आपके प्यार में मन मग्न हो गया...



Avyakt Baapdada - 20.12.1969




"...चोले से इज़ी होने से

चोला छोड़ना भी इज़ी होता है,

इसलिए यह कोशिश

हर वक्त करनी चाहिए।

 

 

यही संगमयुग का गायन होगा कि

कैसे रहते हुए भी न्यारे थे।

 

 

तब ही एक सेकेण्ड में

न्यारे हो गये।

बहुत समय से न्यारे रहने वाले

एक सेकेण्ड में न्यारे हो जायेंगे।

 

 

बहुत समय से

न्यारापन नहीं होगा तो

यही शरीर का प्यार

पश्चाताप में लायेगा

 

 

इसलिए

इनसे भी प्यारा नहीं बनना है।

इससे जितना न्यारा होंगे

उतना ही

विश्व का प्यारा बनेंगे।

इसलिए

अब यही पुरुषार्थ करना है..."

 

 

 

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