1.


“...साकार रूप में स्नेह मिलना कोई छोटी बात नहीं है।

उसके लिए तो आगे चलकर जब रोना देखेंगे

तब आप लोगों को उसकी वैल्यू का मालूम होगा।

रो-रोकर आप के चरणों में गिरेंगे।

स्नेह की एक बूँद की प्यासी हो चरणों में गिरेंगे।

आप लोगों ने स्नेह के सागर को अपने में समाया है।

वह एक बूँद के भी प्यासे रहेंगे।

ऐसा सौभाग्य किसका हो सकता है?

 सर्व सम्बन्धों का सुख,

 रसना जो आप आत्माओं में भरी हुई है

वह और कोई में नहीं हो सकती।

तो ड्रामा में अपने इतने ऊँच भाग्य को सदैव सामने रखना।

सामने रखने से रिटर्न देना आप ही याद आयेगा।...”

 

Ref:-

1969/ 06.12.1969

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