कर लो कमाई 21 जन्मों की...


अव्यक्त बापदादा 14.12.1983

  • "...ब्राह्मण परिवार कितना ऊँचे ते ऊँचा परिवार है।

    उसको सभी अच्छी तरह से जानते हो!

    बापदादा ने सबसे पहले परिवार के प्यारे सम्बन्ध में लाया।

    सिर्फ श्रेष्ठ आत्मा हो, यह ज्ञान नहीं दिया लेकिन श्रेष्ठ आत्मा, बच्चे हो।

    तो बाप और बच्चे के सम्बन्ध में लाया।

    जिस सम्बन्ध में आने से आपस में भी पवित्र सम्बन्ध भाई-बहन का जुटा।

    जहाँ बापदादा, भाई-बहन का सम्बन्ध जुटा तो क्या हो गया - ‘प्रभु परिवार’।

    कभी स्वप्न में भी ऐसे भाग्य को सोचा था कि साकार रूप से डायरेक्ट प्रभु परिवार में वारिस बन वर्से के अधिकारी बनेंगे!

    वारिस बनना सबसे श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ भाग्य है।

    कभी सोचा था कि स्वयं बाप हम बच्चों के लिए हमारे समान साकार रूपधारी बन बाप और बच्चे का वा सर्व सम्बन्धों का अनुभव करायेंगे!

    साकार रूप में प्रभु पालना लेंगे!

    यह कभी संकल्प में भी नहीं था।

    लेकिन अभी अनुभव कर रहे हो ना!

    यह सब अनुभव करने का भाग्य तब प्राप्त हुआ जब प्रभु परिवार के बने।

    तो कितने ऊँचे परिवार के अधिकारी बच्चे बने।

    कितनी पवित्र पालना में पल रहे हो!

    कैसे अलौकिक प्राप्तियों के झूले में झूल रहे हो!

    यह सब अनुभव करते हो ना।

    परिवार बदल गया।

    युग बदल गया।

    धर्म, कर्म सब बदल गया।

    युग परिवर्तन होने से दु:ख के संसार से सुखों के संसार में आ गये।

    साधारण आत्मा से पुरूषोत्तम बन गये।

    63 जन्म कीचड़ में रहे और अभी कीचड़ में कमल बन गये।

    प्रभु परिवार में आना अर्थात् जन्म-जन्मान्तर के लिए तकदीर की लकीर श्रेष्ठ बन जाना।

    प्रभु परिवार, परिवार अर्थात् वार से परे हो गये।

    कभी भी प्रभु बच्चों पर वार नहीं हो सकता।

    प्रभु परिवार का बने, सदा के लिए सर्व प्राप्तियों के भण्डार भरपूर हो गये।

    ऐसे मास्टर सर्वशक्तिवान बन गये जो प्रकृति भी आप प्रभु बच्चों की दासी बन सेवा करेगी।

    प्रकृति आप प्रभु परिवार को श्रेष्ठ समझ आपके ऊपर जन्म-जन्मान्तर के लिए चंवर (पंखा)झुलाती रहेगी।

    श्रेष्ठ आत्माओं के स्वागत में, रिगार्ड में चंवर झुलाते हैं ना।

    प्रकृति सदाकाल के लिए रिगार्ड देती रहेगी।

    प्रभु परिवार का अभी भी सर्व आत्माओं को स्नेह है।

    उसी स्नेह के आधार पर अभी तक गायन और पूजन करते रहते हैं।

    प्रभु परिवार के चरित्रों का अभी भी कितना बड़ा यादगार शास्त्र - ‘भागवत’, प्यार से सुनते और सुनाते रहते हैं।

    प्रभु परिवार का शिक्षक और गाडली स्टूडेन्ट लाइफ का, पढ़ाई का यादगार शास्त्र -’गीता’, कितने पवित्रता से विधिपूर्वक सुनते और सुनाते हैं।

    प्रभु परिवार का यादगार आकाश में भी सूर्य, चन्द्रमा और लकी सितारों के रूप में मनाते और पूजते रहते हैं।

    प्रभु परिवार बाप के दिलतख्तनशीन बनते, ऐसा तख्त सिवाए प्रभु परिवार के और किसको भी प्राप्त हो नहीं सकता।

    प्रभु परिवार की यही विशेषता है।

    जितने भी बच्चे हैं सब बच्चे तख्तनशीन बनते हैं।

    और कोई भी राज्य परिवार में सब बच्चे तख्तनशीन नहीं होते हैं।

    लेकिन प्रभु के बच्चे सब अधिकारी हैं।

    इतना श्रेष्ठ और बड़ा तख्त सारे कल्प में देखा?

    जिसमें सभी समा जाएँ।

    प्रभु परिवार ऐसा परिवार है जो सभी स्वराज्य अधिकारी होते।

    सभी को राजा बना देता।

    जन्म लेते ही स्वराज्य का तिलक बापदादा सभी बच्चों को देते हैं।..."

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दिव्यगुणों के गुलदस्ते से जीवन महक जाता है...