"...वर्तमान समय समीप आने के कारण बापदादा अभी यही इशारा दे रहे हैं कि समय की समीपता अनुसार व्यर्थ संकल्प यह भी अपवित्रता की निशानी है।

सारे दिन में यह भी चेक करो कि कोई भी व्यर्थ संकल्प अभिमान का वा अपमान का अपने तरफ खींचता तो नहीं है?

क्योंकि चलते चलते अगर बाप की दी हुई विशेषताओं को

अपनी विशेषता समझ

अभिमान में आते हैं तो यह भी व्यर्थ संकल्प हुआ और मेरेपन के अशुभ संकल्प

मैं कम नहीं हूँ,

मैं भी सब जानता हूँ,

यह मेरा संकल्प ही यथार्थ है,

ऊंचा है,

यह मेरेपन का अभिमान का संकल्प यह भी सूक्ष्म अपवित्रता का अंश है।

तो अपने को चेक करो किसी भी प्रकार का अपवित्रता के व्यर्थ संकल्प का कोई अंश तो नहीं रह गया है?

क्योंकि अभी पवित्र दुनिया की स्थापना का समय समीप लाने वाले आप परमात्म प्यारे बच्चे निमित्त हो।

तो जो निमित्त आत्मायें हैं उन्हों का वायब्रेशन चारों ओर फैलता है।

तो चेक करो किसी भी प्रकार का व्यर्थ संकल्प भी अपने तरफ खींचता तो नहीं है?

क्योंकि अभी पवित्र दुनिया, पवित्र राज्य समीप आ रहा है।

दु:ख और अशान्ति चारों ओर भिन्न-भिन्न स्वरूप में बढ़ रही है।

उसके लिए पवित्रता का वायब्रेशन आवश्यक है।

दु:ख अशान्ति का कारण अपवित्रता है।

तो अपवित्र आत्माओं को और भक्त आत्माओं को अभी डबल सेवा चाहिए।

वाणी की सेवा तो बापदादा ने देखा कि चारों ओर धूमधाम से चल रही है, अपना उल्हना भी निकाल रहे हो।

लेकिन अभी आत्माओं को एकस्ट्रा सकाश चाहिए।

वह है मन्सा सेवा द्वारा सकाश देना, हिम्मत देना, उमंग-उत्साह देना।

तो इस समय डबल सेवा की आवश्यकता है।

इसके लिए बापदादा ने कहा कि हर एक बच्चा अपने को पूर्वज समझो।

आप इस कल्प वृक्ष का फाउण्डेशन पूर्वज और पूज्य आप आत्मायें हो।

बापदादा तो दु:खी बच्चों का आवाज सुनते रहते हैं।

आप बच्चों के पास उन्हों के पुकार का आवाज पहुंचना
चाहिए।

जितना सम्पूर्ण पवित्र आत्मा बनेंगे।

बन रहे हैं, बने भी हैं लेकिन साथ-साथ अभी मन्सा सेवा को बढ़ाना है।..."

 

Ref. Avyakt BaapDada - 15.03.2010