07.01.1978

"...अमरनाथ बाप द्वारा संगम पर भी सदा अमर रहने का वरदान
‘अमर भव’
यह वरदान इस जन्म में भी और भविष्य में भी प्राप्त होता है।

संगम पर माया से बचने का अमर वरदान और भविष्य में अकाल मृत्यु से बचने का वरदान मिला हुआ है।

अमर-भव के वरदान पाने वाले को माया हिला नहीं सकती, दूर से भी नज़र नहीं डाल सकती।

सदा नमस्कार करती है।

सदा स्मृति रखो कि हमें अमर भव का वरदान मिला हुआ है।

वरदान वाली आत्मा निश्चय बुद्धि होने के कारण विजयन्ती होती है।

जिन्हें इस वरदान का नशा रहता है वह स्वप्न में भी माया से मूर्च्छित नहीं हो सकते।

बाप द्वारा वरदान मिलना कोई कम बात है क्या?..."