1.

सेवा के साथ देह में रहते विदेही अवस्था का अनुभव बढ़ाओ

 

2.

बाप जानते हैं कि मेरा एक-एक बच्चा चाहे लास्ट पुरुषार्थी भी है फिर भी विश्व में सबसे बड़े ते बड़े भाग्यवान है

 

3.

साथ-साथ सारे विश्व में सबसे सम्पत्तिवान वा धनवान और कोई हो नहीं सकता।

 

4.

बच्चों के हर कदम में पदमों की कमाई है।

 

5.

सारे दिन में हर रोज़ चाहे एक दो कदम भी बाप की याद में रहे वा कदम उठाया, तो हर कदम में पदम... तो सारे दिन में कितने पदम जमा हुए?

 

6.

ऐसा कोई होगा जो एक दिन में पदमों की कमाई करे!

 

7.

बापदादा हर एक बच्चे को जीवनमुक्त स्थिति में सदा देखने चाहते हैं।

 

8.

सतयुग में या मुक्तिधाम में मुक्ति व जीवनमुक्ति का अनुभव नहीं कर सकेंगे।

 

9.

जीवन में रहते, समय नाज़ुक होते, परिस्थितियाँ, समस्यायें, वायुमण्डल डबल दूषित होते हुए भी इन सब प्रभाव से मुक्त, जीवन में रहते इन सर्व भिन्न-भिन्न बन्धनों से मुक्त एक भी सूक्ष्म बन्धन नहीं हो।

 

10.

जीवन मुक्त बने हो? वा अन्त में बनेंगे? अब बनेंगे या अन्त में बनेंगे? जो समझते हैं अन्त में बनने के बजाए अभी बनना है

 

11.

बनना तो आपको पड़ेगा ही। चाहे चाहो चाहे नहीं चाहो, बनना तो पड़ेगा ही। फिर क्या करेंगे? (अभी से बनेंगे) आपके मुख में गुलाबजामुन। सबके मुख में गुलाबजामुन आ गया ना। लेकिन यह गुलाबजामुन है - अभी बन्धनमुक्त बनने का।

 

12.

जो पुरुषार्थ की प्रालब्ध जीवनमुक्त अवस्था की स्टेज में अनुभव कर रहे हैं।

 

13.

लास्ट की सम्पूर्ण स्टेज है - देह में होते भी विदेही अवस्था का अनुभव

 

14.

पुरुषार्थ की स्टेज में ज्यादा देखे। प्रालब्ध जीवनमुक्त की, प्रालब्ध यह नहीं कि सेन्टर के निमित्त बनने की वा स्पीकर अच्छे बनने की

 

15.

ज्ञानी तू आत्मा बच्चों के बहुत महीन और आकर्षण करने वाले धागे हैं। लोहे की जंजीर अभी नहीं है, जो दिखाई दे देवे। बहुत महीन भी है, रॉयल भी है। पर्सनाल्टी फील करने वाले भी हैं, लेकिन वह धागे देखने में नहीं आते, अपनी अच्छाई महसूस होती है। अच्छाई है नहीं लेकिन महसूस ऐसे होती है कि हम बहुत अच्छे हैं।हम बहुत आगे बढ़ रहे हैं। तो बापदादा देख रहे थे - यह जीवन-बन्ध के धागे मैजारिटी में हैं।

 

16.

सोचा, प्लैन बनाया और सेकेण्ड में प्लेन स्थिति बनाते चलो। अभी आवश्यकता स्थिति की है।

 

17.

सेवा और स्थिति का सदा बैलेन्स रखते चलो। स्थिति बनाने में थोड़ी मेहनत लगती है

 

18.

बैलेन्स रखो और बापदादा की, सर्व सेवा करने वाले आत्माओं की, संबंध-सम्पर्क में आने वाले ब्राह्मण परिवार की ब्लैसिंग लेते चलो।

 

19.

अभी की दुआओं का खाता आप आत्माओं में इतना सम्पन्न हो जाए जो द्वापर से आपके चित्रों द्वारा सभी को दुआयें मिलती रहेंगी। अनेक जन्म में दुआयें देनी हैं लेकिन जमा एक जन्म में करनी हैं

 

20.

स्थिति को सदा आगे रख सेवा में आगे बढ़ते चलो।

 

21.

विदेश में भी एक विशेषता बापदादा को बहुत अच्छी लगती है। कौन सी? सभी को उमंग-उत्साह बहुत है कि विदेश के कोने-कोने में बाप का स्थान बनायें

 

22.

हर एक जितना हो सकता है उतना अपने आपको सेवा के निमित्त बनाने की ऑफर भी करते हैं और प्रैक्टिकल में भी करते हैं। यही सोचते हैं कि घर-घर में बाबा का घर हो, यह उमंग-उत्साह बहुत अच्छा है इसलिए इस उमंग-उत्साह के लिए बापदादा और एडवांस में आगे बढ़ने की मुबारक दे रहे हैं।

 

23.

विदेही अवस्था में नम्बरवन विदेशी बच्चों को बनना ही है। बनना है? कब? 99 में या 2 हजार में बनना है?

 

24.

बापदादा यह नहीं सोचते - देखेंगे, सोचेंगे। नहीं। करना ही है। अपनी भाषा में बोलो - करना ही है।

 

25.

जो भी सभी टी.वी. में भी देख रहे हैं वह सभी भी ऐसे बोल रहे हैं ना? बापदादा देख रहे हैं। चाहे भारत में देख रहे हैं, चाहे फारेन में देख रहे हैं

 

26.

सभी को उमंग आ रहा है हम करेंगे, हम करेंगे। हमें करना ही है। एडवांस में मुबारक हो।

 

27.

सभी डबल ट्रस्टी हो। एक प्रवृत्ति में रहते ट्रस्टी और दूसरा हॉस्पिटल में रहते ट्रस्टी। हॉस्पिटल के भी ट्रस्टी तो जीवन में भी ट्रस्टी।

 

28.

फारेन में नाम बाला करो। बहुत अच्छा।

 

29.

बापदादा अवतरित भी भारत में होते हैं और साथ-साथ अगर मिलने आते हैं तो भी भारत में ही आते हैं। तो डबल नशा है ना! भारत ने ही विदेश में सन्देश दिया, तो भारत ने विदेश में भी अपने परिवार को ढूंढ एक परिवार बना दिया

 

30.

परमात्म कार्य में सहयोगी बन सर्व का सहयोग प्राप्त करने वाले सफलता स्वरूप भव...कोई भी विशाल कार्य में हर एक के सहयोग की अंगुली चाहिए।

 

31.

परमात्म कार्य में सहयोगी बनो तो सर्व का सहयोग मिलेगा।

 

32.

प्रकृतिपति की सीट पर सेट होकर रहो तो परिस्थितियों में अपसेट नहीं होंगे।