04-04-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

“मीठे बच्चे - गृहस्थ व्यवहार में रहते पारलौकिक बाप से पूरा वर्सा लेना है, तो अपना सब कुछ एक्सचेंज कर दो, यह बहुत बड़ा व्यापार है''

प्रश्नः-

ड्रामा का ज्ञान किस बात में तुम बच्चों को बहुत मदद करता है?

उत्तर:-

जब शरीर की कोई बीमारी आती है तो ड्रामा का ज्ञान बहुत मदद करता है क्योंकि तुम जानते हो यह ड्रामा हूबहू रिपीट होता है। इसमें रोने पीटने की कोई बात नहीं। कर्मों का हिसाब-किताब चुक्तू होना है। 21 जन्मों के सुख की भेंट में यह दु:ख कुछ भी भासता नहीं। ज्ञान पूरा नहीं तो तड़फते हैं।

  1. ओम् शान्ति। भगवानुवाच। भगवान् उनको कहा जाता है जिसको अपना शरीर नहीं है।
    1. ऐसे नहीं कि भगवान् का नाम, रूप, देश, काल नहीं है।
    2. नहीं, भगवान् को शरीर नहीं है।
      1. बाकी सब आत्माओं को अपना-अपना शरीर है।
  2. अब बाप कहते हैं मीठे-मीठे रूहानी बच्चे, अपने को आत्मा समझकर बैठो।
    1. वैसे भी आत्मा ही सुनती है, पार्ट बजाती है, शरीर द्वारा कर्म करती है।
    2. संस्कार आत्मा ले जाती है।
    3. अच्छे बुरे कर्मों का फल भी आत्मा ही भोगती है, शरीर के साथ।
    4. बिगर शरीर के तो कोई भोगना भोग नहीं सकती इसलिए बाप कहते हैं अपने को आत्मा समझ बैठो।
      1. बाबा हमको सुनाते हैं।
    5. हम आत्मा सुन रही हैं इस शरीर द्वारा।
  3. भगवानुवाच मन्मनाभव।
    1. देह सहित देह के सब धर्मों को त्याग अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।
    2. यह एक ही बाप कहते हैं, जो गीता का भगवान हैं।
    3. भगवान् माना ही जन्म-मरण रहित।
      1. बाप समझाते हैं - मेरा जन्म अलौकिक है।
      2. और कोई ऐसे जन्म नहीं लेते हैं, जैसे मैं इनमें प्रवेश करता हूँ।
        1. यह तो अच्छी रीति याद करना चाहिए।
    4. ऐसे नहीं, सब कुछ भगवान् करता है, पूज्य-पुजारी, ठिक्कर-भित्तर परमात्मा है।
      1. 24 अवतार, कच्छ-मच्छ अवतार, परशुराम अवतार दिखाते हैं।
    5. अभी समझ में आता है कि क्या भगवान् बैठ परशुराम अवतार लेंगे और कुल्हाड़ा लेकर हिंसा करेंगे!
      1. यह रांग है।
  4. जैसे परमात्मा को सर्वव्यापी कह दिया है, ऐसे कल्प की आयु लाखों वर्ष लिख दी है, इसको कहा जाता है घोर अन्धियारा अर्थात् ज्ञान नहीं है।
    1. ज्ञान से होता है सोझरा।
    2. अब अज्ञान का घोर अन्धियारा है।
    3. अब तुम बच्चे घोर सोझरे में हो।
    4. तुम सबको अच्छी रीति जानते हो।
    5. जो नहीं जानते हैं वह पूजा आदि करते रहते हैं।
      1. तुम सबको जान गये हो इसलिए तुमको पूजा करने की दरकार नहीं।
      2. तुम अभी पुजारीपन से मुक्त हुए।
  5. पूज्य देवी-देवता बनने के लिए तुम पुरूषार्थ कर रहे हो।
    1. तुम ही पूज्य देवी-देवता थे फिर पुजारी मनुष्य बने हो।
      1. मनुष्य में हैं आसुरी गुण इसलिए गायन है - मनुष्य को देवता बनाया।
      2. मनुष्य को देवता किये करत न लागी वार.... एक सेकण्ड में देवता बना देते हैं।
  6. बाप को पहचाना और शिवबाबा कहने लगा।
    1. बाबा कहने से दिल में आता है कि हम विश्व के, स्वर्ग के मालिक बनते हैं।
    2. यह है बेहद का बाप।
    3. अभी तुम फट से आकर पारलौकिक बाप के बने हो।
      1. बाप फिर कहते हैं गृहस्थ व्यवहार में रहते हुए अब पारलौकिक बाप से वर्सा ले लो।
      2. लौकिक वर्सा तो तुम लेते आये हो, अब लौकिक वर्से को पारलौकिक वर्से के साथ एक्सचेंज करो।
        1. कितना अच्छा व्यापार है!
        2. लौकिक वर्सा क्या होगा?
      3. यह है बेहद का वर्सा, सो भी गरीब झट ले लेते हैं।
        1. गरीबों को एडाप्ट करते हैं।
        2. बाप भी गरीब निवाज़ है ना।
        3. गायन है मैं गरीब निवाज़ हूँ।
        4. भारत सबसे गरीब है।
        5. मैं आता भी भारत में हूँ, इनको आकर साहूकार बनाता हूँ।
  7. भारत की महिमा बहुत भारी है।
    1. यह सबसे बड़ा तीर्थ है।
    2. परन्तु कल्प की आयु लम्बी कर देने से बिल्कुल भूल गये हैं।
    3. समझते हैं भारत बहुत साहूकार था, अब गरीब बना है।
      1. आगे अनाज आदि सब यहाँ से विलायत में जाता था।
    4. अभी समझते हैं भारत बहुत गरीब है इसलिए मदद देते हैं।
    5. ऐसे होता है - जब कोई बड़ी आसामी फेल हो जाती है तो आपस में फैंसला कर उनको मदद देते हैं।
    6. यह भारत है सबसे प्राचीन।
    7. भारत ही हेविन था।
    8. पहले-पहले आदि सनातन देवी-देवता धर्म था।
    9. सिर्फ टाइम लम्बा कर दिया है इसलिए मूँझते हैं।
    10. भारत को मदद भी कितनी देते हैं।
    11. बाप को भी भारत में ही आना है।
  8. तुम बच्चे जानते हो हम बाप से वर्सा ले रहे हैं।
    1. लौकिक बाप का वर्सा एक्सचेंज करते हैं पारलौकिक से।
    2. जैसे इसने (ब्रह्मा ने) किया।
    3. देखा, पारलौकिक बाप से तो ताज़-तख्त मिलता है - कहाँ वह बादशाही, कहाँ यह गदाई।
  9. कहा भी जाता है फालो फादर।
    1. भूख मरने की तो बात ही नहीं।
    2. बाप कहते हैं ट्रस्टी होकर सम्भालो।
    3. बाप आकर सहज रास्ता बताते हैं।
  10. बच्चों ने बहुत तकल़ीफ देखी है तब तो बाप को बुलाते हैं - हे परमपिता परमात्मा, रहम करो।
    1. सुख में कोई भी बाप को याद नहीं करते, दु:ख में सिमरण सब करते हैं।
    2. अब बाप बतलाते हैं कि कैसे सिमरण करो।
    3. तुमको तो सिमरण करना भी आता नहीं है।
    4. मैं ही आकर तुमको बतलाता हूँ।
      1. बच्चे अपने को आत्मा समझो और पारलौकिक बाप को याद करो तो तुम्हारे पाप कट जायेंगे।
      2. सिमर-सिमर सुख पाओ, कलह क्लेष मिटे तन के।
        1. जो भी शरीर के दु:ख हैं, सब मिट जायेंगे।
        2. तुम्हारी आत्मा और शरीर दोनों पवित्र बन जायेंगे।
  11. तुम ऐसे कंचन थे।

    1. फिर पुनर्जन्म लेते-लेते आत्मा पर जंक चढ़ जाती है, फिर शरीर भी पुराना मिलता है।
    2. जैसे सोने में अलाए डाला जाता है।
    3. पवित्र सोने का जेवर भी पवित्र होगा।
    4. उसमें चमक होती है।
    5. अलाए वाला जेवर काला हो जायेगा।
      1. बाप कहते हैं तुम्हारे में भी खाद पड़ी है, उसको अब निकालना है।
      2. कैसे निकलेगी?
      3. बाप से योग लगाओ।
      4. पढ़ाने वाले के साथ योग लगाना होता है ना।
      5. यह तो बाप, टीचर, गुरू सब कुछ है।
      6. उनको याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे और वह तुमको पढ़ाते भी हैं।
      7. पतित-पावन सर्वशक्तिमान् तुम मुझे ही कहते हो।
      8. कल्प-कल्प बाप ऐसे ही समझाते हैं।
  12. मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चे, 5 हज़ार वर्ष के बाद आकर तुम मिले हो इसलिए तुमको सिकीलधे कहा जाता है।
    1. अब इस देह का अहंकार छोड़ आत्म-अभिमानी बनो।
    2. आत्मा का भी ज्ञान दे दिया, जो बाप बिगर कोई दे न सके।
      1. कोई मनुष्य नहीं, जिसको आत्मा का ज्ञान हो।
      2. संन्यासी उदासी गुरू गोसाई कोई भी नहीं जानते।
        1. अब वह त़ाकत नहीं रही है।
        2. सबकी त़ाकत कम हो गई है।
        3. सारा झाड़ जड़जड़ीभूत अवस्था को पाया हुआ है।
        4. अब फिर नई स्थापना होती है।
  13. बाप आकर वैराइटी झाड़ का राज़ समझाते हैं।
    1. कहते हैं पहले तुम राम राज्य में थे, फिर जब तुम वाम मार्ग में जाते हो तो रावण राज्य शुरू होता है फिर और-और धर्म आते हैं।
    2. भक्ति मार्ग शुरू होता है।
      1. आगे तुम नहीं जानते थे।
      2. कोई से भी जाकर पूछो - तुम रचयिता और रचना के आदि, मध्य, अन्त को जानते हो?
      3. तो कोई भी नहीं बतायेंगे।
      4. बाप भक्तों को कहते हैं अब तुम जज करो।
      5. बोर्ड पर भी लिख दो - एक्टर होकर ड्रामा के डायरेक्टर, क्रियेटर, प्रिन्सीपल एक्टर को नहीं जानते तो ऐसे एक्टर को क्या कहेंगे?
      6. हम आत्मा यहाँ भिन्न-भिन्न शरीर लेकर पार्ट बजाने आते हैं तो जरूर यह नाटक है ना।
  14. गीता है माता, बाप है शिव।
    1. बाकी सब हैं रचना।
    2. गीता नई दुनिया को क्रियेट करती है।
    3. यह भी किसको मालूम नहीं कि नई दुनिया को कैसे क्रियेट करते हैं।
    4. नई दुनिया में पहले-पहले तुम ही हो।
    5. अभी यह है पुरूषोत्तम संगमयुगी दुनिया।
    6. यह पुरानी दुनिया भी नहीं है तो नई दुनिया भी नहीं है।
    7. यह है ही संगम। ब्राह्मणों की चोटी है।
    8. विराट रूप में भी न शिवबाबा को दिखाते हैं, न ब्राह्मण चोटी दिखाते हैं।
    9. तुमने तो चोटी भी दिखाई है ऊपर में।
    10. तुम ब्राह्मण बैठे हो।
    11. देवताओं के पीछे हैं क्षत्रिय।
    12. द्वापर में पेट के पुजारी, फिर शूद्र बनते हैं।
    13. यह बाजोली है।
    14. तुम सिर्फ बाजोली को याद करो।
    15. यही तुम्हारे लिए 84 जन्मों की यात्रा है।
    16. सेकण्ड में सब याद आ जाता है।
      1. हम ऐसे चक्र लगाते हैं।
      2. यह राइट चित्र है, वह रांग है।
      3. बाप बिगर राइट चित्र कोई बनवा न सके।
      4. इन द्वारा बाप समझाते हैं।
      5. तुम ऐसे-ऐसे बाजोली खेलते हो।
      6. सेकण्ड में तुम्हारी यात्रा होती है।
      7. कोई तकलीफ की बात नहीं।
      8. रूहानी बच्चे समझते हैं बाप हमको पढ़ाते हैं।
      9. यह सतसंग है सत बाप के साथ।
      10. वह है झूठ संग।
      11. सचखण्ड बाप स्थापन करते हैं।
      12. मनुष्य की त़ाकत नहीं है।
      13. भगवान् ही कर सकते हैं।
      14. भगवान को ही ज्ञान का सागर कहा जाता है।
      15. मनुष्य यह भी नहीं जानते कि यह परमात्मा की महिमा है।
      16. वह शान्ति का सागर तुमको शान्ति दे रहा है।
  15. सुबह को भी तुम ड्रिल करते हो।
    1. शरीर से न्यारा हो बाप की याद में रहते हो।
    2. यहाँ तुम आये हो जीते जी मरने।
    3. बाप पर न्योछावर होते हो।
    4. यह तो पुरानी दुनिया, पुराना चोला है, इनसे जैसे ऩफरत आती है, इनको छोड़कर जायें।
    5. कुछ भी याद न आये।
    6. सब-कुछ भूला हुआ है।
  16. तुम कहते भी हो भगवान् ने सब कुछ दिया है, तो अब उनको दे दो।
    1. भगवान् फिर तुमको कहते हैं तुम ट्रस्टी बनो।
    2. भगवान् ट्रस्टी नहीं बनेगा।
    3. ट्रस्टी तुम बनते हो।
    4. फिर पाप तो करेंगे नहीं।
    5. आगे पाप आत्माओं की पाप आत्माओं से लेन-देन होती आई है।
    6. अब संगमयुग पर तुम्हारी पाप आत्माओं से लेन-देन नहीं है।
    7. पाप आत्माओं को दान किया तो पाप सिर पर चढ़ जायेगा।
  17. करते हो ईश्वर अर्थ और देते हो पाप आत्मा को।
    1. बाप कुछ लेते थोड़ेही हैं।
      1. बाप कहेंगे जाकर सेन्टर खोलो तो बहुतों का कल्याण होगा।
  18. बाप समझाते हैं जो कुछ होता है हूबहू ड्रामा अनुसार रिपीट होता ही रहता है।
    1. फिर इसमें रोने पीटने दु:ख करने की बात ही नहीं।
    2. कर्मों का हिसाब-किताब चुक्तू होना तो अच्छा ही है।
      1. वैद्य लोग कहते हैं - बीमारी सारी उथल खायेगी।
      2. बाप भी कहते हैं रहा हुआ हिसाब-किताब चुक्तू करना है।
      3. या तो योग से या फिर सजाओं से चूक्तू करना पड़े।
      4. सजायें तो बहुत कड़ी हैं।
      5. उनसे बीमारी आदि में चुक्तू होता तो बहुत अच्छा।
      6. वह दु:ख 21 जन्मों के सुख की भेंट में भासता नहीं है क्योंकि सुख बहुत है।
        1. ज्ञान पूरा नहीं है तो बीमारी में कुड़कते (तड़फते) रहते हैं।
        2. बीमार पड़ते हैं तो भगवान् को बहुत याद करते हैं।
        3. वह भी अच्छा है।
        4. एक को ही याद करना है।
        5. वह भी समझाते रहते हैं।
  19. वो लोग गुरूओं को याद करते हैं, अनेक गुरू हैं।
    1. एक सतगुरू को तो तुम ही जानते हो।
    2. वह ऑलमाइटी अथॉरिटी है।
    3. बाप कहते हैं - मैं इन वेदों ग्रंथों आदि को जानता हूँ।
    4. यह भक्ति की सामग्री है, इनसे कोई मुझे प्राप्त नहीं करता है।
    5. बाप आते ही हैं पाप आत्माओं की दुनिया में।
    6. यहाँ पुण्य आत्मा कहाँ से आई।
  20. जिसने पूरे 84 जन्म लिए हैं, उनके शरीर में आता हूँ।
    1. सबसे पहले यह सुनते हैं।
  21. बाबा कहते हैं यहाँ तुम्हारी याद की यात्रा अच्छी होती है।
    1. यहाँ भल त़ूफान भी आयेंगे परन्तु बाप समझाते रहते हैं कि अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।
    2. कल्प पहले भी तुमने ऐसे ही ज्ञान सुना था।
    3. दिन-प्रतिदिन तुम सुनते रहते हो।
    4. राजधानी स्थापन होती रहती है।
    5. पुरानी दुनिया का विनाश भी होना ही है।

अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

       

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) सवेरे-सवेरे उठ शरीर से न्यारा होने की ड्रिल करनी है। पुरानी दुनिया, पुराना चोला कुछ भी याद न आये। सब कुछ भूला हुआ हो।

2) संगमयुग पर पाप आत्माओं से लेन-देन नहीं करनी है। कर्मों का हिसाब-किताब खुशी-खुशी से चुक्तू करना है। रोना पीटना नहीं है। सब कुछ बाप पर न्योछावर कर फिर ट्रस्टी बन सम्भालना है।

( All Blessings of 2021-22)

महसूसता की शक्ति द्वारा स्व परिवर्तन करने वाले तीव्र पुरुषार्थी भव

कोई भी परिवर्तन का सहज आधार महसूसता की शक्ति है। जब तक महसूसता की शक्ति नहीं आती तब तक अनुभूति नहीं होती और जब तक अनुभूति नहीं तब तक ब्राह्मण जीवन की विशेषता का फाउण्डेशन मजबूत नहीं। उमंग-उत्साह की चाल नहीं। जब महसूसता की शक्ति हर बात का अनुभवी बनाती है तब तीव्र पुरुषार्थी बन जाते हो। महसूसता की शक्ति सदाकाल के लिए सहज परिवर्तन करा देती है।

    (All Slogans of 2021-22)

    स्नेह के स्वरूप को साकार में इमर्ज कर ब्रह्मा बाप समान बनो।

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