1.


“...सारे दिन में जो आप काम करते हो...

उसमें चार बातें कौनसी है...

जो कि आपके साथ रहती हैं।

कामन और स्थूल बात पूछता हूँ।

एक तो कुर्सी साथ रहती है

और दूसरा कलम,

 तीसरी फाइल

चौथी भागदौड़

इन चारों को लौकिक से अलौकिक में लाओ।

कुर्सी पर जब बैठो तो...

तख्त याद करो,

कलम उठाओ तो...

कमल के फूल को याद करो।

कमल का फूल बनकर कलम चलानी है।

और फाइल को देखकर...

अपना पोतामेल याद करो कि...

मेरी फाइल में बापदादा

अभी क्या सही करते होंगे।

और भागदौड़ तो...

है ही सीड़ी से उतरना और चढ़ना-यह प्रैक्टिस करो

तो जहाँ पर भी बुद्धि को लगाना चाहता हूँ,

लगती भी है कि नहीं,

वैसे ही जैसे कि पाँव जहाँ भी चलाने चाहोचलते हैं ना।

इसी प्रकार से आपकी बुद्धि भी पाँव मिसल हो जायेगी।

अब बुद्धि को लौकिक से अलौकिक बातों में परिवर्तन करना है।

तो अवस्था में भी परिवर्तन आ जायेगा। ...”

 

 

Ref:-

1969/ 23.07.1969
सफलता का आधार परखने की शक्ति” 

 

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