खुशियां ही खुशियां पायें तेरे प्यार में बाबा...


Avyakt Baapdada - 27.08.1969

"...बाप समझते हैं

हमारे यह ये रत्न हैं।

नयनों का नूर बच्चे

हमेशा रूहें गुलाब सदृश्य

खुशबू देते रहते हैं।

 

 

इतनी बच्चों में हिम्मत है,

जितना बाप का फेथ है?

 

 

आज बच्चों ने बुलाया नहीं है।

बिना बुलाये बाप आये हैं।

 

 

यह अनादि बना बनाया कायदा है।

काम पर सजाने के लिए

बाप को बिना पूछे ही

आना पड़ता है।

 

 

आज बच्चों से प्रश्र पूछते हैं,

आज बगीचे में जो बैठे हैं

अपने को ऐसा फूल

समझते हैं जो कि

गुलदस्ते में शोभा देने लायक हो?..."

 

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