वो मेरा बाबा है...ज्ञान की राहें दिखलाता...


Avyakt Baapdada - 24.01.1970

पुरुषार्थ भी सम्पूर्ण करना है,

तब ही सम्पूर्ण पद मिल सकता।

 

 

सम्पूर्ण पुरुषार्थ अर्थात्

सभी बातों में

अपने को संपन्न बनाना।

बड़ी बात तो है नहीं।

 

 

जानने के बाद

याद करना मुश्किल होता है क्या?

जानने को ही नॉलेज कहा जाता है।

 

 

अगर नॉलेज, लाइट और

माईट नहीं है तो

वह नॉलेज ही किस काम की,

उनको जानना नहीं कहा जायेगा।

यहीं जानना और करना एक है।

औरों में जानने और

करने में फर्क होता है।

 

 

नॉलेज वह चीज़ है जो

वह रूप बना देती है।

ईश्वरीय नॉलेज क्या रूप बनाएगी?

ईश्वरीय स्थिति।

 

 

तो ईश्वरीय नॉलेज लेने वाले

ईश्वरीय रूप में

क्यों नहीं आएंगे।

 

 

थ्योरी और चीज़ है।

जानना अर्थात्

बुद्धि में धारणा करना

और चीज़ है।

धारणा से कर्म

ऑटोमेटिकली हो जाता है।

धारणा का अर्थ ही है

उस बात को बुद्धि में समाना।

 

 

जब बुद्धि में समां जाते हैं तो

फिर बुद्धि के डायरेक्शन

अनुसार कर्मेन्द्रियाँ भी

वह करती हैं।

 

 

नॉलेजफुल बाप के

हम बच्चे हैं

और ईश्वरीय नॉलेज की

लाइट माईट हमारे साथ है।

ऐसे समझ कर चलना है।

 

 

नॉलेज सिर्फ सुनना नहीं

लेकिन समाना है।

 

 

भोजन खाना और चीज़ है

हज़म करना और चीज़ है।

 

 

खाने से शक्ति नहीं आएगी।

हज़म करने से

शक्ति कहाँ से आ जाती है,

 

 

खाए हुए भोजन को

हज़म करने से ही

शक्ति रूप बनता है।

 

 

शक्तिवान बाप के बच्चे

और कुछ कर न सकें,

यह हो सकता है?

 

 

नहीं तो बाप के नाम को भी

शरमाते हैं।

सदैव यही एम रखनी चाहिए

हम ऐसा कर्म करें जो

मिसाल बन दिखाएं।

 


Today's Baba's Murli
  Yaad Ki Digital Album
Web Hits OmShanti