आज शिव बाप अपने सालिग्राम बच्चों के साथ अपनी और बच्चों के अवतरण की जयन्ती मनाने आये हैं।
यह अवतरण की जयन्ती कितनी वण्डरफुल है।
चारों तरफ के सभी बच्चे भाग-भाग कर आये हैं बाप की जयन्ती और अपनी जयन्ती मनाने के लिए।
बाप और बच्चों की जयन्ती अर्थात् अवतरण दिवस एक ही है।
बाप और बच्चों का एक दिवस जन्म यही वण्डर है।
तो आज आप सभी सालिग्राम बच्चे बाप को मुबारक देने आये हो वा बाप से मुबारक लेने आये हो?
देने भी आये हो, लेने भी आये हो।
साथ-साथ की निशानी है कि आप बच्चों का और बाप का आपस में बहुत-बहुत-बहुत स्नेह है।
इसलिए जन्म भी साथ-साथ है और रहते भी सारा जन्म कम्बाइण्ड अर्थात् साथ हैं।
इतना प्यार देखा है!
अगर आक्युपेशन भी है तो बाप और बच्चों का एक ही विश्व परिवर्तन करने का आक्युपेशन है और वायदा क्या है?
कि परमधाम, स्वीट होम में भी साथ-साथ चलेंगे या आगे पीछे चलेंगे?
साथ-साथ चलना है ना!
तो ऐसा स्नेह आपका और बाप का है।
न बाप अकेला कुछ कर सकता, न बच्चे अकेले कुछ कर सकते।
कर सकते हो?
सिवाए बाप के कुछ कर सकते हो!
और बाप भी कुछ नहीं कर सकता।
इसीलिए ब्रह्मा बाप का आधार लिया आप ब्राह्मणों को रचने के लिए।
सिवाए ब्राह्मणों के बाप भी कुछ नहीं कर सकते।
इसलिए इस अलौकिक अवतरण के जन्म दिवस पर बाप बच्चों को और बच्चे बाप को पदमापदम बार मुबारक दे रहे हैं।
आप बाप को दे रहे हैं, बाप आपको दे रहे हैं।
अमृतवेले से लेकर, उससे भी पहले से बच्चों की मुबारकें, कार्ड, पत्र, दिल के मीठे-मीठे गीत बाप को मिले और अभी भी बापदादा देख रहे हैं कि चारों ओर के देश-विदेश के बच्चे सूक्ष्म में बापदादा को मुबारक दे रहे हैं। पहुंच रही हैं।
बच्चों के पास आवाज पहुंच रहा है और बच्चों के दिल का आवाज बाप को पहुंच रहा है।
चारों ओर बच्चे खुशी में झूम रहे हैं।
वाह! बाबा, वाह! हम सालिग्राम आत्मायें! वाह! वाह! के गीत गा रहे हैं।
इसी आपके जन्म दिवस की यादगार द्वापर से अब तक भक्त भी मनाते रहते हैं।
भक्त भी भावना में कम नहीं हैं।
लेकिन भगत हैं, बच्चे नहीं हैं।
वह हर वर्ष मनाते हैं और आप सारे कल्प में एक बार अवतरण का महत्त्व मनाते हो।
वह हर वर्ष व्रत रखते हैं, व्रत रखते भी हैं और व्रत लेते भी हैं।
आप एक ही बार व्रत ले लेते हो, कापी आपकी ही की है लेकिन आपका महत्त्व और उनके यादगार के महत्त्व में अन्तर है।
वह भी पवित्रता का व्रत लेते हैं लेकिन हर वर्ष व्रत लेते हैं एक दिन के लिए।
आप सभी ने भी जन्म लेते एक बार पवित्रता का व्रत लिया है ना!
लिया है कि लेना है? ले लिया है।
एक बार लिया, वह वर्ष-वर्ष लेते हैं।
सभी ने लिया है?
सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं, सम्पूर्ण पवित्रता का व्रत लिया है।
पाण्डव, सम्पूर्ण पवित्रता का व्रत लिया है?
या सिर्फ ब्रह्मचर्य में ठीक हैं!
ब्रह्मचर्य तो फाउण्डेशन है लेकिन सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं साथ में और चार भी हैं।
चार का भी व्रत लिया है कि सिर्फ एक का लिया है? चेक करो।
क्रोध करने की तो छुट्टी है ना? नहीं छुट्टी है?
थोड़ा-थोड़ा तो क्रोध करना पड़ता है ना? नहीं करना पड़ता है?
बोलो पाण्डव, क्रोध नहीं करना पड़ता है?
करना तो पड़ता है! चलो, बापदादा ने देखा कि क्रोध और सभी साथी जो हैं, महाभूत का तो त्याग किया है लेकिन जैसे माताओं को, प्रवृत्ति वालों को बड़े बच्चों से इतना प्यार नहीं होता, मोह नहीं होता लेकिन पोत्रों धोत्रों से बहुत होता है।
छोटे-छोटे बच्चे बहुत प्यारे लगते हैं।
तो बापदादा ने देखा कि बच्चों को भी यह 5 विकारों के महाभूत जो हैं, महारूप उनसे तो प्यार कम हो गया है लेकिन इन विकारों के जो बाल बच्चे हैं ना, छोटे-छोटे अंश मात्र, वंश मात्र, उससे अभी भी थोड़ा-थोड़ा प्यार है।
है प्यार! कभी-कभी तो प्यार हो जाता है।
हो जाता है? मातायें? डबल फारेनर्स, क्रोध नहीं आता?
कई बच्चे बड़ी चतुराई की बातें करते हैं, सुनायें क्या कहते हैं? सुनायें?
अगर सुनायें तो आज छोड़ना पड़ेगा।
तैयार हैं? तैयार हैं छोड़ेंगे?
या सिर्फ फाइल में कागज जमा करेंगे?
जैसे हर साल करते हो ना, प्रतिज्ञा के फाइल बाप के पास बहुत-बहुत बड़े हो गये हैं, तो अभी भी ऐसे तो नहीं कि एक प्रतिज्ञा का कागज फाइल में एड कर देंगे, ऐसे तो नहीं!
फाइनल करेंगे या फाइल में डालेंगे? क्या करेंगे? बोलो, टीचर्स क्या करेंगे? फाइनल? हाथ उठाओ।
ऐसे ही वायदा नहीं करना।
बापदादा फिर थोड़ा सा रूप धारण करेगा। ठीक है।
डबल फारेनर्स - करेंगे फाइनल?
जो फाइनल करेंगे वह हाथ उठाओ। टी.वी. में निकालो।
छोटा, त्रेतायुगी हाथ बड़ा उठाओ।
अच्छा, ठीक है।
सुनो - बाप और बच्चों की बातें क्या होती हैं?
बापदादा मुस्कराते रहते हैं।
बाप कहते हैं क्रोध क्यों किया?
कहते हैं मैंने नहीं किया, लेकिन क्रोध कराया गया।
किया नहीं, मुझे कराया गया।
अभी बाप क्या कहे?
फिर क्या कहते हैं, अगर आप भी होते ना तो आपको भी आ जाता।
मीठी-मीठी बातें करते हैं ना!
फिर कहते हैं निराकार से साकार तन लेके देखो।
अभी बताओ ऐसे मीठे बच्चों को बाप क्या कहे!
बाप को फिर भी रहमदिल बनना ही पड़ता है।
कहते हैं अच्छा, अभी माफ कर रहे हैं लेकिन आगे नहीं करना।
लेकिन जवाब बहुत अच्छे-अच्छे देते हैं।
तो पवित्रता आप ब्राह्मणों का सबसे बड़े से बड़ा श्रृंगार है, इसीलिए आपके चित्रों का कितना श्रृंगार करते हैं।
यह पवित्रता का यादगार श्रृंगार है।
पवित्रता, सम्पूर्ण पवित्रता, काम चलाऊ पवित्रता नहीं।
सम्पूर्ण पवित्रता आप ब्राह्मण जीवन की सबसे बड़े ते बड़ी प्रापर्टी है, रॉयल्टी है, पर्सनाल्टी है।
इसीलिए भक्त लोग भी एक दिन पवित्रता का व्रत रखते हैं।
यह आपकी कॉपी की है।
दूसरा व्रत लेते हैं - खाने-पीने का।
खाने पीने का व्रत भी आवश्यक होता है। क्यों?
आप ब्राह्मणों ने भी खाने-पीने का व्रत पक्का लिया है ना!
जब मधुबन आने का फार्म सबसे भराते हो, तो यह भी फार्म में भराते हो ना - खाना-पीना शुद्ध है?
भराते हो ना! तो खाने-पीने का व्रत पक्का है?
है पक्का कि कभी-कभी कच्चा हो जाता है?
डबल विदेशियों का तो डबल पक्का होगा ना!
डबल विदेशियों का डबल पक्का है या कभी थक जाते हो तो कहते हो अच्छा आज थोड़ा खा लेते हैं।
थोड़ा ढीला कर देते हैं, नहीं।
खाने-पीने का पक्का है, इसीलिए भक्त लोग भी खाने-पीने का व्रत लेते हैं।
तीसरा व्रत लेते हैं जागरण का - रात जागते हैं ना!
तो आप ब्राह्मण भी अज्ञान नींद से जागने का व्रत लेते हो।
बीच-बीच में अज्ञान की नींद तो नहीं आती है ना!
भक्त लोग आपको कॉपी कर रहे हैं, तो आप पक्के हैं तभी तो कॉपी करते हैं।
कभी भी अज्ञान अर्थात् कमज़ोरी की, अलबेलेपन की, आलस्य की नींद नहीं आये।
या थोड़ा-थोड़ा झुटका आवे तो हर्जा नहीं है?
झुटका खाते हो? ऐसे अमृतवेले भी कई झुटके खाते हैं।
लेकिन यह सोचो कि हमारे यादगार में भक्त लोग क्या-क्या कॉपी कर रहे हैं!
वह इतने पक्के रहते हैं, कुछ भी हो जाए, लेकिन व्रत नहीं तोड़ते हैं।
आज के दिन भक्त लोग व्रत रखेंगे खाने-पीने का भी और आप क्या करेंगे आज?
पिकनिक करेंगे?
वह व्रत रखेंगे आप पिकनिक करेंगे, केक काटेंगे ना!
पिकनिक करेंगे क्योंकि आपने जन्म से व्रत ले लिया है इसीलिए आज के दिन पिकनिक करेंगे।
बापदादा अभी बच्चों से क्या चाहते हैं? जानते तो हो।
संकल्प बहुत अच्छे करते हो, इतने अच्छे संकल्प करते हैं जो सुन-सुन खुश हो जाते हैं।
संकल्प करते हो लेकिन बाद में क्या होता है?
संकल्प कमज़ोर क्यों हो जाते हैं?
जब चाहते भी हो क्योंकि बाप से प्यार बहुत है, बाप भी जानते हैं कि बापदादा से सभी बच्चों का दिल से प्यार है और प्यार में सभी हाथ उठाते हैं कि 100 परसेन्ट तो क्या लेकिन 100 परसेन्ट से भी ज्यादा प्यार है और बाप भी मानते हैं प्यार में सब पास हैं।
लेकिन क्या है?
लेकिन है कि नहीं है?
लेकिन आता है कि नहीं आता है?
पाण्डव, बीच-बीच में लेकिन आ जाता है?
ना नहीं करते हैं, तो हाँ है।
बापदादा ने मैजारिटी बच्चों की एक बात नोट की है, प्रतिज्ञा कमज़ोर होने का एक ही कारण है, एक ही शब्द है।
सोचो, वह एक शब्द क्या है?
टीचर्स बोलो एक शब्द क्या है?
पाण्डव बोलो एक शब्द क्या है?
याद तो आ गया ना! एक शब्द है - `मैं'।
अभिमान के रूप में भी`मैं' आता है और कमज़ोर करने में भी `मैं' आता है।
मैंने जो कहा, मैंने जो किया, मैंने जो समझा, वही राइट है।
वही होना चाहिए।
यह अभिमान का `मैं'।
मैं जब पूरा नहीं होता है तो फिर दिलशिकस्त में भी आता है, मैं कर नहीं सकता, चल नहीं सकता, बहुत मुश्किल है।
एक बॉडीकॉन्सेसनेस का `मैं' बदल जाए, `मैं' स्वमान भी याद दिलाता है और `मैं' देह-अभिमान में भी लाता है।
`मैं' दिलशिकस्त भी करता है और `मैं' दिलखुश भी करता है और अभिमान की निशानी जानते हो क्या होती है?
कभी भी किसी में भी अगर बॉडीकॉन्सेस का अभिमान अंश मात्र भी है, उसकी निशानी क्या होगी?
वह अपना अपमान सहन नहीं कर सकेगा।
अभिमान अपमान सहन नहीं करायेगा।
जरा भी कोई कहेगा ना - यह ठीक नहीं है, थोड़ा निर्माण बन जाओ, तो अपमान लगेगा, यह अभिमान की निशानी है।
बापदादा वतन में मुस्करा रहे थे - यह बच्चे शिवरात्रि पर यहाँ-वहाँ भाषण करते हैं ना, अभी बहुत भाषण कर रहे हैं ना।
उसमें कहते हैं, बापदादा को बच्चों की प्वाइंट याद आई।
तो उसमें कहते हैं कि शिवरात्रि पर बकरे की बलि चढ़ाते हैं - वह बकरा में-में बहुत करता है ना, तो ऐसे शिवरात्रि पर यह "मैं" "मैं" की बलि चढ़ा दो।
तो बाप सुन-सुनकर मुस्करा रहे थे।
तो इस 'मैं' की आप भी बलि चढ़ा दो।
सरेण्डर कर सकते हो? कर सकते हैं? पाण्डव कर सकते हो?
डबल फारनेर्स कर सकते हो? फुल सरेण्डर या सरेण्डर? फुल सरेण्डर।
आज बापदादा झण्डे पर ऐसे ही प्रतिज्ञा नहीं करायेगा।
आज प्रतिज्ञा करो और फाइल में कागज जमा करना पड़े, ऐसी प्रतिज्ञा नहीं करायेगा। क्या सोचते हो, दादियां आज भी ऐसी प्रतिज्ञा करायें?
फाइनल करेंगे या फाइल में जमा करेंगे? बोलो, (फाइनल कराओ) हिम्मत है? हिम्मत है?
सुनने में मगन हो गये हैं, हाथ नहीं उठा रहे हैं।
कल तो कुछ नहीं हो जायेगा! नहीं ना!
कल माया चक्कर लगाने आयेगी।
माया का भी आपसे प्यार है ना क्योंकि आजकल तो सभी धूमधाम से सेवा का प्लैन बना रहे हैं ना।
जब सेवा जोर-शोर से कर रहे हो तो सेवा जोर-शोर से करना अर्थात् सम्पूर्ण समाप्ति के समय को समीप लाना है।
ऐसे नहीं समझो भाषण करके आये लेकिन समय को समीप ला रहे हो।
सेवा अच्छी कर रहे हो।
बापदादा खुश है।
लेकिन बापदादा देखते हैं कि समय समीप आ रहा है, ला रहे हो आप, ऐसे ही लाख डेढ़ लाख इकट्ठा नहीं किया, यह समय को समीप लाया।
अभी गुजरात ने किया, बॉम्बे करेगा और भी कर रहे हैं।
चलो लाख नहीं तो 50 हजार ही सही लेकिन सन्देश दे रहे हो तो सन्देश के साथ-साथ सम्पन्नता की भी तैयारी है? तैयारी है?
विनाश को बुला रहे हो तो तैयारी है?
दादी ने क्वेश्चन किया था कि अभी क्या ऐसा प्लैन बनायें जो जल्दीजल्दी प्रत्यक्षता हो जाए?
तो बापदादा कहते हैं - प्रत्यक्षता तो सेकण्ड की बात है लेकिन प्रत्यक्षता के पहले बापदादा पूछते हैं स्थापना वाले एवररेडी हैं?
पर्दा खोलें?
कि कोई कान का श्रृंगार कर रहा होगा, कोई माथे का? तैयार हैं? हो जायेंगे, कब? डेट बताओ।
जैसे अभी डेट फिक्स की ना!
इस मास के अन्दर सन्देश देना है, ऐसे सभी एवररेडी, कम से कम 16 हजार तो एवररेडी हों, 9 लाख छोड़ो, उसको भी छोड़ दो।
16 हजार तो तैयार हों? हैं तैयार? बजायें ताली?
ऐसे ही हाँ नहीं करना।
एवररेडी हो जाओ तो बापदादा टच करेगा, ताली बजायेगा, प्रकृति अपना काम शुरू करेगी।
साइंस वाले अपना काम शुरू कर देंगे।
क्या देरी है, सब रेडी हैं।
16 हजार तैयार हैं? हैं तैयार? हो जायेंगे। (आपको ज्यादा पता है) यह जवाब तो छुड़ाने का है।
16 हजार की रिपोर्ट आनी चाहिए एवररेडी, सम्पूर्ण पवित्रता से सम्पन्न हो गये।
बापदादा को ताली बजाने में कोई देरी नहीं है।
डेट बताओ। (आप डेट दो) सभी से पूछो।
देखो होना तो है ही लेकिन जो सुनाया एक `मैं' शब्द का सम्पूर्ण परिवर्तन, तब बाप के साथ चलेंगे।
नहीं तो पीछे-पीछे चलना पड़ेगा।
बापदादा इसीलिए अभी गेट नहीं खोलते हैं क्योंकि साथ चलना है।
ब्रह्मा बाप सभी बच्चों से पूछते हैं कि गेट खोलने की डेट बताओ।
गेट खोलना है ना!
चलना है ना!
आज मनाना अर्थात् बनना।
सिर्फ केक नहीं काटेंगे लेकिन मैं को समाप्त करेंगे।
सोच रहे हैं या सोच लिया है?
क्योंकि बापदादा के पास अमृतवेले सबके बहुत वैरायटी संकल्प पहुंचते हैं।
तो आपस में राय करना और डेट बाप को बताना।
जब तक डेट नहीं फिक्स की है ना, तब तक कोई कार्य नहीं होता।
पहले आपस में महारथी डेट फिक्स करो फिर सब फालो करेंगे।
फालो करने वाले तैयार हैं और आपकी हिम्मत से और बल मिल जायेगा।
जैसे देखो अभी उमंग उल्हास दिलाया तो तैयार हो गये ना!
ऐसे सम्पन्न बनने का प्लैन बनाओ।
धुन लगाओ, कर्मातीत बनना ही है।
कुछ भी हो जाए बनना ही है, करना ही है, होना ही है।
साइंस वालों का भी आवाज, विनाश करने वालों का भी आवाज बाप के कानों में आता है, वह भी कहते हैं क्यों रोकते हैं, क्यों रोकते हैं...।
एडवांस पार्टी भी कहती है डेट फिक्स करो, डेट फिक्स करो।
ब्रह्मा बाप भी कहते हैं डेट फिक्स करो।
तो यह मीटिंग करो।
बाकी सेवा जो कर रहे हैं, बापदादा सन्तुष्ट हैं।
हर एक कर रहा है, फारेन भी कर रहा है, भारत में सब जोन वाले भी कर रहे हैं, प्रवृत्ति वाले भी कर रहे हैं, सब कर रहे हैं।
इसकी मुबारक हो, सेवा की मुबारक हो, मुबारक हो।
अब यह कमाल करके दिखाओ।
दादियों को खास कह रहे हैं, बड़े भाईयों को खास कह रहे हैं।
अब दूसरी शिवरात्रि में धमाल और कमाल दोनों साथ-साथ हों। ठीक है।
आगे लाइन वाली टीचर्स ठीक है?
मीटिंग करेंगे ना!
बापदादा को अभी डेट चाहिए, ऐसे नहीं हो जायेगा, कर रहे हैं, यह नहीं।
यह बहुत हो गया।
पहले बच्चे डेट देवें फिर बाप फाइनल करेंगे।
बापदादा तो कहते हैं दूसरी शिवरात्रि पर कमाल और धमाल दोनों साथ हों।
अभी करो तैयारी।
टीचर्स मंजूर है?
डबल विदेशी मंजूर है?
पहली लाइन मंजूर है?
पाण्डव मंजूर है? (हाँ जी) मुबारक हो।
बहुत दु:खी हैं।
बापदादा को अभी इतना दु:ख देखा नहीं जाता है।
पहले तो आप शक्तियों को, देवता रूप पाण्डवों को रहम आना चाहिए।
कितनापुकार रहे हैं।
अभी आवाज पुकार का आपके कानों में गूंजना चाहिए।
समय की पुकार का प्रोग्राम करते हो ना!
अभी भक्तों की पुकार भी सुनो, दु:खियों की पुकार भी सुनो।
सेवा में नम्बर अच्छा है, यह तो बापदादा भी सर्टीफिकेट देते हैं, उमंग-उत्साह अच्छा है, गुजरात ने नम्बरवन लिया, तो नम्बरवन की मुबारक है।
अभी थोड़ी-थोड़ी पुकार सुनो तो सही, बिचारे बहुत पुकार रहे हैं, जिगर से पुकार रहे हैं, तड़फ रहे हैं।
साइंस वाले भी बहुत चिल्ला रहे हैं, कब करें, कब करें, कब करें, पुकार रहे हैं।
आज भले केक काट लो, लेकिन कल से पुकार सुनना।
मनाना तो संगमयुग के स्वहेज हैं।
एक तरफ मनाना दूसरे तरफ आत्माओं को बनाना। अच्छा।
तो क्या सुना?
आपका गीत है - दु:खियों पर कुछ रहम करो।
सिवाए आपके कोई रहम नहीं कर सकता।
इसलिए अभी समय प्रमाण रहम के मास्टर सागर बनो।
स्वयं पर भी रहम, अन्य आत्माओं प्रति भी रहम।
अभी अपना यही स्वरूप लाइट हाउस बन भिन्न-भिन्न लाइट्स की किरणें दो।
सारे विश्व की अप्राप्त आत्माओं को प्राप्ति की अंचली की किरणें दो। अच्छा।