25.03.2020

"...भक्त जिसकी महिमा करते हैं, तुम उनके सम्मुख बैठे हो,

तो कितनी खुशी होनी चाहिए।

उनको कहते हैं शिवाए नम:।..."

 

 

 

"...अभी बाबा आते ही हैं तुमको लिफ्ट देने।

सेकेण्ड में चढ़ती कला होती है।

अब तुम बच्चों को तो खुशी होनी चाहिए कि हमारी चढ़ती कला है।

मोस्ट बिलवेड बाबा मिला है।..."

 

 

 

"...अब तुम बच्चों को यह खुशी रहनी चाहिए कि

बेहद का बाप ज्ञान का सागर हमको पढ़ा रहे हैं।..."

 

 

 

24.03.2020

"...देही-अभिमानी बड़े शीतल होंगे।

वह इतना जास्ती बातचीत नहीं करेंगे।

उन्हों का बाप से लॅव ऐसा होगा जो बात मत पूछो।

आत्मा को इतनी खुशी होनी चाहिए जो...

कभी कोई मनुष्य को न हो।..."

 

 

 

"...बाप सिर्फ कहते हैं मुझ बाप को और वर्से को याद करो।

यह दु:खधाम है।

इतना बुद्धि में याद रहे तो भी खुशी रहे।..."

 

 

 

"...तुम बच्चों को भी यह खुशी रहनी चाहिए।

हम बेहद के बाप से यह वर्सा पाते हैं फिर हम स्वर्ग में अपने महल बनायेंगे।

सारा दिन बुद्धि में यह चिंतन रहे तो खुशी भी हो।..."

 

 

"...तुमको बुद्धि में है हम विश्व के मालिक बनने वाले हैं, कम बात थोड़ेही है।

याद करेंगे तो खुशी भी रहेगी।

याद न रहने से पाप भस्म नहीं होंगे।

एडाप्ट हुए तो खुशी का पारा चढ़ना चाहिए।..."

 

 

 

21.03.2020

"...तुम बच्चों में अभी कितना ज्ञान है।

तुम्हारे अन्दर खुशी होनी चाहिए-बाबा फिर से आया हुआ है।..."

 

 

 

20.03.2020

"... मीठे बच्चे - खुशी जैसी खुराक नहीं ,

तुम खुशी में चलते फिरते पैदल करते बाप को याद करो तो पावन बन जायेंगे ...''

 

 

 

"...गाया जाता है ना-खुशी जैसी खुराक नहीं।

मनुष्य धन कमाने के लिए कितना दूर-दूर खुशी से जाते हैं।

यहाँ तुम कितने धनवान, सम्पत्तिवान बनते हो।..."

 

 

 

19.03.2020

"...बाप को जानने से ही सब कुछ समझ में आ जाता है।

तो खुशी होनी चाहिए।

तुम जानते हो अभी हम सतयुग में जाकर सोने के महल बनायेंगे, राज्य करेंगे।..."

 

 

18.03.2020

"...मीठे बच्चे - इस बेहद नाटक को सदा स्मृति में रखो तो अपार खुशी रहेगी ,

इस नाटक में जो अच्छे पुरूषार्थी और अनन्य हैं ,

उनकी पूजा भी अधिक होती है..."

 

 

 

"...सदा स्मृति रहे कि अभी हम भविष्य नई दुनिया में जा रहे हैं।

भविष्य की खुशी में रहो तो दु:ख भूल जायेंगे।..."

 

 

 

"...तुम जानते हो अभी बाकी थोड़ा समय है, हम जा रहे हैं नई दुनिया में।

भविष्य की खुशी रहती है तो वह इस दु:ख को उड़ा देती है।

लिखते हैं बाबा बहुत विघ्न पड़ते हैं, घाटा पड़ जाता है।

बाप कहते हैं कुछ भी विघ्न आयें, आज लखपति हो, कल कखपति बन जाते हो।

तुमको तो भविष्य की खुशी में रहना है ना।..."

 

 

 

"...आगे चल तुम बहुत साक्षात्कार करेंगे।

मनुष्य दु:ख में त्राहि-त्राहि करते रहेंगे, तुम खुशी में ताली बजाते रहेंगे।

हम मनुष्य से देवता बनते हैं तो जरूर नई दुनिया चाहिए।..."

 

 

 

"...तुम बच्चों को तो बहुत खुशी होनी चाहिए।

बेहद का बाप हमको पढ़ाते हैं, बेहद का वर्सा देने।..."

 

 

 

"...बाप समझते हैं जो बिल्कुल पत्थरबुद्धि हैं उन्हें पारसबुद्धि बनाना है।

बाबा को तो बड़ी खुशी रहती है।

यह गुप्त है ना।..."

 

 

 

15.03.2020 - Rev.11.12.1985

"...जो सेवा में निमित्त बनते हैं उन्हें खुशी और शक्ति की प्राप्ति स्वत: होती है।..."

 

 

 

"...बापदादा तो सभी को विश्व का मालिक बनाने आये हैं।

सदा विश्व के मालिकपन की खुशी और नशा रहे।..."

 

 

 

14.03.2020

"...तुम्हारे में भी बहुत थोड़े हैं जो पूरी रीति समझते हैं और खुशी में रहते हैं।

इस दुनिया में हम बाकी थोड़े रोज़ हैं।..."

 

 

 

13.03.2020

"...हम आत्मा हैं, हम अपने घर जायेंगे।

खुशी से पुराना शरीर छोड़ देना है।

अपने शान्तिधाम को याद करते रहेंगे तो अन्त मती सो गति हो जायेगी।..."

 

 

 

11.03.2020

"...हम निराकारी आत्माओं को पढ़ाने वाला निराकार बाबा है,

यह बुद्धि में सिमरण रहे तो खुशी का पारा चढ़ा रहेगा फिर माया तंग नहीं करेगी।..."

 

 

 

"...हम निराकारी आत्माओं को पढ़ाने वाला भी निराकार है।

वह है आत्माओं का बाप।

यह सदैव बुद्धि में सिमरण होता रहे तो भी खुशी का पारा चढ़े।..."

 

 

 

"...जब कोई कहे फलाना स्वर्ग पधारा तो बोलो कहाँ से गया?

जरूर नर्क से गया।

इसमें तो बहुत खुशी की बात है।

सबको बुलाकर टोली खिलानी चाहिए।..."

 

 

 

"...सारी याद के यात्रा की बाजी है।

यात्रा पर भी मनुष्य पवित्र रहते हैं फिर जब लौट आते हैं तो फिर अपवित्र बनते हैं।

तुम बच्चों को खुशी बहुत होनी चाहिए।

जानते हो बेहद के बाप से हम बेहद स्वर्ग का वर्सा लेते हैं तो उनकी श्रीमत पर चलना है।..."

 

 

 

10.03.2020

"...बिन देखे प्यार करते हैं, दुनिया बिचारी क्या जाने, कल्प पहले वाला पार्ट हूबहू रिपीट हो रहा है।

भल उस गोपी ने घरबार नहीं छोड़ा है परन्तु याद में कर्मबन्धन चुक्तू कर रही है, तो यह कितना खुशी में झूम-झूम कर मस्ती में गा रही है।

तो वास्तव में घर छोड़ने की बात नहीं है।..."

 

 

 

09.03.2020

"...अभी बाप बैठ तुम बच्चों को समझाते हैं, यह है भगवानुवाच।

तुम तो हो गये स्टूडेन्ट।

तो तुमको कितनी खुशी होनी चाहिए।

परन्तु इतनी खुशी रहती नहीं है।

धनवान धन के नशे में बहुत खुश रहते हैं ना।

यहाँ भगवान के बच्चे बने हो तो भी इतना खुशी में नहीं रहते।..."

 

 

08.03.2020

"...अगर तेरा कहा हुआ मेरा समझ कार्य में लगाते हो तो क्या होगा?

उससे सुख मिलेगा?

सफलता मिलेगी?

इसलिए अमानत समझ तेरा समझ चलते तो बालक सो मालिकपन की खुशी में, नशे में स्वत: ही रहेंगे।..."

 

 

 

07.03.2020

"...यह है शिव ज्ञान यज्ञ, इसमें तुम तन-मन-धन सब स्वाहा कर देते हो।

खुशी से सब अर्पण हो जाता है।..."

 

 

 

"...इस रूद्र यज्ञ में खुशी से अपना तन-मन-धन सब अर्पण कर सफल करना है।..."

 

 

 

06.03.2020

"...एक बाप के सिवाए और कोई की याद न आये।

एकदम लाइन क्लीयर चाहिए।

एक बाप को याद करने से अन्दर खुशी का पारा चढ़ता है।..."

 

 

 

03.03.2020

"...तुम बच्चों को अन्दर बहुत खुशी का पारा चढ़ना चाहिए इसलिए कहा जाता है अतीन्द्रिय सुख पूछना हो तो गोप-गोपियों से पूछो, जो बाप से वर्सा ले रहे हैं, पढ़ रहे हैं।..."

 

 

 

02.03.2020

"...अब तो छोड़ने की बात हीं नहीं है, मगर परमात्मा का हो जाना है, डरो नहीं, हिम्मत रखो।

बाकी जो डरते हैं वो न खुद खुशी में रहते हैं, न फिर बाप के मददगार बनते हैं।..."

 

 

01.03.2020 - Rev 02.12.1985

"...बन्धन वाला अपने को आन्तरिक खुशी वा सुख में सदा अनुभव नहीं करेगा।..."

 

 

"...ऐसे सूक्ष्म बन्धन में बंधी हुई आत्मा इस ब्राह्मण जीवन में भी थोड़े समय के लिए सेवा का साधन, संगठन की शक्ति का साधन, कोई न कोई प्राप्ति के साधन, श्रेष्ठ संग का साधन इन साधनों के आधार से चलते हैं, जब तक साधन हैं तब तक खुशी और सुख की अनुभूति करते हैं।

लेकिन साधन समाप्त हुआ तो खुशी भी समाप्त।

सदा एकरस नहीं रहते।

कभी खुशी में ऐसा नाचता रहेगा, उस समय जैसेकि उन जैसा कोई है ही नहीं।

लेकिन रूकेगा फिर ऐसा जो छोटा-सा पत्थर भी पहाड़ समान अनुभव करेगा क्योंकि ओरीज्नल शक्ति न होने के कारण साधन के आधार पर खुशी में नाचते।..."

 

 

 

"...मन्सा बन्धन की विशेष निशानी है, महसूसता शक्ति समाप्त हो जाती है इसलिए इस सूक्ष्म बन्धन को समाप्त करने के बिना कभी भी आन्तरिक खुशी, सदा के लिए अतीन्द्रिय सुख अनुभव नहीं कर सकेंगे।..."

 

 

 

"...संगमयुग की विशेषता ही है - अतीन्द्रिय सुख में झूलना, सदा खुशी में नाचना।..."

 

 

 

"...खुशी-खुशी से अपने को सेवा में आगे बढ़ाते चलो।..."

 

 

 

"...याद की खुशी से अनेक आत्माओं को खुशी देने वाले सेवाधारी हो ना।..."

 

 

 

"...हर स्थान की सेवा अपनी-अपनी है।

फिर भी अगर स्वयं लक्ष्य रख आगे बढ़ते हैं तो यह आगे बढ़ना सबसे खुशी की बात है।..."

 

 

 

"...गोल्डन चांस सभी को नहीं मिलता है।

कोटों में कोई को ही मिलता है।

आपको तो मिल गया।

इतनी खुशी रहती है?

दुनिया में जो किसी के पास नहीं वह हमारे पास है।

ऐसे खुशी में सदा स्वयं भी रहो और दूसरों को भी लाओ।..."