1.
मीठे बच्चे - सारी दुनिया में तुम्हारे जैसा पद्मापद्म भाग्यशाली स्टूडेन्ट कोई नहीं, तुम्हें स्वयं ज्ञान सागर बाप टीचर बनकर पढ़ाते हैं
2.
सदा बुद्धि में याद रहे कि इन आंखों से जो कुछ देखते हैं यह सब विनाशी है। इसे देखते हुए भी नहीं देखना है।
3.
आदि सनातन धर्म वालों को समझाओ। बोलो, इसमें लिखो आदि सनातन देवी-देवता पवित्र धर्म के हो या हिन्दू धर्म के हो? तो उनको 84 जन्मों का मालूम पड़े। यह नॉलेज तो बहुत सहज है। सिर्फ लाखों वर्ष कहने से मनुष्य मूँझ पड़ते हैं। यह भी ड्रामा में नूँध है। सतोप्रधान से तमोप्रधान बनने का भी ड्रामा में पार्ट है।
4.
सारी दुनिया में, सारे भारत में तुम्हारे जैसे पद्मापद्म भाग्यशाली स्टूडेन्ट कोई नहीं।
5.
प्रदर्शनी में थोड़ा भी सुनकर जाते हैं तो वह भी प्रजा बनती जाती है क्योंकि अविनाशी ज्ञान धन का तो विनाश नहीं होता है।
6.
तुम जानते हो इस दुनिया में जो भी चीजें हैं, सब विनाशी हैं। उन्हें नहीं देखना है।
7.
अब इस समय कितने ढेर मनुष्य हैं दुनिया में। तुम एक-एक को कहाँ तक समझायेंगे।
8.
भक्ति मार्ग में इनडायरेक्ट ईश्वर अर्थ दान-पुण्य करते हैं परन्तु ईश्वर किसको कहा जाता है यह जानते ही नहीं।
9.
रावण राज्य में सीढ़ी उतरते एकदम नीचे गिर जाते हैं। बच्चों का खेल होता है ना।
10.
सतयुग में किसके मुख द्वारा कोई भी कुवचन नहीं निकलते हैं। यहाँ तो एक-दो को गाली देते रहते हैं।
11.
सभी मनुष्य रौरव नर्क में पड़े हैं।
12.
तुम्हारी विजय होनी है अन्त में, जब समझेंगे आदि सनातन देवी-देवता धर्म की स्थापना किसने की?
13.
स्वीट घर और स्वीट राजाई बुद्धि में याद है।
14.
बाप कहते हैं अब शान्तिधाम-सुखधाम में जाना है। तुमने जो पार्ट बजाया अब बुद्धि में तो आता है ना।
15.
धर्म कैसे स्थापन होते हैं, यह भी बुद्धि में है।
16.
ऐसी बातें बड़े-बड़े अक्षरों में डालनी चाहिए।
17.
परमात्मा को निराकार रूप से साकार रूप में अवश्य आना पड़ेगा, तभी तो स्थूल में राह बतायेगा, आने बिगर राह तो बता नहीं सकेंगे।
18.
अब जो परमात्मा के साथ योग रखता है उनको साथ ले जायेगा। बाकी जो बच जायेंगे वे धर्मराज की सजायें खाकर बाद में मुक्त होते हैं।
19.
परमात्मा इस कांटों की दुनिया से ले चल फूलों की छांव में, इससे सिद्ध है कि जरूर वो भी कोई दुनिया है।
20.
जरूर वो भी कोई दुनिया होगी जिस दुनिया के संस्कार आत्मा में भरे हुए हैं।
21.
राजा से लेकर रंक तक हर एक मनुष्य मात्र इस हिसाब में पूरे जकड़े हुए हैं इसलिए परमात्मा तो खुद कहता है अब का संसार कलियुग है
22.
यह जो हम जीवनमुक्त कहते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि हम कोई देह से मुक्त थे, उन्हों को कोई देह का भान नहीं था, मगर वो देह में होते हुए भी दु:ख को प्राप्त नहीं करते थे, गोया वहाँ कोई भी कर्मबन्धन का मामला नहीं है।
23.
अब यह सारी दुनिया 5 विकारों में पूरी जकड़ी हुई है, मानो 5 विकारों का पूरा पूरा वास है, परन्तु मनुष्य में इतनी ताकत नहीं है जो इन 5 भूतों को जीत सके, तब ही परमात्मा खुद आकर हमें 5 भूतों से छुड़ाते हैं
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