"...शुरू शुरू में अव्यक्त स्थिति का अभ्यास करने के लिए कितना एकांत में बैठ अपना व्यक्तिगत पुरुषार्थ करते थे।
वैसे ही इस फाइनल स्टेज का भी पुरुषार्थ बीच-बीच में समय निकाल करना चाहिए।
यह है फाइनल सिद्धि की स्थिति। ..."
"...बिन्दुरूप की सम्पूर्ण सिद्धि की अवस्था को प्राप्त करने के लिए पुरुषार्थ करना पड़े।
अभी जिस रीति चल रहे हैं उस हिसाब से तो सभी यही कहते हैं कि बहुत बिजी रहते हैं, एकांत का समय कम मिलता है, अपने मनन का समय भी कम मिलता है।
लेकिन समय कहाँ से आएगा।
दिन प्रतिदिन सर्विस भी बढती जानी है और समस्याएं भी बढती जानी हैं।
और यह जो संकल्पों की स्पीड है वह भी दिन प्रतिदिन बढ़ेगी।
अभी एक सेकंड में जो दस संकल्प करते हो उसकी डबल ट्रिपल स्पीड हो जाएगी।
जैसे आजकल जनसंख्या का हिसाब निकालते हैं ना कि एक दिन में कितनी वृद्धि होती है।
यहाँ फिर यह संकल्पों की स्पीड तेज़ होगी।
एक तरफ संकल्पों की, दूसरी तरफ ईविल स्पिरिट्स (आत्माओं) की भी वृद्धि होगी।
लेकिन इसके लिए एक विशेष अटेंशन रखना पड़े, जिससे सर्व बातों का सामना कर सकेंगे।
वह यह है कि जो भी बात होती है उसको स्पष्ट समझने के लिए दो शब्द याद रखना है।
एक अंतर और दूसरा मन्त्र।
जो भी बात होती है उसका अंतर करो कि यह यथार्थ है या यथार्थ है।
बापदादा के समान है वा नहीं है।
बाप समान है वा नहीं?
एक तो हर समय अन्तर (भेंट) करके उसका एक सेकंड में नॉट या तो डॉट।
करना नहीं है तो फिर डॉट देंगे, अगर करना है तो करने लग जायेंगे।
तो नॉट और डॉट यह भी स्मृति में रखना है।
अंतर और मन्त्र यह दोनों प्रैक्टिकल में होंगे।
दोनों को भूलेंगे नहीं तो कोई भी समस्या वा कोई भी ईविल स्पिरिट सामना नहीं कर सकेगी।
एक सेकंड में समस्या भस्म हो जाएगी।
ईविल स्पिरिट्स आप के सामने ठहर नहीं सकती हैं।
तो यह पुरुषार्थ करना पड़े। समझा।
(ईविल स्पिरिट्स का रूप कौन सा है?) उनका स्पष्ट रूप है किन्हीं आत्माओं में प्रवेश होना।
लेकिन ईविल स्पिरिट्स का कुछ गुप्त रूप भी होता है।
चलते-चलते कोई में विशेष कोई न कोई बुरा संस्कार बिल्कुल प्रभावशाली रूप में देखने में आएगा।
जिसका इफ़ेक्ट क्या होगा कि उनका दिमाग अभी-अभी एक बात, अभी अभी दूसरी बात।
वह भी फ़ोर्स से कहेंगे।
उनकी स्थिति भी एक ठिकाने टिकी हुई नहीं होगी।
वह अपने को भी परेशान करते हैं, दूसरों को भी परेशान करेंगे। स्पष्ट रूप में जो ईविल स्पिरिट्स आती हैं उसको परख कर और उससे किनारा करना सहज है।
लेकिन आप लोगों के सामने स्पष्ट रूप में कम आएगी।
गुप्त रूप में बहुत आएगी।
जिसको आप लोग साधारण शब्दों में कहते हो कि पता नहीं उनका दिमाग कुछ पागल सा लगता है।
लेकिन उस समय उसमें यह ईविल अर्थात् बुरे संस्कारों का फ़ोर्स इतना हो जाता है जो वह ईविल स्पिरिट्स के समान ही होती है।
जैसे वह बहुत तंग करते हैं वैसे यह भी बहुत तंग करते हैं। यह बहुत होने वाला है।
इसलिए सुना कि अभी समय की बचत, संकल्पों की बचत, अपनी शक्ति की बचत यह योजना बनाकर बीच-बीच में उस बिंदी रूप की स्थिति को बढ़ाओ।
जितना बिंदी रूप की स्थिति होगी उतना कोई भी ईविल स्पिरिट्स वा ईविल संस्कार का फ़ोर्स आप लोगों पर वार नहीं करेगा।
और आप लोगों का शक्तिरूप ही उन्हों को मुक्त करेगा। ..."