अव्यक्त बापदादा- 22.02.1990
  • "...सारा प्रकृति का खेल भी दो बातों का है
      • एक बिन्दु का और दूसरा लाइट ज्योति का।
  • बाप को सिर्फ बिन्दु नहीं लेकिन ज्योतिर्बिंदु कहते है ।
      • रचना भी ज्योतिर्बिंदु है और आप भी हीरो पार्टधारी ज्योतिर्बिंदु हो,
        • न कि सिर्फ बिन्दु हो ।
    • और सारा खेल भी देखो -
      • जो भी कार्य करते है, उसका आधार लाइट है ।
        • आज संसार में अगर लाइट फेल हो जाए तो एक सेकण्ड में संसार, संसार नहीं लगेगा।
        • जो भी सुख के साधन है उन सबका आधार क्या है? लाइट।
        • रचयिता स्वयं भी लाइट है ।
        • आत्मा और परमात्मा की लाइट अविनाशी है।
        • प्रकृति का आधार भी लाइट है लेकिन प्रकृति की लाइट अविनाशी नहीं है ।
  • तो सारा खेल बिन्दु और लाइट है ।
  • आज के आत्माएं ऐसे पदमापदम भाग्यवान है जो डायरेक्ट त्रिमूर्ति शिव बाप के साथ साकार रूप में जयन्ति मनायेंगे ' कभी स्वपन में भी संकल्प नहीं था।
      • दुनिया वाले यादगार चित्र से जयन्ति मनाते और आप चैतन्य में बाप को अवतरित कर जयन्ति मनाते हो।
      • तो शक्तिशाली कौन हुआ - बाप या आप ?
      • बाप कहते हैं - पहले आप।
    • अगर बच्चे नहीं होते तो बाप आकर क्या करते!
      • इसलिए पहले बाप बच्चों को मुबारक देते है, मन के मुहब्बत की मुबारक ।
      • बाप को दिल में प्रत्यक्ष कर लिया है, तो दिल में बाप के प्रत्यक्ष करने की मुबारक।
      • साथ-साथ विश्व की सर्व आत्माओं प्रति रहमदिल विश्व-कल्याणकारी की शुभभावना-शुभकामना से विश्व के आगे बाप को प्रत्यक्ष करने की सेवा के उमंग-उत्साह की मुबारक ।..."