09-10-2023 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - जितना याद में रहेंगे, पवित्र बनेंगे उतना पारलौकिक मात-पिता की दुआयें मिलेंगी, दुआयें मिलने से तुम सदा सुखी बन जायेंगे।''
प्रश्नः-
बाप सभी बच्चों को कौन-सी राय देकर कुकर्मों से बचाते हैं?
उत्तर:-
बाबा राय देते - बच्चे, तुम्हारे पास जो भी धन-दौलत आदि है, वह सब अपने पास रखो लेकिन ट्रस्टी होकर चलो। तुम कहते आये हो हे भगवान् यह सब कुछ आपका है। भगवान् ने बच्चा दिया, धन-दौलत दिया, अब भगवान् कहते हैं इन सबसे बुद्धियोग निकाल तुम ट्रस्टी होकर रहो, श्रीमत पर चलो तो कोई भी कुकर्म नहीं होगा। तुम श्रेष्ठ बन जायेंगे।
गीत:-ले लो दुआयें माँ बाप की ...
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- जो बच्चे कहते हैं हमारा मुख नहीं चलता है, समझा नहीं सकते हैं - उन्हें सेन्टर की ब्राह्मणियाँ कैसे सिखलायें, यह शिवबाबा समझाते हैं।
- चित्रों पर समझाना तो बहुत सहज है।
- छोटे बच्चों को चित्र दिखलाकर समझाना पड़े ना।
- ऐसे नहीं, क्लास में सब आकर बैठे और तुमने मुरली शुरू कर ली, नहीं। यह तो हड्डी (ज़िगरी) बैठ समझाना चाहिए।
- बच्चों ने गीत तो सुना - एक है पारलौकिक मात-पिता, जिसको याद करते रहते हैं तुम मात-पिता.... वह है सृष्टि का रचयिता।
- मात-पिता जरूर स्वर्ग ही रचेंगे।
- सतयुग में स्वर्गवासी बच्चे होते हैं।
- यहाँ के मात-पिता खुद ही नर्कवासी हैं तो बच्चे भी नर्क-वासी ही पैदा करेंगे।
- गीत में कहा - ले लो दुआयें माँ-बाप की...... तुम जानते हो इस समय के माँ-बाप तो दुआयें नहीं देते।
- स्वर्गवासी दुआ करते हैं, जो दुआ फिर आधाकल्प चलती है।
- फिर आधाकल्प बाद श्रापित हो जाते हैं।
- खुद भी पतित बनते तो बच्चों को भी बनाते हैं।
- उसे आशीर्वाद तो नहीं कहेंगे।
- श्राप देते-देते भारतवासी श्रापित हो गये, कितना दु:ख ही दु:ख है, इसलिए मात-पिता को याद करते हैं।
- अभी वह मात-पिता दुआयें कर रहे हैं।
- पढ़ाकर पतित से पावन बना रहे हैं।
- यहाँ है आसुरी सम्प्रदाय, रावण राज्य। वहाँ है दैवी सम्प्रदाय, राम राज्य।
- रावण का जन्म भी भारत में है।
- शिवबाबा, जिसको राम कहते हैं, उनका जन्म भी भारत में है।
- तुम जब वाम मार्ग में जाते हो तो भारत में रावण राज्य शुरू होता है।
- तो भारत को ही राम परमपिता परमात्मा आकर पतित से पावन बनाते हैं।
- रावण आते हैं तो मनुष्य पतित बनते हैं।
- गाते भी हैं राम गयो, रावण गयो, जिनका बहु परिवार है।
- राम का परिवार तो बहुत छोटा है।
- और सब धर्म ख़त्म हो जाते हैं, सबका विनाश हो जाता है। बाकी तुम देवी-देवतायें रहेंगे।
- तुम अभी जो ब्राह्मण बने हो वही ट्रान्सफर होंगे सतयुग में।
- तो अब तुमको माँ-बाप की दुआयें मिल रही हैं।
- माँ-बाप तुमको स्वर्ग का मालिक बनाते हैं।
- वहाँ तो सुख ही सुख है।
- इस समय कलियुग में है दु:ख, सभी धर्म दु:खी हैं।
- अभी कलियुग के बाद फिर सतयुग होना है।
- कलियुग में कितने ढेर मनुष्य हैं, सतयुग में तो इतने मनुष्य नहीं होंगे।
- जितने ब्राह्मण होंगे वही फिर वहाँ देवता बनेंगे।
- वह भी त्रेता तक वृद्धि को पाते रहेंगे।
- कहते हैं क्राइस्ट से 3000 वर्ष पहले सतयुग था।
- बिफोर क्राइस्ट और आफ्टर क्राइस्ट।
- सतयुग में तो एक ही धर्म, एक ही राज्य है।
- वहाँ मनुष्य भी थोड़े होंगे।
- सिर्फ भारत होगा और कोई धर्म नहीं होगा।
- सिर्फ सूर्यवंशी ही होंगे।
- चन्द्रवंशी भी नहीं होंगे।
- सूर्यवंशी को भगवान्-भगवती कह सकते हैं क्योंकि वे सम्पूर्ण हैं।
- तुम बच्चे जानते हो पतित-पावन तो एक परमपिता परमात्मा ही है।
- (चक्र के चित्र तरफ इशारा) देखो, बाप ऊपर में बैठे हैं।
- यह ब्रह्मा द्वारा स्थापना करा रहे हैं।
- अभी तुम पढ़ रहे हो।
- जब इन देवताओं का राज्य रहता है तब और कोई धर्म नहीं रहता है।
- फिर आधाकल्प बाद वृद्धि होती जाती है।
- ऊपर से आत्मायें आती जाती हैं, वर्ण बदलते जाते हैं, जीव आत्मायें बढ़ती जाती हैं।
- सतयुग में होंगे 9 लाख, फिर करोड़ होंगे फिर वृद्धि को पाते जायेंगे।
- सतयुग में भारत श्रेष्ठाचारी था, अभी भ्रष्टाचारी है।
- ऐसे नहीं, सब धर्म वाले श्रेष्ठाचारी बन जायेंगे।
- कितने ढेर मनुष्य हैं।
- यहाँ भी भ्रष्टाचारी से श्रेष्ठाचारी बनने में कितनी मेहनत लगती है।
- घड़ी-घड़ी श्रेष्ठाचारी बनते-बनते फिर विकार में जाए भ्रष्टाचारी बन पड़ते हैं।
- बाप कहते हैं मैं आया हूँ, तुमको काले से गोरा बनाने, तुम घड़ी-घड़ी फिर गिर पड़ते हो।
- बेहद का बाप तो सीधी बात बतलाते हैं।
- कहते हैं यह क्या कुल कलंकित बनते हो, काला मुँह करते हो।
- क्या तुम गोरा नहीं बनेंगे?
- तुम आधाकल्प श्रेष्ठ थे फिर कलायें कम होती जाती हैं।
- कलियुग अन्त में तो कलायें एकदम पूरी ख़त्म हो जाती हैं।
- सतयुग में सिर्फ एक ही भारत था।
- अभी तो सब धर्म हैं।
- बाप आकर फिर सतयुगी श्रेष्ठ सृष्टि स्थापन करते हैं।
- तुमको भी श्रेष्ठाचारी बनना चाहिए।
- श्रेष्ठाचारी कौन आकर बनाते हैं?
- बाप है ही गरीब निवाज़।
- पैसे की बात नहीं।
- बेहद के बाप के पास श्रेष्ठ बनने आते हैं तो भी लोग कहते हैं तुम यहाँ क्यों जाते हो।
- कितने विघ्न डालते हैं।
- तुम जानते हो इस रूद्र ज्ञान यज्ञ में असुरों के विघ्न बहुत पड़ते हैं।
- अबलाओं पर अत्याचार होते हैं।
- कोई फिर स्त्रियाँ भी बहुत तंग करती हैं।
- विकार के लिए शादी करते हैं।
- अब बाप काम चिता से उतार ज्ञान चिता पर बिठाते हैं।
- जन्म-जन्मान्तर का कान्ट्रैक्ट है।
- इस समय है ही रावण राज्य।
- गवर्मेन्ट कितने शादमाने करती है।
- रावण को जलाते हैं, खेल देखने जाते हैं।
- अब यह रावण कहाँ से आया?
- रावण का जन्म हुए तो 2500 वर्ष हुए हैं।
- रावण ने सबको शोक वाटिका में बिठा दिया है।
- सब दु:खी ही दु:खी हैं।
- राम राज्य में सब सुखी ही सुखी होते हैं।
- अभी है कलियुग का अन्त।
- विनाश सामने खड़ा है।
- इतने करोड़े मनुष्य मरेंगे तो जरूर लड़ाई लगेगी ना।
- सरसों मुआफिक सब पीस जाते हैं।
- अब देखते हो तैयारियाँ हो रही हैं।
- बाप स्वर्ग की स्थापना कर रहे हैं।
- यह ज्ञान और कोई भी दे न सके।
- यह ज्ञान बाप ही आकर देते हैं और पतित को पावन बनाते हैं।
- सद्गति करने वाला एक ही बाप है।
- सतयुग में है ही सद्गति।
- वहाँ गुरू की दरकार नहीं।
- अभी तुम इस नॉलेज से त्रिकालदर्शी बनते हो।
- सतयुग में लक्ष्मी-नारायण में यह ज्ञान बिल्कुल नहीं होगा।
- तो फिर परम्परा से यह ज्ञान कहाँ से आया?
- अभी है कलियुग का अन्त।
- बाप कहते हैं तुम मुझे याद करो।
- स्वर्ग की राजधानी स्थापन करने वाले बाप को और वर्से को याद करो।
- पवित्र तो जरूर रहना पड़ेगा।
- वह है पावन दुनिया, यह है पतित दुनिया।
- पावन दुनिया में कंस, जरासन्धी, हिरण्यकश्यप आदि होते नहीं।
- कलियुग की बातों को सतयुग में ले गये हैं।
- शिवबाबा आये हैं कलियुग के अन्त में।
- आज शिवबाबा आये हैं, कल श्रीकृष्ण आयेगा।
- तो शिवबाबा और श्रीकृष्ण के पार्ट को मिला दिया है।
- शिव भगवानुवाच - उन द्वारा पढ़कर श्रीकृष्ण की आत्मा यह पद पाती है।
- उन्होंने फिर भूल से गीता में श्रीकृष्ण का नाम डाल दिया है।
- यह भूल फिर भी होगी।
- मनुष्य भ्रष्टाचारी बनें तब तो बाप आकर श्रेष्ठाचारी बनाये।
- श्रेष्ठाचारी ही 84 जन्म पूरे कर भ्रष्टाचारी बनते हैं।
- इस चक्र पर समझाना तो बहुत सहज है।
- झाड़ में भी दिखाया हुआ है - नीचे तुम राजयोग की तपस्या कर रहे हो, ऊपर लक्ष्मी-नारायण का राज्य खड़ा है।
- अभी तुम थुर में बैठे हो, फाउन्डेशन लग रहा है।
- तुम जानते हो फिर सूर्यवंशी कुल (वैकुण्ठ में) जायेंगे।
- रामराज्य को वैकुण्ठ नहीं कहा जाता।
- वैकुण्ठ श्रीकृष्ण के राज्य को कहा जाता है।
- अभी तो तुम्हारे पास बहुत आयेंगे।
- एग्जीवीशन आदि में तुम्हारा नाम बाला होगा।
- एक-दो को देखकर वृद्धि को पायेंगे।
- बाप आकर यह सब बातें समझाते हैं।
- चित्रों पर किसको समझाना बहुत सहज है।
- सतयुग की स्थापना भगवान् ही आकर करते हैं।
- और आते हैं पतित दुनिया में।
- सांवरे से गोरा बनाते हैं।
- तुम श्रीकृष्ण की राजधानी की वंशावली भी हो।
- प्रजा भी हो।
- बाप अच्छी रीति समझाते हैं।
- निराकार शिवबाबा आत्माओं को बैठ समझाते हैं कि आप मुझे याद करो।
- यह है रूहानी यात्रा।
- हे आत्मायें, तुम अपने शान्तिधाम, निर्वाणधाम को याद करो तो स्वर्ग का वर्सा मिलेगा।
- अभी तुम संगम पर बैठे हो।
- बाप कहते हैं मुझे और अपने वर्से को याद करो तो तुम यहाँ स्वर्ग में आ जायेंगे।
- जो जितना याद करेंगे और पवित्र रहेंगे उतना ऊंचा पद मिलेगा।
- तुमको कितनी बड़ी दुआयें मिल रही हैं - धनवान भव, पुत्रवान भव, आयुष्वान भव।
- देवताओं की आयु बहुत बड़ी होती है।
- साक्षात्कार होता है अभी यह शरीर छोड़ जाकर बच्चा बनना है।
- तो यह अन्दर में आना चाहिए - हम आत्मा यह पुराना शरीर छोड़ जाकर गर्भ में निवास करेंगी।
- अन्त मते सो गते।
- बूढ़े से तो हम क्यों न बच्चा बन जाऊं।
- आत्मा इस शरीर के साथ है तब तकल़ीफ महसूस करती है।
- आत्मा शरीर से अलग है तो आत्मा को कोई तकल़ीफ महसूस नहीं होती है।
- शरीर से अलग हुआ ख़लास।
- हमको अब जाना है, मूलवतन से बाबा आते हैं लेने लिए।
- यह दु:खधाम है।
- अभी हम जायेंगे मुक्तिधाम।
- बाप कहते हैं सबको मुक्तिधाम ले जाता हूँ।
- जो भी धर्म वाले हैं सबको मुक्तिधाम जाना है।
- वह पुरुषार्थ भी मुक्ति में जाने के लिए करते हैं।
- बाप कहते हैं मुझे याद करो तो मेरे पास आ जायेंगे।
- बाबा को याद कर भोजन खाओ तो तुमको ताकत मिलेगी।
- अशरीरी होकर तुम पैदल आबूरोड तक चले जाओ, कभी तुमको कुछ भी थकावट नहीं होगी।
- बाबा शुरू में यह प्रैक्टिस कराते थे।
- समझते थे हम आत्मा हैं।
- बहुत हल्के होकर पैदल चले जाते थे।
- कुछ भी थकावट नहीं होती थी।
- शरीर बिगर तुम आत्मा तो सेकेण्ड में बाबा पास पहुँच सकती हो।
- यहाँ एक शरीर छोड़ा सेकेण्ड में जाकर लण्डन में जन्म लेते हैं।
- आत्मा जैसी तीखी और कोई चीज़ होती नहीं।
- तो अब बाप कहते हैं - बच्चे, हम तुमको लेने लिए आये हैं।
- अब मुझ बाबा को याद करो।
- अभी तुमको प्रैक्टिकल में बेहद के पारलौकिक बाप की दुआयें मिल रही हैं।
- बाप बच्चों को श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ मत दे रहे हैं।
- धन दौलत आदि सब तुम अपने पास रखो।
- सिर्फ ट्रस्टी होकर चलो।
- तुम कहते भी आये हो - हे भगवान् यह सब कुछ आपका है।
- भगवान् ने बच्चा दिया, भगवान् ने यह धन-दौलत दिया।
- अच्छा, फिर भगवान् आकर कहते हैं इन सबसे बुद्धियोग निकाल तुम ट्रस्टी होकर चलो।
- श्रीमत पर चलो तो बाप को मालूम पड़ेगा तुम कोई कुकर्म तो नहीं करते हो।
- श्रीमत पर चलने से ही तुम श्रेष्ठ बनेंगे।
- आसुरी मत पर चलने से तुम भ्रष्ट बने हो।
- आधाकल्प तुमको भ्रष्ट बनने में लगा है।
- 16 कला से फिर 14 कला बनते हो फिर धीरे-धीरे कलायें कम होती जाती है,
- तो इसमें टाइम लगता है ना। अच्छा!
- मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
1) चलते-फिरते अशरीरी बनने का अभ्यास करना है। भोजन एक बाप की याद में खाना है।
2) मात-पिता की दुआयें लेनी हैं। ट्रस्टी होकर रहना है। कोई भी कुकर्म नहीं करना है।
अनासक्त बन लौकिक को सन्तुष्ट करते भी ईश्वरीय कमाई जमा करने वाले राज़युक्त भव
कई बच्चे लौकिक कार्य, लौकिक प्रवृत्ति, लौकिक सम्बन्ध-सम्पर्क निभाते हुए अपनी विशाल बुद्धि से सबको सन्तुष्ट भी करते और ईश्वरीय कमाई का राज़ जानते हुए विशेष हिस्सा भी निकाल लेते। ऐसे एकनामी और एकानामी वाले अनासक्त बच्चे हैं जो सर्व खजानें, समय, शक्तियां और स्थूल धन को लौकिक से एकानामी कर अलौकिक कार्य में फ्राकदिली से लगाते हैं। ऐसे युक्तियुक्त, राज़युक्त बच्चे ही महिमा योग्य हैं।
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