20-01-2023 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
“मीठे बच्चे - तुम पीस स्थापन करने के निमित्त हो, इसलिए बहुत-बहुत पीस में रहना है, बुद्धि में रहे कि हम बाप के एडाप्टेड बच्चे आपस में भाई-बहन हैं''
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प्रश्नः-
पूरा सरेण्डर किसे कहेंगे, उनकी निशानी क्या होगी?
उत्तर:-
पूरा सरेण्डर वह, जिनकी बुद्धि में रहता कि हम ईश्वरीय माँ-बाप से पलते हैं।
बाबा यह सब कुछ आपका है, आप हमारी पालना करते हो।
भल कोई नौकरी आदि करते हैं लेकिन बुद्धि से समझते हैं यह सब बाबा के लिए है।
बाप को मदद करते रहते, उससे इतने बड़े यज्ञ की कारोबार चलती, सबकी पालना होती... ऐसे बच्चे भी अर्पण बुद्धि हुए।
साथ-साथ पद ऊंचा पाने के लिए पढ़ना और पढ़ाना भी है।
शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करते हुए बेहद के मात-पिता को श्वाँसों श्वाँस याद करना है।
गीत:- ओम् नमो शिवाए...
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- ओम् शान्ति।
- यह गीत तो है गायन।
- वास्तव में महिमा सारी है ही ऊंचे ते ऊंचे परमात्मा की, जिसको बच्चे जानते हैं और बच्चों द्वारा सारी दुनिया भी जानती है कि मात-पिता हमारा वही है।
- अब तुम मात-पिता के साथ कुटुम्ब में बैठे हो।
- श्रीकृष्ण को तो मात-पिता कह नहीं सकते।
- भल उनके साथ राधे भी हो तो भी उनको माता पिता नहीं कहेंगे क्योंकि वह तो प्रिन्स-प्रिन्सेज हैं।
- शास्त्रों में यह भूल है।
- अब यह बेहद का बाप तुमको सभी शास्त्रों का सार बताते हैं।
- भल इस समय सिर्फ तुम बच्चे सम्मुख बैठे हो।
- कोई बच्चे भल दूर हैं परन्तु वह भी सुन रहे हैं।
- वे जानते हैं कि मात-पिता हमको सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त का राज़ समझा रहे हैं और सदा सुखी बनाने का रास्ता वा युक्ति बता रहे हैं।
- यह हू ब हू जैसा घर है।
- थोड़े बच्चे यहाँ हैं, बहुत तो बाहर हैं।
- यह है ब्रह्मा मुख वंशावली, नई रचना है।
- वह हो गई पुरानी रचना।
- बच्चे जानते हैं कि बाबा हमको सदा सुखी बनाने आये हैं।
- लौकिक माँ-बाप भी बच्चे को बड़ा कर स्कूल में ले जाते हैं।
- यहाँ बेहद का बाप हमको पढ़ा भी रहे हैं, हमारी पालना भी कर रहे हैं।
- तुम बच्चों को अब एक के बिगर दूसरा कोई रहा ही नहीं है।
- माँ-बाप भी समझते हैं - यह हमारे बच्चे हैं।
- लौकिक कुटुम्ब होगा तो 10-15 बच्चे होंगे, 2-3 शादी की होगी।
- यहाँ तो यह सब बाबा के बच्चे बैठे हैं।
- जितने भी बच्चे पैदा करने हैं सो अभी ही ब्रह्मा मुख कमल द्वारा करने हैं।
- पीछे तो बच्चे पैदा करने ही नहीं हैं।
- सभी को वापिस जाना है।
- यह एक ही एडाप्टेड माता निमित्त है।
- यह बड़ी वण्डरफुल बात है।
- यह तो जरूर है गरीब का बच्चा समझेगा कि हमारा बाप गरीब है।
- साहूकार का बच्चा समझेगा कि हमारा बाप साहूकार है।
- वह तो अनेक माँ-बाप हैं।
- यह तो सारे जगत का एक ही माता-पिता है।
- तुम सभी जानते हो कि हम उनके मुख से एडाप्ट हुए हैं।
- यह हमारा पारलौकिक माँ-बाप है।
- यह आते ही पुरानी सृष्टि में हैं, जब मनुष्य बहुत-बहुत दु:खी होते हैं।
- बच्चे जानते हैं कि हमने इस पारलौकिक मात-पिता की गोद ली है।
- हम सब आपस में भाई-बहन हैं।
- दूसरा कोई हमारा सम्बन्ध नहीं है।
- तो भाई बहन को आपस में बहुत मीठा, रॉयल, पीसफुल, नॉलेज-फुल, ब्लिसफुल बनना चाहिए।
- जबकि तुम पीस स्थापन कर रहे हो तो तुमको भी बहुत पीस में रहना चाहिए।
- बच्चों को यह तो बुद्धि में होना चाहिए कि हम पारलौकिक बाप के एडाप्टेड बच्चे हैं।
- परमधाम से बाप आये हैं।
- वह है डाडा (ग्रैण्ड फादर) यह दादा (बड़ा भाई) है,
- जो पूरा सरेण्डर हैं वो समझेंगे हम ईश्वरीय माँ-बाप से पलते हैं।
- बाबा यह सब कुछ आपका है।
- आप हमारी पालना करते हो।
- जो बच्चे अर्पण होते हैं उनसे सभी की पालना हो जाती है।
- भल कोई नौकरी करते हैं तो भी समझते हैं यह सब कुछ बाबा के लिए है।
- तो बाप को भी मदद करते रहते हैं।
- नहीं तो यज्ञ की कारोबार कैसे चले।
- राजा रानी को भी मात-पिता कहते हैं।
- परन्तु वह फिर भी जिस्मानी मात-पिता हुए।
- राज-माता भी कहते हैं तो राज-पिता भी कहते हैं।
- यह फिर हैं बेहद के।
- बच्चे जानते हैं कि हम मात-पिता के साथ बैठे हैं।
- यह भी बच्चे जानते हैं कि हम जितना पढ़ेंगे और पढ़ायेंगे उतना ऊंच पद पायेंगे।
- साथ-साथ शरीर निर्वाह अर्थ कर्म भी करना है।
- यह दादा भी बुजुर्ग है।
- शिवबाबा को कभी बूढ़ा वा जवान नहीं कहेंगे।
- वह है ही निराकार।
- यह भी तुम जानते हो कि हम आत्माओं को निराकार बाप ने एडाप्ट किया है।
- और फिर साकार में है यह ब्रह्मा।
- अहम् आत्मा कहती हैं हमने बाप को अपना बनाया है।
- फिर नीचे आओ तो कहेंगे हम भाई बहनों ने ब्रह्मा को अपना बनाया है।
- शिवबाबा कहते हैं - तुम ब्रह्मा द्वारा हमारे ब्रह्मा मुख वंशावली बने हो।
- ब्रह्मा भी कहते हैं तुम हमारे बच्चे बने हो।
- तुम ब्राह्मणों की बुद्धि में श्वाँसों श्वाँस यही चलेगा कि यह हमारा बाप है, वह हमारा दादा है।
- बाप से जास्ती दादे को याद करते हैं।
- वह मनुष्य तो बाप से झगड़ा आदि करके भी दादे से प्रापर्टी लेते हैं।
- तुमको भी कोशिश करके बाप से भी जास्ती दादे से वर्सा लेना है।
- बाबा जब पूछते हैं तो सभी कहते हैं हम नारायण को वरेंगे।
- कोई-कोई नये आते थे, पवित्र नहीं रह सकते तो वह हाथ नहीं उठा सकते।
- कह देते माया बड़ी प्रबल है।
- वह तो कह भी नहीं सकते कि हम श्री नारायण को वा लक्ष्मी को वरेंगे।
- देखो, जब बाबा सम्मुख सुनाते हैं तो कितना खुशी का पारा चढ़ता है।
- बुद्धि को रिफ्रेश किया जाता है तो नशा चढ़ता है।
- फिर किसी-किसी को वह नशा स्थाई रहता है, किसी-किसी में कम हो जाता है।
- बेहद के बाप को याद करना है, 84 जन्मों को याद करना है और चक्रवर्ती राजाई को भी याद करना है।
- जो मानने वाले नहीं होंगे उनको याद नहीं रहेगी।
- बापदादा समझ जाते हैं कि बाबा-बाबा कहते तो हैं परन्तु सच-सच याद करते नहीं हैं और न लक्ष्मी-नारायण को वरने लायक हैं।
- चलन ही ऐसी है।
- अन्तर्यामी बाप हर एक की बुद्धि को समझते हैं।
- यहाँ शास्त्रों की तो कोई बात ही नहीं।
- बाप ने आकर राजयोग सिखाया है, जिसका नाम गीता रखा है।
- बाकी तो छोटे मोटे धर्मों वाले सब अपना-अपना शास्त्र बना लेते हैं फिर वह पढ़ते रहते हैं।
- बाबा शास्त्र नहीं पढ़े हैं।
- कहते हैं बच्चे - मैं तुमको स्वर्ग की राह बताने आया हूँ।
- तुम जैसे अशरीरी आये थे, वैसे ही तुमको जाना है।
- देह सहित सब इन दु:खों के कर्मबन्धन को छोड़ देना है क्योंकि देह भी दु:ख देती है।
- बीमारी होगी तो क्लास में आ नहीं सकेंगे।
- तो यह भी देह का बन्धन हो गया, इसमें बुद्धि बड़ी सालिम चाहिए।
- पहले तो निश्चय चाहिए कि बरोबर बाबा स्वर्ग रचता है।
- अभी तो है नर्क।
- जब कोई मरता है तो कहते हैं स्वर्ग गया, तो जरूर नर्क में था ना।
- परन्तु यह तुम अभी समझते हो क्योंकि तुम्हारी बुद्धि में स्वर्ग है।
- बाबा रोज़ नये-नये तरीके से समझाते हैं।
- तो तुम्हारी बुद्धि में अच्छी रीति बैठे।
- हमारा बेहद का मात-पिता है।
- तो पहले बुद्धि एकदम ऊपर चली जायेगी।
- फिर कहेंगे इस समय बाबा आबू में है।
- जैसे यात्रा पर जाते हैं तो बद्रीनाथ का मन्दिर ऊपर रहता है।
- पण्डे ले जाते हैं, बद्रीनाथ खुद तो ले चलने लिए नहीं आता है।
- मनुष्य पण्डा बनते हैं।
- यहाँ शिवबाबा खुद आते हैं परमधाम से।
- कहते हैं हे आत्मायें तुमको यह शरीर छोड़ शिवपुरी चलना है।
- जहाँ जाना है वह निशाना जरूर याद रहेगा।
- वह बद्रीनाथ चैतन्य में आकर बच्चों को साथ ले जाये, ऐसे तो हो नहीं सकता।
- वह तो यहाँ का रहवासी है।
- यह परमपिता परमात्मा कहते हैं मैं परमधाम का रहवासी हूँ।
- तुमको लेने लिए आया हूँ।
- श्रीकृष्ण तो ऐसे कह न सके।
- रुद्र शिवबाबा कहते हैं, यह रुद्र यज्ञ रचा हुआ है।
- गीता में भी रुद्र की बात लिखी हुई है।
- वह रूहानी बाप कहते हैं मुझे याद करो।
- बाप ऐसी युक्ति से यात्रा सिखाते हैं, जो जब विनाश हो तो तुम आत्मा शरीर छोड़ सीधा बाप के पास चले जायेंगे।
- फिर तो शुद्ध आत्मा को शुद्ध शरीर चाहिए, सो तब होगा जब नई सृष्टि हो।
- अभी तो सभी आत्मायें मच्छरों सदृश्य वापस जायेंगी, बाबा के साथ, इसलिए उनको खिवैया भी कहा जाता है।
- इस विषय सागर से उस पार ले जाते हैं।
- श्रीकृष्ण को खिवैया नहीं कह सकते।
- बाप ही इस दु:ख के संसार से सुख के संसार में ले जाते हैं।
- यही भारत विष्णुपुरी, लक्ष्मी-नारायण का राज्य था।
- अब रावणपुरी है।
- रावण का चित्र भी दिखाना चाहिए।
- चित्रों से बहुत काम लेना है।
- जैसे हमारी आत्मा है वैसे बाबा की आत्मा है।
- सिर्फ हम पहले अज्ञानी थे, वह ज्ञान का सागर है।
- अज्ञानी उसको कहा जाता है जो रचता और रचना को नहीं जानते हैं।
- रचता द्वारा जो रचता और रचना को जानते हैं उनको ज्ञानी कहा जाता है।
- यह ज्ञान तुमको यहाँ मिलता है।
- सतयुग में नहीं मिलता।
- वो लोग कहते हैं परमात्मा विश्व का मालिक है।
- मनुष्य उस मालिक को याद करते हैं, परन्तु वास्तव में विश्व का अथवा सृष्टि का मालिक तो लक्ष्मी-नारायण बनते हैं।
- निराकार शिवबाबा तो विश्व का मालिक बनता नहीं।
- तो उन्हों से पूछना पड़े कि वह मालिक निराकार है या साकार?
- निराकार तो साकार सृष्टि का मालिक हो न सके।
- वह है ब्रह्माण्ड का मालिक।
- वही आकर पतित दुनिया को पावन बनाते हैं।
- खुद पावन दुनिया का मालिक नहीं बनते।
- उनका मालिक तो लक्ष्मी-नारायण बनते हैं और बनाने वाला है बाप।
- यह बड़ी गुह्य बातें हैं समझने की।
- हम आत्मा भी जब ब्रह्म तत्व में रहती हैं तो ब्रह्माण्ड के मालिक हैं।
- जैसे राजा रानी कहेंगे हम भारत के मालिक हैं तो प्रजा भी कहेगी हम मालिक हैं।
- वहाँ रहते तो हैं ना।
- वैसे बाप ब्रह्माण्ड का मालिक है, हम भी मालिक ही ठहरे।
- फिर बाबा आकर नई मनुष्य सृष्टि रचते हैं।
- कहते हैं मुझे इस पर राज्य नहीं करना है, मैं मनुष्य नहीं बनता हूँ।
- मैं तो यह शरीर भी लोन लेता हूँ।
- तुमको सृष्टि का मालिक बनाने राजयोग सिखाता हूँ।
- तुम जितना पुरुषार्थ करेंगे उतना पद ऊंचा पायेंगे, इसमें कमी मत करो।
- टीचर तो सभी को पढ़ाते हैं।
- अगर इम्तहान में बहुत पास होते हैं तो टीचर का भी शो होता है।
- फिर उनको गवर्मेन्ट से लिफ्ट मिलती है।
- यह भी ऐसे है।
- जितना अच्छा पढ़ेंगे उतना अच्छा पद मिलेगा।
- माँ-बाप भी खुश होंगे।
- इम्तहान में पास होते हैं तो मिठाई बाँटते हैं।
- यहाँ तो तुम रोज़ मिठाई बाँटते हो।
- फिर जब इम्तहान में पास हो जाते हो तो सोने के फूलों की वर्षा होती है।
- तुम्हारे ऊपर कोई आकाश से फूल नही गिरेंगे परन्तु तुम एकदम सोने के महलों के मालिक बन जाते हो।
- यह तो कोई की महिमा करने के लिए सोने के फूल बनाकर उन पर डालते हैं।
- जैसे दरभंगा का राजा बहुत साहूकार था, उनका बच्चा विलायत गया तो पार्टी दी, बहुत पैसा खर्च किया।
- उसने सोने के फूल बनाकर वर्षा की थी।
- उस पर बहुत खर्चा हो गया।
- बहुत नाम हुआ था।
- कहते थे देखो भारतवासी कैसे पैसे उड़ाते हैं।
- तुम तो खुद ही सोने के महलों में जाकर बैठेंगे तो तुमको कितना नशा रहना चाहिए।
- बाप कहते हैं सिर्फ मेरे को और चक्र को याद करो तो तुम्हारा बेड़ा पार हो जायेगा।
- कितना सहज है।
- तुम बच्चे हो चैतन्य परवाने, बाबा है चैतन्य शमा।
- तुम कहते हो अभी हमारा राज्य स्थापन होना है।
- अब सच्चा बाबा आया हुआ है भक्ति का फल देने।
- बाबा ने खुद बतलाया है मैं कैसे आकर नये ब्राह्मणों की सृष्टि रचता हूँ।
- मुझे जरूर आना पड़े।
- तुम बच्चे जानते हो हम ब्रह्माकुमार और कुमारियाँ हैं।
- शिवबाबा के पोत्रे हैं।
- यह फैमिली है वण्डरफुल।
- कैसे देवी-देवता धर्म का कलम लग रहा है।
- झाड़ में क्लीयर है।
- नीचे तुम बैठे हो।
- तुम बच्चे कितने सौभाग्यशाली हो।
- मोस्ट बिलवेड बाप बैठ समझाते हैं कि मैं आया हूँ तुम बच्चों को रावण की जंजीरों से छुड़ाने।
- रावण ने तुमको रोगी बना दिया है।
- अब बाप कहते हैं मुझे याद करो अर्थात् शिवबाबा को याद करो इससे तुम्हारी ज्योति जगेगी, फिर तुम उड़ने लायक बन जायेंगे।
- माया ने सबके पंख तोड़ डाले हैं।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बुद्धि को सालिम बनाने के लिए देह में रहते, देह के बन्धन से न्यारा रहना है। अशरीरी बनने का अभ्यास करना है। बीमारी आदि के समय भी बाप की याद में रहना है।
2) पारलौकिक मात-पिता के बच्चे बने हैं, इसलिए बहुत-बहुत मीठा, रॉयल, पीसफुल, नॉलेजफुल और ब्लिसफुल रहना है। पीस में रह पीस स्थापन करनी है।
( All Blessings of 2021-22)
रूहानियत के साथ रमणीकता में आने वाले मर्यादा पुरूषोत्तम भव
कई बच्चे हंसी-मजाक बहुत करते हैं और उसे ही रमणीकता समझते हैं।
वैसे रमणीकता का गुण अच्छा माना जाता है लेकिन व्यक्ति, समय, संगठन, स्थान, वायुमण्डल के प्रमाण रमणीकता अच्छी लगती है।
यदि इन सब बातों में से एक बात भी ठीक नहीं तो रमणीकता भी व्यर्थ की लाइन में गिनी जायेगी और सर्टीफिकेट मिलेगा कि यह हंसाते बहुत अच्छा हैं लेकिन बोलते बहुत हैं, इसलिए हंसीमजाक अच्छा वह है जिसमें रूहानियत हो और उस आत्मा का फ़ायदा हो, सीमा के अन्दर बोल हों, तब कहेंगे मर्यादा पुरुषोत्तम।
(All Slogans of 2021-22)
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सदा स्वस्थ रहना है तो आत्मिक शक्ति को बढ़ाओ।
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