27-03-2024 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

“मीठे बच्चे - सत्य सुनाने वाला एक बाप है, इसलिए बाप से ही सुनो, मनुष्यों से नहीं, एक बाप से सुनने वाला ही ज्ञानी है''

प्रश्नः-

जो आत्मायें अपने देवी-देवता घराने की होंगी, उनकी मुख्य निशानी क्या होगी?

उत्तर:-

उन्हें यह ज्ञान बहुत अच्छा और मीठा लगेगा। वह मनुष्य मत को छोड़ ईश्वरीय मत पर चलने लग पड़ेंगे। बुद्धि में आयेगा कि श्रीमत से ही हम श्रेष्ठ बनेंगे। अभी यह पुरूषोत्तम संगमयुग चल रहा है, हमें ही उत्तम पुरूष बनना है।

  1. ओम् शान्ति। मीठे-मीठे रूहानी बच्चे आत्म-अभिमानी भव।
    1. देह का अभिमान छोड़ अपने को आत्मा समझो।
  2. यह भी जानते हो परमात्मा एक है।
    1. ब्रह्मा को परमात्मा नहीं कहा जाता है।
      1. ब्रह्मा के 84 जन्मों की कहानी को तुम जानते हो।
      2. उनका यह है अन्तिम जन्म।
      3. मुझे आना भी इसमें ही होता है, जिसने पूरे 84 जन्म लिए हैं, उनको ही बताता हूँ।
      4. तुम 84 जन्मों को नहीं जानते हो, मैं ही तुमको बताता हूँ।
  3. पहले-पहले तुम यह देवी-देवता थे।
    1. अब यह बनने लिए फिर पुरूषार्थ करना है।
    2. पुनर्जन्म तो पहले जन्म से ही शुरू होता है।
  4. अब बाप कहते हैं - मैं जो तुमको सुनाता हूँ, वह है राइट।
    1. बाकी जो कुछ तुमने सुना है, वह है रांग।
      1. मुझे कहते हैं ट्रूथ, सत्य बोलने वाला।
      2. मैं सत्य धर्म की स्थापना करने आता हूँ।
      3. कहा जाता है सच तो बिठो नच अर्थात् सच्चे हो तो खुशी में डांस करो।
        1. यह है ज्ञान डांस।
          1. वो लोग श्रीकृष्ण को दिखाते हैं - मुरली बजाई, रास किया।
      4. वह हैं सच खण्ड के मालिक।
      5. लेकिन इनको भी बनाने वाला कौन?
      6. सचखण्ड की स्थापना करने वाला कौन?
      7. वह है सचखण्ड, यह है झूठ खण्ड।
        1. भारत सचखण्ड था, जब इन लक्ष्मी-नारायण का राज्य था, उस समय और कोई खण्ड नहीं था।
  5. मनुष्य यह नहीं जानते कि स्वर्ग कहाँ है?
    1. कोई मरते हैं तो कहते हैं स्वर्गवासी हुआ।
      1. बाप समझाते हैं तुम उल्टे लटक पड़े हो।
      2. माया के अधीन हो पड़े हो।
      3. अब तुमको बाप आकर सुल्टा बनाते हैं।
  6. तुम जानते हो भक्तों को भक्ति का फल देने वाला है भगवान्।
    1. इस समय सब भक्ति में हैं।
    2. जो भी शास्त्र आदि हैं, सब हैं भक्ति मार्ग के।
    3. यह गीत गाना आदि सब है भक्ति मार्ग।
    4. ज्ञान मार्ग में भजन होता नहीं।
      1. तुम जानते हो हमको आवाज़ से परे जाना है, वापिस जाना है।
      2. बाप कहते हैं - मीठे बच्चों, मुख से ‘हे भगवान्' भी कभी नहीं कहना।
      3. यह भी भक्ति मार्ग है।
      4. कलियुग के अन्त तक भक्ति मार्ग चलता है।
  7. अब यह है पुरूषोत्तम संगमयुग, जबकि बाप आकर ज्ञान से तुमको उत्तम पुरूष बनाते हैं।
    1. तुम एक ईश्वरीय मत पर चलो।
      1. जो ईश्वर कहते हैं वह राइट।
      2. बाबा मनुष्य तन में आकर सुनाते हैं - तुम कितने समझदार थे, अब कितना बेसमझ बन पड़े हो।
      3. तुम गोल्डन एज में थे, अब आइरन एज में आ गये हो।
  8. यहाँ का जो होगा उनको यह ज्ञान बहुत अच्छा लगेगा।
    1. यहाँ वालों को मीठा लगेगा।
    2. यह बाबा खुद भी गीता पढ़ते थे।
    3. बाबा मिला तो सब-कुछ छोड़ दिया।
    4. गुरू भी बहुत किये।
    5. बाप ने कहा - यह सब भक्ति मार्ग के गुरू हैं।
      1. ज्ञान मार्ग का गुरू मैं एक ही हूँ।
      2. ज्ञान जब मेरे से सुनें तब उनको ज्ञानी कह सकते हैं।
        1. बाकी सब हैं भक्त।
  9. श्रीमत ही श्रेष्ठ है, बाकी सब है मनुष्य मत, यह है ईश्वरीय मत।
    1. वह है रावण मत, यह है भगवान् की मत।
  10. भगवानुवाच - तुम कितने महान् भाग्यशाली हो, इसलिए तुम्हारा हीरे जैसा जन्म अभी है।
    1. अंगूठी में भी हीरा बीच में डालते हैं।
    2. माला में ऊपर फूल होता है, फिर मेरू।
    3. नाम भी है आदम-बीबी।
      1. तुम कहेंगे मम्मा-बाबा।
      2. आदि देव और आदि देवी, यह हैं संगम के।
  11. संगमयुग ही सबसे उत्तम है, जबकि इस राज्य की स्थापना हो रही है।
    1. तुम बच्चों को 16 कला सम्पूर्ण यहाँ बनना है।
    2. पुरानी दुनिया को नया बनाने बाप आते हैं।
  12. इस दुनिया का ड्युरेशन कितना है - यह भी तुम बच्चों के सिवाए कोई नहीं जानते।
    1. लाखों वर्ष कह देते हैं।
      1. यह सब हैं झूठी बातें।
      2. झूठी माया, झूठी काया... कहा जाता है।
      3. सच्ची-सच्ची है ही नई दुनिया।
      4. यह है झूठ खण्ड।
      5. फिर झूठखण्ड को सचखण्ड बनाना बाप का ही काम है।
  13. बाप कहते हैं भक्ति मार्ग में जो कुछ पढ़ा है, वह सब भूलो।
    1. यह है तुम्हारा बेहद का वैराग्य।
      1. वो तो सिर्फ घरबार छोड़ फिर इस दुनिया में, जंगल में चले जाते हैं।
        1. यह भी ड्रामा में नूँध है।
        2. क्यों का सवाल नहीं उठता।
        3. यह तो बना-बनाया खेल है।
          1. तुम बच्चों को बाप समझाते हैं, ऐसे-ऐसे होता है।
  14. और जो भी धर्म वाले हैं वह स्वर्ग में नहीं आ सकते।
    1. बौद्ध डिनायस्टी, क्रिश्चियन डिनायस्टी कोई भी स्वर्ग में नहीं आते हैं।
    2. वह पीछे आते हैं।
    3. पहले-पहले है डीटी डिनायस्टी, फिर इब्राहम, बुद्ध, क्राइस्ट आकर अपना धर्म स्थापन करते हैं।
    4. बाबा पुरूषोत्तम संगमयुग पर आकरके यह डीटी डिनायस्टी स्थापन करते हैं।
  15. कोई भी आत्मा आती तो गर्भ में ही है।
    1. छोटा बच्चा सो बड़ा हुआ।
    2. शिवबाबा तो छोटा-बड़ा नहीं होता।
      1. न वह गर्भ से जन्म लेता है।
      2. बुद्ध की आत्मा ने प्रवेश किया, बुद्ध धर्म पहले तो होता नहीं।
        1. जरूर यहाँ के कोई मनुष्य में प्रवेश करेंगे।
        2. फिर गर्भ में तो जरूर जायेंगे।
        3. बुद्ध धर्म एक ने ही स्थापन किया फिर उनके पीछे और आते गये।
        4. फिर वृद्धि होती गई।
        5. जब लाखों हो जाते हैं तो फिर राजाई चलती है।
        6. बौद्धियों का भी राज्य था, बाप समझाते हैं यह सब पीछे आते हैं।
        7. उनको गुरू नहीं कहा जाता है।
          1. गुरू होता है एक।
        8. वह तो अपने धर्म की स्थापना कर फिर नीचे आ जाते हैं।
        9. बाप ने सबको ऊपर भेज दिया था फिर मुक्ति-धाम से एक-एक करके नीचे आते हैं।
          1. तुम भी जीवनमुक्ति से नीचे आते हो।
          2. वैसे वह फिर मुक्ति से नीचे आते हैं।
          3. उनकी महिमा काहे की।
  16. ज्ञान तो उस समय प्राय:लोप हो जाता है।
    1. बाप ज्ञान देते हैं गति-सद्गति के लिए।
    2. वह गर्भ में नहीं आते, इसमें बैठे हैं, इनका दूसरा नाम नहीं।
    3. औरों के शरीरों का नाम है।
    4. यह है ही परम आत्मा
      1. यह ज्ञान का सागर है।
    5. यह ज्ञान पहले आदि सनातन देवी-देवता धर्म वाली आत्माओं को मिलता है क्योंकि उन्हें ही भक्ति का फल मिलना है।
    6. भक्ति तुम ही शुरू करते हो।
    7. तुमको ही फल देता हूँ।
    8. बाकी दूसरे सब हैं बाईप्लाट।
    9. वह 84 जन्म भी नहीं लेते हैं।
  17. बाप समझाते हैं - बच्चे, तुम अब देही-अभिमानी बनो।
    1. वहाँ भी समझते हैं - एक शरीर छोड़ दूसरा लेंगे, दु:ख की बात नहीं।
      1. विकारों की बात नहीं।
        1. विकार होते हैं रावण राज्य में।
        2. वह है निर्विकारी दुनिया।
  18. तुम समझायेंगे फिर भी मानते नहीं हैं।
    1. कल्प पहले मिसल जो मानते हैं, वही पद पाते हैं, जो नहीं मानते है वह नहीं पाते हैं।
  19. सतयुग में सभी पवित्र, सुख, शान्ति में रहते हैं।
    1. सब मनोकामनायें 21 जन्म के लिए पूरी हो जाती हैं।
      1. सतयुग में कोई कामना नहीं।
      2. अनाज आदि सब-कुछ अथाह मिल जाता है।
      3. यह बाम्बे पहले नहीं थी।
      4. देवतायें खारे जमीन पर नहीं रहते हैं।
      5. मीठी नदियां जहाँ थी, वहाँ देवतायें थे।
      6. मनुष्य थोड़े थे, एक-एक को बहुत जमीन होती है।
  20. दिखाते हैं - सुदामा ने दो मुट्ठी चावल दिये, महल मिल गये।
    1. मनुष्य दान पुण्य करते हैं ईश्वर अर्थ।
      1. अब वह कोई भिखारी है क्या?
      2. ईश्वर तो दाता है।
      3. समझते हैं ईश्वर दूसरे जन्म में बहुत कुछ देगा।
      4. तुम दो मुट्ठी देते हो, नई दुनिया में बहुत कुछ लेते हो।
  21. तुम खर्चा करके सेन्टर आदि बनाते हो, सबको शिक्षा मिले।
    1. अपना धन खर्च करते हो फिर राजाई भी तुम ही लेते हो।
  22. बाप कहते हैं मैं ही तुमको अपना परिचय देता हूँ।
    1. मेरा परिचय कोई को है नहीं।
    2. न मैं किस तन में आता हूँ।
    3. मैं आता ही एक बार हूँ।
    4. जब पतित दुनिया को चेन्ज करना है।
    5. मैं हूँ ही पतित-पावन।
    6. मेरा पार्ट ही संगमयुग पर है, सो भी एक्यूरेट समय पर आता हूँ।
    7. तुमको यह थोड़ेही पता पड़ता है कि शिवबाबा इनमें कब प्रवेश होता है।
      1. श्रीकृष्ण की तिथि तारीख, मिनट, घड़ियां लिखते हैं।
    8. इनका कोई मिनट आदि नहीं निकाल सकते।
      1. यह ब्रह्मा भी नहीं जानते थे।
      2. जब नॉलेज सुनाई तब मालूम पड़ा।
        1. कशिश होती है।
        2. इसमें तो कट चढ़ी हुई थी।
        3. जब परमपिता परमात्मा ने प्रवेश किया तो तुमको कशिश हुई और तुम भागे।
          1. कोई भी तुमने परवाह नहीं की।
  23. बाप कहते हैं मैं तो सम्पूर्ण पवित्र हूँ।
    1. तुम आत्माओं पर कट चढ़ी हुई है, अब वह कैसे निकले?
    2. ड्रामा में सब आत्माओं को अपना-अपना पार्ट मिला हुआ है।
      1. यह बहुत गुह्य बात हैं।
  24. आत्मा कितनी छोटी है।
    1. दिव्य दृष्टि के बिगर उनको कोई देख न सके। बाप आकर तुमको ज्ञान का तीसरा नेत्र देते हैं।
    2. तुम जानते हो हम आत्माओं को ही बाप पढ़ाते हैं।
    3. भक्ति मार्ग में तो ज्ञान है आटे में नमक।
      1. जैसे भगवानुवाच अक्षर राइट है, फिर श्रीकृष्ण कहने से रांग हो जाता है।
      2. मनमनाभव अक्षर ठीक है परन्तु अर्थ नहीं समझते।
      3. मामेकम् अक्षर राइट है।
      4. यह है गीता का एपक (युग)।
      5. भगवान् इस समय ही इस रथ में आते हैं, उन्होंने दिखाया है घोड़ा गाड़ी, उसमें श्रीकृष्ण बैठा है।
      6. अब कहाँ भगवान् का यह रथ, कहाँ घोड़ा गाड़ी!
      7. कुछ भी समझते नहीं।
      8. यह बेहद के बाप का घर है।
        1. बाप सब आत्माओं (बच्चों) को 21 जन्मों के लिए हेल्थ, वेल्थ, हैप्पीनेस देते हैं।
        2. यह भी अनादि अविनाशी बना बनाया ड्रामा है।
        3. कब शुरू हुआ, कह नहीं सकते।
        4. चक्र फिरता ही रहता है।
        5. इस संगम का तो किसको मालूम ही नहीं।
        6. बाप बतलाते हैं यह ड्रामा 5 हजार वर्ष का है।
        7. आधा में सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी, आधा में अर्थात् 2500 वर्ष में बाकी और सब धर्म।
        8. तुम जानते हो सतयुग में है ही वाइसलेस वर्ल्ड।
        9. तुम अभी योगबल से विश्व की राजाई लेते हो।
        10. क्रिश्चियन लोग खुद समझते हैं - हमको कोई प्रेर रहा है, जो हम विनाश के लिए यह सब कुछ बनाते हैं।
        11. कहते हैं हम ऐसे बाम्ब्स बनाते हैं जो एक दुनिया तो क्या 10 दुनिया खत्म कर सकते हैं।
        12. बाप कहते हैं मैं हेविन स्थापन करने आया हूँ।
        13. बाकी विनाश तो यह करेंगे।
          • अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

  • धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) बेहद का वैरागी बन जो कुछ अब तक भक्ति में पढ़ा वा सुना है, वह सब भूलना है। एक बाप से सुनकर, उनकी श्रीमत से स्वयं को श्रेष्ठ बनाना है।

2) जैसे बाप सम्पूर्ण पवित्र है, उस पर कोई कट (जंक) नहीं। ऐसे पवित्र बनना है। ड्रामा के हर पार्टधारी का एक्यूरेट पार्ट है, इस गुह्य रहस्य को भी समझकर चलना है।

बाप और वरदाता इस डबल सम्बन्ध से डबल प्राप्ति करने वाले सदा शक्तिशाली आत्मा भव

सर्व शक्तियां बाप का वर्सा और वरदाता का वरदान हैं। बाप और वरदाता - इस डबल संबंध से हर एक बच्चे को यह श्रेष्ठ प्राप्ति जन्म से ही होती है। जन्म से ही बाप बालक सो सर्व शक्तियों का मालिक बना देता है। साथ-साथ वरदाता के नाते से जन्म होते ही मास्टर सर्वशक्तिवान बनाए “सर्वशक्ति भव'' का वरदान दे देता है। तो एक द्वारा यह डबल अधिकार मिलने से सदा शक्तिशाली बन जाते हो।

    (All Slogans of 2021-22)

    • देह और देह के साथ पुराने स्वभाव, संस्कार वा कमजोरियों से न्यारा होना ही विदेही बनना है।


    • हम सबकी अति स्नेही, बापदादा के दिल पर राज्य करने वाली, अपने जीवन वा कर्तव्यों द्वारा गुणदान करने वाली, सदा विदेही स्थिति में रह, ट्रस्टी बन यज्ञ रक्षक बनने और बनाने वाली दादी जानकी जी का आज पुण्य स्मृति दिवस है, वे 27 मार्च 2020 को अव्यक्तवतन वासी बनीं,
    • उनके द्वारा मिली हुई अनमोल शिक्षायें सदा हम सबके कानों में गूंजती रहती हैं:-
    • 1) अपने ऊपर आशीर्वाद करनी है तो सूक्ष्म अभिमान को परखकर उसे जल्दी से खत्म कर दो।

      2) अपनी अवस्था को ऐसा अचल-अडोल बना लो तो समय, संकल्प जरा भी व्यर्थ न जाये।

      3) दुनिया के दु:ख दर्द दूर करने के लिए इनोसेंट और मीठे बनो, माँ समान पालना दो।

      4) अधिक सोचने, बोलने और चिंता करने से शक्ति खर्च होती है, साइलेन्स में रहो तो शक्ति जमा हो।

      5) परचिंतन व नफरत की निगाह को खत्म कर स्व-चिंतन और प्रभु चिंतन करो।

      6) खुशनसीब व ब्लिसफुल रहना है तो बाबा की ब्लैसिंग लेते चलो।

      7) किसी की गलती चित्त पर न हो, चित्त साफ रखो तो चैन से रहेंगे।

      8) तपस्वी बनने के लिए त्यागी बनो, जरा भी इच्छा व आसक्ति न हो।

      9) अपनी स्थिति ऊंची बनानी है तो याद में रहने का गुप्त अभ्यास करते रहो, साधारण बोलने व सुनने की आदत न हो।

      10) अपनी सतोगुणी दृष्टि वृत्ति द्वारा आपस में सतोगुणी व्यवहार से अपनी सम्पूर्णता को समीप लाओ।

      11) अन्तर्मुखी बन जाओ तो आठों ही शक्तियां सखी के रूप में साथी और सहयोगी बन जायेंगी।

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