• 21.01.1969
  • "...एक दिन ऐसा समय आयेगा जो इस बापदादा के श्रृंगार को याद करेंगे । तो अभी वह समय है । पहले तो वह अपने को निरहंकारी, नम्रचित कहते हुए कई बच्चों को यह सुनाते थे कि मैं भी अभी सम्पूर्ण नहीं बना हूँ । मैं भी अभी निरन्तर देही अभिमानी नहीं बना हूँ । लेकिन आपने अपने अनुभव के आधार से तीन चार मास के अन्दर ध्यान दिया होगा, सन्मुख मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ होगा तो अनुभव किया होगा कि यह ब्रह्मा अब साकारी नहीं लेकिन अव्यक्त आकारी रूपधारी है । ..."
  • 16.07.1969
  • "...आप की मेहमाननिवाजी उनको सदा के लिए मेहमान बना दे। बापदादा साकार में यह करके दिखाते थे। एक दिन की मेहमाननिवाजी में पूरे जीवन के मेहमान बनाना। ऐसी मेहमाननिवाजी करनी है। इसको कहा जाता है सन शोज फादर। ..."
  • 21.01.1971
  • "...आप लोग भी एक दिन खास अटेन्शन देकर देखना कि सारे दिन में मेरे कितने और कैसे रूप हुए। फिर बहुत हँसी आयेगी - भिन्न-भिन्न पोज़ देखकर। आजकल एक के ही बहुत पोज़ निकालते हैं। तो अपने भी देखना। अपने बहु रूपों का साक्षात्कार करना। ..."
  • 01.02.1971
  • "...अपना ताज व तख्त नशीन का सम्पूर्ण चित्र सदैव याद रखो। उनको याद रखने से अनेक चित्र जो बन जाते हैं वह नहीं बनेंगे। एक दिन के अन्दर ही हरेक के भिन्न-भिन्न रूप बदलने के चित्र दिखाई देते हैं। तो अपना एक सम्पूर्ण चित्र सामने रखो। ताज व तख्त-नशीन बनने से निशाना और नशा स्वत: ही रहेगा। ..."
  • 04.07.1971
  • "...एक दिन की दिनचर्या सोचो - या तो साकारी याद वा निराकारी याद होगी। कारोबार भी यज्ञ-कारोबार है ना। यज्ञ-पिता द्वारा ही यज्ञ की रचना हुई है। तो ‘यज्ञ-कारोबार’ अक्षर कहने से बाप की याद आ गई ना। कभी भी कारोबार करते हो तो समझो - ईश्वरीय सर्विस पर हूँ वा यज्ञ-कारोबार पर हूँ। एक होता है डायरेक्ट विकर्म विनाश की स्टेज में स्थित हो फुल फोर्स से विकर्मों को नाश करना। ..."
  • 18.07.1971
  • "...रात को सोते समय स्थिति होती है अपने को चेक करने की और साथ-साथ अपने को वाणी से परे ले जाने वाली स्थिति भी होती है। उस स्थिति में स्थित हो एक दिन को समाप्त करते हो, फिर दूसरा दिन शुरू होता है। तो वह स्थिति ऐसी होनी चाहिए जैसे नींद में इस दुनिया की कोई भी बात, कोई भी आवाज़, कोई भी आकर्षण नहीं होता है, जब अच्छी नींद में होते हो, स्वप्न की दूसरी बात है। इस रीति से सोने से पहले ऐसी स्थिति बनाकर फिर सोना चाहिए। ..."
  • 18.07.1971
  • "...अपने नॉलेज की शक्ति और याद की शक्ति, विल-पावर और कन्ट्रोलिंग पावर से अपने रजिस्टर को रोज़ साफ रखना चाहिए। जमा न हो। एक दिन के किये हुए व्यर्थ संकल्प वा व्यर्थ कर्म की दूसरे दिन भी लकीर न रहे अर्थात् कर्ज़ा नहीं रहना चाहिए। बीती सो बीती, फुल स्टाप। ऐसे रजिस्टर साफ रखने वाले वा हिसाब को चुक्तू करने वाले सफलतामूर्त सहज बन सकते हैं। समझा? सारे दिन का चेकर बनना।..."
  • 24.0.1972
  • "...आज पेपर लेते हैं। ऐसा कौन है जो एक दिन भी रिवाइज़ कोर्स की मुरली मिस नहीं करते हैं वा धारणा में अटेन्शन नहीं देते है, वह हाथ उठावें? कहाँ आने-जाने में जो मुरली मिस करते हो वह पढ़ते हो वा मिस हो जाती है? ऐसे तो नहीं समझते हो अब नॉलेज को जान ही चुके हैं? भल जान चुके हो, लेकिन अभी बहुत कुछ जानने को रह गय्या है। जो अच्छी तरह से रिवाइज कोर्स को रिवाइज करते हैं वह स्वयं भी ऐसा अनुभव करते हैं। ..."
  • 19.07.1972
  • "...प्रत्यक्षफल का यह मतलब नहीं कि एक दिन में वारिस बन जायेंगे लेकिन जितनी मेहनत करते हो, उम्मीद रखते हो, उस प्रमाण भी फल निकले तो प्रत्यक्षफल कहा जाये। वह क्यों नहीं निकलता? बापदादा कोई भी कर्म के फल की इच्छा नहीं रखते। एक तो निराकार होने के नाते से प्रारब्ध ही नहीं है तो इच्छा भी नहीं हो सकती और साकार में भी प्रैक्टिकल पार्ट बजाया तो भी हर वचन और कर्म में सदैव पिता की स्मृति होने कारण फल की इच्छा का संकल्प-मात्र भी नहीं रहा। ..."
  • 11.04.1973
  • "...परिवर्तन तो एक सप्ताह में होता है, एक दिन में और एक घण्टे में भी होता है। हाँ, टोटल कहेंगे परिवर्तन हो रहा है। लेकिन अभी के समय-प्रमाण परिवर्तन की स्टेज क्या होनी चाहिए, वह अनुभव करती हो? जो मुख्य निमित्त बने हुए महावीर हैं यदि उन को किसी भी बात में परिवर्तन लाने में समय लगता है, तो फाईनल परिवर्तन में भी अवश्य समय लगेगा।..."
  • 18.06.1974
  • "...8 दिन में, एक दिन चैकर बनते हो, 7 दिन अलबेले रहते हो, तो संस्कार 7 दिन के बनेंगे वा एक दिन के? इसलिए अलर्ट बनने के बजाय इजीऔर लेज़ी बनते हो। ऐसे की रिज़ल्ट क्या होगी? क्या ऐसे विश्व कल्याणकारी, सर्व- शक्तियों के महादानी-वरदानी बन सकते हैं? इसलिए अब इन दो बातों को अंश- रूप में वा वंश-रूप में, जिस रूप में भी है, उसको अभी से मिटावेंगे, तब ही बहुत समय विजयी बनने के संस्कारों के अनुसार विजय माला के मणके बन सकेंगे। ..."
  • 02.09.1975
  • "...बापदादा को सारे दिन में अमृतवेले के समय बच्चों के विचित्र खेल देखते हर्षित होने को मिलता है। उस समय हर एक का फोटो निकालने योग्य पोज व पोजीशन होती है। साक्षी होकर आप एक दिन भी देखो तो बहुत हँसोगे। कोई योद्धा बन कर भी आते हैं। बाप के दिये हुए शस्त्र बाप के आगे यूज़ करते हैं। ‘‘आपने ऐसे कहा है, ज्ञान ऐसा कहता है’’ - बाप मुस्कराते हैं - खेल देखते रहते हैं। योद्धा की बजाय विजयी बनो, तब ही त्रिमूर्ति तख्त-नशीन बन सकोगे। समझा?..."
  • 19.12.1978
  • "... मेहनत करने से फल ज़रूर निकलेगा। एक दिन आयेगा ज़रूर जो राजस्थान की संख्या कमाल की लिस्ट में आयेगी - सिर्फ इसके लिए परोपकारी बनो। परोपकारी से विश्व उपकारी बन जायेंगे। बाप-दादा की विश्व धरनी जिस पर बाप की नज़र पड़ी वह फल अवश्य देगी। राजस्थान की महिमा बाप जानते हैं, राजस्थान में रहने वाले कम जानते हैं, बाप जानते हैं कि क्या होने वाला है। होगा फिर सुनना! मुख्य केन्द्र भी राजस्थान में है ना तो आसपास भी ज़रूर आकर्षण के केन्द्र बनेंगे। वह भी टाइम आयेगा। साकार बाप की पहली-पहली नज़र कहाँ गई? राजस्थान पर, तो कोई तो विशेषता होगी ना। समय जब पहुँच जाता है, पर्दा खुल जाता है और दृश्य सामने आ जाता। ..."
  • 12.01.1979
  • "...सोने के पहले सारे दिन के समाचार की लेन-देन चाहे कम्बाइन्ड रूप में करो - चाहे बाप के रूप में करो - एक दिन का समाचार दो और दूसरे दिन का श्रेष्ठ संकल्प और कर्म की प्रेरण लो - सब समाचार की लेन-देन करना अर्थात् हल्के बन जाना। जैसे रात को हल्की ड्रेस से सोते हैं ना - ऐसे बुद्धि को हल्का करना अर्थात् हल्की ड्रेस पहनना है - ऐसे तैयार हो साथ में सो जाओ - अकेले नहीं सोओ - अकेले होंगे तो माया चान्स लेगी, इसलिए सदा साथ रहो। अकेले रहने से डर भी लगता है, निर्भय भी हो जावेंगे। ..."
  • 19.11.1979
  • "...जैसे स्थापना के शुरू में एक दिन भी कोई सत्संग में आ जाते थे तो पहले दिन ही कुछ-न-कुछ अनुभव करके जाते थे। जो आदि में वह अन्त में िवस्तार के रूप में होना है। ऐसा कुछ वातावरण बनाओ। वह तब होगा जब आप सभी निरन्तर इस स्थिति में स्थित रहेंगे। ..."
  • 10.12.1979
  • "...जैसे भोजन खाना एक निजी कार्य है न, वह कभी भूलते हो क्या? आराम करना, यह निजी कार्य है ना, अगर एक दिन भी 2-4 घन्टे आराम कम करेंगे तो चिन्तन चलेगा नींद कम की। जैसे उसको इतना आवश्यक समझते हो वैसे स्वचिन्तन और स्व की चैकिंग, इसको आवश्यक कार्य न समझने के कारण अलबेलापन आता है। पहले वह आवश्यक समझते हो यह नहीं। अमृतबेले रोज़ इस आवश्यक कार्य को री-रीफ्रेश करो तभी सारा दिन उसका बल मिलेगा। ..."
  • 04.01.1980
  • "...जल्दी-जल्दी करेंगे तो जल्दी समय आ जाएगा। पहले तो पावरफुल माइक तैयार करो। जिस माइक द्वारा आवाज भारत में पहुँचे और फिर जैसे उन का इलेक्शन होता है तो एक दिन पहले एडवरटाइजमेन्ट साधन सब बन्द कर देते हैं। पीछे वोटिंग होती है। तो पहले तो माइक द्वारा आवाज फैलाओ तो वो भी साइलेन्स हो जाएगी फिर रिजल्ट आउट होगी। अभी एडवरटाइजमेन्ट माइक कहाँ तक तैयार किए हैं? पहले आवाज फैलेगा फिर ऐसी डेड साइलेंस होगी जो यह आवाज फैलाने का पार्ट भी समाप्त हो जाएगा और फिर परिवर्तन होगा। ..."
  • 09.01.1980
  • "...चाहे एक दिन का फंक्शन करते हो लेकिन योग शिविर के फार्म जरूर भराओ। योग शिविर के फार्म का विशेष टेबल बना हुआ हो उसमें नज़दीक स्थान के लिए फार्म भराओ। तो जो पीछे योग शिविर करने आयेंगे वह सम्पर्क में आ जायेंगे। योग शिविर के फार्म भराकर पीछे भी उनका सम्पर्क बनाते रहो। ..."
  • 14.01.1980
  • "...डॉक्टर्स तो एक दिन में काफी प्रजा बना सकते हैं, रोज प्रजा बनी-बनाई आपके पास आती है, ढूँढने नहीं जाना पड़ता है। ..."
  • 21.01.1980
  • "...महादानी अर्थात् सदा अखण्ड लंगर चलता रहे। एक दिन किया और फिर एक मास बाद किया तो महादानी नहीं कहेंगे। महादानी अर्थात् सदा भण्डारा चलता रहे। सदा भरपूर। ..."
  • 15.03.1981
  • "...बाप की यही आश है कि एक-एक अनेक सेन्टर सम्भालें। तब कहेंगे नम्बर वन टीचर। जब कलियुगी प्राइम मिनिस्टर एक दिन में कितने चक्र लगाते, तो संगमयुगी टीचर्स को कितने चक्र लगाने चाहिए। तब कहेंगे चक्रवर्ता राजा। ..."
  • 21.03.1981
  • "...गोपी-वल्लभ, गोप गोपियों से एक दिन होली नहीं खेलते लेकिन संगमयुग का हर दिन होली डे है। संगम पर होली और सतयुग मे होगी हाली डे। अभी हाली डे नहीं मनाना है। अभी तो मेहनत ही मुहब्बत के कारण हाली डे की अनुभूति कराती है। ..." "...पहले जलाना है फिर मनाना है। एक दिन जलाते हैं दूसरे दिन मनाते हैं। आप भी एक दिन होली अर्थात् ‘पास्ट इज पास्ट' करते हो। अर्थात् पिछला सब जलाते हो। तब ही फिर गीत गाते हो - हम तो बापदादा के हो लिए। यह है खुशी में मनाना।..."
  • 24.10.1981
  • "...दीदी आवे, दादी आवे, फलाने आवें, तो जैसे अभी चक्कर लगाने जाते हो-थोड़े टाइम के लिए, ऐसे ही भविष्य में भी चक्कर लगाने जायेंगे। सेकेण्ड में पहुँचेंगे। देरी नहीं लगेगी। क्योंकि एक्सीडेंट तो होगा नहीं। इसलिए स्पीड की कोई लिमिट की आवश्यकता नहीं। एक ही दिन में सारा चक्कर लगा सकते हो। सारा वर्ल्ड एक दिन में घूम सकते हो। यह एटम एनर्जा आपके काम में आनी है। रिफाइन करने में लगे हुए हैं ना! ..."
  • 07.03.1982
  • "...सदा मिलते ही रहेंगे। एक दिन भी बाप और बच्चों का मिलन न हो वा एक- एक सेकण्ड भी मिलन न हो ऐसा हो नहीं सकता। ऐसा अनुभव तो करते हो ना? सदा बाप के साथ-साथ कम्बाइन्ड हो ना? कम्बाइन्ड रूप से अलग करने की कोई को भी हिम्मत नहीं। किसी की भी ताकत नहीं।..."
  • 31.12.1982
  • "...सिर्फ एक दिन नहीं, लेकिन सारा वर्ष हर दिन, हर घण्टा, हर सेकण्ड, हर संकल्प जो बीता उससे और रूहानी नवीनता लाने वाला हो। नया दिन, नई रात तो सब कहते हैं लेकिन श्रेष्ठ आत्माओं का नया सेकण्ड, नया संकल्प हो तब ही आने वाली नई दुनिया की नई झलक विश्व की आत्माओं को स्वप्न के रूप में वा साक्षात्कार के रूप में दिखाई देगी। ..."
  • 09.01.1983
  • "...एक दिन बहुत खुशी में नाचते रहेंगे और दूसरे दिन फिर चेहरा बदली हो जायेगा। इस नेचर को बदली करो।..."
  • 26.01.1983
  • "...सारे दिन में कितनी प्राप्ति करते हो? एक एक दिन की, एक एक घण्टे को प्राप्ति का अगर हिसाब लगाओ तो कितना अनगिनत है, इसलिए सेवाधारी बनना भाग्य की निशानी है। सेवा का चान्स मिला अर्थात् प्राप्तियों के भण्डार भरपूर हो हुए। ..."
  • 14.04.1983
  • "...एक दिन भी कोई अपवित्र बना तो अपवित्र की लिस्ट में आ जायेगा तो पवित्रता की लिस्ट में हो? कभी क्रोध तो नहीं आता? क्रोध या मोह का आना इसको पवित्रता कहेंगे? मोह अपवित्रता नहीं है क्या? अगर नष्टोमोहा नहीं बनेंगे तो स्मृति स्वरूप भी नहीं बन सकेंगे। कोई भी विकार आने नहीं देना। जब किसी भी विकार को आने नहीं देंगे तब कहेंगे - पवित्र और योगी भव! ..."
  • 21.04.1983
  • "...सदा देते रहो, एक दिन भी दान देने के सिवाए न हो। सदा के दानी सारा समय अपना खज़ाना खुला रखते हैं। एक घण्टा भी दान बन्द नहीं करते। ब्राह्मणों का काम ही है सदा विद्या लेना और विद्या का दान करना। तो इसी कार्य में सदा तत्पर रहो।..."
  • 29.04.1984
  • "...बाप के घर में पहुँचे - तो बच्चों को कहेंगे भले पधारे। जैसा जितना भी स्थान है, आपका ही घर है। घर तो एक दिन में बढ़ेगा नहीं लेकिन संख्या तो बढ़ गई है ना। तो समाना पड़ेगा। स्थान और समय को संख्या प्रमाण ही चलाना पड़ेगा। सभी समा गये हो ना! ..."
  • 31.12.1984
  • "...एक दिन के लिए नहीं लेकिन सदा रूहानी बधाईयों से वृद्धि को पाते रहते हो। बापदादा और सर्व ब्राह्मण परिवार की बधाईयों वा रूहानी आशीर्वादों से पल रहे हो, चल रहे हो - ऐसे न्यू ईयर विश्व में कोई मना नहीं सकते। वह अल्पकाल का मनाते हैं। आप अविनाशी सदा का मनाते हो। ..."
  • 31.12.1984
  • "...सदा अपने को एक दिन में अनगिनत कमाई करने वाले पद्मापद्म भाग्यवान आत्मा समझ इसी खुशी में सदा रहो कि वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य! तो आपको खुश देखकर औरों को भी प्रेरणा मिलती रहेगी। यही सेवा का सहज साधन है। ..."
  • 16.02.1985
  • "...सिर्फ एक दिन की बधाई नहीं। यह भाग्यवान जन्म हर सेकेण्ड, हर समय बधाईयों से भरपूर है। अपने इस श्रेष्ठ जन्म को जानते हो ना? हर श्वाँस में खुशी का साज़ बज रहा है। श्वाँस नहीं चलता लेकिन खुशी का साज़ चल रहा है।..."
  • 16.02.1985
  • "...एक बच्चे की भी माला बाप एक दिन भी सिमरण न करे, यह हो नहीं सकता। तो बाप भी नौधा भक्त हो गया ना। एक-एक बच्चे के विशेषताओं की, गुणों की माला बाप सिमरण करते और जितने बार सिमरण करते उतने वह गुण विशेषता यें और फ्रेश होती जाती। ..."
  • 06.03.1985
  • "...अज्ञानी आत्मायें एक दिन मनाती, अल्पकाल के उत्साह में आती फिर वैसे की वैसी हो जाती। आप उत्सव मनाते हुए होली बन जाते हो और दूसरों को भी होली बनाते हो। ..."
  • 27.03.1985
  • "...संगमयुग का एक-एक दिन कितना वैल्युएबल है, कितना महान है, कितना कमाई करने का समय है, ऐसे कमाई के समय को सफल करते चलो। ..."
  • 01.01.1986
  • "...सदा एक बल और एक भरोसे में रहते हुए सबको यही अनुभव कराओ। सन्देश देते चलो। एक दिन अवश्य आयेगा जो बाप की प्रत्यक्षता विश्व में होगी।..."
  • 20.01.1986
  • "...आपकी गोल्डन स्टेज भी नम्बर वन हो। एक दिन के फर्क में भी वन-वन-वन से बदल जायेगा। अभी से फरिश्ता सो देवता बनने में बहुत काल के संस्कार प्रैक्टिकल कर्म में इमर्ज करो।..."
  • 16.02.1986
  • "...विश्व-विद्यालय की गोल्डन जुबली है। चाहे एक दिन का भी विद्यार्था हो। उसकी भी गोल्डन जुबली है।..."
  • 18.02.1986
  • "...सेवा के 50 वर्ष पूरे हुए, अभी नया मोड़ लो। छोटा-बड़ा एक दिन का वा 50 वर्ष का सब समाधान स्वरूप बनो। ..."
  • 07.03.1986
  • "...किसी भी रूप से भारत में वा हर देश में उत्साह की लहर फैलाने के लिए उत्सव बनाये तो अच्छे हैं ना। चाहे दो दिन के लिए हो या एक दिन के लिए हो लेकिन उत्साह की लहर तो फैल जाती हैं न।..."
  • 07.03.1986
  • "...जैसे भक्ति में कोई सदाकाल के लिए व्रत लेता है और कोई में हिम्मत नहीं होती है तो एक मास के लिए, एक दिन के लिए या थोड़े समय के लिए लेते हैं। फिर वह व्रत छोड़ देते हैं। आप तो ऐसे नहीं करते हो न! ..."
  • 31.03.1986
  • "...जहाँ कोई नहीं गया है वहाँ जाने का बनाना और विशेष इस वर्ष जहाँ भी जावे तो एक दिन बाहर की सेवा, एक दिन ब्राह्मणों की तपस्या का प्रोग्राम - यह दोनों प्रोग्राम जरूर हों।..."
  • 21.01.1987
  • "...अपने आपको एक दिन भी चेक करो तो मालूम पड़ जायेगा कि मैं राजा बनूँगा वा साहूकार बनूँगा वा प्रजा बनूँगा। पहले अमृतवेले से अपने मुख्य तीन कारोबार के अधिकारी, अपने सहयोगी, साथियों को चेक करो। वह कौन? 1. मन अर्थात् संकल्प शक्ति। 2. बुद्धि अर्थात् निर्णय शक्ति। 3. पिछले वा वर्तमान श्रेष्ठ संस्कार। यह तीनों विशेष कारोबारी हैं। जैसे आजकल के जमाने में राजा के साथ महामन्त्री वा विशेष मन्त्री होते हैं, उन्हीं के सहयोग से राज्य कारोबार चलती है। सतयुग में मन्त्री नहीं होंगे लेकिन समीप के सम्बन्धी, साथी होंगे। किसी भी रूप में, साथी समझो वा मन्त्री समझो। लेकिन यह चेक करो - यह तीनों स्व के अधिकार से चलते हैं? इन तीनों पर स्व का राज्य है वा इन्हों के अधिकार से आप चलते हो? ..."
  • 21.10.1987
  • "...वह एक दिन के लिए खुशी मनायेंगे, करके 3 दिन भी मनावें लेकिन आप तो अविनाशी मनाते हो ना। ऐसा मनाते हो जो यह संगमयुग का मनाना अनेक जन्म मनाते ही रहेंगे। ..."
  • 21.10.1987
  • "...वह तो एक दिन के लिए कहते - हैपी दिवाली और बापदादा कहते - अविनाशी होली ‘हैपी', हेल्दी दीपावली।..."
  • 31.12.1987
  • "...हर समय दिलखुश मिठाई बाँटते रहना। सिर्फ एक दिन नहीं मिठाई खाना वा खिलाना। कल के दिन मुख की मिठाइयाँ जितनी चाहिए उतनी खाना, सभी को बहुत-बहुत मिठाई खिलाना। लेकिन ऐसे ही सदा हर एक को दिल से दिलखुश मिठाई खिलाते रहो ..."
  • 31.12.1989
  • "...दुनिया वाले एक दिन नया वर्ष मनाते हैं लेकिन आपका तो है ही नया युग, नई जीवन। हर कर्म, हर सेकण्ड नया है। तुम हो संगम पर। एक तरफ पुरानी दुनिया और दूसरी तरफ नई दुनिया देख रहे हो। ..."
  • 18.01.1991
  • "...अमृतवेले से लेकर रात तक भी सर्व स्मृतियों को सामने लाओ - एक दिन में पूरी हो जायेगी! लम्बी लिस्ट है ना! स्मृति सप्ताह भी मनाओ तो भी विस्तार ज्यादा है, क्योंकि सिर्फ रिवाइज़ नहीं करना है लेकिन रियलाइज़ करते हो। इसलिए कहते ही हो स्मृति स्वरूप। स्वरूप अर्थात् हर स्मृति की अनुभूति। आप स्मृति स्वरूप बनते हो और भक्त सिर्फ सिमरण करते हैं। ..."
  • 18.12.1991
  • "...उन्हों को तो एक दिन के लिए क्रिसमस फादर आकर गिफ्ट देते हैं लेकिन आपको सदा के लिए गॉड फादर गोल्डन वर्ल्ड की गिफ्ट देते हैं। जो एक दिन नहीं, थोड़े समय के लिए गिफ्ट नहीं है लेकिन अनेक जन्मों की जन्म- जन्म की गिफ्ट है। तो कितना बड़ा दिन हो गया! वा बड़ा युग हो गया! बड़े से बड़े युग का हर दिन बड़ा दिन है। और मनाते कौन है? बड़े से बड़े बाप के बड़े से बड़े बच्चे, बड़े दिल से, बड़े युग का, बड़ा दिन सदा मनाते रहे हैं। वर्ष के हिसाब से तो एक दिन का उत्सव मनाने का दिन है। कल्प के हिसाब से आप सबके लिए बड़ा युग मनाने का भाग्य है। यह सबसे बड़े से बड़ा उत्सव है। हर दिन उत्सव का दिन है। तो बड़ा युग हो गया ना! ..."
  • 31.12.1991
  • "...वो मनाते हैं नया वर्ष और आप ब्राह्मण आत्माएं नये संगमयुग में हर दिन को नया समझ मनाते रहते हो। वो एक दिन मनाते हैं और आप हर दिन को नया अनुभव करते हो। वो हद के वर्ष का चक्र है और ये बेहद सृष्टि चक्र का नया संगमयुग है। ..."
  • 31.12.1991
  • "...दुनिया वाले एक दिन एक दो को मुबारक देते हैं और आप क्या करते हो? बापदादा क्या करते हैं? हर सेकेण्ड, हर समय, हर आत्मा के प्रति शुभ-भावना, शुभ-कामना की मुबारक देते हैं। जब भी किसी को, किसी भी उत्सव के दिन की मुबारक देते हैं तो क्या कहते हैं? खुश रहो, सुखी रहो, शक्तिशाली रहो, तन्दरूस्त रहो। तो आप हर समय क्या सेवा करते हो? आत्माओं को नई जीवन देते हो। आप सबको भी बापदादा ने नई जीवन दी है ना! और इस नई जीवन में यह सभी मुबारकें सदा के लिए मिल ही जाती हैं। ..."
  • 03.11.1992
  • "...कोई भी विघ्न आवे लेकिन उसको विनाश करने में नम्बरवन कौन है? कितना टाइम लगता है? एक दिन लगाया वा एक घण्टा लगाया? नम्बरवन अर्थात् कोई भी विघ्न आने के पहले ही मालूम पड़ जाये। ..."
  • 03.11.1992
  • "...हर रोज़ इतना बड़ा पत्र (मुरली) कोई नहीं लिखता है। ऐसा प्यार कोई नहीं करेगा। परमात्म-प्यार के पात्र हो। कभी भी एक दिन पत्र मिस हुआ है? ऐसा माशूक सारे कल्प में नहीं हो सकता है। ..."
  • 12.11.1992
  • "...एक दिन में कितनी कमाई करते हो, मालूम है? पद्मों की कमाई करते हो। रहते गांव में हो और पद्मों की कमाई कर रहे हो! देखो, यही परमात्मा पिता की कमाल है जो देखने में साधारण लेकिन हैं सबसे साहूकार में साहूकार! ..."
  • 30.11.1992
  • "...एक दिन अमृतवेले से लेकर रात तक यही कार्य करो-दुआए देनी हैं, दुआए लेनी हैं। और फिर रात को चार्ट चेक करो-सहज पुरूषार्थ रहा या मेहनत रही? और कुछ भी नहीं करो लेकिन दुआए दो और दुआए लो। इसमें सब आ जायेगा।..."
  • 10.12.1992
  • "...मुरली रोज़ सुनते हो? कभी मिस तो नहीं करते? मिस करते हो तो फॉलो फादर नहीं हुआ ना। ब्रह्मा बाप ने एक दिन भी मुरली मिस नहीं की।..."
  • 18.02.1993
  • "...आप का इस ब्राह्मण जीवन का व्रत बेहद का है, उन्हों का एक दिन का है। पवित्रता का व्रत तो ब्राह्मण जन्म से ही धारण कर लिया है ना! ..."
  • 18.02.1993
  • "...जो महादानी होते हैं वो एक दिन भी देने के बिना नहीं रह सकते। अगर वाचा का चांस नहीं मिलता तो मन्सा करो, मन्सा का नहीं मिलता तो अपने कर्म वा प्रैक्टिकल लाइफ द्वारा सेवा करो। कई कहते हैं कि आज कोई स्टूडेन्ट मिला ही नहीं, कोई सुनने वाला नहीं मिला। लेकिन मन्सा-सेवा तो बेहद की सेवा है। ..."
  • 07.03.1993
  • "...वो एक दिन कहेंगे-होली है; दूसरे दिन कहेंगे-होली हो गई। और आप क्या कहेंगे? आप कहेंगे-हम सदा ही संग के रंग की होली मना रहे हैं और होली बन गये। ..."
  • 07.03.1993
  • "...सबसे बड़े ते बड़े बिजनेसमेन या इन्डस्ट्रियलिस्ट आप हो। कोई का कितना भी बड़ा व्यापार हो, धन्धा हो, फैक्टरी हो लेकिन वो अगर कमाई करेगा तो कितनी करेगा? एक दिन में एक करोड़ भी कमा ले, लेकिन आपकी सारे दिन में कितनी कमाई है? (अनगिनत) तो इतने बड़े हो ना। जब कोई बिजी होता है तो और कहाँ बुद्धि जाने की फुर्सत ही नहीं होती। तो आपका मन या बुद्धि कहीं जा सकते हैं? नहीं! तो मायाजीत हो गये ना! ..."
  • 31.12.1993
  • "...ये है वर्ष का संगम दिन और आप बैठे हो बेहद के संगमयुग पर। आप सभी नव वर्ष के साथ-साथ नव युग की सभी को मुबारक देते हो। एक दिन की मुबारक नहीं, लेकिन नव युग के अनेक जन्मों की मुबारक देते हो। इस संगम पर अच्छी तरह से अनुभव करते हो कि इस समय हम ब्राह्मण आत्माओं की नई जीवन है। ..."
  • 09.03.1994
  • "...भक्त लोग व्रत अपना पूरा करते हैं। चाहे कितने दिन भी लग जायें, कितना समय भी लग जाये लेकिन व्रत नहीं छोड़ते। तो यह यादगार किससे कॉपी की? आपका है ब्राह्मण जीवन का व्रत और भक्तों का है एक दिन का व्रत। ..."
  • 14.12.1994
  • "...एक दिन में कितनी कमाई जमा करते हो? हिसाब निकालो, जमा का खाता कितना तीव्र गति से बढ़ता जा रहा है? और बढ़ाने का साधन कितना सहज है! इसमें मेहनत है क्या? आपकी कमाई वा जमा खाता बढ़ने का सबसे सहज साधन है - बिन्दी लगाते जाओ और बढ़ाते जाओ। आप भी बिन्दी, बाप भी बिन्दी और ड्रामा में भी बीती को बिन्दी लगाना। तो कमाई का आधार है बिन्दी लगाना। ..." "...एक दिन का भी चार्ट चेक करें तो मैजारिटी का समय वेस्ट के खाते में जाता दिखाई देता है। द्वापर काल से व्यर्थ सुनने, देखने और फिर सोचने की आदत न चाहते भी आकर्षित कर लेती है और इसी कारण समय का खज़ाना वेस्ट के खाते में चला जाता है। ..." "...समर्थ बोल का अर्थ ही है-जिस बोल में किसी आत्मा को प्राप्ति का भाव वा सार हो। अगर सार नहीं है तो जमा का खाता तो नहीं होगा ना? जितना एक दिन में जमा कर सकते हो, तो बापदादा ने देखा जितने के हिसाब से उतना नहीं है। ..."
  • 31.12.1994
  • "...वर्ष के साथ कमियों को भी विदाई देकर जाना। ऐसे नहीं, कि सिर्फ कल एक दिन ही गिफ्ट देना है। नहीं, सारा वर्ष सबको गिफ्ट बांटते जाओ। ..."
  • 26.01.1995
  • "...बापदादा ने इस सीजन में काम दिया था कि बेहद के वैराग्य वृत्ति पर स्वयं से भी चर्चा करो और आपस में भी चर्चा करो और प्रैक्टिकल में इस साधना के बीज को प्रत्यक्ष करो। तो किया? कि एक दिन सिर्फ डिबेट कर ली, वर्कशॉप तो हो गई लेकिन वर्क में नहीं आई। तो वर्तमान समय के प्रमाण अभी अपनी सेवा वा सेवा­स्थानों की दिनचर्या बेहद के वैराग्य वृत्ति की बनाओ। अभी आराम की दिनचर्या मिक्स हो गई है। ..."
  • 16.03.1995
  • "...दुनिया वाले तो एक दिन के लिये मनोरंजन करते हैं और आपका सदा ही मनोरंजन है। मन नाचता­खेलता रहता है। ..."
  • 06.04.1995
  • "...अपने आपको देख सकते हो? तो चले जाओ अनादि काल में। कितने टाइम में जा सकते हो? जाने में कितना टाइम लगेगा? सेकण्ड से कम ना! कि एक दिन, एक घण्टा चाहिये? सेकण्ड से भी कम जहाँ चाहो वहाँ पहुँच सकते हो। ..."
  • 07.11.1995
  • "...जब सेवा पर जाओ तो एक दिन की दिनचर्या नोट करना और चेक करना कि एक दिन में इन दोनों में से चाहे अभिमान या दूसरे शब्दों में कहो अपमान - मेरे को कम क्यों, मेरा भी ये पद होना चाहिए, मेरे को भी आगे करना चाहिए, तो ये अपमान समझते हो ना। तो ये दो बातें अभिमान और अपमान - यही दो आजकल व्यर्थ संकल्पो का कारण है। इन दोनों को अगर न्योछावर कर दिया तो बाप समान बनना कोई मुश्किल नहीं है। ..."
  • 16.11.1995
  • "...सभी नये, चाहे कुमारियाँ हैं, चाहे कुमार हैं, चाहे प्रवृत्ति वाले हैं, प्रवृत्ति वालों को तो इन सभी महात्माओं को चरणों में झुकाना है। सब आपके गुण गायेंगे कि ये प्रवृत्ति में रहते भी निर्विघ्न पवित्रता के बल से आगे बढ़ रहे हैं। एक दिन आयेगा जो आप सबके आगे ये महात्मायें झुकेंगे। लेकिन अपना वायदा याद रखना-लगाव मुक्त रहना। ..."
  • 22.03.1996
  • "...अपने पार्ट को समझकर धक्का लगाओ लेकिन बैलेन्स में धक्का लगाओ। ठीक है। फास्ट नहीं बनाओ, दो दिन यहाँ है तो तीसरे दिन वहाँ हैं, नहीं। अभी वह टाइम नहीं है, जब ऐसा टाइम आयेगा तो एक दिन में चार-चार स्थान पर भी जाना पड़ेगा लेकिन अभी नहीं।..."
  • 31.01.1998
  • "...बीचबी च में एक दिन मन के व्यर्थ का ट्रैफिक कन्ट्रोल करो। ज्ञान के मनन के साथ शुभ भावना, शुभ कामना के संकल्प, सकाश देने का अभ्यास, यह मन के मौन का या ट्रैफिक कन्ट्रोल का बीच-बीच में दिन मुकरर करो। अगर किसको छुट्टी नहीं भी मिलती हो, एक दिन सप्ताह में तो छुट्टी मिलती है, उसी प्रमाण अपने- अपने स्थान के प्रोग्राम फिक्स करो।..."
  • 13.03.1998
  • "...सारे दिन में कितने पदम हुए? हिसाब करो। ऐसा कोई मिल्यूनर है जो एक दिन में इतनी कमाई करे? ऐसा कोई होगा? तो रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड हो ना! और आपका ऐसा खज़ाना है जो आग भी नहीं जला सकती, पानी डुबो नहीं सकता, चोर लूट नहीं सकता, राजा भी खा नहीं सकते। ऐसा खज़ाना इस पुरूषोत्तम संगमयुग में ही प्राप्त करते हो। तो अपना ऐसा स्वमान स्मृति में रहता है? ..." "...दो दिन कमाया और एक दिन इतना ही गँवाया जो जमा किया हुआ भी खर्च करना पड़ा। ऐसा एकाउन्ट तो नहीं है? ऐसे ही कमाया और खाया वा अपने प्रति ही लगाकर खत्म किया तो 21 जन्म के लिए जमा क्या किया? जमा की तो खुशी होती है लेकिन खर्च का हिसाब नहीं निकाला तो समय पर धोखा मिल जायेगा।..."
  • 21.11.1998
  • "...ऐसा कोई होगा जो एक दिन में पद्मों की कमाई करे! इसलिए बापदादा कहते हैं अगर भाग्यवान देखना हो वा रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड आत्मा देखनी हो तो बाप के बच्चों को देखो।..."
  • 31.12.1998
  • "...आप सिर्फ 12 के बाद एक दिन नया वर्ष नहीं मनाना लेकिन ब्राह्मण बच्चों के लिए इस नव युग में हर घड़ी नई है, हर श्वांस नया है, हर संकल्प नया है, इसलिए सदा पूरा वर्ष, एक दिन नहीं, एक सप्ताह नहीं, एक मास नहीं, चार मास नहीं, आठ मास नहीं, 12 ही मास सदा एक दो को दिलखुश मिठाई बाँटते रहना। ..."
  • 13.02.1999
  • "...एक दिन आयेगा, आया-कि-आया जब सब लोग बाप की महिमा करते, प्रत्यक्षता के झण्डे के नीचे आयेंगे। सहारा लेंगे और आप सहारे दाता बाप के बच्चे, मास्टर सहारे दाता होंगे। आया-कि-आया। ..."
  • 01.03.1999
  • "...सबसे बड़े से बड़े मल्टीमिलियनेर आप हो। एक दिन में देखो कितनी कमाई करते हो? इतनी कमाई न फॉरेन में कोई कर सकता है, न भारत में कर सकता है। तो मल्टी मल्टी लगाते जाओ जैसे हिसाब में बिन्दी लगाओ तो बढ़ जाता है ना। एक के आगे एक बिन्दी लगाओ तो 10 हो जाता है और दो बिन्दी लगाओ तो 100 हो जाता है और लगाओ तो हजार हो जाता है, बिन्दी की कमाल है। तो आप ऐसे बिन्दी लगाते जाओ, मल्टी मल्टी मल्टी-मिल्युनर हो जाओ।..."
  • 01.03.1999
  • "...अभी सबको कम से कम 4 घण्टे का चार्ट दादी को देना चाहिए। पसन्द है? 4 से 6 हो जाए तो कम नहीं करना। 6 हो जाए, 8 हो जाए बहुत अच्छा। लेकिन कम से कम 4 घण्टा, इकठ्ठा नहीं मिले कोई हर्जा नहीं। 5 मिनट 10 मिनट पावरफुल स्टेज बनाओ - टोटल में 4 घण्टा होना चाहिए। चाहे आधा घण्टा मिलता है, चाहे 5 मिनट मिलता है लेकिन जमा 4 घण्टा होना चाहिए। हो सकता है? जो समझते हैं हो सकता है वह हाथ उठाओ। अच्छा यह तो सभी एवररेडी हैं। बापदादा खुश है, हिम्मत बहुत अच्छी है। बापदादा एकस्ट्रा मदद देगा, हिम्मत नहीं हारना। हिम्मत रखेंगे तो परिवार की भी मदद, बड़ों का भी मन से सहयोग मिलेगा। और बापदादा तो एक का पदमगुणा देता ही है। तो सबको पसन्द है? अच्छा - 4 घण्टे से कम नहीं करना। एक दिन अगर 4 घण्टे नहीं हो तो दूसरे दिन 6 घण्टे करके 4 घण्टे पूरे करना। ..."
  • 30.03.1999
  • "...एक दिन में कितना भी बड़े ते बड़ा मल्टी-मल्टी मिल्युनर हो लेकिन आप जैसा रिचेस्ट हो नहीं सकता। इतना रिचेस्ट बनने का साधन क्या है? बहुत छोटा सा साधन है। लोग रिचेस्ट बनने के लिए कितनी मेहनत करते हैं और आप कितना सहज मालामाल बनते जाते हो। जानते हो ना साधन! सिर्फ छोटी सी बिन्दी लगानी है बस। बिन्दी लगाई, कमाई हुई। आत्मा भी बिन्दी, बाप भी बिन्दी और ड्रामा फुलस्टाप लगाना, वह भी बिन्दी है। तो बिन्दी आत्मा को याद किया, कमाई बढ़ गई। वैसे लौकिक में भी देखो, बिन्दी से ही संख्या बढ़ती है। एक के आगे बिन्दी लगाओ तो क्या हो जाता? 10, दो बिन्दी लगाओ, तीन बिन्दी लगाओ, चार बिन्दी लगाओ, बढ़ता जाता है। तो आपका साधन कितना सहज है! ‘‘मैं आत्मा हूँ’’ - यह स्मृति की बिन्दी लगाना अर्थात् खज़ाना जमा होना। फिर ‘‘बाप’’ बिन्दी लगाओ और खज़ाना जमा। कर्म में, सम्बन्ध-सम्पर्क में ड्रामा का फुलस्टाप लगाओ, बीती को फुलस्टाप लगाया और खज़ाना बढ़ जाता। तो बताओ सारे दिन में कितने बार बिन्दी लगाते हो? और बिन्दी लगाना कितना सहज है!..."
  • 23.10.1999
  • "...अगर बाप समझकर कनेक्शन जोड़ा तो एक दिन में भी वर्सा ले सकता है। ऐसे नहीं कि हाँ अच्छा है, कोई शक्ति है, समझ में तो आता है...यह नहीं। वर्से के अधिकारी बच्चे होते हैं। समझने वाले, देखने वाले नहीं। अगर एक दिन में भी दिल से बाप माना तो वर्से का अधिकारी बन सकता है। ..."
  • 15.11.1999
  • "... इस हिसाब से सोचो कि संगम समय की जीवन के, छोटे से जन्म के संकल्प, समय, श्वांस कितने अमूल्य हैं? इसमें अलबेले नहीं बनना। जैसा आया वैसे दिन बीत गया, दिन बीता नहीं लेकिन एक दिन में बहुत-बहुत गँवाया। जब भी कोई फालतू संकल्प, फालतू समय जाता है तो ऐसे नहीं समझो - चलो 5 मिनट गया। बचाओ।..."
  • 30.11.1999
  • "...इस समय के पुरूषार्थ से एक दिन में भी बहुत कमाई करने वाले हैं। जानते हो कि एक दिन में आप कितनी कमाई करते हो? हिसाब जानते हो ना! गाया हुआ है, अनुभव है - `एक कदम में पद्म'। तो एक दिन में बाप द्वारा, बाप की नॉलेज द्वारा, याद द्वारा हर कदम में पद्म जमा होते हैं। तो सारे दिन में जितने भी कदम याद में उठाते हो उतने पद्म जमा करते हो। तो ऐसा कमाई करने वाला, खज़ाना जमा करने वाला विश्व में कोई होगा! ..."
  • "...बेफिक्र होंगे तो देवाला भी बच जायेगा और फिक्र में होंगे, निर्णय ठीक नहीं होगा तो एक दिन में क्या से क्या बन जाते हैं। यह तो जानते ही हो। बेफिक्र होंगे, निर्णय अच्छा होगा तो बच जायेंगे। ..."
  • 20.02.2001
  • "...वह मनाते हैं एक दिन का जागरण वा एक दिन का व्रत। आप बच्चों ने अज्ञान नींद से जागरण का संकल्प एक दिन के लिए नहीं किया है, जागरण वह भी करते लेकिन आपने एक संगम युग का हीरे तुल्य जन्म जागरण किया है और कर रहे हैं। ..."
  • 15.12.2001
  • "...बापदादा अचानक एक दिन पूछेगा, अपना- अपना चार्ट लिखकर भेजो, फिर देखेंगे क्योंकि वर्तमान समय बहुत आवश्यकता है। अपने परिवार का दु:ख, परेशानी आप देख सकते हो! देख सकते हो? दु:खी आत्माओं को अंचली तो दो। जो आपका गीत है - एक बूंद की प्यासी हैं हम... आज के समय में सुख शान्ति के एक बूंद की आत्मायें प्यासी हैं। एक सुख-शान्ति के अमृत की बूंद मिलने से भी खुश हो जायेंगी।..."
  • 31.12.2001
  • "...दुनिया वालों का नव वर्ष एक दिन मनाने का है और आप सबका नव युग पूरा ही संगमयुग मनाने का है। नव वर्ष में खुशी मनाते, एक-दो को गिफ्ट देते हैं..."
  • 03.02.2002
  • "...देह-अभिमान का एक शब्द कौन-सा है? (मैं) अच्छा तो कितना बारी मैं-मैं कहते हो? सारे दिन में कितने बारी ‘‘मैं’’ बोलते हो, कभी नोट किया है? अच्छा एक दिन नोट करना। बार-बार मैं शब्द तो आता ही है। लेकिन मैं कौन? पहला पाठ है, मैं कौन? जब देह-अभिमान में मैं कहते हो, लेकिन वास्तव में मैं हूँ कौन? आत्मा या देह? आत्मा ने देह धारण की, या देह ने आत्मा धारण की? क्या हुआ? आत्मा ने देह धारण की। ठीक है ना? तो आत्मा ने देह धारण की, तो मैं कौन? आत्मा ना! तो सहज साधन है, जब भी मैं शब्द बोलो, तो यह याद करो कि मैं कौन-सी आत्मा हूँ? आत्मा निराकार है, देह साकार है। निराकार आत्मा ने साकार देह धारण की, तो जितना बारी भी मैं-मैं शब्द बोलते हो, उतना समय यह याद करो कि मैं निराकार आत्मा साकार में प्रवेश किया है। जब निराकार स्थिति याद होगी तो निरंहकारी स्वत: हो जायेंगे। देह-भान खत्म हो जायेगा। वही पहला पाठ मैं कौन? यह स्मृति में रख करके मैं कौन-सी आत्मा हूँ, आत्मा याद आने से निराकारी स्थिति पक्की हो जायेगी।..."
  • 03.02.2002
  • "...एक दिन आयेगा जो आप कहेंगे वाह भारत वाह! भारत की आध्यात्मिक नॉलेज सभी को सुख-शान्ति का वरदान देगी। (साइंस और साइलेन्स का बैलेन्स भारत को स्वार्णिम बनायेगा) फालो ब्रह्मा बाबा। ..."
  • 11.03.2002
  • "...अब तक सुना है क्या कि बाप और बच्चे का जन्म एक दिन हुआ? लेकिन आज का दिन आप बच्चों का और बापदादा का जन्म एक दिन मना रहे हो। ..."
  • 30.11.2002
  • "... एक एक माता एक- एक मास में एक-एक तैयार करो। हो सकता है? एक दिन मे नहीं, एक मास में। अच्छा अगर एक मास में नहीं करो तो चलो दो मास में करो। रिजल्ट आती है ना! इस साल में इतनी मातायें, दूसरे साल में इतनी हो गई। तो बापदादा देखेंगे कि नये साल में जो इतनी मातायें आई उन्होंने संख्या कितनी बढ़ाई। ..."
  • 31.12.2002
  • "...संगमयुग का एक एक दिन क्या है? मौज ही मौज है। मौज है ना? मौज है, मूंझते तो नहीं हो ना! ..."
  • "...एक दिन आयेगा, बहुत जल्दी आयेगा जो सब कहेंगे कि हम सभी स्व-परिवर्तन करने वाले शक्ति पाण्डव सेना हैं। ..."
  • 28.02.2003
  • "...वह भी पवित्रता का व्रत लेते हैं लेकिन हर वर्ष व्रत लेते हैं एक दिन के लिए। आप सभी ने भी जन्म लेते एक बार पवित्रता का व्रत लिया है ना! लिया है कि लेना है? ले लिया है। एक बार लिया, वह वर्ष-वर्ष लेते हैं। सभी ने लिया है? सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं, सम्पूर्ण पवित्रता का व्रत लिया है। ..."
  • "...सम्पूर्ण पवित्रता आप ब्राह्मण जीवन की सबसे बड़े ते बड़ी प्रापर्टी है, रॉयल्टी है, पर्सनाल्टी है। इसीलिए भक्त लोग भी एक दिन पवित्रता का व्रत रखते हैं। यह आपकी कॉपी की है।..."
  • 17.10.2003
  • "...स्व राज्य तो सदा स्वराज्य होता है या एक दिन होता है दूसरे दिन नहीं होता है। राज्य तो सदा होता है ना? तो सदा स्वराज्य अधिकारी अर्थात् सदा मन-बुद्धि-संस्कार के ऊपर अधिकार।..."
  • 15.11.2003
  • "...एक दिन आप भी अपने खुशी के चार्ट को चेक करो - अमृतवेले से लेकर रात तक क्या एक जैसी परसेन्टेज खुशी की रहती है? वा बदलती है? चेक करना तो आता है ना, आजकल देखो साइंस ने भी चेकिंग की मशीनरी बहुत तेज कर दी है। तो आप भी चेक करो और अविनाशी बनाओ।..."
  • 07.03.2005
  • "...वह व्रत रखते हैं एक दिन का और आपने व्रत रखा है सारे जीवन में सम्पूर्ण पवित्र बनने का। ..."
  • 14.03.2006
  • "...आपने पूरासंगमयुग उत्साह उमंग की जीवन बनाई है। आपकी जीवन का यादगार एक दिन का उत्सव मना लेते हैं।तो सभी की ऐसी सदा उत्साह, उमंग, खुशी की जीवन है ना! ..."
  • 18.01.2007
  • "...जो सभी टीचर्स इन्चार्ज हैं, सेन्टर इन्चार्ज हैं या जोन इन्चार्ज है, उन्हों का एक दिन संगठन करेंगे, हिसाब-किताब तो पूछेंगे ना! क्योंकि बापदादा के पास बहुत दु:ख और अशान्ति के आवाज आते हैं। परेशानी के आवाज आते हैं। आप लोगों के पास नहीं सुनने आते, आपके भी तो भक्त होंगे ना! तो भक्तों की पुकार आप इष्ट देवों को नहीं आती? टीचर्स को भक्तों की आवाज सुनाई देती है?..."
  • 03.03.2007
  • "...यह एक एक दिन कितना प्यारा है। चाहे गांव में हैं, चाहे बहुत बड़े-बड़े शहरों में हैं, गांव वालों की भी याद साधन न होते हुए भी बाप के पास पहुंच जाती है क्योंकि बाप के पास स्प्रीचुअल साधन तो बहुत हैं ना!..." "...जो मधुबन में एक दिन कोई बात होती है ना, सारे भारत में, जगह जगह में दूसरे दिन पहुंच जाती है। इतना मधुबन में कोई साधन लगे हुए हैं, कोई बात नहीं छिपती, अच्छी भी तो पुरूषार्थ की भी। तो मधुबन जो करेगा वह वायब्रेशन स्वत: और सहज फैलेगा। पहले मधुबन निवासी वेस्ट थॉटस का स्टॉप करें, हो सकता है? हो सकता है? ..."
  • 15.10.2007
  • "...अगर दुआ देंगे और दुआ लेंगे तो क्या इसमें शक्तियां और गुण नहीं आयेंगे? आटोमेटिकली आ जायेंगे ना! एक ही लक्ष्य रखो, करके देखो, एक दिन अभ्यास करके देखो, फिर सात दिन करके देखो, चलो और बातें बुद्धि में नहीं आती, एक तो आयेगी। कुछ भी हो जाए लेकिन दुआ देनी और लेनी है।..."
  • 31.12.2007
  • "...उन्हों के लिए एक दिन का उत्सव है और आप लकी लवली बच्चों के लिए संगमयुग का हर दिन उत्सव है क्योंकि खुशी का उत्साह है। ..."
  • 05.03.2008
  • "...आप एक जन्म के लिए एक बार व्रत लेते हो, सम्पूर्ण पवित्रता का। कापी तो की है एक दिन के लिए पवित्रता का व्रत भी रखते हैं। आपका पूरा जन्म पवित्र अन्न का व्रत है और वह एक दिन रखते हैं। तो बापदादा आज अमृतवेले देख रहे थे कि आप सबके भक्त भी कम नहीं हैं। ..." "...सब कुछ करते भी समान बनना ही है। समान बनने के बिना साथ चलेंगे कैसे! कस्टम में, धर्मराजपुरी में ठहरना पड़ेगा, साथ नहीं चलेंगे। तो क्या, बताओ दादियां, एक मास रिजल्ट देखें! देखें? बोलो, देखें। देखें? एक मास अटेन्शन रखेंगे। एक मास अगर अटेन्शन रखा तो नेचरल हो जायेगा। मास का एक दिन भी छोड़ना नहीं। अच्छा जिम्मेवारी उठाती हैं दादियां। सभी इकट्ठे होके एक दो के प्रति शुभ भावना शुभ कामना का हाथ फैलाओ।..."
  • 31.12.2008
  • "...हर दिन नई सेवा हर दिन सदा उमंग और उत्साह एक दिन भी चिंता चिंतन का नहीं हमेशा उमंग उत्साह से दिन और रात बिताना इस नये वर्ष में हर दिन कुछ न कुछ नया स्व के प्रति या विश्व के प्रति सेवा के प्रति करना ही है ऐसा दृढ़ संकल्प कर समय को समीप लाते हुए सम्पूर्ण बाप समान बन उड़ना है और उड़ाना है। ..."
  • 22.02.2009
  • "...एक व्रत सदा के लिए पवित्रता मर्यादा पुरूषोत्तम का आपने सदा के लिए धारण किया वह एक दिन के लिए करते हैं कापी तो की है लेकिन आटे में नमक समान की है।..."
  • 31.12.2009
  • "...संगमयुग का गायन है, एक-एक दिन उत्साह भरा हुआ है अर्थात् उत्सव है। तो उमंग-उत्साह है तो हर दिन उत्सव है इसलिए पक्का रखना, राज अपना चलते फिरते भी चार्ट देखना। चेक करना, चेक करेंगे तो चेंज करेंगे ना। चेक ही नहीं करेंगे तो चेंज कैसे करेंगे!..."
  • "...ऐसे विशेष यूथ फॉरेनर्स तैयार हो जो एक दिन दिल्ली में सारे यूथ नहीं लेकिन थोड़े-थोडे फॉरेन के थोड़े यहाँ के ऐसे ग्रुप बनाके दिल्ली में प्राइम मिनिस्टर या जो बड़े मिनिस्टर हैं उनसे मिलने जावें, वह प्रैक्टिकल देखें तो फॉरेन वाले भी यूथ बदल रहे हैं। इन्डिया वाले भी बदल रहे हैं क्योंकि गवर्मेन्ट को अभी यूथ की प्रॉबलम ज्यादा है तो ऐसे समय पर अगर गवर्मेन्ट के पास प्रैक्टिकल देखे, एक्जैम्पुल देंखे तो वह समझेंगे और गवर्मेन्ट का जो विशेष वर्ग का मिनिस्टर है उस वर्ग वाले उनके पास खास जाके मिले तो वह समझे कि ऐसे दु:ख और अशान्ति के वायुमण्डल में, एक तरफ दु:ख अशान्ति दूसरे तरफ तमोगुणी वायब्रेशन, दोनों के बीच यह यूथ परिवर्तन कर चल रहा है तो उनका संस्था के तरफ अटेन्शन जायेगा।..."
  • 31.12.2010
  • "...दुनिया वाले तो सिर्फ न्यु वर्ष मनाते हैं जो एक दिन का होता है आप लोग नई दुनिया का संगम पर सदा मनाते रहते हो। आपके सामने नई दुनिया नयनों में सदा समाई हुई है।..."
  • 18.01.2011
  • "...देखो ब्रह्मा बाप ने एक दिन भी मुरली मिस नहीं की। चाहे बाम्बे भी जाते रहे कारणे अकारणे तो मुरली लिखते थे और मातेश्वरी वह मुरली सुनाती थी। लास्ट डे तबियत थोड़ी ढीली थी सवेरे का क्लास नहीं कराया लेकिन शाम को क्लास कराने के बाद अव्यक्त हुए। तो ब्रह्मा बाप का प्यार किससे हुआ? मुरली से। जो कोई समझते हैं कि मेरा बाबा से प्यार है तो बाप का जिससे प्यार रहा बच्चे का रहना चाहिए ना! इसलिए आप समझते हो कि मुरली पढ़ना या क्लास में पढ़ो अगर मजबूरी है बहाना नहीं है सही कारण है तो किससे सुनो। जो समझते हैं कि मुरली का इतना महत्व रखूंगा वह हाथ उठाओ। अच्छा यहाँ तो सब दिखाई दे रहा है बाप आप पीछे वालों को भी देख रहा है। अच्छा बहुत अच्छा। बाप बीच-बीच में पेपर लेगा। आज किसने मुरली नहीं सुनी वह टीचर लिखके भेजे। पसन्द तो है ना। ..."
  • 02.02.2011
  • "...देखो घर बैठे भी बापदादा की यादप्यार एक दिन भी मिस नहीं होता अगर रोज विधिपूर्वक मुरली पढ़ते हैं तो। एक दिन भी यादप्यार मिस नहीं करते। मिलती है ना! मिलती है? यादप्यार मिलती है रोज। सभी को मिलती है ना? यह है बापदादा के प्यार की निशानी। मुरली मिस तो यादप्यार भी मिस। सिर्फ मुरली नहीं मिस की लेकिन बापदादा का यादप्यार वरदान सब मिस किया। मुरली तो पढ़ भी लेंगे लेकिन जो समय फिक्स है बापदादा की यादप्यार लेने का वह तो मिस हुआ ना। ..."
  • 17.02.2011
  • "... विशेष आत्मायें जो निमित्त बनी हैं जिसको विशेष निमित्त आत्मायें कहते हैं उसकी सेवा करके हर जोन में एक दिन स्थान फिक्स करके सब तरफ के जो निमित्त आत्मायें निकली हैं उनका संगठन करो। ..." "...बाप का महावाक्य परमधाम से बापदादा आता है सूक्ष्मवतन से ब्रह्मा बाबा आता है और आके महावाक्य उच्चारण करते हैं इसलिए मुरली कभी भी एक दिन भी मिस नहीं करना। अपना बापदादा का दिलतख्त छूट जायेगा। इसलिए जो भी मुरली मिस करते हैं वह समझें हम तीन तख्त के मालिक नहीं दो तख्त के मालिक भी यथाशक्ति बनेंगे।..."
  • 02.03.2011
  • "...वह एक दिन के लिए पवित्र भी रहते और खान-पान भी शुद्ध रखते हैं। आपका 21 जन्मों का व्रत उन्हों का अल्पकाल के लिए है। ..."
  • 19.02.2012
  • "...सदा अमृतवेले यह स्मृति में रखो कि यह संगम का एक-एक दिन कितना महान है। एक छोटे से जन्म में 21 जन्म की प्राप्ति गैरन्टी है। तो एक-एक दिन का कितना महत्व हुआ! कहाँ 21 जन्म और कहाँ यह छोटा सा एक जन्म।..." "...बाप और बच्चे का सारे कल्प में ऐसा दिन नहीं होता जो बाप और बच्चे का जन्म ही एक दिन हो।..."
  • 30.11.2014
  • "...बाप कहते हैं मेरे लाडले बच्चे और बच्चे कहते मेरा बाबा, एक दिन भी भूल सकता है! भूल सकते हैं? भूल सकते नहीं क्योंकि बाप और बच्चों का ऐसा दिल का नाता है जो दिल में रहता ही है । बाप भी रह नहीं सकता, बच्चे भी रह नहीं सकते । ..." "...माया आवे भी तो फौरन बाप को सुनाके चेंज हो जाना । अगर बाप को नहीं पहुँच सको तो अपने निमित्त बड़ी को जरूर सुनाओ । एक दिन से बढ़ाना नहीं, नहीं तो आदत पड़ जायेगी । यह अमृतवेले का अमृत पीना आवश्यक है, तो अवश्य इस समय को सफल करते रहना । अच्छा ।..."
  • 18.01.2016
  • "...आज ही हम रेग्युलर हुए हैं लेकिन हुए तो सही ना। रेग्युलर की लिस्ट में आये तो सही ना, एक दिन भी आये। लेकिन यह नहीं सीखना तो एक दिन भी चलेगा, वह तो देखते हैं तो सभी खुश होते हैं। ज्यादा रिजल्ट देख करके खुश होते हैं कि हम भी पास में आ गये। इससे सभी समझ ही गये होंगे। बाकी अटेन्शन देना हमारा फर्ज है क्योंकि देखो टीचर भी मेहनत तो करते हैं ना। तो टीचर्स या स्टूडेन्टस दोनों को ज्यादा पास होने की मुबारक हो, मुबारक हो।..."
  • 31.03.2016
  • "...बाप भी एक दिन में इतने बच्चों से मिल लेता है, तो बाप को भी अच्छा लगता है। ना से तो यह अच्छा है क्योंकि अगर ज्यादा करें तो फिर जैसे ऐसे मिले जैसे दूर से क्योंकि बाबा को भी तो बच्चे प्यारे हैं ना! ..."

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