-
ओम् शान्ति।
- ओम् शान्ति का अर्थ तो नये वा पुराने बच्चों ने समझा है।
- तुम बच्चे जान गये हो कि हम सभी आत्मायें परमात्मा की सन्तान हैं।
- परमात्मा है ऊंचे ते ऊंच और बहुत प्यारे ते प्यारा माशूक सभी का।
- बच्चों को ज्ञान और भक्ति का राज़ तो समझाया है।
- ज्ञान माना दिन, सतयुग-त्रेता, भक्ति माना रात, द्वापर और कलियुग।
- भारत की ही बात है।
- और धर्मों से तुम्हारा जास्ती कनेक्शन नहीं है, 84 जन्म भी तुम ही भोगते हो।
- पहले-पहले भी तुम भारतवासी आये हो।
- 84 जन्मों का चक्र तुम भारतवासियों के लिए है।
- ऐसे कोई नहीं कहेंगे - इस्लामी, बौद्धी आदि 84 जन्म लेते हैं।
- नहीं, भारतवासी ही लेते हैं।
- भारत ही अविनाशी खण्ड है, यह कब विनाश नहीं होता और सभी खण्डों का विनाश हो जाता है।
- भारत ही सबसे ऊंच ते ऊंच है।
- अविनाशी है।
- भारत खण्ड ही स्वर्ग बनता है और कोई खण्ड स्वर्ग नहीं बनता।
- बच्चों को समझाया गया है - नई दुनिया सतयुग में भारत ही होता है।
- भारत ही स्वर्ग कहलाता है।
- वही फिर 84 जन्म लेते हैं।
- आखरीन नर्कवासी बनते हैं, फिर वही भारतवासी स्वर्गवासी बनेंगे।
- इस समय सभी नर्कवासी हैं।
- फिर और सब खण्ड विनाश होंगे, बाकी भारत ही रहेगा।
- भारत खण्ड की महिमा अपरमअपार है।
- वैसे परमपिता परमात्मा की महिमा और गीता की महिमा भी अपरमअपार है, परन्तु सच्ची गीता की।
- अभी बाप तुमको राजयोग सिखलाते हैं।
- यह गीता का पुरुषोत्तम संगमयुग है।
- भारत ही फिर पुरुषोत्तम बनने का है।
- अभी वह आदि सनातन देवी देवता धर्म नहीं है।
- राज्य भी नहीं है।
- तो वो युग भी नहीं है।
- बाबा ने समझाया है - यह भूल भी ड्रामा में है।
- गीता पर फिर श्रीकृष्ण का नाम रखेंगे।
- जब भक्तिमार्ग शुरू होगा तो पहले-पहले गीता ही होगी।
- अभी यह गीता आदि सब शास्त्र खत्म हो जाने हैं।
- बाकी सिर्फ देवी देवता धर्म ही रहेगा।
- ऐसे नहीं कि उनके साथ गीता भागवत आदि भी रहेंगे। नहीं।
- प्रालब्ध मिल गई, सद्गति हो गई तो फिर कोई शास्त्र आदि की दरकार ही नहीं।
- सतयुग में कोई भी गुरू शास्त्र आदि नहीं होते।
- इस समय तो अनेक गुरू हैं भक्ति सिखलाने वाले।
- सद्गति देने वाला तो एक ही रूहानी बाप है, जिसकी अपरमअपार महिमा है।
- उसे ही वर्ल्ड आलमाइटी अथॉरिटी कहा जाता है।
- भारतवासी बहुत करके यह भूल करते हैं जो कहते हैं वह अन्तर्यामी है।
- सबके अन्दर को जानता है।
- बाप कहते हैं बच्चे मैं कोई के अन्दर को नहीं जानता हूँ।
- मेरा तो काम ही है पतितों को पावन बनाना।
- बाकी मैं अन्तर्यामी नहीं हूँ।
- यह भक्तिमार्ग की उल्टी महिमा है।
- मुझे बुलाते ही हैं पतित दुनिया में।
- और मैं एक ही बार आता हूँ, जबकि पुरानी दुनिया को नया बनाना है।
- मनुष्यों को यह पता ही नहीं कि यह जो दुनिया है वह नई से पुरानी, पुरानी से नई कब बनती है।
- हर चीज़ सतो, रजो, तमो में जरूर आती है।
- मनुष्य भी एक जैसे होते हैं।
- बालक पहले सतोप्रधान है फिर युवा, वृद्ध होते हैं अर्थात् रजो, तमो में आते हैं।
- बूढ़ा शरीर होता है वह छोड़ जाकर बच्चा बनते हैं।
- दुनिया भी नई सो पुरानी होती है।
- बच्चे जानते हैं नई दुनिया में भारत कितना ऊंच था।
- भारत की महिमा अपरमअपार है।
- इतना धनवान, सुखी, पवित्र और कोई खण्ड है नहीं।
- अब सतोप्रधान दुनिया स्थापन हो रही है।
- त्रिमूर्ति में भी ब्रह्मा, विष्णु, शंकर दिखाया है।
- उनका अर्थ कोई समझते नहीं हैं।
- वास्तव में कहना चाहिए त्रिमूर्ति शिव न कि ब्रह्मा।
- ब्रह्मा विष्णु शंकर को क्रियेट किसने किया.... ऊंचे ते ऊंच शिवबाबा है।
- कहते हैं ब्रह्मा देवताए नम:, विष्णु देवताए नम:, शंकर देवताए नम:, शिव परमात्माए नम:।
- तो वह ऊंच हुआ ना।
- वह है रचयिता।
- गाते भी हैं परमपिता परमात्मा ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मणों की स्थापना करते हैं फिर परमात्मा बाप द्वारा वर्सा भी मिलता है।
- फिर खुद बैठ ब्राह्मणों को पढ़ाते हैं क्योंकि वह बाप भी है, सुप्रीम टीचर भी है।
- वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी कैसे चक्र लगाती है, वह बैठ समझाते हैं।
- वही नॉलेजफुल है।
- बाकी ऐसे नहीं कि वह जानीजाननहार है।
- यह भी भूल है।
- भक्तिमार्ग में कोई बायोग्राफी, आक्यूपेशन को नहीं जानते।
- तो यह जैसे गुड़ियों की पूजा हो जाती है।
- कलकत्ते में गुड़ियों की पूजा कितनी होती है, फिर उनकी पूजा कर खिला-पिलाकर समुद्र में डुबो देते हैं।
- शिवबाबा मोस्ट बिलवेड है।
- बाप कहते हैं मेरा भी मिट्टी का लिंग बनाकर पूजा आदि कर फिर तोड़फोड़ देते हैं।
- सवेरे बनाते हैं, शाम को तोड़ देते हैं।
- यह सब है भक्तिमार्ग, अन्धश्रद्धा की पूजा।
- मनुष्य गाते भी हैं आपेही पूज्य आपेही पुजारी।
- बाप कहते हैं मैं तो सदैव पूज्य हूँ।
- मैं तो आकर सिर्फ पतितों को पावन बनाता हूँ।
- 21 जन्मों के लिए राज्य भाग्य देता हूँ।
- भक्ति में है अल्पकाल का सुख, जिसको संन्यासी काग विष्टा समान सुख कहते हैं।
- संन्यासी घरबार छोड़ देते हैं।
- वह है हद का संन्यास, हठयोगी हैं ना।
- भगवान को तो जानते ही नहीं।
- ब्रह्म को याद करते हैं।
- ब्रह्म तो भगवान नहीं।
- भगवान तो एक ही निराकार शिव है, जो सर्व आत्माओं का बाप है।
- ब्रह्म है हम आत्माओं के रहने का स्थान।
- वह ब्रह्माण्ड, स्वीट होम है।
- वहाँ से हम आत्मायें यहाँ पार्ट बजाने आती हैं।
- आत्मा कहती है हम एक शरीर छोड़ दूसरा शरीर लेता हूँ, 84 जन्म भी भारतवासियों के हैं।
- जिन्हों ने बहुत भक्ति की है, वही फिर ज्ञान भी जास्ती उठायेंगे।
- बाप कहते हैं बच्चे गृहस्थ व्यवहार में भल रहो, परन्तु श्रीमत पर चलो।
- तुम सब आत्मायें आशिक हो, एक परमात्मा माशूक के।
- द्वापर से लेकर तुम याद करते आये हो।
- दु:ख में आत्मा बाप को याद करती है।
- यह है ही दु:खधाम।
- आत्मायें असली शान्ति-धाम की निवासी हैं।
- पीछे आई सुखधाम में।
- फिर हमने 84 जन्म लिए।
- “हम सो, सो हम'' का अर्थ भी समझाया है।
- वह कह देते आत्मा सो परमात्मा, परमात्मा सो आत्मा।
- अब बाप समझाते हैं आत्मा सो परमात्मा कैसे हो सकता। परमात्मा तो एक है।
- उनके सब बच्चे हैं।
- साधू सन्त आदि भी हम सो का अर्थ रॉग करते हैं।
- अब बाप ने समझाया है “हम सो'' का अर्थ ही है - हम आत्मा सतयुग में सो देवी-देवता थी, फिर हम सो क्षत्रिय, हम सो वैश्य, हम सो शूद्र बनी।
- अब फिर हम सो ब्राह्मण बने हैं, हम सो देवता बनने के लिए।
- यह है यथार्थ अर्थ।
- वह है बिल्कुल रॉग।
- बाप कहते हैं मनुष्य रावण की मत पर चल कितने झूठे हो गये हैं इसलिए कहावत है - झूठी माया, झूठी काया...सतयुग में ऐसे नहीं कहेंगे।
- वह है सचखण्ड। वहाँ झूठ का नाम-निशान नहीं।
- यहाँ फिर सच का नाम नहीं है।
- फिर भी आटे में नमक कहा जाता है।
- सतयुग में हैं दैवीगुण वाले मनुष्य।
- उन्हों का है देवता धर्म।
- पीछे और-और धर्म हुए हैं।
- तो द्वेत हुआ।
- द्वापर से आसुरी रावणराज्य शुरू हो जाता है।
- सतयुग में रावण राज्य भी नहीं तो 5 विकार भी नहीं हो सकते।
- वह है सम्पूर्ण निर्विकारी।
- राम सीता को 14 कला सम्पूर्ण कहा जाता है।
- राम को बाण क्यों दिया है?
- यह भी कोई नही जानते।
- हिंसा की तो बात नहीं।
- तुम हो गाडली स्टूडेण्ट, तो फादर भी हुआ।
- स्टूडेण्ट हैं तो वह टीचर हुआ।
- फिर तुम बच्चों को सद्गति दे स्वर्ग में ले जाते हैं तो सतगुरू हुआ।
- बाप, टीचर, गुरू तीनों ही हो गया।
- उनके तुम बच्चे बने हो तो तुमको कितनी खुशी होनी चाहिए।
- तुम बच्चे जानते हो अभी है रावण राज्य।
- रावण भारत का सबसे बड़ा दुश्मन है।
- यह नॉलेज भी तुम बच्चों को नॉलेजफुल बाप से मिली है।
- वह बाप ही ज्ञान का सागर, आनन्द का सागर है।
- ज्ञान सागर से तुम बादल भरकर फिर जाए वर्षा करते हो।
- ज्ञान गंगायें तुम हो, तुम्हारी ही महिमा है।
- बाकी पानी की गंगा में स्नान करने से पावन तो कोई बनता ही नहीं।
- मैले गन्दे पानी में स्नान करने से भी समझते हैं हम पावन बन जायेंगे।
- चश्में (झरने) के पानी को भी बहुत महत्व देते हैं।
- यह सब है भक्ति मार्ग।
- सतयुग त्रेता में भक्ति होती नहीं।
- वह है सम्पूर्ण निर्विकारी दुनिया।
- बाप कहते हैं बच्चे मैं तुमको अभी पावन बनाने आया हूँ।
- यह एक जन्म मुझे याद करो और पावन बनो तो तुम सतोप्रधान बन जायेंगे।
- मैं ही पतित-पावन हूँ।
- जितना हो सके याद की यात्रा को बढ़ाओ।
- मुख से शिवबाबा, शिवबाबा कहना नहीं है।
- जैसे आशिक माशुक को याद करते हैं।
- एक बार देखा बस, बुद्धि में उनकी याद रहेगी।
- भक्ति में जो जिसको याद करते, जिसकी पूजा करते हैं उनका साक्षात्कार हो जाता है।
- परन्तु वह सब है अल्पकाल के लिए।
- भक्ति से नीचे ही उतरते आये हैं।
- अब तो मौत सामने खड़ा है।
- हाय-हाय के बाद ही जयजयकार होनी है।
- भारत में ही रक्त की नदियॉ बहनी हैं।
- अब सब तमोप्रधान बन गये हैं फिर सबको सतोप्रधान बनना है।
- परन्तु बनेंगे वही जो कल्प पहले देवता बने होंगे।
- वही आकर बाप से पूरा-पूरा वर्सा लेंगे।
- अगर भक्ति कम की होगी तो ज्ञान भी पूरा नहीं उठायेंगे।
- फिर प्रजा में नम्बरवार पद पायेंगे।
- अच्छे पुरुषार्थी कदम-कदम श्रीमत पर चल अच्छा पद पायेंगे।
- मैनर्स भी अच्छे चाहिए।
- दैवी गुण भी धारण करने हैं।
- वह फिर 21 जन्म चलेंगे।
- अब हैं सबके आसुरी गुण क्योंकि पतित दुनिया है ना।
- तुम बच्चों को वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी भी समझाई गई है।
- इस समय बाप कहते हैं बच्चे याद की बहुत मेहनत करो तो तुम सच्चा सोना बन जायेंगे।
- सतयुग है गोल्डन एज, सच्चा सोना। फिर त्रेता में चाँदी की अलाए पड़ती है तो कलायें कम होती जाती हैं।
- अब तो कोई कला नहीं है।
- जब ऐसी हालत हो जाती है तब बाप आते हैं। यह भी ड्रामा में नूँध है।
- तुम एक्टर्स हो ना।
- तुम जानते हो हम यहाँ पार्ट बजाने आये हैं।
- पार्टधारी अगर ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त को न जाने तो उनको बेसमझ कहा जाता है।
- बेहद का बाप कहते हैं सभी कितना बेसमझ बन गये हैं।
- अब मैं तुमको समझदार हीरे जैसा बनाता हूँ।
- फिर रावण आकर कौड़ी जैसा बनाते हैं,
- अब इस पुरानी दुनिया का विनाश होना है।
- सबको मच्छरों सदृश्य ले जाता हूँ।
- तुम्हारी एम आब्जेक्ट सामने खड़ी है।
- ऐसा बनना है तब तुम स्वर्गवासी बनेगे।
- तुम बी.के. यह पुरुषार्थ कर रहे हो।
- परन्तु मनुष्यों की बुद्धि तमोप्रधान होने कारण यह भी समझते नहीं कि इतने सब बी.के. हैं तो जरूर प्रजापिता ब्रह्मा भी होगा।
- ब्राह्मण हैं चोटी।
- ब्राह्मण फिर देवता, चित्रों में ब्राह्मणों को, शिव को गुम कर दिया है।
- ब्राह्मण अब भारत को स्वर्ग बना रहे हैं।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ज्ञान सागर से बादल भर ज्ञान वर्षा करनी है।
जितना हो सके याद की यात्रा को भी बढ़ाना है।
याद से ही सच्चा सोना बनना है।
2) श्रीमत पर चल अच्छे मैनर्स और दैवीगुण धारण करने हैं।
सचखण्ड में चलने के लिए बहुत-बहुत सच्चा बनना है।
( All Blessings of 2021-22)
विशेषता देखने का चश्मा पहन सम्बन्ध-सम्पर्क में आने वाले विश्व परिवर्तक भव
एक दो के साथ सम्बन्ध वा सम्पर्क में आते हर एक की विशेषता को देखो।
विशेषता देखने की ही दृष्टि धारण करो।
जैसे आजकल का फैशन और मजबूरी चश्मे की है।
तो विशेषता देखने वाला चश्मा पहनो।
दूसरा कुछ दिखाई ही न दे।
जैसे लाल चश्मा पहन लो तो हरा भी लाल दिखाई देता है।
तो विशेषता के चश्में द्वारा कीचड़ को न देख कमल को देखने से विश्व परिवर्तन के विशेष कार्य के निमित्त बन जायेंगे।
(All Slogans of 2021-22)
-
परचिंतन और परदर्शन की धूल से सदा दूर रहो तो बेदाग अमूल्य हीरा बन जायेंगे।
|