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हमारा शरीर is our instrument on this कर्मक्षेत्र

 

बापदादा - 11.04.1986

01 -
"...हर कर्म में श्रेष्ठ और सफल रहना इसको कहते - ‘नॉलेजफुल’

शरीर की भी नॉलेज, आत्मा की भी नॉलेज।

दोनों नॉलेज हर कर्म में चाहिए, शरीर के बिमारी की भी नॉलेज चाहिए।

मेरा शरीर किस विधि से ठीक चल सकता है?

ऐसे नहीं - आत्मा तो शक्तिशाली है, शरीर कैसा भी है।

शरीर ठीक नहीं होगा तो योग भी नहीं लगेगा।

फिर शरीर अपनी तरफ खींचता है।

इसलिए नॉलेजफुल में यह सब नॉलेज आ जाती है। ..."

 
 

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