गीत:- देने वाला लुटा रहा है...


Avyakt BaapDada 25.10.1969

"...बाप को

अविनाशी सत्य बोलते हो ना।

तो ऐसे ही बाप के साथ

अविनाशी परिवर्तन लाया है?

जो खजाना मिलता है

वह भी अविनाशी है,

जो प्रालब्ध मिलती है,

वह भी अविनाशी है।

 

तो परिवर्तन भी अविनाशी लाया है

वा सोचते हो कि

जाने के बाद मालूम पड़ेगा।

न मालूम कौन-सी परिस्थितियाँ आये,

न मालूम परिपक्व रह सके वा नहीं,

वायदा तो करके जाते है लेकिन

कहाँ तक निभा सकते है, वह देखेंगे।

एक तो यह सोचते है।

 

फिर दूसरे है निश्चय बुद्धि

जिन्हों का बाप के साथ

अपने में भी पूरा निश्चय है कि

जो परिवर्तन लाया है

वह सदा कायम रखेंगे।

और जो वायदा करके जाते हो

वह करके दिखायेंगे।..."

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