अपार खुशी में...स्मृति में...

अपनी चलन को सुधारने वा अपार खुशी में रहने के लिए कौन-सी बात सदा स्मृति में रखनी है?

 

सदा स्मृति रहे कि हम दैवी स्वराज्य स्थापन कर रहे हैं

 

अमरलोक में ...

राज्य यहाँ नहीं करेंगे। यहाँ राज्य लेते हैं। राज्य करेंगे अमरलोक में।

 

नई दुनिया में...

अब नई दुनिया में जाने के लिए दैवीगुण जरूर धारण करने हैं।

 

अपने राज्य में...

हम अपने राज्य में थे।

अभी रावण राज्य में हैं।

हम अपने राज्य में बहुत सुखी थे।

हिन्दू भारतवासी समझते हैं हम पराये (फॉरेन) राज्य में दु:खी थे, अब सुखी हैं अपने राज्य में। परन्तु यह है अल्पकाल काग विष्टा समान सुख।

 

अभी तुम समझते हो हम जब अपने राज्य में थे तो बहुत साहूकार थे, तुम जानते हो हम अपने राज्य में बहुत सुखी रहते हैं।

 

अन्दर में ...

हम अपने राज्य में बहुत सुखी थे। तो अन्दर में बहुत खुशी और निश्चय होना चाहिए अपनी राजधानी में तुम ही सतोप्रधान थे, देवता थे, अपनी राजधानी में थे।

 

रावण राज्य में ...

हम अपने राज्य में थे। अभी रावण राज्य में हैं।

 

आधाकल्प हम रामराज्य में थे फिर आधाकल्प हम रावण राज्य में रहे।

 

अब तमोप्रधान बने हो और तो कोई अपने को रावण राज्य में समझते नहीं हैं।

 

रावण राज्य में कर्म विकर्म ही होते हैं, राम राज्य में कर्म अकर्म होते हैं।

 

रावण राज्य में क्रिमिनल आई बन जाती है।

 

खुशी में ...

अपार खुशी में रहने के लिए कौन-सी बात सदा स्मृति में रखनी है?

 

सदा स्मृति रहे कि हम दैवी स्वराज्य स्थापन कर रहे हैं,

 

बच्चों को हर बात का निश्चय हो तो खुशी में रहें और चलन भी सुधरे।

 

पराये राज्य में अब पराये राज्य में हम बहुत दु:खी हैं।

 

सुख की दुनिया में तुम बच्चे अभी सदा काल के सुख की दुनिया में जा रहे हो।

 

ज्ञान में ...

तुम बच्चों को अन्दर बहुत खुशी रहनी चाहिए। ज्ञान में नहीं हैं तो जैसे ठिक्कर पत्थरबुद्धि हैं।

 

मेरे में ...

अपने को देखना है - मेरे में कोई आसुरी गुण तो नहीं हैं?

 

बनने में...

गाते भी हैं सर्वगुण सम्पन्न... तो पुरुषार्थ कर ऐसा बनना है।

 

बनने में मेहनत लगती है।

 

आपस में...

उनके (मनुष्यों के) कर्तव्य बन्दर जैसे हैं।

कितना आपस में लड़ाई-झगड़ा आदि करते हैं।

 

सतयुग में ...

कितना आपस में लड़ाई-झगड़ा आदि करते हैं। सतयुग में ऐसी बातें होती नहीं।

 

पूछा जाता है तुम सतयुग में रहने वाले हो या कलियुग में? कलियुग के हो तो जरूर नर्कवासी हो।

 

सतयुग में रहने वाले तो स्वर्गवासी देवता होंगे।

 

हमारे में ...

अपनी जांच करनी है कि हमारे में दैवी गुण हैं?

 

दैवीगुण जो हमारे में थे वह अब धारण करने हैं।

 

जेल में ...

कोई-कोई की आदत होती है जो दु:ख देने बिगर रह नहीं सकते। बिल्कुल सुधरते नहीं जैसे जेल बर्डस। वह जेल में ही अपने को सुखी समझते हैं।

 

बाप कहते हैं वहाँ तो जेल आदि होता ही नहीं, पाप होता ही नहीं जो जेल में जाना पड़े। यहाँ जेल में सजायें भोगनी पड़ती हैं।

 

पुरुषार्थ में ...

अब हम अपना राज्य स्थापन कर रहे हैं तो तुमको उछलना चाहिए, पुरुषार्थ में लग जाना चाहिए।

 

प्रदर्शनी में...

प्रदर्शनी में भी यही समझाते रहो कि तुम भारतवासी ही देवताओं की राजधानी के थे फिर पुनर्जन्म लेते-लेते सीढ़ी नीचे उतरते-उतरते ऐसे बने हो।

 

बीच में ...

बच्चों को समझाया गया है कि भृकुटी के बीच में आत्मा चमकती है।

 

अब मृत्युलोक और अमरलोक के बीच में हैं, यह भी भूल जाते हैं इसलिए बाप घड़ी-घड़ी याद दिलाते हैं।

 

वास्तव में ...

अभी तो सभी अपने को हिन्दू कहते रहते हैं। उन्हों को भी समझाया जाता है कि वास्तव में आदि सनातन देवी-देवता धर्म है और सबका धर्म चलता रहता है।

 

सतयुग में...कलियुग में ...

पूछा जाता है तुम सतयुग में रहने वाले हो या कलियुग में?

 

सतयुग-त्रेता में सतयुग-त्रेता में भक्ति होती नहीं।