- ओम् शान्ति।
- पिया और वर्षा।
- जो पिया के साथ है उसके लिए बरसात है।
- किस प्रकार की?
- इसको ज्ञान वर्षा कहा जाता है।
- ज्ञान वर्षा कौन करते हैं?
- ज्ञान का सागर।
- अब यह गीत जिन्होंने गाया या बनाया वह तो कुछ नहीं जानते।
- तुम हो लक्की ज्ञान सितारे।
- तुम ज्ञान सागर के बच्चे बने हो इसलिए तुमको ज्ञान सितारे कहा जाता है।
- बाप से ज्ञान ले रहे हो।
- नॉलेज की हमेशा एम-ऑब्जेक्ट होती है।
- कुछ न कुछ प्राप्ति का रास्ता मिलता है।
- अब तुम बच्चे जानते हो बेहद के बाप द्वारा बेहद का वर्सा लेना है।
- वह है पारलौकिक बाप।
- तुम्हारे पास कभी कोई नये जिज्ञासू आते हैं तो फॉर्म भरने से डरते हैं।
- तो उनको समझाना चाहिए क्योंकि फिर भी तुम्हारे पास आये हैं तो कुछ न कुछ बिचारों को मिलना चाहिए।
- बहुत गरीब हैं।
- तुम्हारे पास तो अथॉरिटी है।
- हाँ, नम्बरवार कोई फुल पास होते हैं, कोई कम।
- यह तो नशा है हमारे पास ज्ञान रत्न ढेर हैं।
- ज्ञान सागर कोई महल में तो नहीं रहते हैं, झोपड़ी में रहते हैं।
- झोपड़ी में रहना पसन्द करते हैं।
- जब कोई कहे हम फॉर्म नहीं भरेंगे तो बोलो - अच्छा, अपना नाम तो लिखेंगे, हम बड़ी बहन जी को दिखायें कि फलाना आया है।
- कुछ समझने के लिए तो आये हो। अच्छा, अपना नाम लिखो।
- लौकिक फादर का भी नाम लिखना पड़े फिर समझाना है - दो बाप तो हैं।
- एक है लौकिक बाप, दूसरा है पारलौकिक परमपिता परमात्मा।
- जब पिता कहते हो तो उनका नाम तो लिखो।
- परमपिता कहते हो तो वह सबका बाप है।
- हर एक को लौकिक और पारलौकिक बाप होते हैं।
- भक्ति मार्ग में दोनों बाप हैं।
- सतयुग-त्रेता में लौकिक फादर तो है, पारलौकिक का नाम भी नहीं लेंगे।
- यह बातें तुम बच्चों को समझकर फिर समझाना है।
- कितनी सहज बातें समझाई जाती हैं।
- जिसको गॉड फादर कहा जाता है - वह है परलोक में रहने वाला।
- बुद्धि में आता है - बरोबर, सतयुग-त्रेता में पारलौकिक बाप को याद नहीं करते।
- यहाँ तो सब याद करते हैं।
- तो समझाना है लौकिक फादर का नाम लिखा, अब पारलौकिक फादर का नाम लिखो।
- सब जीव की आत्मायें उस पारलौकिक परमपिता को याद करती हैं।
- वह एक ही है।
- जैसे आत्मा निराकार है, वैसे वह भी निराकार है।
- उनका तो कोई सूक्ष्म वा स्थूल शरीर नहीं है।
- उनको सर्वव्यापी तो कह नहीं सकते।
- लौकिक बाप को कभी सर्वव्यापी नहीं कह सकते हैं।
- क्या सर्वव्यापी कहने से वर्सा मिल सकता है?
- फिर पारलौकिक बाप को सर्वव्यापी क्यों कहते हो?
- पारलौकिक बाप को सब इतना याद करते हैं तो जरूर उनसे भी वर्सा मिलना चाहिए।
- रचना को रचता से वर्सा तो चाहिए ना।
- ऐसे नई-नई बातें समझाने से झट समझ जायेंगे।
- तुम अनुभव से बतलाते हो उस बाप से वर्सा पाने की युक्ति बताई जाती है।
- वह बाप है स्वर्ग का रचयिता।
- तुम जानते हो भारत जीवनमुक्त था, अब जीवनबंध है।
- दु:ख से लिबरेट करने वाला बाप ही है।
- यह त्रिमूर्ति सहित लक्ष्मी-नारायण का चित्र बहुत अच्छा है।
- हर एक के पास होना चाहिए।
- इस पर समझाओ कि बरोबर यह लक्ष्मी-नारायण भारत के आदि सनातन देवी-देवता थे, सतयुग के मालिक थे।
- स्वर्ग का वर्सा जरूर पारलौकिक बाप स्वर्ग का रचयिता ही दे सकते हैं।
- कोई फॉर्म न भी भरे लेकिन यह बात लिखाना तो सहज है।
- दो बाप हैं, दोनों से वर्सा मिलता है।
- लक्ष्मी-नारायण अथवा उनके बच्चों आदि की जीवन कहानी तो है नहीं।
- श्रीकृष्ण के लिए कहते हैं उनको टोकरी में ले गये, यह हुआ।
- अच्छा, इन लक्ष्मी-नारायण को राज्य कहाँ से मिला?
- बरोबर आदि सनातन देवी-देवताओं का राज्य था, इनमें पहला नम्बर लक्ष्मी-नारायण हैं।
- उन्हों को यह स्वर्ग का वर्सा किसने दिया?
- यह प्रजापिता ब्रह्मा भी बैठा है, यह वर्सा लक्ष्मी-नारायण सामने खड़े हैं।
- फिर झाड़ पर ले आओ।
- यहाँ तपस्या कर रहे हैं - राजयोग की।
- इनसे यह लक्ष्मी-नारायण बनते हैं।
- यह समझाना कितना सहज है।
- लक्ष्मी-नारायण के भक्तों को समझाना बहुत सहज है।
- अब अन्दर कोई आते हैं तो कुछ न कुछ शिक्षा जरूर देनी पड़े।
- तुम्हारे द्वारा इन वेश्याओं, भीलनियों आदि का भी उद्धार होना है।
- परन्तु तुम्हारे में अभी वह ताकत नहीं है।
- बाबा ने समझाया है तुम अपने पति को भी भूं भूं करती रहो।
- स्त्री अपने पति से भी पूछ सकती है - तुम अपने लौकिक बाप का नाम बताओ।
- अच्छा, पारलौकिक बाप का नाम बताओ?
- जिसको तुम घड़ी-घड़ी जन्म बाई जन्म याद करते हो, जरूर उनसे कुछ जास्ती मिलता है।
- लक्ष्मी-नारायण को याद करने से तो कुछ मिलता नहीं है।
- बाप आकर तुम्हारी कितनी सेवा करते हैं।
- बिगर मांगे तुमको पढ़ाते हैं।
- कहते हैं - आओ, तुमको स्वर्ग में ले चलें।
- सभी मनोकामनायें पूर्ण करते हैं।
- नर-नारायण का भी चित्र है ना।
- पूजा लक्ष्मी की होती है।
- समझते हैं लक्ष्मी से सम्पत्ति मिलेगी।
- यह सब भक्ति मार्ग की बातें हैं।
- लक्ष्मी (स्त्री) धन कहाँ से लायेगी?
- उनको जरूर पति से मिलता है।
- पुजारी लोग यह कुछ भी नहीं जानते।
- तुम बच्चों को समझाना पड़े।
- तुम भी अभी समझते हो - आगे हम क्या करते थे?
- कुछ भी नहीं समझते थे।
- अब अच्छी रीति जान गये हैं।
- श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी होती है तो
- सवेरे में उनको दूध पिलाते हैं, झूला झुलाते हैं और रात को फिर पूरी-तस्मई (खीर) आदि खिलाते हैं।
- क्या इतने में इतना बड़ा हो गया, जो पूरी तस्मई खाने लायक हो गया!
- यह भी समझने की बातें हैं ना।
- तुम जानते हो यह राधे-कृष्ण ही फिर लक्ष्मी-नारायण बनते हैं।
- शिवबाबा इन्हों को यह पद दिलाते हैं।
- शिव को कभी पूरी-तस्मई आदि नहीं खिलाते।
- उन पर सिर्फ दूध चढ़ाते हैं।
- अब शिवबाबा तो है निराकार, जिसका कोई नाम-रूप नहीं, उन पर दूध आदि चढ़ाने का मतलब क्या है?
- उनको कुछ खिलाते नहीं हैं।
- निराकार है ना, श्रीकृष्ण को रोटी आदि खाने के लिये मुख है।
- शिव पर कुछ नहीं चढ़ाते।
- शंकर पर चढ़ाते हैं, शिव पर नहीं।
- शंकर का तो फिर भी आकार रूप है ना।
- दोनों एक तो हो नहीं सकते।
- अब बाबा कितनी नॉलेज देते हैं।
- कितनी गुप्त बातें हैं।
- तुम गोपिकायें शिवबाबा की हो।
- शिव को फिर बालक भी कहते हैं।
- यह भी शिवबाबा पूछते हैं तुमने शिव को बालक क्यों बनाया है?
- वर्सा बालक को दिया जाता है।
- पहले जब तुम बलि चढ़ो तब ही शिवबाबा बलि चढ़े।
- यह भी है बाप बच्चों पर बलि चढ़ते हैं परन्तु कहते हैं पहले तुमको बलि चढ़ना है, तब मैं चढूँ।
- बलि चढ़ना अर्थात्
- उनको अपना बच्चा बनाना, उनकी पालना करना।
- कितनी वन्डरफुल बातें हैं!
- मातायें हैं ना।
- पुरुष भी शिव बालक को अपना वारिस बनाते हैं।
- शिवबाबा को जादूगर कहते हैं ना।
- लक्ष्मी-नारायण जादूगर नहीं हैं।
- यह बड़ी गुप्त बातें हैं।
- विरला कोई समझ सकते हैं।
- अपरोक्ष भी बतलाते हैं।
- तुम बच्चे अनुभवी हो बाबा ने साक्षात्कार किया, मम्मा ने कोई साक्षात्कार नहीं किया फिर भी मम्मा सबसे तीखी गई।
- सबको तो साक्षात्कार नहीं होगा।
- ऐसे तो बहुतों को साक्षात्कार हुए, आज हैं नहीं।
- साक्षात्कार से कोई कनेक्शन नहीं है।
- यह तो हैं धारण करने और कराने की मीठी बातें।
- जादूगर राझू रमज़बाज तो है ना।
- जादूगर लोग बहुत तीखे-तीखे होते हैं।
- संतरे निकाल दिखाते हैं, सिर काटकर फिर जोड़ देते हैं।
- आगे बहुत जादूगरी दिखाते थे।
- अब बच्चे जान गये हैं बाबा की ही महिमा गाई जाती है।
- तुम्हारी लीला अपरम-अपार है, तुम्हारी गति मत न्यारी है।
- बाप कितनी श्रीमत देते हैं।
- श्रीमत से तुमको श्रेष्ठ देवता बना रहे हैं।
- श्री श्री कहा जाता है निराकार शिवबाबा को।
- लक्ष्मी-नारायण को ऐसा श्रेष्ठ किसने बनाया?
- जरूर उनसे श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ होगा।
- बाबा से हम यह इलम (विद्या) सीखते हैं कि मनुष्य को देवता कैसे बनाया जाए।
- अभी तुम सब सीतायें रावण की जेल में, शोक वाटिका में दु:ख उठा रही हो।
- रामराज्य में कभी शोक होता ही नहीं।
- तो जिससे वर्सा मिलता है उनको याद करना है ना।
- हम आत्मा हैं यह भी मानते हैं।
- पूछो तुम्हारे लौकिक बाप का नाम क्या है?
- पारलौकिक बाप का नाम क्या है?
- बाप को सर्व-व्यापी तो नहीं कहेंगे।
- बाप माना वर्सा।
- बेहद के बाप से बेहद का वर्सा मिलता है।
- अब वह रावण ने छीना हुआ है इसलिए कहा जाता है माया जीते जगत जीत।
- माया पर जीत पानी है।
- मन तो तूफानी घोड़ा है।
- खूब पछाड़ने की कोशिश करेगा।
- बाबा ने अब तुम्हारी बुद्धि का ताला खोल दिया है।
- तुम राइट और रांग को समझ सकते हो।
- तुम समझा सकते हो अब यह दुनिया बदल रही है।
- महाभारी लड़ाई तो जरूर लगनी है, उसमें सब विनाश होंगे।
- यादव मूसलों से अपने ही यादव कुल का विनाश करते हैं।
- पाण्डव कुल की जीत होनी है।
- परन्तु दिखाया है 5 पाण्डव बचे, वह भी पहाडों पर गल मरे।
- बाकी क्या हुआ?
- कुछ नहीं।
- राजयोग सिखाया तो कुछ तो बचे होंगे।
- प्रलय थोड़ेही हो जाती है।
- यह सब बातें तुम अभी जानते हो।
- दिखाते हैं श्रीकृष्ण सागर में पत्ते पर आया।
- श्रीकृष्ण तो गर्भ महल में आते हैं।
- गर्भ जेल में दु:ख होता है।
- सागर तो गर्भ महल है।
- बड़े आराम से बैठा रहता है।
- जन्म-जन्मान्तर से यह गीता का ज्ञान भागवत आदि सुनते आये,
- भक्ति मार्ग के धक्के खाते आये,
- अभी बाप तुमको एक सेकेण्ड में स्वर्ग का मालिक बनाते हैं।
- इसको भावी कहते हैं, परन्तु भावी किसकी?
- भावी ड्रामा की कहेंगे।
- बना-बनाया ड्रामा है ना।
- मनुष्य तो सिर्फ भावी कहते रहते हैं, समझते कुछ भी नहीं।
- तो जब कोई आये पहले-पहले यह बताओ कि दो बाप हैं।
- पारलौकिक बाप स्वर्ग का रचयिता है।
- उसने तो स्वर्ग का वर्सा दिया था।
- आज से 5 हजार वर्ष पहले स्वर्ग था।
- अभी तो नर्क है फिर तुम वर्सा ले सकते हो।
- हम भी बेहद के बाप से वर्सा ले रहे हैं।
- यह भारत भगवान् की जन्म भूमि है।
- जैसे इब्राहम, बुद्ध आदि की अपनी जन्म भूमि है।
- तुम बच्चे जानते हो बाप आये हुए हैं, वर्सा दे रहे हैं।
- तुम बच्चों को रहमदिल बनना है।
- कोई को भी यह समझाना तो बहुत सहज है।
- पारलौकिक बाप की पहचान देनी है।
- पारलौकिक फादर एक ही बार आते हैं।
- उनकी याद से हम स्वर्ग का वर्सा ले रहे हैं।
- बहुत सहज है।
- ऐसी-ऐसी बातें अच्छी रीति धारण करो और समझाओ।
- दान करो।
- पारलौकिक बाप स्वर्ग की राजाई देते हैं।
- लक्ष्मी-नारायण को दी है ना।
- इस सूर्यवंशी लक्ष्मी-नारायण का बाप कौन है?
- हम आपको बताते हैं, स्वर्ग की स्थापना करने वाला फादर अब उन्हों को स्वर्ग की राजाई दे रहे हैं।
- बाकी आशीर्वाद क्या करेंगे। अच्छा!
- मीठे-मीठे सिकीलधे लक्की ज्ञान सितारों प्रति मात-पिता बापदादा का नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
- 1) राइट और रांग को समझ बुद्धि बल से मन रूपी तूफानी घोड़े को वश करके मायाजीत, जगतजीत बनना है। हार नहीं खानी है।
- 2) शिव को बालक बनाकर उनकी पालना करनी है अर्थात् पहले उन्हें अपना वारिस बनाना है। उन पर पूरा बलि चढ़ना है।
- वरदान:-
- ( All Blessings of 2021-22)
- उमंग-उत्साह द्वारा विघ्नों को समाप्त करने वाले बाप समान समीप रत्न भव
- बच्चों के दिल में जो उमंग-उत्साह है कि
- मैं बाप समान समीप रत्न बन सपूत बच्चे का सबूत दूँ -
- यह उमंग-उत्साह उड़ती कला का आधार है।
- यह उमंग कई प्रकार के आने वाले विघ्नों को समाप्त कर सम्पन्न बनने में सहयोग देता है।
- यह उमंग-उत्साह का शुद्ध और दृढ़ संकल्प
- विजयी बनाने में विशेष शक्तिशाली शस्त्र बन जाता है इसलिए
- दिल में सदा उमंग-उत्साह को वा इस उड़ती कला के साधन को कायम रखना।
- स्लोगन:-
- (All Slogans of 2021-22)
- जैसे तपस्वी सदा आसन पर बैठते हैं ऐसे आप
- एकरस अवस्था के आसन पर विराजमान रहो।
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