Avyakt BaapDada


16.06.1969
"...सिर्फ स्नेह जो होता है तो वह कभी टूट भी सकता है लेकिन स्नेह और शक्ति दोनों का जहाँ मिलाप होता है, वहाँ आत्मा और परमात्मा का मिलाप भी अविनाशी अमर रहता है। तो अपने इस मिलन को अविनाशी बनाने के लिये क्या साधन करना पड़ेगा? स्नेह और शक्ति दोनों का मिलाप अपने अन्दर करना पड़ेगा- तब कहेंगे आत्मा और परमात्मा का मिलाप। ..."

28.11.1969
"...मधुबन आते रहेंगे और अपना अमर बनने का सबूत देते रहेंगे। सभी से बड़ा सरेन्डर होना है - संकल्पों में। कोई व्यर्थ संकल्प न आये। इन संकल्पों के कारण ही समय और शक्ति वेस्ट होती है। तो संकल्प से भी सम्पूर्ण समर्पण होना है। मन के उमंगों को अब प्रैक्टिकल में लाना है।..."

08.07.1973
"...जैसे अमृत पीने से अमर बन जाते हैं। तो अमृत वेले को सफल करने से अमर भव का वरदान मिल जाता है। फिर सारा दिन कोई भी विघ्नों में मुरझायेंगे नहीं। सदा हर्षित रहने में और सदा शक्तिशाली बनने में अमर रहेंगे। अमृतवेले जो अमरभव का वरदान मिलता है वह अगर न लेंगे तो फिर मेहनत बहुत करनी पड़ेगी। मेहनत और खर्चा दोनों करते हो। नहीं तो अमर भव के वरदानों से मेहनत और खर्चा दोनों से छूट जायेंगे। ..."

02.08.1975
"...पहले नम्बर के बच्चों को नयनों के नूर कहा जाता है। ऐसे नयनों के नूर सिवाय बाप के और कोई भी वस्तु व व्यक्ति को देखते हुए भी नहीं देखते। यह सब मरे ही पड़े हैं ऐसा बुद्धि द्वारा अनुभव करते हैं? कोई भी विनाशी रस अपनी तरफ आकर्षित नहीं करता। सदा एक के रस में रहने वाले, एक-रस स्थिति वाले होते हैं। ऐसे बच्चे सर्विसेबल होने के कारण विश्व के लिए व जहान के लिए नूर अर्थात् प्रकाश व अमर ज्योति के समान हैं।..."

14.09.1975
"...बिल्कुल वाइसलेस (पाप-रहित) वाइसलेस बनना ही वायरलेस सेट की सेटिंग है। जरा अंश के भी अंश-मात्र विकार, वायरलेस के सेट को बेकार कर देगा। इसलिये महीन रूप से स्वयं के स्वयं ही चेकर बनो। तब ही प्रकृति और पाँच विकारों की अन्तिम विदाई के वार को विजयी बन सामना कर सकेंगे। यही प्रकृति वार करने के बजाय बधाई के नजारे सामने लायेगी। चारों ओर जयज यकार की शहनाइयाँ बजायगी। और बापदादा के विजय माला के मणके विश्व के बीच प्रसिद्ध होंगे। सारा विश्व ‘‘अमर भव!’’ का नारा लगायेगा।..."

07.01.1978
"...अमरनाथ बाप द्वारा संगम पर भी सदा अमर रहने का वरदान
‘अमर भव’ यह वरदान इस जन्म में भी और भविष्य में भी प्राप्त होता है। संगम पर माया से बचने का अमर वरदान और भविष्य में अकाल मृत्यु से बचने का वरदान मिला हुआ है। अमर-भव के वरदान पाने वाले को माया हिला नहीं सकती, दूर से भी नज़र नहीं डाल सकती। सदा नमस्कार करती है। सदा स्मृति रखो कि हमें अमर भव का वरदान मिला हुआ है। वरदान वाली आत्मा निश्चय बुद्धि होने के कारण विजयन्ती होती है। जिन्हें इस वरदान का नशा रहता है वह स्वप्न में भी माया से मूर्च्छित नहीं हो सकते। बाप द्वारा वरदान मिलना कोई कम बात है क्या?..."

01.01.1979
"...प्यासी आत्माओं को आत्मिक परिचय, परमात्म परिचय की यथार्थ बूँद भी तृप्त आत्मा बना देगी - इसलिए ज्ञान कलश धारण कर प्यासों की प्यास बुझाओ। अमृत कलश सदा साथ रहे। चलते फिरते सदा अमृत द्वारा अमर बनाते चलो। तब ही ब्रह्मा बाप के साथ-साथ मुक्ति के गेट का उद्घाटन कर सकेंगे! अभी तो भवनों का उद्घाटन कर रहे हो - अभी विशाल गेट का उद्घाटन करना है। उसके लिए सदा अमर बनो और अमर बनाओ - अमर भव के वरदानी मूर्त बनो। ..."

 

18.01.1979
"...सहजयोगी, निरन्तरयोगी, एक बाप दूसरा न कोई - इसी स्थिति में स्थित रहे, ऐसे ही सदा अमर भव के वरदानी बनो। तो क्या होगा। सदाकाल के लिए जुदाई को विदाई मिल जावेगी और सदा मिलन की बधाई होगी।..."

23.01.1979
"...आप सबका अविनाशी सुहाग है - जो कभी मिटने वाला नहीं। क्योंकि अविनाशी अमरनाथ ही आपका सुहाग है। जैसे वह अमर है वैसे आपका सुहाग भी अमर है। ..."

"...सर्व सम्बन्ध निभाने वाले परम आत्मा को अपना बना लिया, जब चाहो, जैसा सम्बन्ध चाहो वैसा ही सम्बन्ध का रस एक द्वारा सदा निभा सकते हो, और सम्बन्ध भी ऐसे जो देने वाले होंगे लेने वाले नहीं। कभी धोखा भी नहीं देने वाले - सदा प्रीति की रीति निभाने वाले - ऐसे अमर सम्बन्ध अनुभव करते हो ना? .."

30.01.1979
"...शुरू में भी स्थापना के समय अखबार में क्या डलवाया था - लोगों ने कहा ओम मण्डली गई कि गई और बाप ने डलवाया ओम मण्डली सारे वर्ल्ड में रिचेस्ट है, मालामाल है, सब भूख मर सकते हैं लेकिन बाप के बच्चे भूखे नहीं मर सकते। क्योंकि ‘अमरभव’ का वरदान मिला हुआ है। जो वरदानी हैं वह सदा मालामाल हैं तो ऐसा नशा और खुशी सदा कायम रहे, कभी-कभी नहीं। अमरभव अर्थात् निरन्तर सदा खुशी में बाप के साथ समानता की रास खेलते रहो। बाप के साथ रास भी वही खेलेंगे जो समान होंगे।..."

14.11.1979
"...अमरनाथ बाप का पहला वरदान है - बच्चे अमरभव! अमरनाथ की कथा सुनने वाले आप सब हो ना? यह खुशी होती है कि हम सबका यादगार अब तक भी चल रहा है? कल्प पहले का यादगार अभी भी देख रहे हो। अमरनाथ में आपका ही यादगार है। ..."

 

04.02.1980
"...इस संगम समय के भाग्य का वर्णन विशेष अमृतवेले के रूप में गाया जाता है। अमृतवेला अर्थात् अमृत द्वारा अमर बनने की वेला। साथ-साथ धर्माऊ युग `पुरूषोत्तम युग'। नुमाशाम का समय भी श्रेष्ठ भाग्य का मानते हैं। यह सब समय का गायन आपके इस समय का गायन है। तो समझा, अपने श्रेष्ठ भाग्य को।..."

23.03.1981
"...ब्रह्माकुमारियाँ चढ़ती कला में अमर हैं, जाने वाली नहीं है, लेकिन सभी को ले जाने वाली हैं।.."

27.10.1981
"...कितने भी अनेक स्थूल दीपक जगायें लेकिन ऐसी दीपमाला जो अविनाशी, अमर ज्योति स्वरूप है, ऐसी दीपमाला कहाँ हो सकती है? ऐसी दीपावली, दीपराज और दीपरानियाँ, ऐसा मेला कब देखा? देखने वाले भी आप और मनाने वाले भी आप। ..."

"...दीपराज अपनी सर्व दीपरानियों को अमर ज्योति की बधाई दे रहे हैं। ‘‘सदा अमर भव''।..."

08.11.1981
"...बाप जैसे सदा जागती ज्योति है, अखण्ड ज्योति है, अमर ज्योति है, ऐसे बच्चे भी सदा ‘अमर ज्योति'! अमर ज्योति के रूप में भी आपका यादगार है। चैतन्य में बैठे अपने सभी जड़ यादगारों को देख रहे हो। ऐसी श्रेष्ठ आत्मायें हो।..."

28.11.1981
"...आप पूर्वजों का कार्य है- ऐसी आत्माओं को शमा बन रास्ता दिखाना। अमर ज्योति बन अंधकार से ठिकाने पर लाना।..."

17.03.1982
"...संगमयुग का विशेष् वरदान कौन-सा है? अमर बाप द्वारा ‘अमर भव'। संगमयुग पर ही ‘अमर भव' का वरदान मिलता है। इस वरदान को सदा याद रखते हो? नशा रहता है, खुशी रहती है, याद रहती है लेकिन अमर भव के वरदानी बने हो? जिस युग की जो विशेषता है, उस विशेषता को कार्य में लगाते हो? अगर अभी यह वरदान नहीं लिया तो फिर कभी भी यह वरदान मिल नहीं सकता। इसलिए समय की विशेषता को जानकर सदा यह चेक करो कि ‘अमर भव' के वरदानी बने हैं? अमर कहो, निरन्तर कहो इस विशेष शब्द को बार-बार अण्डरलाइन करो। अमरनाथ बाप के बच्चे अगर ‘अमर भव' के वर्से के अधिकारी नहीं बने तो क्या कहा जायेगा?.."

18.04.1982
"...आदि रत्नों का यह निमित्त बनने का पार्ट बापदादा के सामने रहता है। और इसके फलस्वरूप आप सर्व आत्मायें सदा अमर हो। समझा अपना पार्ट? कितना भी कोई आगे चला जाये - लेकिन फिर भी... फिर भी कहेंगे। बापदादा को पुरानी वस्तु की वैल्यु का पता है। समझा। .."

 

13.06.1982
"...आप सभी के आगे परिवार के श्रृंगार कौन हैं? यही (दादियाँ) हैं ना। आज सबके मन में इन विशेष आत्माओं प्रति सदा क्या संकल्प रहता कि यह सदा जीती रहें। यह सब आप लोगों को अमर भव का सहयोग देती रहती। एक दादी को भी कुछ होता है तो सबका संकल्प चलता है ना! यह स्थूल में निमित्त छत्रछाया हैं। वैसे तो बाप की छत्रछाया है लेकिन निमित्त यह अनुभवी आत्माएँ मास्टर छत्रछाया हैं। कभी धूप अथवा कभी बारिश आती है तो छत्रछाया में चले जाते हैं ना। आप लोग के पास भी कोई प्राब्लम आती है तो क्या करते हो? साकार में इन्हों के पास आना पड़ता है।..."

13.01.1983
"...अविनाशी बाप ने, बाप समान अविनाशी रतन बना दिया। ऐसे अविनाशी रतन जो किसी भी प्रकार से कोई हिला न सके। ऐसे अविनाशी रतन ‘अमरभव’ के वरदानी हो। रीयल गोल्ड हो ना। बाप के साथी - बाप का कार्य सो आपका कार्य। सदा साथ रहेंगे इसलिए अविनाशी रहेंगे।..."

 

19.04.1983
"...बापदादा सभी बच्चों से पूछते हैं - प्रभु फल, अविनाशी फल, सर्व शक्तियाँ, सर्वगुण, सर्व सम्बन्ध के स्नेह के रस वाला फल खाया है? सभी ने खाया है या कोई रह गया है? यह ईश्वरीय जादू का फल है। जिस फल खाने से लोहे से पारस से भी ज्यादा हीरा बन जाते हो। इस फल से जो संकल्प करो वह प्राप्त कर सकते हो। अविनाशी फल, अविनाशी प्राप्ति। ऐसे प्रत्यक्ष फल खाने वाले सदा ही माया के रोग से तन्दुरूस्त रहते है। दुःख, अशान्ति से, सर्व विघ्नों से सदा दूर रहने का अमर फल मिल गया है! बाप का बनना और ऐसे श्रेष्ठ फल प्राप्त होना।..."

"...बाप ने अमृत पिलाया और अमर बना दिया। मरे हुए मुर्दे के समान थे और अब देखो क्या बन गये। मुर्दे से महान बन गये। पहले कोई जान नहीं थी तो मुर्दे समान ही कहेंगे ना। भाषा भी क्या बोलते थे, अज्ञानी लोग भाषा में बोलते हैं - मर जाओ ना। या कहेंगे हम मर जाए तो बहुत अच्छा। अब तो मरजीवा हो गये, विशेष आत्मायें बन गये। यही खुशी है ना। जलती हुई चिता से अमर हो गये, यह कोई कम बात है! पहले सुनते थे भगवान मुर्दे को भी जिन्दा करता है, लेकिन कैसे करता यह नहीं समझते थे। अभी समझते हो हम ही जिन्दा हो गये तो सदा नशे और खुशी में रहो।..."

 

12.12.1983
"...जब चैलेन्ज करते हो कि अविनाशी निरोगी बनने की एक ही विश्व की हास्पिटल है तो चारों ओर के रोगी कहाँ जायेंगे? एमर्जेन्सी केसेज की लाइन होगी। उस समय क्या करेंगे? अमर भव का वरदान तो देंगे ना। स्व अभ्यास के आक्सीजन द्वारा साहस का श्वास देना पड़ेगा। होपलेस केस अर्थात् चारो ओर के दिल शिकस्त के केसेज ज्यादा आयेंगे। ऐसी होपलेस आत्मओं को साहस दिलाना यही श्वास भरना है। ..."

27.12.1983
"...दाता के मालामाल बच्चों को अविनाशी बापदादा की ‘‘अमर भव’’ की सदा सम्पन्न स्वरूप की याद प्यार..."

 

31.12.1983
"...ऐसे सदा के वरदानी, सदा हाथ और साथ के अमर श्रेष्ठ आत्मायें, हर संकल्प में नवीनता की विशेषता को जीवन में लाने वाले, ऐसी विशेष आत्माओं को, नव युग के, नये वर्ष की अमर याद-प्यार।..."

1983 complete
1984 Start

16.01.1984
"...मधुबन से अमर भव का वरदान लेकर जाना। ऐसा वरदान सदा अपने साथ रखना और दूसरों को भी इसी वरदान से सुरजीत करना। ..."

 

04.04.1984
"...बापदादा सभी बच्चों को पदमगुणा यादप्यार के साथ रेसपान्ड दे रहे हैं कि सदा याद से अमर भव के वरदानी बन बढ़ते चलो और बढ़ाते चलो। ..."

08.04.1984
"...बापदादा देश के नेताओं को मुबारक देते हैं। क्योंकि फिर भी मेहनत तो करते हो ना। भल वैराइटी हैं। फिर भी देश के प्रति लगन है। हमारा राज्य अमर रहे - इस लगन से मेहनत तो करते हैं ना। हमारा भारत ऊँचा रहे। यह लगन स्वत: ही मेहनत कराती है। ..."

03.05.1984
"...ब्राह्मण आत्मायें सर्व आत्माओं को सामूहिक सगाई बाप से कराने वाली हैं। परमात्म हाथ में हाथ का हथियाला बंधवाने वाली हैं। ब्राह्मण आत्मायें जन्म-जन्म के लिए सदा पवित्रता का बन्धन बाँधने वाली हैं। अमरकथा कर अमर बनाने वाली हैं। समझा - कितने महान हो और कितने जिम्मेवार आत्मायें हो! पूर्वज हो। ..."

09.05.1984
"...सदा बहादुर, सदा अमर, सदा अविनाशी रहना। सदा अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाना। ..."

 

21.11.1984
"...संकल्पों द्वारा, पत्रों द्वारा रूह-रूहान द्वारा जो भी सोचते हो, बातें करते हो वह बाप के पास पहूँचती हैं। और बापदादा भी ऐसे बच्चों को सदा रिटर्न करते हैं और अभी भी रिटर्न में मुबारक के साथ-साथ ‘अमर भव’ का विशेष वरदान दे रहे हैं। ..."

 

03.12.1984
"...आप समय रूपी रचना के मास्टर रचता, समय अर्थात् युग-परिवर्तक हो। डबल काल पर विजयी हो। एक काल अर्थात् ‘समय’। दूसरा काल ‘मृत्यु’ के वशीभूत नहीं हो। विजयी हो। अमर भव के वरदानी स्वरूप हो।..."

12.12.1984
"...बाप ने माताओं को खुशी का, अतीन्द्रिय सुख का झूला दिया है। उसी झूले में झूलती रहो। सदा सुखी, सदा सुहागिन बन गई। अमर बाप के अमर बच्चे बन गये। बापदादा भी बच्चों को देखकर खुश होते हैं। ..."

24.12.1984
"...बच्चों को स्नेह के सौगात की रिटर्न में पद्मगुणा, सदा स्नेही साथी रहेंगे, सदा स्नेह के सागर में समाये हुए लवलीन स्थिति का अनुभव करेंगे, ऐसे वरदान भरी याद और अमर प्यार की रिटर्न में सौगात दे रहे हैं। सदा गाते और खुशी में नाचते रहेंगे। सदा मुख मीठा रहेगा।..."

16.02.1985
"...सदा भगवान और भाग्य ऐसे स्मृति स्वरूप बच्चों को, सदा सर्व खजानों से भरपूर भण्डार वाले बच्चों को भोलेनाथ, अमरनाथ वरदाता बाप का बहुत-बहुत दिव्य जन्म की बधाइयों के साथ-साथ यादप्यार ..."

25.11.1985
"...सभी अमर बाप की अमर आत्मायें हो ना। अमर हो गई ना? शरीर छोड़ते हो तो भी अमर हो, क्यों? क्योंकि भाग्य बना करके जाते हो। हाथ खाली नहीं जाते। इसलिए मरना नहीं है। भरपूर होकर जाना है। मरना अर्थात् हाथ खाली जाना। भरपूर होकर जाना माना चोला बदली करना। तो अमर हो गये ना। ‘अमर भव’ का वरदान मिल गया। इसमें मृत्यु के वशीभूत नहीं होते। जानते हो जाना भी है फिर आना भी है। इसलिए अमर हैं। अमरकथा सुनते-सुनते अमर बन गये। रोज-रोज प्यार से कथा सुनते हो ना। बाप अमरकथा सुनाकर अमरभव का वरदान दे देता है। बस सदा इसी खुशी में रहो कि अमर बन गये। मालामाल बन गये। खाली थे, भरपूर हो गये। ऐसे भरपूर हो गये जो अनेक जन्म खाली नहीं हो सकते।..."

18.01.1986
"...सभी अमर बाप की अमर आत्मायें हो ना। अमर हो गई ना? शरीर छोड़ते हो तो भी अमर हो, क्यों? क्योंकि भाग्य बना करके जाते हो। हाथ खाली नहीं जाते। इसलिए मरना नहीं है। भरपूर होकर जाना है। मरना अर्थात् हाथ खाली जाना। भरपूर होकर जाना माना चोला बदली करना। तो अमर हो गये ना। ‘अमर भव’ का वरदान मिल गया। इसमें मृत्यु के वशीभूत नहीं होते। जानते हो जाना भी है फिर आना भी है। इसलिए अमर हैं। अमरकथा सुनते-सुनते अमर बन गये। रोज-रोज प्यार से कथा सुनते हो ना। बाप अमरकथा सुनाकर अमरभव का वरदान दे देता है। बस सदा इसी खुशी में रहो कि अमर बन गये। मालामाल बन गये। खाली थे, भरपूर हो गये। ऐसे भरपूर हो गये जो अनेक जन्म खाली नहीं हो सकते।..."

"...आदि में निमित्त ज्यादा शक्तियाँ बनी। गोल्डन जुबली में भी शक्तियाँ ज्यादा रही हैं। पाण्डव थोड़े गिनती के हैं। फिर भी पाण्डव हैं। अच्छा है, हिम्मत रख आदि में सहन करने का सबूत तो यही आदि रतन हैं। विघ्न विनाशक बन निमित्त बन, निमित्त बनाने के कार्य में अमर रहें हैं। इसलिए बापदादा को भी अविनाशी, अमर भव के वरदानी बच्चे सदा प्रिय हैं।..."

 

"...बापदादा सदा अपने ऐसे अनुभवों के खज़ानों से सम्पन्न सेवा के फाउण्डेशन बच्चों को देख हर्षित होते हैं और बच्चों के साहस के गुणों की माला सिमरण करते हैं। ऐसे लकी और लवली अवसर पर विशेष सुनहरे वरदान देते सदा एक बन, एक को प्रत्यक्ष करने के कार्य में सफल भव! रूहानी जीवन में अमर भव! प्रत्यक्ष फल और अमर फल खाने के पद्म भाग्यवान भव!”..."

18.02.1986
"...स्नेह की माला के मोती सदा ही अमर हैं, अविनाशी है।..."

25.02.1986
"...दृढ़ संकल्प करने से आगे पुरूषार्थ में भी विशेष रूप से लिफ्ट मिल जाती है। यह विधी भी विशेष उमंग उत्साह बढ़ाती है। बापदादा भी सभी बच्चों को दृढ़ संकल्प करने के समारोह की बधाई देते हैं। और वरदान देते - ‘सदा अविनाशी भव। अमर भव’।..."

 

04.03.1986
"...सदा अमर भव की वरदानी आत्मायें हैं - ऐसा अनुभव करते हो? सदा वरदानों से पलते हुए आगे बढ़ रहे हो न! जिनका बाप से अटूट स्नेह है वह ‘अमर भव’ के वरदानी हैं, सदा बेफिकर बादशाह हैं।..."

31.03.1986
"...इस वर्ष बच्चों के दृढ़ता की तपस्या से हर संकल्प को अमर, अविनाशी बनाने के लिए, स्वयं से बार-बार दृढ़ता के अभ्यास से रूह-रूहान करने के लिए, रियलाइजेशन करने के लिए और रीइनकारनेट स्वरूप बन फिर कर्म में आने के लिए इस स्थिति को सदाकाल के लिए और मजबूत करने के लिए, बापदादा यह समय दे रहें हैं। ..."

17.10.1987
"...कोई अप्राप्त वस्तु है ही नहीं। ऐसे भाग्यवान हो! विनाशी इच्छा क्या करेंगे। जो आज है, कल है ही नहीं - उसकी इच्छा क्या रखेंगे। इसलिए, सदा अविनाशी खज़ाने की खुशियों में रहो जो अब भी है और साथ में भी चलेगा। यह मकान, कार वा पैसे साथ नहीं चलेंगे लेकिन यह अविनाशी खज़ाना अनेक जन्म साथ रहेगा। कोई छीन नहीं सकता, कोई लूट नहीं सकता। स्वयं भी अमर बन गये और खज़ाने भी अविनाशी मिल गये! जन्मजन्म यह श्रेष्ठ प्रालब्ध साथ रहेगी। कितना बड़ा भाग्य है! जहाँ कोई इच्छा नहीं, इच्छा मात्रम् अविद्या है - ऐसा श्रेष्ठ भाग्य भाग्यविधाता बाप द्वारा प्राप्त हो गया।..."

16.02.1988
"...बापदादा भी जब बच्चों की विशेषता का, स्नेह का झण्डा लहराते हैं तो कौन - सी वर्षा होती है? हर एक बच्चे के ऊपर ‘अविनाशी भव', ‘अमर भव', ‘अचल - अडोल भव' - इन वरदानों की वर्षा होती है। यह वरदान ही बापदादा के अविनाशी अलौकिक पुष्प हैं।..."

 

19.11.1989
"...आप सभी अकाले मृत्यु से बचाने वाले हो ना। ऐसी आत्माओं को अमर ज्ञान दे अमर बनाओ तो जन्म-जन्म अकाले मृत्यु से बच जाएं। ..."

 

23.04.1993
"...निश्चयबुद्धि भव, अमर भव ‘निश्चय’ का, ‘अमर भव’ का वरदान सदा साथ रहे। ..."

25.01.1994
"...आप तो अमर हो ना। अमर हो गये-ये स्मृति सदा ही स्वयं भी बेफ़्रिक और दूसरों को भी बेफ़्रिक बनाती रहेगी। ..."

 

01.02.1994
"...एक बार मालूम पड़ा कि मैं ये हूँ तो भूलता नहीं है। तो ‘मैं श्रेष्ठ आत्मा हूँ’ ये अविनाशी आक्युपेशन भी भूलना नहीं चाहिये। ये हर जन्म का आक्युपेशन है। वो एक जन्म का आक्युपेशन होता है। चाहे शरीर बदलेंगे लेकिन आत्मा तो अविनाशी है ना। कोई भी जन्म में आत्मा तो अमर ही है, अविनाशी है। लेकिन इस समय आप विशेष आत्मायें हो। आत्मा तो हो ही लेकिन विशेष आत्मा हो। अपनी विशेषतायें सदा याद रहती हैं?..."

 

 

 

26.02.1995
"...अभी अमर भव के वरदान को सदा साथ रखना। ..."

31.12.1997
"...उत्सव मनाया है सदा उत्साह में रहने के लिए। यह ज्ञान, योग का उत्साह कम नहीं हो। सदा बढ़ता रहे। शक्तियों में जिम्मेवार कौन है? (त्रिमूर्ति है) सभी की युनिटी बहुत है। अमर रहना। अमर भव। अच्छे हैं।..."

18.01.1998
"...40 वर्ष भी सेवा में अमर भव के वरदानी रहे हैं इसकी मुबारक हो। आपके संगठन को देख सब बहुत खुश होंगे कि 40 वर्ष सेवा में अमर रहना - यह भी कमाल है। ..."

 

13.03.1998
"...बापदादा भी 10-15 वर्ष नहीं देखते, लेकिन इतना समय चलते रहे हैं, अविनाशी रहे हैं, अमर रहे हैं, इसको देख करके खुश होते हैं। कमाल तो की है।..."

 

 

 

30.03.1998
"...अभी तक की मुबारक है लेकिन आगे भी बापदादा यही कहेंगे कि सदा अमर भव के वरदानी रहना ही है। अमर हैं ना! खण्डित तो नहीं ना! देखो खण्डित मूर्ति का कभी पूजन नहीं होता है, तो कोई भी व्रत अगर खण्डित होता है तो वह अमर वरदानी आत्मा नहीं बन सकता है और ऐसा पूज्य जो द्वापर से कलियुग अन्त तक पूज्य बने, ऐसे इष्ट नहीं बन सकते, इसलिए सदा अमरभव। अच्छी हिम्मत रखी है, हिम्मत की मदद सदा मिलती रहेगी, अधिकारी हो लेकिन अखण्ड बाल ब्रह्मचारी। 5 वर्ष, 10 वर्ष - यह नहीं, अखण्ड। जहाँ तक ब्राह्मण जीवन है, यह अमर भव के वरदानी रहें। ..."

"...जो भी मददगार बने, उन सभी को बाप्दादा दिल से सदा सेवा में तख्त पर रह दुआयें लेते रहो, दुआयें देते रहो ऐसे अमर रहो, अच्छा पार्ट बजाया, ..."

31.12.1998
"...बीती को सोचो नहीं, अब जो हिम्मत रखी है, हिम्मत और मदद से आगे बढ़ते चलो। नव वर्ष के नये उमंग भी बहुत अच्छे-अच्छे लिखे हैं चाहे विदेश के बच्चों ने, चाहे देश के बच्चों ने, बापदादा ऐसे बच्चों को यही वरदान देते हैं - इसी हिम्मत में, निश्चय में, नशे में अमर भव। अमर रहेंगे ना! डबल विदेशी अमर रहेंगे? ..."

 

 

13.02.1999
"...इतनी सारी विश्व की आत्माओं में से कितने थोड़े से आप बच्चे ऐसे पद्मापद्म भाग्यवान बने हो और आगे भी भाग्यवान रहेंगे। अमर भाग्यवान आधा कल्प रहेंगे। एक जन्म का वरदान नहीं है, अनेक जन्म अमर वरदानी बन गये। ऐसे बच्चों को अपना स्व-मान कितना स्मृति में रहता है? इस अलौकिक बर्थ डे वा अलौकिक जन्म का अखुट वर्सा बाप जन्मते ही बच्चों को देते हैं। जन्मते ही स्मृति का श्रेष्ठ तिलक हर बच्चे को बाप ने दे दिया है। तिलक लगा हुआ है ना? ब्राह्मण जीवन है तो तिलक भी अविनाशी है। ..."

"...इतनी सारी विश्व की आत्माओं में से कितने थोड़े से आप बच्चे ऐसे पद्मापद्म भाग्यवान बने हो और आगे भी भाग्यवान रहेंगे। अमर भाग्यवान आधा कल्प रहेंगे। एक जन्म का वरदान नहीं है, अनेक जन्म अमर वरदानी बन गये। ऐसे बच्चों को अपना स्व-मान कितना स्मृति में रहता है? इस अलौकिक बर्थ डे वा अलौकिक जन्म का अखुट वर्सा बाप जन्मते ही बच्चों को देते हैं। जन्मते ही स्मृति का श्रेष्ठ तिलक हर बच्चे को बाप ने दे दिया है। तिलक लगा हुआ है ना? ब्राह्मण जीवन है तो तिलक भी अविनाशी है। ..."

19.03.2000
"...अभी अपने ऊपर भिन्न-भिन्न रंगों के चमकते हुए हीरे सूक्ष्म शरीर पर डालो और सदा ऐसे दिव्य गुणों के रंग, शक्तियों के रंग, ज्ञान के रंग से स्वयं को रंगते रहो। और सबसे बड़ा रंग बापदादा के संग के रंग में सदा रंगे रहो। ऐसे अमर भव।..."

 

30.03.2000
"...बच्चों का प्यार बाप से और उससे पदमगुणा बाप का बच्चों से प्यार है और सदा अमर है। स्नेही बच्चे, न बाप से अलग हो सकते हैं, न बाप बच्चों से अलग हो सकते हैं। साथ हैं, साथ ही रहेंगे।..."

 

31.12.2001
"...तो आज ग्रेट-ग्रेट ग्रैण्ड फ़ादर ब्रह्मा बाप की एक शुभ आशा रही, ब्रह्मा बाप बोले कि मेरे ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ड सन्स को विशेष एक बात कहनी है, वह क्या? कि सदा हर बच्चे के चेहरे पर, सदा एक तो रूहानियत की मुस्कराहट हो, सुना! अच्छी तरह से कान खोल के सुनना। और दूसरा - मुख में सदा मधुरता हो। एक शब्द भी मधुरता के बिना नहीं हो। चेहरे पर रूहानियत हो, मुख में मधुरता हो और मन-बुद्धि में सदा शुभ भावना, रहमदिल की भावना, दातापन की भावना हो। हर कदम में फालो फादर हो। तो यह कर सकते हो? टीचर्स यह कर सकते हो? यूथ कर सकते हो? (ज्ञान सरोवर में देशविदेश के यूथ की रिट्रीट चल रही है) बापदादा के पास यूथ ग्रुप की रिज़ल्ट बहुत अच्छी आई है। पदमगुणा मुबारक हो। अच्छा रिज़ल्ट है। अनुभव भी अच्छे किये हैं, बापदादा खुश हुए। बापदादा ने अनुभव भी सुने। सुनी सुनाई नहीं, डायरेक्ट बापदादा ने आपके अनुभव सुने, लेकिन अभी इन अनुभवों को अमर भव के वरदान से अविनाशी रखना। कुछ भी हो जाए लेकिन अपने रूहानी अनुभवों को सदा आगे बढ़ाते रहना। कम नहीं करना। तीन मास के बाद मधुबन में आओ, नहीं आओ। तीन मास के बाद फारेन से तो आयेंगे नहीं लेकिन अपना एकाउन्ट रखना और बापदादा के पास भेजना, बापदादा राइट करेगा। या जो होगा वह परसेन्टेज़ देंगे। ठीक है?..."

03.02.2002
"...आप सबका टाइटल क्या है - विजयी रत्न या हार खाने वाले रत्न? विजयी रत्न हैं। ब्राह्मण जन्म होते ही बापदादा ने हर ब्राह्मण के मस्तक में विजय का तिलक अमर लगा दिया। तो अमरभव के वरदानी हो। अभी यह अपने से वायदा करो, ऐसे तो वायदा कहलायेंगे तो सब कर लेंगे लेकिन अपने मन में अपने से वायदा करो - कभी भी संस्कार के वश नहीं होंगे जो बाप के संस्कार वह मुझ ब्राह्मण आत्मा के संस्कार। जो द्वापर, कलियुग के संस्कार हैं वह मेरे संस्कार नहीं क्योंकि बाप के संस्कार नहीं हैं। यह तमोगुणी संस्कार ब्राह्मणों के संस्कार हैं? नहीं है ना! तो आप कौन हो? ब्राह्मण हो ना!..."

11.03.2002
"...आज बापदादा अमृतवेले एक माला बना रहे थे। कौन-सी माला? 108 की फाइनल माला नहीं बना रहे थे जो आप सोचो हमारा नाम था, हमारा नाम था... लेकिन आज आदि से, स्थापना के समय से अब विनाश के समीप समय तक कौन-से, कौन-से बच्चे अमर भव के वरदानी रहे हैं! उन्हों की माला बना रहे थे। यह भी ड्रामा अनुसार उन आत्माओं को ऊँचे-ते- ऊँचे भगवन के साथ सर्व चरित्र देखने, सुनने का श्रेष्ठ पार्ट है लेकिन वह कितने थोड़े हैं! आप सबका भी पार्ट है, क्यों? बापदादा ब्राह्मण वंशावली बना रहे हैं। इसलिए विश्व के हिसाब से जो भी ब्राह्मण आत्मायें हैं वह बहुत बहुत-बहुत भाग्यवान हैं, क्यों? कोटों में कोई की लाइन में और कोई में भी कोई, एक तरफ विश्व की कोटों आत्मायें, दूसरे तरफ आप हर एक ब्राह्मण एक हो। ..."

25.10.2002
"...आपकी सहनशीलता से गाली देने वाले भी आपको गले लगायेंगे। सहनशीलता में इतनी शक्ति है, लेकिन थोड़ा समय सहन करना पड़ता है। तो सहनशीलता के देव वा देवियां हो ना? हो? सदा यही स्मृति रखो – मैं सहनशील का देवता हूँ, मैं सहनशीलता की देवी हूँ। तो देवता अर्थात् देने वाला दाता, कोई गाली देता है, रिस्पेक्ट नहीं करता है तो किचड़ा है ना कि अच्छी चीज़ है? तो आप लेते क्यों हो? किचड़ा लिया जाता है क्या? कोई आपको किचड़ा देवे तो आप लेगें? नहीं लेंगे ना। तो रिस्पेक्ट नहीं करता, इन्सल्ट करता, गाली देता, आपको डिस्टर्व करता, तो यह क्या है? अच्छी चीज़ें हैं। फिर आप लेते क्यों हो? थोड़ा-थोड़ा तो ले लेते हो, पीछे सोचते हो नहीं लेना था। तो अभी लेना नहीं। लेना अर्थात् मन में धारण करना, फील करना। तो अपने अनादिकाल, आदिकाल, मध्यकाल, संगम काल, सारे कल्प के प्युरिटी की रॉयल्टी, पर्सनाल्टी याद करो। कोई क्या भी करे आपकी पर्सनाल्टी को कोई छीन नहीं सकता। यह रूहानी नशा है ना? और डबल फारेनर्स को तो डबल नशा है ना! डबल नशा है ना? सब बात का डबल नशा। प्युरिटी का भी डबल नशा, सहनशील देवी-देवता बनने का भी डबल नशा। है ना डबल? सिर्फ अमर रहना। अमर भव का वरदान कभी नहीं भूलना।..."

"...अमर भव के वरदानी हैं। जन्म से अमर वरदान मिला है। अमर रहे हैं, अमर रहेंगे।..."

17.10.2003
"...स्वमान की सीट को नहीं छोड़ना, कभी किस सीट पर, कभी किस सीट पर नहीं। श्रेष्ठ स्वरूप के स्मृति की सीट पर। अपनी सीट नहीं छोड़ना। कुमारियों ने भी जो प्रॉमिस किया है, बहुत अच्छा किया है। बापदादा अभी प्रॉमिस की मुबारक दे रहे हैं लेकिन लेनी कौन सी मुबारक है? प्रैक्टिकल की। तो आज सिर्फ प्रॉमिस की मुबारक दे रहे हैं फिर प्रैक्टिकल रिजल्ट की मुबारक देंगे। वह मुबारक लेनी है ना। अच्छे-अच्छे बैठे हैं, दिखाई दे रहा है। अच्छी स्वमान वाली कुमारियां हैं। (10 साल वाले भी बैठे हैं) यह भी बहुत कमाल है, 10 साल अमर रहे हैं। तो अमरनाथ बाबा की तरफ से अमर भव का वरदान है। हाथ उठाओ 10 साल वाले। आंटी अंकल को तो बहुत साल हो गये।

तो 10 साल वालों को बापदादा 9 रत्नों की माला पहना रहे हैं। 9 रत्न निर्विघ्न बनाने के होते हैं। 8 शक्तियां और बाप, सदा स्मृति में रहे। अच्छा है। फॉरेन में रहते अभी 10 साल पास किया तो अमर हो गये ना! कि समझते हो पता नहीं आगे क्या हो? अच्छा 10 साल वालों ने जो हाथ उठाया, उन्हों को अपने फ्युचर का भी निश्चय है कि समझते हैं पता नहीं चल सकेंगे या नहीं चल सकेंगे? जो समझते हैं अन्त तक साथ रहना ही है, अमर रहना है, कुछ भी हो जाए, हिमालय जितना पहाड़ भी गिर जाए, गिरेगा, पक्के हैं?..."

"...सदा अमर भव। याद और सेवा में अमर भव।..."

05.03.2004
"...अमर भव का वरदान मिला हुआ है ना! अमर ही रहना। ..."

15.12.2004
"...हर एक जो नये हैं, वह हर रोज अपने नवीनता को चेक करना, आज के दिन अपने में क्या नवीनता लाई? कौन सा विशेष गुण, कौन सी शक्ति अपने में विशेष धारण की? तो चेक करते रहेंगे, स्वयं को परिपक्व करते रहेंगे तो सेफ रहेंगे। अमर रहेंगे। तो अमर रहना, अमर पद पाना ही है। अच्छा।..."

03.02.2005
"...सिर्फ अपने आपको अमृतवेले अमर भव का वरदान याद दिलाना। ..."

 

25.03.2005
"...आप सभी इन 6 मास में ज्ञान सूर्य बन सुख की, खुशी की, शान्ति की, सहयोग की किरणें फैलाओ। अनुभूति कराओ। आपकी सूरत को देखते ही दु:ख की लहर में कम से कम मुस्कान आ जाये। आपकी दृष्टि से हिम्मत आ जाये। तो यह अटेन्शन देना है। विधाता बनना है, तपस्वी बनना है। ऐसी तपस्या करो जो तपस्या की ज्वाला कोई न कोई अनुभूति कराये। सिर्फ वाणी नहीं सुनें, अनुभूति कराओ। अनुभूति अमर होती है। सिर्फ वाणी थोड़ा समय अच्छी लगती है सदा याद नहीं रहती। इसलिए अनुभव की अथॉरिटी बन अनुभव कराओ।..."

"...सिर्फ अमर भव का वरदान भूलना नहीं, अमर भव।..."

31.12.2005
"...अभी सिर्फ अमर रहना औरों को भी अमर बनाना, अमरभव का वरदान सदा अपने आपको देते रहना।..."

 

31.10.2006
"...अमरभव का वरदान लो। जो परिवर्तन किया है, बापदादा ने सुना, कोई कोई ने परिवर्तन अच्छा किया है लेकिन सदा शब्द को कभी नहीं भूलना क्योंकि माया भी सुन रही है तो यह प्रतिज्ञा कर रहे हैं, वह भी तो अपना अजमाइस करेगी ना, लेकिन आप तो मायाजीत हो ना, मायाजीत तब तो जगतजीत बनेंगे। तो माया को देख करके, माया का आना देख करके आप याद करो मेरा काम भगाना है। वह भी आपको सिखलाती है, कि मैं आना नहीं छोडूंगी, आप विजय पाना नहीं छोड़ो, तो क्या? ..."

31.03.2007
"...अमर रहेंगे ना! अमरभव का वरदान याद रखना।..."

31.10.2007
"...प्यार के पत्र भी बहुत आते हैं, परिवर्तन के पत्र भी बहुत आते हैं। परिवर्तन की शक्ति वालों को बापदादा अमर भव का वरदान दे रहे हैं। सेवाधारियों को जिन्होंने बहुत श्रीमत को फॉलो किया है, ऐसे फॉलो करने वाले बच्चों को बापदादा सदा फरमानबरदार बच्चे वाह! यह वरदान दे रहे हैं और प्यार वालों को बहुत-बहुत प्यार से दिल में समाने वाले अति प्यारे और अति माया के विघ्नों से न्यारे ऐसा वरदान दे रहे हैं। ..."

31.12.2007
"...अच्छा पहले वारी आने वालों को बापदादा की बहुत-बहुत दिल से मुबारक भी है, और दिल का यादप्यार भी है। जैसे अभी आये हो, तो अभी के आने वालों को बापदादा का वरदान है अमर भव।..."

18.01.2008
"...बापदादा के पास एक यूथ ग्रुप का समाचार भी आया है, अच्छा पुरूषार्थ किया है, हिम्मत अच्छी रखी है, प्रोग्राम की विधि भी अच्छी है। अगर कोई और जोन वाले इस विधि को अपनाने चाहे तो बापदादा को अच्छा लगा है, प्रोग्राम जो बनाया है और अभी किया है, उसके लिए बापदादा की तरफ से अमरभव का वरदान है।..."

"...आलमाइटी गवर्मेन्ट भी निर्विघ्न देखने चाहती और आजकल की गवर्मेन्ट भी निर्विघ्न भारत को देखने चाहती, लेकिन निमित्त यूथ को बनाने चाहती। तो करके दिखाना है, अमर रहना है। वायदे निभाने में भी अमर रहना।..."

 

"...आपस में मीटिंग करके कोई नवीनता का प्लैन निकालो क्योंकि अभी कई आत्मायें ऐसी हैं जो सुनते हैं ना, मेला है, प्रदर्शनी है, यात्रायें हैं, कानफ्रेन्स है, तो वह समझते हैं यह तो हमने कर लिया है, देख लिया है। इसलिए नवीनता निकालो। बाकी अच्छी हिम्मत रखी है। बाप की विशेष 5 ही को बहुत-बहुतदिल की दुआयें। वरदान भी है, वरदान बतायें कौन सा है? अमरभव का वरदान है। अमर हैं, अमर रहेंगे और बापदादा के साथ अमरलोक में चलेंगे। चलेंगे ना! पहले जन्म में आना।..."

"...अमर रहना और अमर बनाना।..."

02.02.2008
"...सभी बापदादा के वरदानों को अमर बनाने के लिए सहज विधि यह अपनाओ कि अमृतवेले और साथ में कर्मयोगी बनने के समय भी बार-बार वरदान को रिवाइज कर स्वरूप में स्थित हैं! या नहीं है तो अपने को वरदान के स्वरूप में स्थित करो। बार-बार रिवाइज करो। बापदादा तो दे देते हैं वरदान, लेकिन वरदान को कायम रखने के लिए बार-बार रिवाइज करके स्वरूप में लाओ। अनुभव करो उस वरदान का। रूहानी नशे का अनुभव करो तो वह वरदान आपका अमर वरदान हो जायेगा क्योंकि वरदान के पात्र आप विशेष आत्मायें हो। भक्तों को भी वरदान मिलता है लेकिन वह अल्पकाल का, एक जन्म के लिए है। आपका संगम का वरदान जन्म जन्मान्तर साथ रहता है। इसलिए वरदान को स्वरूप में लाते रहेंगे तो वरदान की सफलता का अनुभव करते रहेंगे। सिर्फ बुद्धि में नहीं स्वरूप में लाओ। उस नशे में रहो। फलक में रहो। फलक रहे मैं वरदाता की वरदानी हूँ। डायरेक्ट वरदाता ने वरदान दिया है। वरदान को अमर बनाओ, कभी कभी वाला नहीं। ..."

"...यादगार में एक वरदान याद रखना - कोई भी कार्य करो अमरभव का वरदान पहले याद करो। तो अमर ही होगा। ठीक है ना। ..."

02.02.2008
"...अमरभव का वरदान है। अमर हैं, अमर रहेंगे और बापदादा के साथ अमरलोक में चलेंगे। ..."

18.02.2008
"...बापदादा सदा सभी को यही कहते कि अमर भव का वरदान सदा अमृतवेले रिवाइज करते रहना। यहाँ बाप का वरदान तो मिलता है लेकिन समय पर वरदान काम में तब आयेगा जब रोज रिवाइज करते रहो। तो रिवाइज करते रहना और आगे से आगे बढ़ते रहना। ..."

18.03.2008
"...बापदादा इस संगठन के मौज मनाने की मुबारक दे रहे हैं और साथ में विशेष वरदान दे रहे हैं - वह वरदान है अमर भव। यह वरदान सदा अमृतवेले मिलन मनाने के बाद सारे दिन के लिए बार-बार याद रखना। अमर हूँ, अमर बाप का बच्चा हूँ, अमरपद प्राप्त करने वाली आत्मा हूँ। जन्म भले लेंगे लेकिन सुख शान्ति अमर रहेगी। अच्छा।..."

"...जो यहाँ तीव्र पुरुषार्थ की अनुभूति की, अनुभूति की तीव्र पुरूषार्थ की? वह अमर रखना। अमर भव का वरदान सदा याद रखना। ..."

 

02.04.2008
"...सभी को बापदादा विशेष वरदान दे रहा है, वरदान है कि जैसे अभी पुरूषार्थ कर आने के पात्र बने हो, यह भाग्य लिया है ऐसे ही अमर भव रहना। माया आवे तो माया का गेट बन्द कर देना। माया का गेट जानते हो? बॉडीकान्सेस का मैं और मेरा। इस गेट को बन्द कर देंगे तो अमर रहेंगे। तो अमर हैं ना। अमर हैं? माया आयेगी तो क्या करेंगे? तीव्र पुरूषार्थ करेंगे? अमर रहना और औरों को भी अमर बनाना। ..."

 

15.11.2009
"...सभी विजयी हैं और विजय का फल बापदादा की हर समय दुआयें प्राप्त होती हैं। तो अमर बन सबको अमृत पिलाते रहो।..."

18.01.2011
"...सभी को विशेष बापदादा का स्नेही दिन पर स्नेह है और सदा यह स्नेह अमर रहेगा।..."

02.02.2011
"...सभी ने सेवा अच्छी की है ना। निमित्त बने हुए द्वारा सर्टीफिकेट भी मिल रहा है सभी को। बहुत अच्छी सेवा की है और आगे भी करते रहेंगे अमर हैं।..."

16.03.2011
"...यह भी बाबा कहते बाप से प्यार है और रहेगा। मिट नहीं सकता है। अमर है इसमें।..."

31.12.2011
"...आप सभी जो भी सिन्धी हैं वह बाबा के भारत के सिकीलधे हैं क्योंकि फॉरेन में जाके भी भारत का जो खून भरा हुआ है उसकी लाज़ रखी है। बापदादा खुश होते हैं और अमर हैं। अमर हैं, इसलिए अमर भव का भी वरदान है।..."

05.04.2013
"...बाप तो सदा खुश है और सदा ही हर बच्चे को दुआयें देते हैं अमर भव! ..."

12.10.2014
"...सबके दिल में सदा यही गीत बजता रहता वाह बाबा वाह मैं! सबके दिल में कौन? बोलो। मेरा बाबा। तो सदा मेरापन स्वरूप में अनुभव में है कि काम काज में भूल जाता है? वैसे देखा जाए तो छोटी सी मेरी चीज भी भूलना मुश्किल है। मेरा बना दिया तो याद अमर है। तो हर एक की दिल क्या कहती? मेरा बाबा या ब्रह्माकुमारियों का बाबा। मेरा बाबा। और बापदादा भी हर बच्चे को देख खुश होते हैं, मेरे बच्चे।..."

16.02.2015
"...बाप ने देखा कि बच्चे याद में तो रहते हैं, याद करते भी हैं लेकिन माया से सामना भी करते हैं तो बापदादा सूक्ष्म में एक-एक बच्चे को मुबारक भी देते कि वाह बच्चे वाह! यह बाप और बच्चों का मिलन अमर है और अमर रहेगा। ..."

03.11.2015
"...यह बाप और बच्चों का रूहानी मिलन कितना प्यारा है। यह मिलन अमर बनाने वाला मिलन है। हर एक बच्चा अमर भव के वरदानी है। कुछ भी हो लेकिन बच्चे बाप से मिलन मनाने में सदा बिजी हैं। सबके मुख से क्या निकल रहा है? वाह बाबा वाह! और बाप के मुख से यही बोल निकल रहे हैं - वाह मेरे सिकीलधे बच्चे वाह! वाह! सबके मुख से वाह-वाह का गीत सुनाई दे रहा है।..."