साथ तुम्हारा प्रभु कितना है प्यारा...



Avyakt Baapdada - 06.02.1969




"...जैसे शुरू में आप बच्चों की

भट्टी के प्रोग्राम चलते थे,

इसी रीति से

हरेक को समझना चाहिए

शिवरात्रि तक हमको

याद की यात्रा की भट्टी में ही रहना है।

 

 

बिल्कुल अव्यक्त स्थिति में

स्थित रहने का,

अपनी चेकिंग करने का ध्यान रखो।

 

 

फिर इस अव्यक्त स्थिति का

कितना प्रभाव निकलता है।

मुश्किल नहीं है।

बहुत सहज है।

 

 

कारोबार में आते हुए भी

भट्टी चल सकती है।

यह तो आन्तरिक स्थिति है।

आन्तरिक स्थिति का प्रभाव

जास्ती पड़ता है।..."

 

 

 

Back Date Murlis