1. वास्तव में...

वास्तव में शिव जयन्ती ही तुम्हारे लिए सच्ची-सच्ची दीवाली है क्योंकि शिवबाबा आकर तुम आत्मा रूपी दीपक को जगाते हैं।

 

वास्तव में जन्म पत्री तो सबसे ऊंची इनकी है। शंकर को भोलानाथ समझ लेते हैं।

 

वास्तव में भोलानाथ शंकर तो नहीं लगता। उनके लिए तो कहते हैं आंख खोली तो विनाश हुआ, धतूरा खाते उनको फिर भोला-नाथ कैसे कह सकते हैं।

 

तुम जानते हो सच्चा-सच्चा शिव का मन्दिर वास्तव में यह है, जहाँ रचता खुद बैठ रचता और रचना के आदि-मध्य-अन्त का राज़ समझाते हैं।

 

दीपावली का वास्तव में अर्थ यह है। कोई-कोई का दीपक तो बिल्कुल जगता नहीं।

 

अब वास्तव में अकाल मूर्त तो सब आत्मायें हैं परन्तु एक शरीर छोड़ दूसरा लेते हैं इसलिए जन्म-मरण कहा जाता है।

 

2. भारत में ...

रूहानी बच्चे शिव की जयन्ती मनाते हैं और भारत में तो शिव जयन्ती मनाते ही हैं।

 

3. शरीर में ...

जानते हो इस शरीर में सालिग्राम हैं। नाम शरीर का पड़ता है।

 

4. तन में ...

जब शिवबाबा की ब्रह्मा के तन में प्रवेशता होती है, वही उनकी जयन्ती गाई जाती है।

 

कहते हैं मैं साधारण तन में प्रवेश करता हूँ।

 

5. टोकरी में ...

उनको टोकरी में ले गये। अब श्रीकृष्ण तो वर्ल्ड प्रिन्स था फिर उनको डर काहे का?

 

6. शास्त्रों में ...

वहाँ कंस आदि कहाँ से आया? यह सब बातें शास्त्रों में लिख दी हैं।

 

7. मन्दिर में ...

तुमको शिव के मन्दिर में जाकर समझाना चाहिए।

 

शिव की पूजा होती है शिव के मन्दिर में

 

शिव के मन्दिर में भी बहुत आयेंगे।

 

विचार सागर मंथन करना चाहिए कि कैसे शिव के मन्दिर में जाकर सर्विस करनी चाहिए।

 

शिव के मन्दिर में सवेरे पूजा करते हैं, घण्टे आदि भी सवेरे बजते हैं।

 

शिव के मन्दिर में बहुत अच्छा मनाते होंगे, वहाँ जाकर समझाना चाहिए।

 

लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में अगर शिव की जीवन कहानी सुनायेंगे तो किसको जंचेगी नहीं।

 

लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में बहुत आते हैं। उन्हों को लक्ष्मी-नारायण, राधे-कृष्ण का राज़ समझा सकते हो।

 

श्रीकृष्ण जयन्ती पर तुम श्रीकृष्ण के मन्दिर में जाकर समझायेंगे - कृष्ण ही गोरा, कृष्ण ही सांवरा क्यों गाया जाता है?

 

शिव के मन्दिर में शिव की बायोग्राफी सुनानी पड़े।

 

लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में लक्ष्मी-नारायण की महिमा करनी पड़े।

 

राम के मन्दिर में जायेंगे तो राम की जीवन कहानी सुनायेंगे।

 

8. हिन्दी-अंग्रेजी में ...

हिन्दी-अंग्रेजी में रचता की जीवन कहानी और रचना के आदि-मध्य-अन्त का राज़ अथवा हिस्ट्री सुनायेंगे।

 

हिन्दी-अंग्रेजी में लिखत हो। बड़े-बड़े के पास जायेंगे तो वन्डर खायेंगे कि यह कौन हैं जो परमपिता परमात्मा की बायोग्राफी बताते हैं।

 

9. घर में ...विकार में ...

दीप जलता है यानी आत्मा की ज्योति जगती है।

वह तो घर में स्थूल दीपक जलाते हैं। आगे आत्माओं को बुलाते थे, कुछ पूछते थे। अभी इतना नहीं चलता है। यहाँ भी आते हैं। कोई-कोई समय कुछ बोल देते हैं। बोलो तुम सुखी हो? तो कहेंगे हाँ जी। सो तो जरूर यहाँ से जो जायेंगे अच्छे घर में ही जन्म लेंगे। जन्म जरूर अज्ञानी के घर में लेंगे। ज्ञानी के घर में तो जन्म ले नहीं सकते क्योंकि ज्ञानी ब्राह्मण तो विकार में जा नहीं सकता। बाकी हाँ, अच्छे सुखी घर में जाकर जन्म लेंगे। विवेक भी कहता है - जैसी अवस्था, वैसा जन्म।

 

10. अन्धियारे में ...

पहले तो आत्मा का दीपक जगे तब अन्धियारा न हो। नहीं तो मनुष्य घोर अन्धियारे में हैं।

 

11. सेकण्ड में ...

आत्मा तो सेकण्ड में एक शरीर छोड़ दूसरा लेती है।

 

12. छोटे-पन में ...

छोटे-पन में कोई-कोई संस्कार ले जाते हैं तो छोटे-पन में ही उसमें लग जाते हैं, यहाँ से भी नॉलेज ले जाते हैं तो जरूर महिमा निकलेगी।

 

13. बुद्धि में ...

दिन-प्रतिदिन तुम्हारी बुद्धि में यह बातें आती रहती हैं।

 

14. समझने में ...

इसमें बड़ी नॉलेज है। समझने में भी समय लगता है।

 

 

15. पिछाड़ी में ...प्रजा में ...

पिछाड़ी में बहुत प्रभावित हो जाते हैं। फिर बाहर गया ख़लास, मर पड़ा। फिर आते ही नहीं हैं तो क्या होगा?

 

या तो पिछाड़ी में आकर रिफ्रेश होगा प्रजा में आते ही नहीं हैं तो क्या होगा? या तो पिछाड़ी में आकर रिफ्रेश होगा या तो प्रजा में आ जायेगा।

 

16. ख्याल में ...

लक्ष्मी-नारायण के मन्दिर में अगर शिव की जीवन कहानी सुनायेंगे तो किसको जंचेगी नहीं। ख्याल में नहीं आयेगा। फिर उन्हों को अच्छी रीति बुद्धि में बिठाना पड़े।

 

17. गांवड़े में ...

कृष्ण ही गोरा, कृष्ण ही सांवरा क्यों गाया जाता है? कहते हैं गांवड़े का छोरा।

गांवड़े में तो गायें-बकरियां चराते होंगे ना। बाबा फील करता है हम भी गांवड़े के थे। न टोपी, न जुत्ती।