1. शरण में...

बाप की शरण में कौन आ सकते हैं?
बाप की शरण में वही आ सकते हैं जो पूरा-पूरा नष्टोमोहा हो।


कन्या पति की शरण में जाती है, विष बिगर नहीं रखते।


2. आदि में...

मित्र सम्बन्धियों आदि में बुद्धि की लागत न हो।

 

3. बुद्धि में ...

बच्चों को बुद्धि में यह रखना है कि हमको बाप समझाते हैं, नॉलेजफुल एक बाप ही है।


बुद्धि में रहे मेरा तो एक बाबा दूसरा न कोई।

 

यह बातें और कोई की बुद्धि में नहीं हैं।

बच्चों को जो बाप समझाते हैं वह तो बुद्धि में धारण होता है ना।

 

यह बच्चों की बुद्धि में रहे कि हम पुरूषोत्तम बनते हैं तो सदैव हर्षित रहेंगे।

 

अब ज्ञान चिता पर बैठो तो गोरे बन जायेंगे। बुद्धि में यही चिन्तन चलता रहे, भल ऑफिस में काम करते रहो

 

वहाँ तो सुख ही सुख है। दु:ख का नाम नहीं। ऐसी बातें सारा दिन बुद्धि में रहनी चाहिए।


4. पढ़ाई में...

उस पढ़ाई में कितनी सब्जेक्ट होती हैं, ऐसे नहीं सब सब्जेक्ट स्टूडेन्ट की बुद्धि में रहती हैं।

 

उस जिस्मानी पढ़ाई में सब्जेक्ट बिल्कुल अलग हैं।


5. एक सेकेण्ड में...

बाप पढ़ाते हैं वह एक सेकेण्ड में बच्चों की बुद्धि में आ जाता है।


6. दु:ख में ...

ज़रूर बाप से वर्सा मिलता होगा। वह वर्सा खोने से दु:ख में आ जाते हैं।


7. दुनिया में...

दैवी दुनिया में योग की बात नहीं।

अभी तुम पुरानी दुनिया से नई दुनिया में बदली हो रहे हो।


8. बीच में...

सतयुग और कलियुग के बीच में हैं ब्राह्मण चोटी। इसको ही संगमयुग कहा जाता है


9. प्रदर्शनी में...

जितना प्रदर्शनी में सर्विस करेंगे तो सुनने वालों को भी सुख मिलेगा।


बाबा तो प्रदर्शनी में जा न सके क्योंकि बापदादा दोनों इकट्ठे हैं।

 

10. फखुर में...

कोई राजा के पास जन्म लेता है तो कितना फखुर में रहता है।


11. व्यवहार में...

एक कहानी है अर्जुन और भील की। ऐसे गृहस्थ व्यवहार में रहकर ज्ञान-योग में अन्दर वालों से भी तीखे जा सकते हैं।


12. सर्विस में...

रिफ्रेश होकर सर्विस में लग जाना है।


जिन्हों ने टाइम वेस्ट किया है, उन्हों को गैलप कर सर्विस में लग जाना चाहिए।


13. पहले नम्बर में...

बाबा का नम्बरवन सिकीलधा बच्चा हूँ। पहले नम्बर में राजकुमार बनूँगा फिर भी याद भूल जाती है।

 

14. शरीर में...

पतित दुनिया और पतित शरीर में आकर पावन बनाने का पार्ट भी इनका ही है। ड्रामा में बंधायमान हैं।

15. तन में...

शिवबाबा को अपना शरीर तो है नहीं। इस तन में इस आत्मा का महत्व है।


16. बगीचे में...

हमको खिवैया अथवा बागवान मिला है, जो हमको फूलों के बगीचे में ले जाते हैं।


17. भक्ति मार्ग में...

बबुलनाथ नाम रखते हैं क्योंकि काँटों को फूल बनाते हैं। भक्ति मार्ग में बहुत नाम रखते हैं। वास्तव में नाम एक ही शिव है।


18. खुशी में...

लक्ष्मी-नारायण ही 84 जन्मों के बाद ब्रह्मा सरस्वती बनते हैं। मनुष्य तो ऐसी बातें सुनकर चक्रित होते होंगे।

खुशी में भी आते होंगे।


19. नाम रूप में...

माया कम नहीं है। काम महाशत्रु है। माया नाम रूप में फँसाए गिरा देती है।


20. लक्ष्मी-नारायण में...

इन लक्ष्मी-नारायण में देखो कितनी सयानप है। सयानप से विश्व का राज्य लिया है।


21. याद में...

दूसरा याद में रहकर विकर्म भी विनाश करने हैं।


22. ट्रेन में...

ट्रेन में बैज पर सर्विस कर सकते हो।


ट्रेन में बहुत सर्विस हो सकती है।


23. एक डिब्बे में...

ट्रेन में बहुत सर्विस हो सकती है। एक डिब्बे में सर्विस कर फिर दूसरे में जाना चाहिए।

 

24. स्कूल में पिछाड़ी में...

स्कूल में पिछाड़ी में गैलप करने का शौक होता है।

 

25. मन्दिरों में...

मन्दिरों में सर्विस अच्छी होगी।

 

26. स्मृति में...

सदा यही वरदान स्मृति में रहे कि मैं हीरो पार्टधारी हूँ तो हर कर्म विशेष होगा, हर सेकेण्ड, हर समय, हर संकल्प श्रेष्ठ होगा।


27. संकल्प में...

जिनके संकल्प में दृढ़ता की शक्ति है, उनके लिए हर कार्य सम्भव है।