Ref:- Saakar Murli - 16.04.2024

  1. पहले-पहले यह समझाना है - ऊंच ते ऊंच है भगवान्, पीछे है सारी दुनिया।
    1. सूक्ष्मवतन की सृष्टि तो है नहीं।
    2. पीछे होते हैं लक्ष्मी-नारायण वा विष्णु।
      1. वास्तव में विष्णु का मन्दिर भी रांग है।
      2. विष्णु चतुर्भुज, चार भुजाओं वाला कोई मनुष्य तो होता नहीं।
      3. बाप समझाते हैं यह लक्ष्मी-नारायण हैं, जिनको इकट्ठा विष्णु के रूप में दिखाया है।
      4. लक्ष्मी-नारायण तो दोनों अलग-अलग हैं।
      5. सूक्ष्मवतन में विष्णु को 4 भुजायें दे दी हैं अर्थात् दोनों को मिलाकर चतुर्भुज कर दिया है, बाकी ऐसा कोई होता नहीं है।
    3. मन्दिर में जो चतुर्भुज दिखाते हैं - वह है सूक्ष्मवतन का।
      1. चतुर्भुज को शंख, चक्र, गदा, पद्म आदि देते हैं।
      2. ऐसा कुछ है नहीं।
      3. चक्र भी तुम बच्चों को है।
      4. नेपाल में विष्णु का बड़ा चित्र क्षीर सागर में दिखाते हैं।
        1. पूजा के दिनों में थोड़ा दूध डाल देते हैं।
        2. बाप एक-एक बात अच्छी तरह समझाते हैं।
        3. ऐसे कोई भी विष्णु का अर्थ समझा न सके।
          1. जानते ही नहीं।
          2. यह तो भगवान् खुद समझाते हैं।

अब बुद्धि में है कि यह लक्ष्मी-नारायण दो रूप हैं चतुर्भुज के।

    लक्ष्मी-नारायण की पूजा सो चतुर्भुज की पूजा।

    लक्ष्मी-नारायण का मन्दिर या चतुर्भुज का मन्दिर, बात एक ही है।

    इन दोनों का ज्ञान और किसको भी नहीं है।

    तुम जानते हो इन लक्ष्मी-नारायण का राज्य है।

    विष्णु का राज्य तो नहीं कहेंगे।

    यह पालना भी करते हैं।

    सारे विश्व के मालिक हैं तो विश्व की पालना करते हैं।