25-09-2023 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन


“मीठे बच्चे - तुम्हारे दर पर कोई भी आये उसे कुछ न कुछ ज्ञान धन देना है, पहले फॉर्म भराओ फिर दो बाप का परिचय दो''

प्रश्नः-

जादूगर बाप की जादूगरी कौन सी है?

उत्तर:-

जादूगर बाप की जादूगरी देखो -

इतना ऊंचा बाप कहते हैं मैं तुम्हारी सेवा में आया हूँ, मैं तुम्हारा बच्चा भी बन जाता हूँ।

तुम बच्चे जब मेरे पर बलि चढ़ो तो फिर मैं 21 जन्मों के लिए तुम्हारे पर बलि चढूँ।

यह भी वन्डरफुल बातें हैं।

बाप कितने प्यार से तुम्हें पढ़ाई पढ़ाते हैं।

तुम्हारी सब मनोकामनायें पूरी करते हैं।

तुमसे कोई भी फीस आदि नहीं लेते हैं।

उन्हें कहा जाता है - राझू-रमज़बाज।

गीत:-जो पिया के साथ है...



    ओम् शान्ति।
  1. ओम् शान्ति।
  2. पिया और वर्षा।
    1. जो पिया के साथ है उसके लिए बरसात है।
    2. किस प्रकार की?
    3. इसको ज्ञान वर्षा कहा जाता है।
    4. ज्ञान वर्षा कौन करते हैं?
    5. ज्ञान का सागर।
    6. अब यह गीत जिन्होंने गाया या बनाया वह तो कुछ नहीं जानते।
  3. तुम हो लक्की ज्ञान सितारे।
      1. तुम ज्ञान सागर के बच्चे बने हो इसलिए तुमको ज्ञान सितारे कहा जाता है।
      2. बाप से ज्ञान ले रहे हो।
      3. नॉलेज की हमेशा एम-ऑब्जेक्ट होती है।
      4. कुछ न कुछ प्राप्ति का रास्ता मिलता है।
  4. अब तुम बच्चे जानते हो बेहद के बाप द्वारा बेहद का वर्सा लेना है।
        1. वह है पारलौकिक बाप।
  5. तुम्हारे पास कभी कोई नये जिज्ञासू आते हैं तो फॉर्म भरने से डरते हैं।
        1. तो उनको समझाना चाहिए क्योंकि फिर भी तुम्हारे पास आये हैं तो कुछ न कुछ बिचारों को मिलना चाहिए।
        2. बहुत गरीब हैं।
  6. तुम्हारे पास तो अथॉरिटी है।
          1. हाँ, नम्बरवार कोई फुल पास होते हैं, कोई कम।
          2. यह तो नशा है हमारे पास ज्ञान रत्न ढेर हैं।
  7. ज्ञान सागर कोई महल में तो नहीं रहते हैं, झोपड़ी में रहते हैं।
      1. झोपड़ी में रहना पसन्द करते हैं।
  8. जब कोई कहे हम फॉर्म नहीं भरेंगे तो बोलो - अच्छा, अपना नाम तो लिखेंगे, हम बड़ी बहन जी को दिखायें कि फलाना आया है।
      1. कुछ समझने के लिए तो आये हो। अच्छा, अपना नाम लिखो।
      2. लौकिक फादर का भी नाम लिखना पड़े फिर समझाना है - दो बाप तो हैं।
      3. एक है लौकिक बाप, दूसरा है पारलौकिक परमपिता परमात्मा।
      4. जब पिता कहते हो तो उनका नाम तो लिखो।
  9. परमपिता कहते हो तो वह सबका बाप है।
      1. हर एक को लौकिक और पारलौकिक बाप होते हैं।
      2. भक्ति मार्ग में दोनों बाप हैं।
      3. सतयुग-त्रेता में लौकिक फादर तो है, पारलौकिक का नाम भी नहीं लेंगे।
        1. यह बातें तुम बच्चों को समझकर फिर समझाना है।
        2. कितनी सहज बातें समझाई जाती हैं।
  10. जिसको गॉड फादर कहा जाता है - वह है परलोक में रहने वाला।
    1. बुद्धि में आता है - बरोबर, सतयुग-त्रेता में पारलौकिक बाप को याद नहीं करते।
    2. यहाँ तो सब याद करते हैं।
    3. तो समझाना है लौकिक फादर का नाम लिखा, अब पारलौकिक फादर का नाम लिखो।
    4. सब जीव की आत्मायें उस पारलौकिक परमपिता को याद करती हैं।
  11. वह एक ही है।
      1. जैसे आत्मा निराकार है, वैसे वह भी निराकार है।
      2. उनका तो कोई सूक्ष्म वा स्थूल शरीर नहीं है।
      3. उनको सर्वव्यापी तो कह नहीं सकते।
        1. लौकिक बाप को कभी सर्वव्यापी नहीं कह सकते हैं।
        2. क्या सर्वव्यापी कहने से वर्सा मिल सकता है?
        3. फिर पारलौकिक बाप को सर्वव्यापी क्यों कहते हो?
          1. पारलौकिक बाप को सब इतना याद करते हैं तो जरूर उनसे भी वर्सा मिलना चाहिए।
          2. रचना को रचता से वर्सा तो चाहिए ना।
          3. ऐसे नई-नई बातें समझाने से झट समझ जायेंगे।
  12. तुम अनुभव से बतलाते हो उस बाप से वर्सा पाने की युक्ति बताई जाती है।
    1. वह बाप है स्वर्ग का रचयिता।
  13. तुम जानते हो भारत जीवनमुक्त था, अब जीवनबंध है।
    1. दु:ख से लिबरेट करने वाला बाप ही है।
  14. यह त्रिमूर्ति सहित लक्ष्मी-नारायण का चित्र बहुत अच्छा है।
    1. हर एक के पास होना चाहिए।
    2. इस पर समझाओ कि बरोबर यह लक्ष्मी-नारायण भारत के आदि सनातन देवी-देवता थे, सतयुग के मालिक थे।
    3. स्वर्ग का वर्सा जरूर पारलौकिक बाप स्वर्ग का रचयिता ही दे सकते हैं।
      1. कोई फॉर्म न भी भरे लेकिन यह बात लिखाना तो सहज है।
      2. दो बाप हैं, दोनों से वर्सा मिलता है।
  15. लक्ष्मी-नारायण अथवा उनके बच्चों आदि की जीवन कहानी तो है नहीं।
    1. श्रीकृष्ण के लिए कहते हैं उनको टोकरी में ले गये, यह हुआ।
    2. अच्छा, इन लक्ष्मी-नारायण को राज्य कहाँ से मिला?
    3. बरोबर आदि सनातन देवी-देवताओं का राज्य था, इनमें पहला नम्बर लक्ष्मी-नारायण हैं।
    4. उन्हों को यह स्वर्ग का वर्सा किसने दिया?
    5. यह प्रजापिता ब्रह्मा भी बैठा है, यह वर्सा लक्ष्मी-नारायण सामने खड़े हैं।
    6. फिर झाड़ पर ले आओ।
      1. यहाँ तपस्या कर रहे हैं - राजयोग की।
      2. इनसे यह लक्ष्मी-नारायण बनते हैं।
      3. यह समझाना कितना सहज है।
        1. लक्ष्मी-नारायण के भक्तों को समझाना बहुत सहज है।
  16. अब अन्दर कोई आते हैं तो कुछ न कुछ शिक्षा जरूर देनी पड़े।
    1. तुम्हारे द्वारा इन वेश्याओं, भीलनियों आदि का भी उद्धार होना है।
      1. परन्तु तुम्हारे में अभी वह ताकत नहीं है।
  17. बाबा ने समझाया है तुम अपने पति को भी भूं भूं करती रहो।
      1. स्त्री अपने पति से भी पूछ सकती है - तुम अपने लौकिक बाप का नाम बताओ।
      2. अच्छा, पारलौकिक बाप का नाम बताओ?
      3. जिसको तुम घड़ी-घड़ी जन्म बाई जन्म याद करते हो, जरूर उनसे कुछ जास्ती मिलता है।
      4. लक्ष्मी-नारायण को याद करने से तो कुछ मिलता नहीं है।
  18. बाप आकर तुम्हारी कितनी सेवा करते हैं।
    1. बिगर मांगे तुमको पढ़ाते हैं।
    2. कहते हैं - आओ, तुमको स्वर्ग में ले चलें।
    3. सभी मनोकामनायें पूर्ण करते हैं।
  19. नर-नारायण का भी चित्र है ना।
    1. पूजा लक्ष्मी की होती है।
    2. समझते हैं लक्ष्मी से सम्पत्ति मिलेगी।
    3. यह सब भक्ति मार्ग की बातें हैं।
    4. लक्ष्मी (स्त्री) धन कहाँ से लायेगी?
    5. उनको जरूर पति से मिलता है।
    6. पुजारी लोग यह कुछ भी नहीं जानते।
      1. तुम बच्चों को समझाना पड़े।
      2. तुम भी अभी समझते हो - आगे हम क्या करते थे?
      3. कुछ भी नहीं समझते थे।
      4. अब अच्छी रीति जान गये हैं।
  20. श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी होती है तो
    1. सवेरे में उनको दूध पिलाते हैं, झूला झुलाते हैं और रात को फिर पूरी-तस्मई (खीर) आदि खिलाते हैं।
    2. क्या इतने में इतना बड़ा हो गया, जो पूरी तस्मई खाने लायक हो गया!
      1. यह भी समझने की बातें हैं ना।
  21. तुम जानते हो यह राधे-कृष्ण ही फिर लक्ष्मी-नारायण बनते हैं।
    1. शिवबाबा इन्हों को यह पद दिलाते हैं।
  22. शिव को कभी पूरी-तस्मई आदि नहीं खिलाते।
    1. उन पर सिर्फ दूध चढ़ाते हैं।
    2. अब शिवबाबा तो है निराकार, जिसका कोई नाम-रूप नहीं, उन पर दूध आदि चढ़ाने का मतलब क्या है?
    3. उनको कुछ खिलाते नहीं हैं।
    4. निराकार है ना, श्रीकृष्ण को रोटी आदि खाने के लिये मुख है।
    5. शिव पर कुछ नहीं चढ़ाते।
      1. शंकर पर चढ़ाते हैं, शिव पर नहीं।
      2. शंकर का तो फिर भी आकार रूप है ना।
      3. दोनों एक तो हो नहीं सकते।
        1. अब बाबा कितनी नॉलेज देते हैं।
        2. कितनी गुप्त बातें हैं।
  23. तुम गोपिकायें शिवबाबा की हो।
    1. शिव को फिर बालक भी कहते हैं।
    2. यह भी शिवबाबा पूछते हैं तुमने शिव को बालक क्यों बनाया है?
    3. वर्सा बालक को दिया जाता है।
      1. पहले जब तुम बलि चढ़ो तब ही शिवबाबा बलि चढ़े।
      2. यह भी है बाप बच्चों पर बलि चढ़ते हैं परन्तु कहते हैं पहले तुमको बलि चढ़ना है, तब मैं चढूँ।
      3. बलि चढ़ना अर्थात्
        1. उनको अपना बच्चा बनाना, उनकी पालना करना।
        2. कितनी वन्डरफुल बातें हैं!
        3. मातायें हैं ना।
        4. पुरुष भी शिव बालक को अपना वारिस बनाते हैं।
  24. शिवबाबा को जादूगर कहते हैं ना।
    1. लक्ष्मी-नारायण जादूगर नहीं हैं।
    2. यह बड़ी गुप्त बातें हैं।
    3. विरला कोई समझ सकते हैं।
    4. अपरोक्ष भी बतलाते हैं।
  25. तुम बच्चे अनुभवी हो बाबा ने साक्षात्कार किया, मम्मा ने कोई साक्षात्कार नहीं किया फिर भी मम्मा सबसे तीखी गई।
    1. सबको तो साक्षात्कार नहीं होगा।
    2. ऐसे तो बहुतों को साक्षात्कार हुए, आज हैं नहीं।
    3. साक्षात्कार से कोई कनेक्शन नहीं है।
    4. यह तो हैं धारण करने और कराने की मीठी बातें।
  26. जादूगर राझू रमज़बाज तो है ना।
    1. जादूगर लोग बहुत तीखे-तीखे होते हैं।
    2. संतरे निकाल दिखाते हैं, सिर काटकर फिर जोड़ देते हैं।
    3. आगे बहुत जादूगरी दिखाते थे।
  27. अब बच्चे जान गये हैं बाबा की ही महिमा गाई जाती है।
    1. तुम्हारी लीला अपरम-अपार है, तुम्हारी गति मत न्यारी है।
  28. बाप कितनी श्रीमत देते हैं।
    1. श्रीमत से तुमको श्रेष्ठ देवता बना रहे हैं।
    2. श्री श्री कहा जाता है निराकार शिवबाबा को।
  29. लक्ष्मी-नारायण को ऐसा श्रेष्ठ किसने बनाया?
    1. जरूर उनसे श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ होगा।
    2. बाबा से हम यह इलम (विद्या) सीखते हैं कि मनुष्य को देवता कैसे बनाया जाए।
  30. अभी तुम सब सीतायें रावण की जेल में, शोक वाटिका में दु:ख उठा रही हो।
    1. रामराज्य में कभी शोक होता ही नहीं।
    2. तो जिससे वर्सा मिलता है उनको याद करना है ना।
  31. हम आत्मा हैं यह भी मानते हैं।
    1. पूछो तुम्हारे लौकिक बाप का नाम क्या है?
    2. पारलौकिक बाप का नाम क्या है?
    3. बाप को सर्व-व्यापी तो नहीं कहेंगे।
      1. बाप माना वर्सा।
      2. बेहद के बाप से बेहद का वर्सा मिलता है।
        1. अब वह रावण ने छीना हुआ है इसलिए कहा जाता है माया जीते जगत जीत।
          1. माया पर जीत पानी है।
  32. मन तो तूफानी घोड़ा है।
    1. खूब पछाड़ने की कोशिश करेगा।
    2. बाबा ने अब तुम्हारी बुद्धि का ताला खोल दिया है।
    3. तुम राइट और रांग को समझ सकते हो।
  33. तुम समझा सकते हो अब यह दुनिया बदल रही है।
    1. महाभारी लड़ाई तो जरूर लगनी है, उसमें सब विनाश होंगे।
    2. यादव मूसलों से अपने ही यादव कुल का विनाश करते हैं।
    3. पाण्डव कुल की जीत होनी है।
      1. परन्तु दिखाया है 5 पाण्डव बचे, वह भी पहाडों पर गल मरे।
      2. बाकी क्या हुआ?
      3. कुछ नहीं।
      4. राजयोग सिखाया तो कुछ तो बचे होंगे।
      5. प्रलय थोड़ेही हो जाती है।
      6. यह सब बातें तुम अभी जानते हो।
  34. दिखाते हैं श्रीकृष्ण सागर में पत्ते पर आया।
    1. श्रीकृष्ण तो गर्भ महल में आते हैं।
    2. गर्भ जेल में दु:ख होता है।
    3. सागर तो गर्भ महल है।
      1. बड़े आराम से बैठा रहता है।
  35. जन्म-जन्मान्तर से यह गीता का ज्ञान भागवत आदि सुनते आये,
    1. भक्ति मार्ग के धक्के खाते आये,
    2. अभी बाप तुमको एक सेकेण्ड में स्वर्ग का मालिक बनाते हैं।
    3. इसको भावी कहते हैं, परन्तु भावी किसकी?
      1. भावी ड्रामा की कहेंगे।
      2. बना-बनाया ड्रामा है ना।
      3. मनुष्य तो सिर्फ भावी कहते रहते हैं, समझते कुछ भी नहीं।
  36. तो जब कोई आये पहले-पहले यह बताओ कि दो बाप हैं।
    1. पारलौकिक बाप स्वर्ग का रचयिता है।
    2. उसने तो स्वर्ग का वर्सा दिया था।
  37. आज से 5 हजार वर्ष पहले स्वर्ग था।
    1. अभी तो नर्क है फिर तुम वर्सा ले सकते हो।
    2. हम भी बेहद के बाप से वर्सा ले रहे हैं।
  38. यह भारत भगवान् की जन्म भूमि है।
    1. जैसे इब्राहम, बुद्ध आदि की अपनी जन्म भूमि है।
    2. तुम बच्चे जानते हो बाप आये हुए हैं, वर्सा दे रहे हैं।
      1. तुम बच्चों को रहमदिल बनना है।
      2. कोई को भी यह समझाना तो बहुत सहज है।
      3. पारलौकिक बाप की पहचान देनी है।
      4. पारलौकिक फादर एक ही बार आते हैं।
        1. उनकी याद से हम स्वर्ग का वर्सा ले रहे हैं।
        2. बहुत सहज है।
        3. ऐसी-ऐसी बातें अच्छी रीति धारण करो और समझाओ।
        4. दान करो।
  39. पारलौकिक बाप स्वर्ग की राजाई देते हैं।
    1. लक्ष्मी-नारायण को दी है ना।
    2. इस सूर्यवंशी लक्ष्मी-नारायण का बाप कौन है?
    3. हम आपको बताते हैं, स्वर्ग की स्थापना करने वाला फादर अब उन्हों को स्वर्ग की राजाई दे रहे हैं।
      1. बाकी आशीर्वाद क्या करेंगे। अच्छा!

  • मीठे-मीठे सिकीलधे लक्की ज्ञान सितारों प्रति मात-पिता बापदादा का नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) राइट और रांग को समझ बुद्धि बल से मन रूपी तूफानी घोड़े को वश करके मायाजीत, जगतजीत बनना है। हार नहीं खानी है।
  • 2) शिव को बालक बनाकर उनकी पालना करनी है अर्थात् पहले उन्हें अपना वारिस बनाना है। उन पर पूरा बलि चढ़ना है।
  • वरदान:-
    • ( All Blessings of 2021-22)
      • उमंग-उत्साह द्वारा विघ्नों को समाप्त करने वाले बाप समान समीप रत्न भव
          • बच्चों के दिल में जो उमंग-उत्साह है कि
            • मैं बाप समान समीप रत्न बन सपूत बच्चे का सबूत दूँ -
              • यह उमंग-उत्साह उड़ती कला का आधार है।
              • यह उमंग कई प्रकार के आने वाले विघ्नों को समाप्त कर सम्पन्न बनने में सहयोग देता है।
              • यह उमंग-उत्साह का शुद्ध और दृढ़ संकल्प
                • विजयी बनाने में विशेष शक्तिशाली शस्त्र बन जाता है इसलिए
                  • दिल में सदा उमंग-उत्साह को वा इस उड़ती कला के साधन को कायम रखना।
        • स्लोगन:-
        • (All Slogans of 2021-22)
        • जैसे तपस्वी सदा आसन पर बैठते हैं ऐसे आप
            • एकरस अवस्था के आसन पर विराजमान रहो।

        •