अपने को आत्मा समझ, आत्मा भाई से बात करो, ऐसी दृष्टि पक्की करो तो भूत प्रवेश नहीं करेंगे, जब कोई में भूत देखो तो उससे किनारा कर लो


नास्तिक वह हैं जो ईश्वरीय कायदों के खिलाफ भूतों के वश हो आपस में लड़ते झगड़ते हैं।


जरा भी लड़ते झगड़ते हैं तो समझो नास्तिक हैं। बाप को जानते ही नहीं।


क्रोध का भूत है तो नास्तिक ठहरा। बाप के बच्चों में भूत कहाँ से आया। वह आस्तिक नहीं ठहरा।


भल कितना भी कहे हमारा बाप में प्यार है। परन्तु ईश्वरीय कायदे के खिलाफ बात करते तो उन्हें रावण सम्प्रदाय का समझना चाहिए। देह-अभिमान में हैं।


कोई में भूत देखो वा दृष्टि खराब देखो तो हट जाना चाहिए। भूत के आगे खड़ा रहने से भूत की प्रवेशता हो जायेगी। भूत, भूत में लड़ पड़ते हैं।


भूत आये तो पूरा नास्तिक है। भूत से दूर रहना चाहिए। भूत का सामना किया तो भूत आ जायेगा। भूत से कभी सामना नहीं किया जाता है। उनसे जास्ती बात भी नहीं करनी चाहिए।


बाप कहते हैं - यह है भूतों की दुनिया। भूत जब तक निकले नहीं हैं तो सजायें भी खानी पड़ेंगी। पद भी पा नहीं सकेंगे।


लड़ाई तो एक ही है। कोई राव बन जाते हैं, कोई रंक बन जाते हैं। राव की दुनिया थी, अभी रंकों की दुनिया है। सबमें भूत हैं।


भूत निकालने का पूरा पुरुषार्थ करना चाहिए। बाप को तो बहुत तरस पड़ता है, कैसे समझाऊं - कोई से तो अब तक भी भूत निकले नहीं हैं। दिल पर चढ़ने बदले गिर पड़ते हैं।


किसी में भी अगर भूत की प्रवेशता है या दृष्टि खराब है तो उसके सामने से हट जाना है, उनसे जास्ती बात नहीं करनी है।