• Points related to Purusharth - Baba's Murli dated 09.01.2024

अच्छी रीति पुरुषार्थ...

    बाप कितना अच्छी रीति पुरुषार्थ कराते हैं।

    भक्ति मार्ग में कितना भटकते हैं।

    दान-पुण्य, तीर्थ, व्रत-नेम आदि बहुत करते हैं।

    अच्छा साक्षात्कार हुआ तो क्या हुआ।

    चढ़ती कला तो हुई नहीं और ही उतरती कला हुई।

    तुम्हारी दिन-प्रतिदिन चढ़ती कला है।

    बाकी सबकी है उतरती कला।

     

अब अच्छी तरह पुरुषार्थ करो...

    अब अच्छी तरह पुरुषार्थ करो।

    हर 5 हज़ार वर्ष के बाद बाप आते हैं।

    अब अच्छी तरह पुरुषार्थ करो।

    तुम धन के पीछे क्यों मरते हो।

    अच्छा मास में लाख दो लाख कमायेंगे परन्तु यह सब खत्म हो जायेगा।

    बाल बच्चे खाने वाले ही नहीं रहेंगे।

    लोभ रहता है कि पुत्र पोत्रे, तर पोत्रे खायेंगे।

     

कम पुरुषार्थ किया तो...

    अगर कम पुरुषार्थ किया तो प्रजा में दास दासियाँ जाकर बनेंगे तो कितना घाटा हो जायेगा।

    तो घाटे और फायदे का भी विचार करो।

    व्यापारी लोग पाप भी बहुत करते हैं तो कुछ न कुछ धर्माऊ निकालते हैं।

    यह तो है अविनाशी ज्ञान रत्नों का व्यापार, जो कोई विरला करते हैं।

    यह सौदा डायरेक्ट बाप से करना है।

    बाप देते हैं ज्ञान रत्न।

     

पूरा-पूरा पुरुषार्थ करना है...

    पुरुषोत्तम बनने का इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर पूरा-पूरा पुरुषार्थ करना है।

     

बाप को याद करने का पुरुषार्थ...

बाप को याद करने का पुरुषार्थ करते रहो तो विकर्म विनाश होंगे बाप कहते हैं

अब तो आफतें सिर पर खड़ी हैं,

इसलिए पुरुषोत्तम बनने का इस पुरुषोत्तम संगमयुग पर पूरा-पूरा पुरुषार्थ करना है।

बाप को याद करने का पुरुषार्थ करते रहो तो विकर्म विनाश होंगे और जितना जो पढ़ेंगे वह ऊंच कुल में जायेंगे।