07-12-2023 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

“मीठे बच्चे - पुरानी दुनिया से ममत्व छोड़ सर्विस करने का उमंग रखो, हुल्लास में रहो, सर्विस में कभी थकना नहीं है''

प्रश्नः-

जिन बच्चों को ज्ञान का नशा चढ़ा होगा, उनकी निशानी क्या होगी?

उत्तर:-

उन्हें सर्विस का बहुत-बहुत शौक होगा। वह सदा मन्सा और वाचा सेवा में तत्पर रहेंगे। सबको बाप का परिचय दे सबूत देंगे। बादशाही स्थापन करने निमित्त सहन भी करना पड़े तो सहन करेंगे। बाप के पूरे-पूरे मददगार बन भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा करेंगे।

गीत:-माता ओ माता तू सबकी भाग्य विधाता...

  • ओम् शान्ति।
  1. अब नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार बच्चे माता को जानते हैं।
    1. माँ को जानते हैं तो जरूर बाप को भी जानेंगे।
    2. यह माँ-बाप सौभाग्य विधाता और भाग्य Bhagya विधाता हैं।
      1. सौभाग्य विधाता उन्हें कहेंगे जो पुरुषार्थ कर अपना पूरा सौभाग्य बनाते हैं, सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी घराने Gharana में वर्सा लेते हैं सो भी नम्बरवार।
        1. बहुत तो ऐसे भी हैं जैसे भील होते हैं ना।
          1. बहुत साधारण प्रजा में जाकर जन्म लेंगे।
          2. वह मर्तबा नहीं पा सकते।
    3. बाप तो जरूर समझायेंगे - बच्चे, इस पुरानी दुनिया duniya से ममत्व mamatva मत रखो।
      1. दुनिया बिचारी तो चिल्लाती रहती है।
  2. बच्चों में सर्विस करने का शौक और उमंग चाहिए chahiye
    1. किन्हों को भल उमंग आता है, परन्तु सर्विस करने का ढंग नहीं आता है।
      1. डायरेक्शन तो बहुत मिलते हैं।
        1. लिखत भी बड़ी रिफाइन चाहिए।
        2. त्रिमूर्ति और झाड़ के चित्र 30X40 के होने चाहिए।
        3. यह बहुत यूज़-फुल चीज़ें हैं।
          1. परन्तु इनका कदर बच्चों में कम है।
  3. भल संजय का बहुत मान है
    1. परन्तु वह गायन पिछाड़ी का है।
    2. जैसे कहते हैं अतीन्द्रिय सुख गोप-गोपियों से पूछो, वह भी पिछाड़ी की अवस्था का गायन है।
    3. अभी वह सुख किसको थोड़ेही है।
      1. अभी तो रोते गिरते रहते हैं।
      2. माया थप्पड़ मार देती है।
      3. भल रोज़ आते हैं परन्तु वह नशा थोड़ेही चढ़ता है।
  4. तुमको सर्विस के चांस बहुत मिलते हैं।
    1. अब कहते रहते हैं वन रिलीजन हो।
  5. वन गवर्मेन्ट भारत में थी।
    1. उनको ही स्वर्ग कहा जाता था।
      1. परन्तु कोई जानते नहीं।
      2. 5 हजार वर्ष पहले राम के राज्य (सतयुग, त्रेता) में एक ही गवर्मेन्ट थी।
        1. दो थी ही नहीं, जो ताली बजे।
            1. यहाँ भी कहते रहते हैं हिन्दू चीनी भाई-भाई फिर देखो क्या करते रहते हैं!
              1. गोली चलाते रहते हैं।
            2. यह दुनिया ही ऐसी है।
              1. स्त्री-पुरुष भी आपस में लड़ पड़ते हैं।
              2. स्त्री पति को भी थप्पड़ मारने में देर नहीं करती।
              3. घर-घर में बहुत झगड़े रहते हैं।
      3. भारतवासी भी भूले हुए हैं कि 5000 वर्ष पहले वन गवर्मेन्ट थी।-
        1. अभी तो अनेक गवर्मेन्ट, अनेक धर्म हैं तो जरूर झगड़ा रहेगा।
        2. तुम बतलाते हो भारत में एक गवर्मेन्ट थी।
        3. उसको कहा जाता है भगवान् भगवती की गवर्मेन्ट।
  6. भक्ति मार्ग होता ही बाद में है।
    1. सतयुग त्रेता में भक्ति होती नहीं।
  7. मनुष्य अपना अहंकार बहुत दिखाते हैं परन्तु ज्ञान कौड़ी का भी नहीं है।
    1. यूं ज्ञान तो बहुत है ना।
    2. डॉक्टरी का ज्ञान, बैरिस्टरी का ज्ञान... ।
    3. बाप कहते हैं जो डॉक्टर ऑफ फिलासाफी कहलाते हैं उनके पास यह ज्ञान जरा भी नहीं है।
      1. फिलासाफी किसको कहा जाता है - यह भी समझते नहीं।
  8. तो तुम बच्चों को सर्विस का शौक shauk रखना है, स्थापना में मददगार बनना है।
    1. अच्छी चीज़ बनाकर देनी है।
    2. जैसे मनुष्य वैसा निमंत्रण दिया जाता है।
    3. जैसे गवर्मेन्ट में बहुत ऑफीसर्स हैं, एज्यूकेशन मिनिस्टर है, चीफ मिनिस्टर है,
    4. यहाँ भी ऑफिस होनी चाहिए।
      1. डायरेक्शन निकलें वह फिर अमल में लावें।
  9. अब देखो गोरखपुरी गीतायें निकलती हैं सब फ्री देने के लिए तैयार रहते हैं।
    1. जो भी संस्थायें हैं उनको फन्ड्स बहुत है।
      1. कश्मीर का महाराजा मरा तो सारी मिलकियत आर्य समाजियों को मिली क्योंकि आर्य-समाजी था।
    2. सन्यासियों आदि के पास भी बहुत पैसे रहते हैं।
    3. तुम्हारे पास भी जो पैसा आदि है वह सब इस सेवा में लगा रहे हो ताकि भारत स्वर्ग बनें।
      1. तुम स्वर्ग बनाने में मदद करते हो।
        1. रात-दिन का फ़र्क है।
  10. वह दिन प्रतिदिन नर्कवासी बनते जाते हैं तुमको अब बाप स्वर्गवासी बनाते हैं।
    1. हैं तो सब गरीब, ऐसे नहीं कि हम पैसे इकट्ठे करते हैं।
    2. तुम तो कहते हो बाबा यह पाई पैसा सब यज्ञ में, सर्विस में लगा दो।
  11. इस समय तो सब आपस में लड़ते रहते हैं।
    1. वन गवर्मेन्ट तो हो नहीं सकती।
    2. तो गवर्मेन्ट को बताना चाहिए कि सूर्यवंशी चन्द्रवंशी बरोबर वन गवर्मेन्ट थी।
      1. तुम भी चाहते हो तो वह होगी जरूर।
      2. बाप स्वर्ग की स्थापना कर रहे हैं।
      3. वह है ही हेविनली गॉड फादर।
      4. हम वन डीटी गवर्मेन्ट स्थापन कर रहे हैं।
      5. वहाँ डेविल गवर्मेन्ट होती नहीं।
      6. उन सबका विनाश हो जाता है।
  12. तुम्हारे पास नॉलेज बहुत अच्छी है, बहुत काम हो सकता है।
    1. देहली हेड आफिस है।
    2. बहुत सेवा कर सकते हैं।
    3. वहाँ बच्चे भी बहुत अच्छे हैं।
      1. जगदीश संजय भी है।
      2. परन्तु संजय तो सब हैं ना, एक नहीं।
      3. तुम हर एक संजय हो।
        1. तुम्हारा काम है - सबको रास्ता बताना।
  13. बाप तो अच्छी रीति समझाते रहते हैं, परन्तु बच्चे अपने ही धन्धेधोरी में, बच्चों आदि की सम्भाल में फँसे हुए हैं।
    1. गृहस्थ व्यवहार में रहते बाप के मददगार बनें, वह नहीं हैं।
    2. यहाँ तो सर्विस कर दिखाना है।
      1. वन गवर्मेन्ट कैसे स्थापन हो रही है, यह चक्र, ड्रामा देखो समय दिखा रहा है।
      2. जैसे रावण का चित्र बनाया है, वैसे बड़ा चक्र बनाकर लिखना चाहिए
      3. - अब कांटा आकर पहुँचा है।
      4. फिर वन गवर्मेन्ट होनी है।
  14. बाबा डायरेक्शन देते हैं।
    1. शिवबाबा तो गलियों में जाकर धक्के नहीं खायेंगे।
      1. अगर यह जाए तो गोया शिवबाबा को धक्के खाने पड़े।
      2. बच्चों को रिगार्ड रखना चाहिए।
      3. यह सर्विस करना बच्चों का काम है।
    2. लिखना चाहिए वन गवर्मेन्ट, जो भारत में थी, वह फिर से स्थापन हो रही है।
  15. कितने वर्षों से यह यज्ञ रचा हुआ है!
    1. सारी दुनिया का जो कचरा है वह इसमें समा जाना है।
  16. है बहुत सहज, परन्तु सभी को समझाने में समय चाहिए।
    1. राजा तो कोई है नहीं।
      1. किसी एक को सभी थोड़ेही मानेंगे।
      2. पहले कोई भी नई इन्वेन्शन निकलती थी तो राजाओं द्वारा उसका विस्तार कराते थे क्योंकि राजा में ताकत रहती है।
    2. किंग बनते हैं या तो राजयोग से या बहुत धन दान करने से।
      1. यहाँ तो है ही प्रजा का राज्य।
        1. एक गवर्मेन्ट नहीं है।
        2. एक फ़कीर सिपाही भी गवर्मेन्ट है, किसका पटका उतारने में देरी नहीं करते।
          1. ऐसे बहुत काम होते रहते हैं।
          2. दो पैसा दो तो बड़े मिनिस्टर को भी मार डालते हैं।
  17. तो तुम बच्चों को सेवा का चांस लेना है, सोना नही है।
    1. जैसे सतसंग में कथा सुनकर फिर घर में जाकर वैसे ही बन जाते, कोई हुल्लास नहीं रहता।
      1. ऐसे बच्चों में भी हुल्लास कम है।
  18. गवर्मेन्ट का बगीचा होता है तो उसमें बहुत अच्छे फर्स्टक्लास फूल होते हैं, उनकी डिपार्टमेन्ट ही अलग होती है।
    1. कोई भी जायेंगे तो पहले फर्स्टक्लास फूल लाकर देंगे।
    2. बाप की भी यह फुलवाड़ी है, कोई आयेंगे तो हम क्या सैर करायेंगे?
      1. नाम बतायेंगे - यह अच्छे-अच्छे फूल हैं।
        1. टांगर, अक के भी फूल बैठे हैं, चमकते नहीं हैं, सर्विस नहीं करते।
    3. रोज़ कोई न कोई को बाप का परिचय अवश्य देना चाहिए।
      1. तुम तो हो गुप्त, कितने विघ्न पड़ते हैं।
      2. सर्विस लायक बने नहीं हैं।
        1. बाबा बार-बार कहते हैं मन्दिरों में जाओ, शमशान में जाओ, भाषण जाकर करना चाहिए।
        2. बच्चों को सर्विस का सबूत देना है।
        3. सैकड़ों से कोई निकलेंगे।
        4. मित्र-सम्बन्धियों आदि को भी समझाना चाहिए।
        5. यहाँ आने से डरते हैं तो घर में जाकर समझा सकते हो।
        6. बाप का परिचय मिलने से बहुत खुश हो जायेंगे।
        7. बाबा कहते सर्विस में थकावट नही होनी चाहिए।
          1. 100 में से एक निकलेंगे।
  19. बादशाही स्थापन करने में सहन जरूर करना पड़े।
    1. जब तक गाली नहीं खाई है तब तक कलंगीधर नहीं बनेंगे।
    2. ज्ञान का नशा चढ़ा हुआ है।
    3. परन्तु रिजल्ट कहाँ!
    4. अच्छा, 10-20 को ज्ञान दिया, उनसे एक-दो जागे वह भी बतलाना चाहिए ना।
    5. सर्विस का शौक चाहिए तब बाबा इनाम देंगे।
    6. बाप का परिचय दो- तुम्हारा बाप कौन है?
      1. तब ही फिर वर्से का नशा चढ़े।
  20. तुम भाषण करो- वर्ल्ड में सिवाए ब्रह्माकुमार-ब्रह्माकुमारियों के वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी कोई भी नहीं जानते।
    1. चैलेन्ज करो।
    2. बाबा ने शमशान की बात उठाई तो तुमको शमशान में जाकर सर्विस करनी चाहिए।
  21. धन्धाधोरी तो फिर भी 6-8 घण्टा करेंगे, बाकी समय कहाँ चला जाता है?
    1. ऐसे फिर ऊंच पद पा नहीं सकेंगे।
    2. बाबा कहेंगे तुम आये हो नारायण को वा लक्ष्मी को वरने परन्तु अपनी शक्ल तो देखो।
    3. बाबा समझाते तो ठीक हैं ना।
    4. एक ही टॉपिक उठाओ वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी आकर समझो - कैसे रिपीट होती है।
      1. अखबार में डालो।
      2. हॉल लेने की कोशिश करो।
      3. तुमको तीन पैर पृथ्वी नहीं मिलती।
        1. पहचानते नहीं हैं।
        2. तुम हो परमधाम के फारेनर्स।
        3. आत्मायें सब परमधाम से आई हैं, तो यहाँ सब फारेनर्स हुए ना।
        4. परन्तु तुम्हारी यह भाषा कोई समझते नहीं।
  22. यहाँ साकार में नहीं बताया जाता कि पांव छुओ, यह करो।
    1. जैसे साधू-महात्माओं के पांव चूमकर धोकर पीते हैं, उसको तत्व पूजा कहा जाता है।
      1. 5 तत्वों का शरीर है ना।
    2. भारत का क्या हाल हो गया है।
  23. तो बाप कहते हैं सर्विस का सबूत दो, सभी को सुख दो।
    1. यहाँ तो बस यह तात लगी रहे, यह चिंता रहे।
    2. बुद्धियोग बाप के साथ हो।
    3. गीत - माता तू सबकी भाग्य विधाता.....
      1. माता जगत अम्बा भाग्य विधाता है।
      2. पद माता पाती है।
      3. वह भी कहती शिवबाबा को याद करो, मैं भी उनसे धारण करके औरों को धारण कराती हूँ, सौभाग्य बनाती हूँ।
  24. तुम हो भारत के सौभाग्य विधाता।
    1. तो कितना नशा होना चाहिए।
    2. जो मम्मा की महिमा सो बाप की महिमा, सो दादे की।
  25. तुम बच्चों को यज्ञ की स्थूल सेवा भी करनी चाहिए तो रूहानी सेवा भी जरूर करनी चाहिए।
    1. मनमनाभव का मंत्र सबको देना है।
    2. मनमनाभव यह है मन्सा, मध्याजी भव यह है वाचा।
    3. इसमें कर्मणा भी आ गई।
  26. कन्याओं को सर्विस में लग जाना चाहिए।
    1. गांवों में सर्विस अच्छी होती है।
    2. बड़े शहरों में बहुत फैशन है।
    3. टैम्पटेशन बहुत है तो क्या करें?
    4. क्या बड़े शहरों को छोड़ दें?
      1. ऐसे भी नहीं।
      2. बड़े शहरों से, साहूकारों से आवाज़ निकलेगा।
    5. बाकी दुनिया को तो इस मनमनाभव के छू मंत्र से स्वर्ग बनाना है।
  27. बाप बैठ समझाते हैं यह जगदम्बा कौन है,
    1. यह है भारत की सौभाग्य विधाता, इनकी शिव शक्ति सेना भी मशहूर है।
    2. हेड है जगदम्बा अर्थात् भारत में वन गवर्मेन्ट govt की स्थापना करने वाली हेड।
    3. भारत माता शक्ति अवतारों ने भारत में वन गवर्मेन्ट स्थापन की है, श्रीमत के आधार पर। अच्छा!
  • मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।


  • धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) बुद्धियोग एक बाप से रखना है, मनमनाभव के छू मंत्र से इस दुनिया को स्वर्ग बनाना है।

2) सर्विस में कभी थकना नहीं है। स्थूल सेवा के साथ-साथ रूहानी सेवा भी करनी है। मनमनाभव का मंत्र सबको याद दिलाना है।

बाप समान हर आत्मा पर कृपा वा रहम करने वाले मास्टर रहमदिल भव

जैसे बाप रहमदिल है, ऐसे आप बच्चे भी सब पर कृपा वा रहम करेंगे क्योंकि बाप समान निमित्त बने हुए हो। ब्राह्मण आत्मा को कभी किसी आत्मा के प्रति घृणा नहीं आ सकती। चाहे कोई कंस हो, जरासंधी हो या रावण हो - कोई भी हो लेकिन फिर भी रहमदिल बाप के बच्चे घृणा नहीं करेंगे। परिवर्तन की भावना, कल्याण की भावना रखेंगे क्योंकि फिर भी अपना परिवार है, परवश है, परवश के ऊपर घृणा नहीं आती।

    (All Slogans of 2021-22)

    • मास्टर ज्ञान सूर्य बन शक्तियों रूपी किरणों से कमजोरी रूपी किचड़े को भस्म कर दो।

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