करनी है?

अभी संगमयुग में भी राजा हो या सिर्फ भविष्य में बनने वाले हो?

जो संगमयुग में राज्य पद नहीं पा सकते वह भविष्य में क्या पा सकते हैं?

तो जैसे सर्वश्रेष्ठ योग कहते हो, ऐसा ही सर्वश्रेष्ठ योगी जीवन तो होना चाहिये न?

क्या पहले अपनी कर्मेन्द्रियों के राजा बने हो?

जो स्वयं के राजा नहीं वह विश्व के राजा कैसे बनेंगे?

क्या स्थूल कर्मेन्द्रियों व आत्मा की श्रेष्ठ शक्तियाँ मन, बुद्धि, संस्कार अपने कन्ट्रोल में हैं?

अर्थात् उन्हों के ऊपर राजा बनकर राज्य करते हो?

राजयोगी अर्थात् अभी राज्य चलाने वाले बनते हो।

राज्य करने के संस्कार व शक्ति अभी से धारण करते हो।

भविष्य 21 जन्म में राज्य करने की धारणा प्रैक्टिकल रूप में अभी आती है।

सहज ज्ञान और राजयोग तीसरी स्टेज तक आया है?

संकल्प को ऑर्डर करो स्टॉप तो स्टॉप कर सकते हो?

बुद्धि को डाइरेक्शन दो कि शुद्ध संकल्प व अव्यक्त स्थिति व बीज रूप स्थिति में स्थित हो जाओ तो क्या स्थित कर सकते हो?

ऐसे राजा बने हो?

ऐसे राजयोगी जो हैं उनको कहा जाता है

- ‘फालो फादर।’

जैसे राजा के पास अपने सहयोगी होते हैं जिस द्वारा जिस समय जो कत्तर्व्य कराना चाहे वह करा सकता है।

वैसे ही यह संगमयुगी विशेष शक्तियाँ, यही आपके सहयोगी हैं।

तो जैसे राजा कोई भी सहयोगी को ऑर्डर करता है कि यह कार्य इतने समय में सम्पन्न करना है वैसे ही अपनी सर्वशक्तियों द्वारा आप भी हर कार्य को सहज ही सम्पन्न करते हो या ऑर्डर ही करते हो?

सामना करने की शक्ति आये तो क्या किनारा कर देते हैं?

सहज योगी अर्थात् सर्वशक्तियाँ क्या आपके पूर्ण रूप से सहयोगी हैं?

जब चाहों जिस द्वारा चाहो क्या कार्य करा सकते हो?

ऐसे राजा हो?

जैसे पुराने राजाओं के दरबार में आठ या नव रत्न प्रसिद्ध होते थे अर्थात् सदा सहयोगी होते थे, ऐसे ही आपकी आठ शक्तियाँ सदा सहयोगी हैं?

इससे ही अपने भविष्य प्रारब्ध को जान सकते हो।

यह है दर्पण जिसमें अपनी सूरत और सीरत देखने से मालूम पड़ सकता है।..."