1.

तुम्हें वाणी से परे घर जाना है इसलिए याद में रहकर पावन बनो

 

2.

सवेरे-सवेरे उठ एकान्त में बैठ अपने आपसे बातें करो।

 

3.

भगवान् की भी पहचान चाहिए। नाम कितना बड़ा है भगवान् और फिर कहते हैं नाम रूप से न्यारा। अब है भी जैसे प्रैक्टिकल में न्यारा।

 

4.

विघ्न आदि पड़े, नई बात नहीं है। अबलाओं पर अत्याचार होने हैं। और सतसंगों में यह बातें नहीं होती हैं। कहाँ भी हंगामा नहीं होता। यहाँ हंगामा खास इस बात ( Purity) पर ही होता है।

 

5.

बाप कहते हैं मैं आता भी वानप्रस्थ अवस्था में हूँ। वानप्रस्थ अवस्था का कायदा भी यहाँ से ही शुरू होता है। तो वानप्रस्थ अवस्था वाले जरूर वानप्रस्थ में ही रहेंगे।

 

6.

बाप को याद करना है और पावन भी जरूर बनना है, तब ही तुम शान्तिधाम और सुखधाम में जा सकेंगे।

 

7.

सतयुग में ( लोग, जनसंख्या ) बहुत थोड़े होते हैं और पवित्र होते हैं। कलियुग में हैं अनेक धर्म और अपवित्र हो पड़ते हैं।

 

8.

( बाप ) न जाने तो युक्तियां क्यों रचें कि चिट्ठी ले आओ कि हमको ज्ञान अमृत पीने जाना है। जानते हैं यह झगड़ा होने की भी ड्रामा में नूँध है।

 

9.

औरों को भी ज्ञान देते फिर भी अहो माया, उन्हों को तुम अपनी तरफ खींच लेती हो। यह सब ड्रामा में नूँध है। इस भावी को कोई टाल नहीं सकता है।

 

10.

तमोप्रधान दुनिया है, कॉलेजों में भी बहुत खराब हो पड़ते हैं। विलायत की तो बात नहीं पूछो। सतयुग में ऐसी बातें नहीं होती।

 

11.

लौकिक में भी बाप कहते हैं इतनी तुमको मिलकियत दी, सब गँवा दी।

 

12.

तुम लिखते रहो कि 5 हज़ार वर्ष पहले भी हूबहू ऐसा म्युजियम खोला था, भारत में देवी-देवता धर्म की स्थापना करने।

 

13.

पहले-पहले नई दुनिया में नया भारत हेविन था। हेविन सो हेल। यह बहुत बड़ा बेहद का ड्रामा है, इसमें सब पार्टधारी हैं।

 

14.

काम विकार में फँसे और गिरे। शिवबाबा इस भारत को शिवालय बनाते हैं

 

15.

पढ़ाई में तो एकान्त चाहिए। सुबह को कितनी शान्ति रहती है।

 

16.

84 जन्मों में तुमको वही 84 फीचर्स मिलते हैं जो कल्प पहले मिले थे। वही फीचर्स मिलते रहेंगे। इसमें फ़र्क नहीं हो सकता।

 

17.

विश्व में शान्ति अभी तो हो नहीं सकती। आपस में लड़ते रहते हैं।

 

18.

वह समझते हैं अर्थ क्वेक में भी गिर न सकें। परन्तु कहते हैं कितना भी करो, 100 मंज़िल बनाओ परन्तु विनाश होना है जरूर।

 

19.

विलायत में देखो क्या लगा पड़ा है। इसको रावण का पॉम्प कहा जाता है। माया कहती है - हम भी कम नहीं।

 

20.

यह भी ड्रामा में नूँध है। फिर भी आयेंगे। इतने सब आये हैं, पता नहीं इन सबको फिर देखूँगा वा नहीं? यह सब ठहर सकेंगे वा नहीं?

 

21.

बाप भी कहते हैं विकार में जायेंगे तो शूट हो जायेंगे।

 

22.

आजकल गैस आदि की ऐसी चीजें निकाली हैं जो मनुष्य बैठे-बैठे फट से खलास हो जायें। यह सब ड्रामा में नूँध है क्योंकि पिछाड़ी में हॉस्पिटल आदि रहेंगे नहीं। झट आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है।

 

23.

यह अन्तिम जन्म है, बाप कहते हैं गृहस्थ व्यवहार में रह अन्तिम जन्म में पवित्र बनना है।

 

24.

अपने को आत्मा समझ मुझे याद करो तो पाप विनाश होंगे। बाकी पानी में स्नान करने से पावन कैसे होंगे!

 

25.

जैसे पानी न मिले तो प्यास से तड़फते हैं ऐसे ज्ञान अमृत न मिलने से आत्मायें दु:ख अशान्ति में तड़फ रही हैं तो उनको ज्ञान अमृत देकर प्यास बुझाने वाले बनो।