POINTS OF YAAD FROM MURLI - 23.07.2018


1.

कर्मातीत अवस्था जब तक हो तब तक माया के तूफान, कर्मों के हिसाब-किताब की भोगना चली आयेगी। उसका फिक्र नहीं करना है। बाप को याद करना है। बाप कहते हैं देही-अभिमानी भव।

 

2.

सोल कॉन्सेस से हम अकेला होकर बाप को याद कर सकते हैं। अब सोल कॉन्सेस बनना है। पुरुषार्थ करना है - मैं आत्मा हूँ, बाप को याद करती हूँ।

 

3.

माया से बड़ा ख़बरदार रहना है। बाबा कहते हैं जितना तुम याद करेंगे उतना खुशी का पारा चढ़ेगा।

 

4.

सच्चे साहेब से सच्चा होकर रहना है। सच्चे साहेब को याद भी करना है। अगर सचखण्ड का मालिक बनना है तो सच्चे बाबा को निरन्तर याद करने का अभ्यास करो। सिमर-सिमर सुख पाओ।

 

5.

बाप तुम्हें रावण की जंजीरों से छुड़ाते हैं। उस बाप को याद करने से तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे। वह बाप भी है, टीचर भी है, सतगुरू भी है। जन्म-जन्मान्तर के पाप सिर पर हैं। उनसे पावन बनने का उपाए एक ही है। वह पानी की गंगा किसको पावन नहीं कर सकती। यह बाप की याद पावन बनाती है।

 

6.

कैसे भी बैठो, याद तो चलते-फिरते कार्य करते करना है। उस स्कूल में टीचर पढ़ाते हैं तो स्टूडेन्ट को टीचर को जरूर याद करना पड़े। बच्चों को बुद्धि में यह बैठ जाना चाहिए कि हमको बाबा पढ़ाते हैं। ऐसा कोई नहीं जो बाप-टीचर को याद नहीं करे। तुम तो जानते हो अब वापिस जाना है तो सतगुरू को भी याद करना पड़े।

 

7.

तुम्हारी यह रेस है, बेहद की घुड़दौड़ है। सब कहते हैं हम पहले पहुँचे, तो याद करना पड़े। स्टूडेन्ट को दौड़ाया जाता है। जितना पुरुषार्थ करेंगे उतना विजय माला में पिरोयेंगे।