1.
सवेरे-सवेरे उठकर याद में बैठ प्यार से बाबा से मीठी-मीठी बातें करो
2.
जो अति प्रेम से बाप को याद करते, खुशी में प्रेम के आंसू बहाते। ऐसे बच्चों को बाप भी याद करते हैं।
3.
इस दादा के शरीर में शिवबाबा आते हैं। जानते हैं इनके तन में बाबा है। शरीर जरूर याद पड़ेगा।
4.
शिवबाबा को ब्रह्मा तन में याद करें या परमधाम में याद करें?
5.
बाबा इनके शरीर में बैठा है तो जरूर शरीर याद आयेगा। फलाने शरीर वाली आत्मा में यह गुण हैं।
6.
बाबा भी देखते रहते हैं - कौन मुझे याद करते हैं, किसमें बहुत गुण हैं, किस-किस फूल में खुशबू है? फूलों से सबका प्यार होता है। गुलदस्ता बनाते हैं। उसमें राजा, रानी, प्रजा भिन्न-भिन्न फूल-पत्ते आदि सब बनाते हैं।
7.
आत्म-अभिमान में रह बाप को याद करते रहते हैं। जहाँ सर्विस देखते हैं वहाँ भागते हैं। फिर भी सवेरे उठकर याद में बैठते होंगे
8.
किसको याद करते होंगे? शिवबाबा परमधाम में याद आता होगा या मधुबन में याद आता होगा? बाबा याद आता होगा ना। इसमें शिवबाबा है क्योंकि बाप तो अभी नीचे आ गया।
9.
अपने घर में तो कोई काम नहीं होगा। वहाँ जाकर क्या करेंगे? इस तन में ही प्रवेश करते हैं।
10.
फलाने शरीर में जो आत्मा है यह अनन्य अच्छी है। इनको सर्विस बिगर कुछ सूझता नहीं है। बहुत मीठी है। बाबा बैठे रहते हैं, सबको देखते रहते हैं। फलानी बच्ची बहुत अच्छी है, बहुत याद करती है।
11.
एक दिन आयेगा जबकि बच्चे योग में बहुत रहेंगे। यह भी किसको याद करेंगे तो झट साक्षात्कार होगा।
12.
बगीचे में वैराइटी फूल होते हैं। बाबा भी देखते हैं यह बहुत अच्छा खुशबूदार फूल है, यह इतना नहीं।
13.
टीचर अपने स्टूडेन्ट को याद करेंगे ना। यह कम पढ़ते हैं। दिल में तो समझेंगे ना।
14.
यह कम पढ़ते हैं। दिल में तो समझेंगे ना। यह बाप भी है, टीचर भी है।
15.
सुबह को तुम सब भाई बाप की याद में बैठते हो, वह सब्जेक्ट है याद की।
16.
विज्ञान माना तुम योग में रहते हो जिससे तुम पावन बन जाते हो।
17.
बाकी सब घोर अन्धियारे में हैं। भक्ति को वह बहुत अच्छा समझते हैं क्योंकि ज्ञान का उन्हों को मालूम ही नहीं है।
18.
इस सभा में वास्तव में कोई पतित बैठ नहीं सकता। पतित वायुमण्डल को खराब करेंगे। ईश्वरीय सभा में कोई दैत्य आकर बैठते हैं तो झट पता पड़ेगा।
19.
कहते हैं सच तो बिठो नच। सच्चे रहेंगे तो अपनी राजधानी में भी डांस करेंगे।
20.
बाबा पूछते हैं - शिवबाबा कहाँ है? कहते हैं - इसमें है।
21.
कहते हैं मैं इस रथ में आता हूँ। उन्होंने फिर घोड़े गाड़ी बना दी है। अब घोड़े गाड़ी में श्रीकृष्ण कैसे बैठेंगे!
22.
कलियुग में है शूद्र वर्ण। पुरूषोत्तम संगमयुग पर है ब्राह्मण वर्ण।
23.
तुम बैठ सब कुछ सम्भालो क्योंकि अब तो यह ज्ञान मिला है कि पिछाड़ी में कुछ भी याद न आये।
24.
थोड़ा भी ज्ञान सुना तो प्रजा में जरूर आयेंगे।
25.
भगवान् वारिस तो भक्ति मार्ग में भी है। ईश्वर अर्थ देते हैं।
26.
ईश्वर के नाम पर गरीबों को देंगे तो ईश्वर एवज में देंगे। दूसरे जन्म में मिलता तो है। कहते हैं दे दान तो छूटे ग्रहण।
27.
वह कैसे एक सेकण्ड में छूटता है, काले से गोरे कैसे बनते हैं, यह अब तुम ही जानते हो फिर औरों को समझाते हो। जो कहते हैं - हम अन्दर में समझते हैं परन्तु किसको समझा नहीं सकते हैं, वह भी कोई काम के नहीं।
28.
मुक्तिधाम में जाने वालों के लिए बृहस्पति की दशा नहीं कहेंगे।
29.
सदा खुशी में डांस करने के लिए सच्चे बाप से सदा सच्चा रहना है।
30.
शिवबाबा को अपना वारिस बनाकर सब कुछ सफल करना है। इसमें मनहूस नहीं बनना है।
31.
शिव परमात्मा की पूजा में एक बिन्दू की विशेषता है
32.
ड्रामा तीनों का ज्ञान प्रैक्टिकल लाइफ में बिन्दू ही अनुभव होता है
33.
रूहरिहान में प्राप्तियों की शीतल बूंदे बाप पर डालते हो, इसी से ही श्रेष्ठ स्थिति बन जाती है, इसी का यादगार भक्ति में भी चला आता है।
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