2.

बाबा बोले -

"... अपनी लाइट की परसेंटेज को बढ़ाओ। दिन प्रति दिन सभी के मस्तक और नयन ऐसे ही सर्विस करें जैसे आप का प्रोजेक्टर शो सर्विस करता है। कोई भी सामने आयेंगे वह चित्र आपके नयनों में देखेंगे, नयन देखते ही बुद्धियोग द्वारा अनेक साक्षात्कार होंगे। ऐसे साक्षात्कार मूर्त अपने को बनाना है। लेकिन साक्षात्कार मूर्त वह बन सकेंगे जो सदैव साक्षी की स्थिति में स्थित होंगे।"

 

 

Ref:-

|| साक्षात्कार ||

1970/02.02.1970
“आत्मिक पॉवर की परख”