14.05.1970
"...चार बातें हैं।
एक तो सदैव जीवन का उद्देश्य सामने हो,
दूसरा बापदादा का आदेश,
तीसरा सन्देश
और चौथा स्वदेश।
जीवन का उद्देश्य सामने होने से पुरुषार्थ तीव्र चलेगा और बापदादा के आदेश की स्मृति रखकर के पुरुषार्थ करने से पुरुषार्थ में भी सफलता मिलती है।
सभी को सन्देश देना है जिसको सर्विस कहा जाता है और अब क्या याद रखना है?
स्वदेश कि अब घर जाना है।
अब वापस जाने का समय है।
समय समीप आ पहुंचा है।
इन चार बातों में कोई भी बात की कमी है तो उस कमी का नाम ही कमज़ोर पुरुषार्थी है।
कमी को भरने के लिए यह चार शब्द सामने रखो। "