23.01.2021 -Today's Blessing


अपने प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा

बाप को प्रत्यक्ष करने वाले श्रेष्ठ

तकदीरवान भव

कोई भी बात को स्पष्ट करने के लिए

अनेक प्रकार के प्रमाण

दिये जाते हैं।

 

लेकिन सबसे श्रेष्ठ प्रमाण

प्रत्यक्ष प्रमाण है।

 

प्रत्यक्ष प्रमाण अर्थात् जो हो,

जिसके हो उसकी स्मृति में रहना।

 

जो बच्चे अपने

यथार्थ वा अनादि स्वरूप में

स्थित रहते हैं वही

बाप को प्रत्यक्ष करने

के निमित्त हैं।

 

उनके भाग्य को देखकर

भाग्य बनाने वाले की याद

स्वत: आती है।

 

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"...जो शक्ति ली है उनको

प्रत्यक्ष में लाओ।..."

 

"...अभी शक्ति स्वरूप का पार्ट

प्रत्यक्ष में दिखाना है।

जो बाप की शिक्षा मिली है,

वह प्रैक्टिकल में करके

दिखाना है।..."

 

"...जो अनन्य बच्चे हैं

उन एक एक बच्चे द्वारा

बाप के गुण प्रत्यक्ष

होने चाहिए और होंगे।..."

 

"...जब अपने में प्रत्यक्षता आयेगी

तब सृष्टि में भी

प्रत्यक्षता होगी।..."

 

"...अभी तक मेहनत जास्ती की है

प्रत्यक्षफल कम है।

अभी मेहनत कम करो

प्रत्यक्षफल ज्यादा दिखाओ।..."

 

"...जब याद की यात्रा का

अनुभव करेंगे तो

अव्यक्त स्थिति का प्रभाव

आपके नयनों से,

चलन से प्रत्यक्ष

देखने में आयेगा।..."

 

"...परिवर्तन क्या पहचान देता हैं?

इस परिवर्तन का उमंग

खास इस बात की पहचान देता है कि

अभी प्रत्यक्षता का समय

नजदीक है।..."

 

"...पहले प्रत्यक्षता होगी

फिर इस सृष्टि पर

स्वर्ग प्रख्यात होगा।..."

 

"...वर्तमान समय देखा जाता है कि

हरेक वत्स अपनी-अपनी

प्रत्यक्षता प्रत्यक्ष रूप में

ला रहे हैं।..."

 

"...जब सूर्य दूसरे किनारे

चला जाता है तो

सितारों की चमक

प्रत्यक्ष होती है।..."

 

"...यह संगम का जो सम्पूर्ण स्वरूप है

वह अब प्रत्यक्ष

आप सभी को

अपने में महसूस होगा।

मालूम पड़ेगा हमारे

कौन से भक्त हैं,

कौन सी प्रजा है।..."

 

"...हरेक सितारे के अन्दर

जो राजधानी अथवा

दुनिया बनी हुई है,

वह अब प्रत्यक्ष रूप लेगी।

जब वह प्रत्यक्षता होगी तब

सभी अहो प्रभु का नारा

लगायेंगे।..."

 

"...हरेक में स्नेह और साहस है।

उसका सिर्फ बीज नहीं

लेकिन बीज का कुछ

प्रत्यक्ष फल भी देखने में आता है।

वह प्रत्यक्षफल देखकर

हर्षित होते हैं।..."

 

"...भविष्य में आने वाली बातों को

परखने की शक्ति चाहिए

और निर्णय करने की शक्ति भी चाहिये।

निर्णय के बाद फिर

निवारण की शक्ति चाहिए।

तभी सामना कर सकेंगे और

सामना करने के बाद

यज्ञ की प्रत्यक्षता की

सफलता पाओगे।..."

 

"...जब प्रतिज्ञा करेंगे तब ही

प्रत्यक्षता होगी।

अपने आपसे पूर्ण रूप से

प्रतिज्ञा नहीं कर पाते हो

इसलिए प्रत्यक्षता भी

पूर्ण रूप से नहीं हो पाती है।

 

प्रत्यक्षता कम निकलने का कारण

अपने आपसे

प्रतिज्ञा की कमी है।

 

अभी-अभी बोलते हो फिर

अभी-अभी भूलते हो।

लेकिन अब प्रतिज्ञा के साथ-साथ

यह भी निश्चय करो कि

प्रत्यक्षता भी लायेंगे

तब आपकी प्रतिज्ञा

प्रत्यक्षता कर दिखायेगी।..."

 

"...जैसे बापदादा ने

आप सभी बच्चों को

सृष्टि के सामने प्रत्यक्ष किया है

तो अब आप बच्चों का भी

काम है कि

हर कर्तव्य से,

हर बात से

बापदादा को

अनेक आत्माओं के आगे

प्रत्यक्ष करना है।..."

 

"...हरेक को यह भी चेक करना है कि

आज मैंने मन्सा, वाचा, कर्मणा

कितनी आत्माओं के अन्दर

बापदादा के स्नेह और सम्बन्ध को

कहाँ तक प्रत्यक्ष किया है?

सिर्फ सन्देश देना सर्विस नहीं।..."

 

"...सर्विस का रूप जब प्रत्यक्ष होगा

तब प्रत्यक्षता होगी।..."

 

"...जिन्होंने जितना गहराई से

सुना है उतना

अपने चलन में

प्रत्यक्ष रूप में लाया है?

 

उन संस्कारों को

प्रत्यक्ष करने के लिए

एक-एक बात की गहराई में जाओ

और अपने एक-एक रग में

वह संस्कार समाओ।

 

कोई भी चीज़ को

किसमें समाना होता है तो

क्या करना होता है?

 

एक तो गहराई में जाना होता है

और अन्दर दबाना होता है।

 

कूटना पड़ता है।

कूटना अर्थात् हरेक बात को

महीन बनाना।

 

इस भट्ठी से संस्कारों को

प्रत्यक्ष रूप में लाने की

प्रतिज्ञा कर के निकलना है।

 

जितना बाप को प्रत्यक्ष करेंगे

उतना खुद को प्रत्यक्ष करेंगे।

बाप को प्रत्यक्ष करने से

आप की प्रत्यक्षता

बाप के साथ ही है।..."

 

"...जब अपने में विशेषता लायेंगे

तब बाप को भी

प्रत्यक्ष कर सकेंगे।

 

अपने सम्पूर्ण संस्कारों से ही

बाप को प्रत्यक्ष कर सकते हो।

 

सिर्फ सर्विस के प्लैन्स से

नहीं लेकिन अपने

सम्पूर्ण संस्कारों से,

अपनी सम्पूर्ण शक्ति से

बाप को प्रत्यक्ष कर सकते हो।..."

 

"...जब यह सभी गुण

हर कर्म में प्रत्यक्ष दिखाई दे तो

समझना अब

सम्पूर्ण स्टेज नजदीक है।..."

 

"...नम्बरवार विश्व महाराजन्

कौनसे बनते हैं,

वह भी दिन-प्रतिदिन

प्रत्यक्ष देखते जायेंगे।..."

 

"...अब शक्ति दल की

प्रत्यक्षता होनी है।..."

 

"...अब गुलदस्ते में

संगठित रूप में आना है।

अभी कोई पुष्प कहाँ-कहाँ

अपनी लात दिखा रहे हैं,

कोई अपनी खुशबू दे रहा है

कोई अपना रूप दिखा रहा है।

 

लेकिन रूप, रंग, खुशबू

जब सब प्रकार के

गुलदस्ते के रूप में आ जायेंगे

तब दुनिया के आगे

प्रत्यक्ष होंगे।..."

 


 

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