07-10-2023 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

“मीठे बच्चे - बुद्धि को यहाँ-वहाँ भटकाने के बजाए घर में बाप को याद करो, दूर-दूर तक बुद्धि को ले जाओ - इसे ही याद की यात्रा कहा जाता है''

प्रश्नः-

जो बच्चे सच्ची दिल से बाप को याद करते हैं उनकी निशानी क्या होगी?

 

उत्तर:-

1. सच्ची दिल से याद करने वाले बच्चों से कभी कोई विकर्म नहीं हो सकता। उनसे ऐसा कर्म नहीं होगा जिससे बाप की ग्लानी हो। उनके मैनर्स बड़े अच्छे होते हैं।

2. वह भोजन पर भी याद में रहेंगे। नींद भी समय पर स्वत: खुल जायेगी। वह बहुत सहनशील, बहुत मीठे होंगे। बाप से कोई भी बात छिपायेंगे नहीं।

गीत:-हमारे तीर्थ न्यारे हैं .....

  • ओम् शान्ति।

    1. बाप बैठ बच्चों को समझाते हैं, कोई निराकार बाप को समझे, कोई साकार बाप को समझे, कोई मात-पिता को समझे।
      1. यह मात-पिता समझाते हैं तो भी माता अलग और पिता अलग हो जाते।
      2. अगर निराकार समझाये तो निराकार अलग, साकार अलग हो जाते।
      3. परन्तु यह समझाने वाला बाप है।
    2. तुम बच्चे ही यह जानते हो कि जिस्मानी तीर्थ और रूहानी तीर्थ हैं।
      1. वह जिस्मानी तीर्थ आधाकल्प के हैं, अगर कहेंगे जन्म-जन्मान्तर से यह चलते आये हैं तो फिर ऐसे समझेंगे शुरू से लेकर यह चलते हैं, अनादि हैं।
        1. ऐसे तो है नहीं इसलिए आधाकल्प से कहा जाता है।
        2. अभी बाप ने आकर इन तीर्थों का राज़ समझाया है।
        3. मनमनाभव अर्थात् रूहानी तीर्थ।
      2. जरूर आत्माओं को ही समझाते हैं और समझाने वाला है परमपिता।
        1. और कोई समझा न सके।
      3. हर एक अपने-अपने धर्म स्थापक के तीर्थ पर जाते हैं।
        1. यह भी आधाकल्प की रस्म-रिवाज है।
        2. सब तीर्थ करते हैं परन्तु वह कोई को सद्गति दे न सकें।
        3. खुद ही घड़ी-घड़ी तीर्थों पर जाते रहते।
        4. अमरनाथ, बद्रीनाथ तरफ वर्ष-वर्ष तीर्थ करने निकलते फिर चारों धाम करते हैं।
      4. अभी यह रूहानी तीर्थ सिर्फ तुम जानते हो।
        1. रूहानी सुप्रीम बाप ने समझाया है मनमनाभव और जिस्मानी तीर्थ आदि सब छोड़ो, मुझे याद करो तो तुम सच्चे-सच्चे स्वर्ग में चले जायेंगे।
      5. यात्रा माना आना-जाना।
        1. वह तो अभी ही होता है।
        2. सतयुग में यात्रा होती नहीं।
    3. तुम हमेशा के लिए स्वर्ग आश्रम में जाकर बैठेंगे।
      1. यहाँ तो सिर्फ नाम रख देते हैं।
      2. वास्तव में स्वर्ग आश्रम यहाँ होता नहीं।
      3. स्वर्ग आश्रम सतयुग को कहा जाता है।
      4. नर्क को यह अक्षर दे नहीं सकते।
      5. नर्कवासी नर्क में ही रहते हैं, स्वर्गवासी स्वर्ग में रहते हैं।
      6. यहाँ तो जिस्मानी आश्रम में जाकर फिर लौट आते हैं।
      7. यह बेहद का बाप समझाते हैं।
    4. वास्तव में सच्चा-सच्चा बेहद का गुरू एक ही है।
      1. बेहद का बाप भी एक है।
      2. भल कहते हैं आगाखां गुरू, परन्तु वह कोई गुरू नहीं है।
        1. सद्गति दाता तो नहीं है ना।
        2. अगर सद्गति दाता होता तो खुद भी गति-सद्गति में जाये।
        3. उनको गुरू नहीं कहेंगे।
        4. यह तो सिर्फ नाम रख दिये हैं।
      3. सिक्ख लोग कहते हैं सतगुरू अकाल।
        1. वास्तव में सत श्री अकाल एक ही परमात्मा है जिसको सतगुरू भी कहते हैं।
          1. वही सद्गति करने वाला है।
            1. इस्लामी, बौद्धी या ब्रह्मा आदि नहीं कर सकते।
      4. भल कहते हैं गुरू ब्रह्मा, गुरू विष्णु।
        1. अब गुरू भल ब्रह्मा को कहा जाए बाकी गुरू विष्णु, गुरू शंकर तो हो न सके।
        2. गुरू ब्रह्मा का नाम है जरूर।
        3. परन्तु ब्रह्मा गुरू का भी तो गुरू होगा ना।
        4. सत श्री अकाल का तो फिर कोई गुरू नहीं।
      5. वह एक ही सतगुरू है।
        1. बाकी और कोई गुरू या फिलॉसाफर या स्प्रीचुअल नॉलेज देने वाला है नहीं, सिवाए एक के।
      6. बुद्ध आदि तो अपने पिछाड़ी सबको ले आते हैं।
        1. उनको रजो-तमो में आना ही है।
        2. वह कोई सद्गति के लिए नहीं आते हैं।
      7. सद्गति दाता एक का ही नाम बाला है, जिसको फिर सर्वव्यापी कहते हैं।
        1. फिर गुरू करने की क्या दरकार है।
        2. हम भी गुरू, तुम भी गुरू, हम भी शिव, तुम भी शिव - इनसे तो कोई का पेट नहीं भरता।
        3. बाकी हाँ, पवित्र हैं इसलिए उनका मान होता है, सद्गति दे नहीं सकते।
      8. वह तो एक ही है, जिसको सच्चा-सच्चा गुरू कहा जाता है।
        1. गुरू तो अनेक प्रकार के हैं।
        2. सिखलाने वाले उस्ताद को भी गुरू कहते हैं।
        3. यह भी उस्ताद है।
        4. माया से युद्ध करना सिखलाते हैं।
    5. तुम बच्चों को त्रिकालदर्शीपन की नॉलेज है, जिससे तुम चक्रवर्ती बनते हो।
      1. सृष्टि के चक्र को जानने वाले ही चक्रवर्ती राजा बनते हैं।
      2. ड्रामा के चक्र को वा कल्पवृक्ष के आदि-मघ्य-अन्त को जानना, बात एक ही है।
      3. चक्र की निशानी बहुत शास्त्रों में भी लिखी हुई है।
      4. फिलॉसाफी की किताब अलग होती है।
        1. किताबें तो अनेक प्रकार की होती हैं।
        2. यहाँ तुमको कोई किताब की दरकार नहीं।
          1. तुमको तो जो बाप सिखलाते हैं, वह समझना है।
    6. बाप की प्रापर्टी पर तो सब बच्चों का हक होता है।
        1. परन्तु स्वर्ग में सबको एक जैसी प्रापर्टी तो नहीं होगी।
      1. राजाई है उनकी जो बाप का बना।
        1. बाबा कहा, थोड़ा भी ज्ञान सुना, तो वह हकदार हो जाते।
        2. परन्तु नम्बरवार।
        3. कहाँ विश्व के महाराजा, कहाँ प्रजा दास-दासियां।
        4. यह सारी राजधानी स्थापन हो रही है।
        5. बाप का बनने से स्वर्ग का वर्सा तो जरूर मिलता है।
        6. वर्सा मिलता है बाप से।
        7. यह नई बातें होने कारण मनुष्य समझते नहीं।
    7. बाप समझाते हैं सतयुग में विकार हैं नहीं।
      1. माया ही नहीं तो विकार कहाँ से आये।
        1. माया का राज्य शुरू होता है द्वापर से।
        2. यह हैं रावण की 5 जंजीरें।
        3. वहाँ यह होती नहीं।
          1. जास्ती डिस्कस नहीं करना है।
      2. वह है ही सम्पूर्ण निर्विकारी दुनिया।
        1. बाकी बच्चे पैदा होने की, गद्दी पर बैठने की, महल आदि बनाने की जो रस्म-रिवाज होगी - वह जरूर अच्छी ही होगी क्योंकि स्वर्ग है।
    8. बाप समझाते हैं - बच्चे, इस रूहानी यात्रा में तुम्हें निरन्तर बुद्धियोग लगाना है।
      1. यह बहुत सहज है।
      2. भक्ति मार्ग में भी सवेरे उठते हैं।
      3. ज्ञान मार्ग में भी सवेरे उठ बाप को याद करना है और कोई किताब आदि पढ़ना नहीं है।
        1. सिर्फ बाप कहते हैं मुझे याद करो क्योंकि अब छोटे-बड़े सबका मौत सामने खड़ा है।
        2. मरते समय कहते हैं - भगवान् को सिमरो।
        3. अन्तकाल अगर भगवान् को नहीं सिमरेंगे तो स्वर्ग में जा नहीं सकेंगे।
        4. तो बाप भी कहते हैं - मनमनाभव।
        5. इस देह को भी याद नहीं करना है।
        6. हम आत्मा एक्टर हैं, शिवबाबा की सन्तान हैं।
        7. लगातार याद में रहना है।
        8. वैसे छोटे बच्चों को तो नहीं कहेंगे कि भगवान् को याद करो।
        9. यहाँ सबको कहना पड़ता है क्योंकि सबको बाप के पास जाना है, बाप से ही बुद्धियोग लगाना है।
    9. कोई से लड़ाई-झगड़ा नहीं करना है।
      1. यह बड़ा नुकसानकारक है।
        1. कोई कुछ कहे, सुना-अनसुना कर देना है, सामना नहीं करना चाहिए, जो लड़ाई हो जाए।
        2. हर बात में सहनशील भी होना चाहिए और फिर समझना है बाप, बाप भी है, धर्मराज भी है।
        3. कुछ भी बात है तो तुम बाप को रिपोर्ट करो।
        4. फिर धर्मराज के पास पहुँच ही जायेगा और सजा के भागी बन पड़ेंगे।
    10. बाप कहते हैं मैं सुख देता हूँ।
      1. दु:ख अर्थात् सजायें धर्मराज़ देते हैं।
        1. मुझे सज़ा देने का अधिकार नहीं है।
        2. मुझे सुनाओ, सजा धर्मराज देंगे।
        3. बाबा को सुनाने से हल्का हो जायेंगे क्योंकि यह फिर भी राइटहैण्ड है।
        4. सतगुरू का निन्दक ठौर न पाये।
      2. जजमेन्ट तो धर्मराज ही देंगे कि किसका दोष है?
        1. उनसे कुछ छिप नहीं सकता।
        2. कहेंगे ड्रामा अनुसार भूल की, कल्प पहले भी की होगी।
        3. परन्तु इसका मतलब यह नहीं कि भूल करते ही रहना है।
        4. फिर अभुल कैसे बनेंगे?
        5. भूल हो जाए तो क्षमा मांगनी होती है।
          1. बंगाल में किसका पैर आदि लग जाता है तो झट क्षमा मांगते हैं।
            1. यहाँ तो एक-दो को गाली देने लग पड़ते हैं।
    11. मैनर्स बहुत अच्छे होने चाहिए।
      1. बाप सिखलाते तो बहुत हैं, परन्तु समझते नहीं तो समझा जाता है इनका रजिस्टर खराब है।
        1. निंदा कराते रहते हैं तो पद भ्रष्ट हो जायेंगे।
        2. जन्म-जन्मान्तर के विकर्मों का बोझा तो है ही।
        3. उनकी तो सज़ा भोगनी ही है।
          1. फिर यहाँ रहकर अगर विकर्म करते हैं तो उनकी सौगुणा सजा मिल जाती है।
          2. सजा तो खानी ही है।
          3. जैसे बाबा काशी कलवट का समझाते हैं।
          4. वह है भक्ति मार्ग का।
          5. यह ज्ञान मार्ग की बात है।
          6. एक तो पहले वाले विकर्म हैं, दूसरा फिर इस समय जो करते हैं उनका दण्ड सौगुणा हो जाता है।
        4. बहुत कड़ी सजा खानी पड़ेगी।
          1. बाप तो हर एक बात समझाते हैं।
          2. कोई पाप न करो, नष्टोमोहा बनो। कितनी मेहनत है!
    12. इस मम्मा-बाबा को याद नहीं करना है।
      1. इनको याद करने से जमा नहीं होगा।
      2. इनमें शिवबाबा आते हैं तो याद शिवबाबा को करना है।
      3. ऐसे नहीं कि इनमें शिवबाबा है इसलिए इनकी याद रहे।
      4. नहीं, शिवबाबा को वहाँ याद करना है।
      5. शिवबाबा और स्वीट होम को याद करना है।
      6. जिन्न मुआफिक बुद्धि में याद रखना है - शिवबाबा वहाँ रहते हैं, शिवबाबा यहाँ आकर सुनाते हैं, परन्तु हमको याद वहाँ करना है, यहाँ नहीं।
      7. बुद्धि दूर जानी चाहिए, यहाँ नहीं।
      8. यह शिवबाबा तो चला जायेगा।
      9. शिवबाबा इस एक में ही आते है।
      10. मम्मा में उनको देख न सकें।
      11. तुम जानते हो यह बाबा का रथ है परन्तु इनके चेहरे को नहीं देखना है।
      12. बुद्धि वहाँ लटकी रहे।
      13. यहाँ बुद्धि रहने से इतना मजा नहीं आयेगा।
      14. यह कोई यात्रा नहीं हुई।
      15. यात्रा की हद तुम्हारी वहाँ है।
      16. ऐसे नहीं कि बाबा को ही देखते रहो क्योंकि इनमें शिव है।
      17. फिर ऊपर जाने की आदत छूट जाती है।
      18. बाप कहते हैं मुझे वहाँ याद करो, बुद्धियोग वहाँ लगाओ।
      19. कई बुद्धू समझते हैं कि बाबा को ही बैठ देखें।
      20. अरे, बुद्धि को स्वीट होम में लगाना है।
      21. शिव-बाबा तो सदैव रथ पर रह न सके।
      22. यहाँ आकर सिर्फ सर्विस करेंगे।
      23. सवारी ले सर्विस कर फिर उतर जायेंगे।
      24. बैल पर सदैव सवारी हो नहीं सकती।
      25. तो बुद्धि वहाँ रहनी चाहिए।
      26. बाबा आते हैं, मुरली चलाकर चले जाते हैं।
      27. इनकी बुद्धि भी वहाँ रहती है।
      28. रास्ता बरोबर पकड़ना चाहिए।
      29. नहीं तो घड़ी-घड़ी गिर पड़ते हैं।
      30. यह तो थोड़ा समय है।
      31. इनमें शिवबाबा ही नहीं होगा तो याद क्यों करेंगे?
      32. मुरली तो यह भी सुना सकते हैं, इनमें कभी है, कभी नहीं है।
      33. कभी रेस्ट लेते हैं।
      34. तुम याद वहाँ करो।
      35. कभी-कभी बाबा ख्याल करते हैं - ड्रामा अनुसार कल्प पहले आज के दिन जो मुरली चलाई थी वही जाकर चलाऊगाँ।
      36. तुम भी कह सकते हो कि कल्प पहले बाप से जितना वर्सा लिया था, उतना ही लेंगे।
      37. शिवबाबा का नाम जरूर लेना पड़े।
      38. परन्तु ऐसे किसको आयेगा नहीं।
      39. बाप जरूर याद आयेगा।
      40. बाप का ही परिचय देना है।
      41. ऐसे नहीं, सिर्फ इनको बैठ देखना है।
      42. बाबा ने समझाया है - शिवबाबा को याद करो, नहीं तो पाप हो जायेगा।
      43. निरन्तर बाप को याद करना है, नहीं तो विकर्म विनाश नहीं होंगे।
      44. बड़ी मंज़िल है।
      45. मासी का घर थोड़ेही है।
      46. ऐसे नहीं, भोजन पर पहले याद किया फिर ख़लास, ऐसे ही भोजन खाने लग पड़े।
      47. नहीं, सारा समय याद करना पड़े।
      48. मेहनत है।
      49. ऐसे थोड़ेही ऊंच पद मिल सकता है।
      50. तब तो देखो करोड़ों में 8 रत्न पास होते हैं।
      51. मंज़िल बड़ी भारी है।
      52. विश्व का मालिक बनना है, यह तो किसकी बुद्धि में नहीं होगा।
      53. इनकी बुद्धि में भी नहीं था।
    13. अब ख्याल किया जाता है, 84 जन्म किसको मिलते हैं?
      1. जरूर जो पहले आते हैं वह हैं लक्ष्मी-नारायण।
        1. यह हैं सब विचार सागर मंथन करने की बातें।
    14. बाप समझाते हैं - हथ कार डे, दिल याद डे।
        1. भल धन्धे आदि में रहो, परन्तु निरन्तर बाप को याद करते रहो।
        2. यह है यात्रा।
        3. तीर्थों पर जाकर फिर लौटना नहीं है।
    15. तीर्थ बहुत मनुष्य करते हैं, अब तो वहाँ पर भी गंद हो गया है।
      1. नहीं तो तीर्थ स्थान पर कभी वेश्यालय नहीं होते।
        1. अभी कितना भ्रष्टाचार है।
    16. एक धनी तो कोई है नहीं।
      1. झट गाली देने लग पड़ते।
      2. आज चीफ मिनिस्टर है, कल उनको भी उतार देते।
      3. माया के मुरीद बन जाते हैं।
      4. पैसे इकट्ठे करेंगे, मकान बनायेंगे, धन के पिछाड़ी चोरी करने लग पड़ते हैं।
    17. तुम अब स्वर्ग में जाने की तैयारी कर रहे हो।
      1. वही याद आना चाहिए।
      2. धारणा भी होनी चाहिए।
      3. मुरली लिखकर फिर रिवाइज़ करनी चाहिए।
      4. फुर्सत तो बहुत रहती है।
      5. रात को तो बहुत फुर्सत है।
      6. रात को जागो तो आदत पड़ जायेगी।
      7. जो सच्चा-सच्चा बाबा को याद करने वाला होगा उनकी आंख आपेही खुल जायेगी।
      8. बाबा अनुभव बताते हैं।
      9. कैसे रात को आंख खुल जाती है।
      10. अभी तो नींद के लिए और ही पुरुषार्थ करते हैं।
      11. हाँ, स्थूल काम करने से भी शरीर को थकावट होती है।
      12. बाबा का रथ भी देखो कितना पुराना है।
    18. विचार करो, बाबा पतित दुनिया में आकर कितनी मेहनत करते हैं!
      1. भक्ति मार्ग में भी मेहनत करते थे, अभी भी मेहनत करते हैं।
      2. शरीर भी पतित तो दुनिया भी पतित।
    19. बाबा कहते हैं मैं आधाकल्प तो बहुत आराम करता हूँ, कुछ भी ख्याल नहीं करना पड़ता है।
      1. भक्ति मार्ग में बहुत ख्याल करना पड़ता इसलिए बाप को रहमदिल गाया हुआ है।
      2. ओशन ऑफ नॉलेज, ओशन आफ ब्लिस, कितनी महिमा करते हैं।
      3. वही बाप अभी हमको पढ़ाते हैं और कोई पढ़ा न सके। अच्छा!
    • मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।


  • धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) किसी का भी सामना नहीं करना है, कोई कुछ कहे तो सुना-अनसुना कर देना है। सहनशील बनना है। सतगुरू की निंदा नहीं करानी है।

2) अपना रजिस्टर खराब होने नहीं देना है। भूल हो जाए तो बाप को सुनाकर क्षमा मांग लेनी है। वहाँ (ऊपर) याद करने की आदत डालनी है।

साइलेन्स की शक्ति द्वारा जमा के खाते को बढ़ाने वाले श्रेष्ठ पद के अधिकारी भव

जैसे वर्तमान समय साइन्स की शक्ति का बहुत प्रभाव है, अल्पकाल के लिए प्राप्ति करा रही है। ऐसे साइलेन्स की शक्ति द्वारा जमा का खाता बढ़ाओ। बाप की दिव्य दृष्टि से स्वयं में शक्ति जमा करो तब जमा किया हुआ समय पर दूसरों को दे सकेंगे। जो दृष्टि के महत्व को जानकर साइलेन्स की शक्ति जमा कर लेते हैं वही श्रेष्ठ पद के अधिकारी बनते हैं। उनके चेहरे से खुशी की रूहानी झलक दिखाई देती है।


  • (All Slogans of 2021-22)

    • अपने आप नेचुरल अटेन्शन हो तो किसी भी प्रकार का टेन्शन आ नहीं सकता।

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