1. स्थाई याद में रहने का आधार क्या है?
2. तुम्हारे पास जो कुछ भी है, उसे भूल जाओ। शरीर भी याद न रहे। सब ईश्वरीय सेवा में लगा दो। यही है मेहनत।
3. पिछाड़ी में आने वाले जो ऊंच पद पाते हैं उसका आधार भी याद है।
4. शिव के मन्दिर में जाकर काशी कलवट खाते हैं, मिलता कुछ भी नहीं।
5. एकदम सब-कुछ भूल जाओ अथवा जो कुछ है काम में लगा दो, तब ही याद टिकेगी। अगर ऊंच पद पाना है तो बहुत मेहनत चाहिए।
6. बाप में ही तो ज्ञान है ना। यह बाप और बच्चे का खेल है इकट्ठा।
7. दुनिया में किसकी आयु 125-150 वर्ष भी होती है तो जरूर हेल्दी होंगे।
8. भक्ति में भी कुछ फायदा है, नुकसान नहीं। जो भक्ति भी नहीं करते उनके मैनर्स भी अच्छे नहीं होते। भक्ति में भगवान में विश्वास रहता है। धन्धे में झूठ-पाप नहीं करेंगे, क्रोध नहीं आयेगा।
9. ऐसे नहीं कहेंगे कि सतयुग में तुम देही-अभिमानी रहते हो। यह तो अब बाप सिखलाते हैं - ऐसे देही-अभिमानी बनो।
10. सुख में कोई याद नहीं करते। भगवान को याद करते हैं दु:ख में।
11. तुम राजाई में चलते हो सिर्फ नम्बरवार। जितना याद करते हैं, धारणा करते हैं उतना पद पाते हैं।
12. तुम नई-नई प्वाइन्ट्स नोट करो। पुरानी काम में नहीं आयेंगी।
13. भाषण के बाद फिर याद आयेगा कि यह प्वाइन्टस अगर समझाते तो बुद्धि में ठीक बैठ जाती।
14. याद करते हैं तो उनको रिटर्न में याद मिलती है। बाप का लव बच्चों पर जास्ती है।
15. याद से बुद्धि सोने का बर्तन बन जाती है, जिसमें धारणा होती है। कहावत है शेरनी का दूध सोने के बर्तन में ठहरता है।
16. वह तब होगा जब याद की यात्रा में रहेंगे। याद नहीं करेंगे तो धारणा नहीं होगी।
17. कुछ बोला और हुआ - यह तो भक्ति मार्ग में होता है।
18. कभी शिव का दर्शन करने मन्दिर में नहीं गये। भक्ति की बातें एकदम उड़ गई।
19. यह नॉलेज बुद्धि में आ गई - रचता और रचना के आदि-मध्य-अन्त की।
20. मन्दिर में जाकर कोई से भी पूछो जब यह लक्ष्मी-नारायण विश्व के मालिक थे तो और कोई धर्म नहीं था, भारत ही था फिर तुम सतयुग को लाखों वर्ष कैसे कह देते हो?
21. जबकि कहते हैं क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले पैराडाइज था, फिर लाखों वर्ष कैसे हुए? लाखों वर्ष में तो ढेरों के ढेर मच्छरों सदृश्य हो जायें।
22. जो इस कुल के होंगे उन्हों की बुद्धि में यह ज्ञान बैठेगा।
23. अगर हमारी दवाई अच्छी तरह काम में लायेंगे तो। कितनी सस्ती दवाई है? 21 पीढ़ी सतयुग-त्रेता तक बीमार नहीं होंगे।
24. तुम सबको समझाते रहो, अन्त में आखरीन सब समझेंगे जरूर।
25. बाप से सर्च-लाइट लेने के लिए सवेरे-सवेरे उठ बाप की याद में बैठना है।
26. अपना सब-कुछ ईश्वरीय सेवा में सफल कर, इस पुराने शरीर को भी भूल बाप की याद में रहना है।
27. 63 जन्म इन्हीं अनेक चक्रों में फंसते रहे अब स्वदर्शन चक्रधारी बनने से मायाजीत बन गये। स्वदर्शन चक्रधारी बनना अर्थात् ज्ञान योग के पंखों से उड़ती कला में जाना।
28. विदेही स्थिति में रहो तो परिस्थितियां सहज पार हो जायेंगी। |