22-12-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
मीठे बच्चे - देह-अंहकार छोड़ देही-अभिमानी बनो, अपने कल्याण के लिए याद का चार्ट नोट करो, खास याद में बैठो, याद से ही विकर्म विनाश होंगे''
ClickOnImage |
प्रश्नः-
बाप ने तुम बच्चों को पहला-पहला कायदा कौन सा सुनाया है?
उत्तर:-
पहला कायदा है - सब कुछ देखते हुए बुद्धि चलायमान न हो।
एक बाप की याद रहे।
अपनी परीक्षा लेनी है कि मेरी वृत्ति देखने से खराब तो नहीं होती है?
तुम्हें हाथ से काम करते दिल से बाप को याद करना है, इसमें आंखे बन्द करने की बात ही नहीं है।
|
- ओम् शान्ति।
- भक्ति मार्ग में अक्सर करके कोई संन्यासी आदि जब बैठते हैं तो ऑखें बन्द करके बैठते हैं।
- यहाँ कायदा है देखते हुए भी चलायमान नहीं होना है।
- अपनी परीक्षा लेनी होती है कि देखने से मेरी वृत्ति खराब तो नहीं होती है?
- हम भल देखते हैं परन्तु बुद्धि का योग बाप के साथ है।
- मनुष्य भोजन बनायेंगे तो ऑखें बन्द करके तो नहीं बनायेंगे ना।
- इसको कहा जाता है हथ कार डे दिल यार डे।
- कर्मेन्द्रियों से काम लेते रहो परन्तु याद बाप को करो।
- जैसे स्त्री पति के लिए भोजन बनाती है।
- हाथ से काम करती रहेगी परन्तु बुद्धि में होगा कि मैं पति के लिए भोजन बनाती हूँ।
- तुम बच्चे बाप की सर्विस में हो।
- बाप कहते हैं - बच्चे मैं तुम्हारा ओबिडियन्ट सर्वेन्ट हूँ।
- बच्चों को अर्थात् आत्माओं को समझायेंगे ना।
- आत्मा कहेगी - स्वीट फादर, आप जो हमको ज्ञान और योग सिखलाते हो, हम उस सर्विस में ही बिजी हैं।
- और आपने डायरेक्शन दिया है कि गृहस्थ व्यवहार में रहते, काम करते घड़ी-घड़ी मुझे याद करते रहो।
- तुम रेगुलर याद कर नहीं सकते।
- कोई कहे हम 12 घण्टा याद करते हैं, परन्तु नहीं।
- माया घड़ी-घड़ी बुद्धियोग जरूर हटायेगी।
- तुम्हारी लड़ाई है ही माया के साथ।
- माया याद करने नहीं देती है क्योंकि तुम माया पर जीत पाते हो।
- रावण-जीत जगतजीत।
- राम भी जगतजीत थे।
- सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी जगतजीत थे।
- तो इन ऑखों से देखते हुए बुद्धि बाप के साथ रहनी चाहिए।
- देखना है मेरे को कोई चलायमानी तो नहीं आती है!
- बाप को पूरा याद करना है।
- ऐसे नहीं कि मैं तो शिवबाबा का हूँ ही, याद करने की क्या दरकार है।
- परन्तु नहीं, खास याद करना है और यह नोट रखना है कि सारे दिन में हमने कितना समय याद किया?
- ऐसे बहुत होते हैं जो सारे दिन की हिस्ट्री लिखते हैं कि हमने सारा दिन यह-यह किया।
- जरूर अच्छे मनुष्य ही लिखेंगे।
- अच्छी चाल लिखते हैं तो पिछाड़ी वाले देखकर सीखें।
- बुराई लिखें तो उनको देख और भी बुराई सीखेंगे।
- अब बाप बच्चों को राय देते हैं कि तुमको चार्ट रखना है।
- नॉलेज तो बहुत सहज है।
- भारत का प्राचीन राजयोग मशहूर है।
- भक्ति मार्ग में अनेक प्रकार के हठयोग आदि सिखलाते हैं।
- उन्हों को यह पता नहीं है कि बाप ने कौन सा योग सिखलाया था?
- भल कोई-कोई अक्षर भी हैं - मनमनाभव, देह सहित देह के सब सम्बन्ध छोड़ मामेकम् याद करो।
- अब उनके लिए सर्वव्यापी कहना, यह तो रांग हो जाता है।
- कोई याद कर ही नहीं सकते।
- पत्थरबुद्धि होने कारण कुछ भी अर्थ नहीं समझते।
- बाप समझाते हैं - मुझ बाप को याद करो।
- यह मेरी देह नहीं है।
- श्रीकृष्ण की आत्मा तो कह न सके।
- निराकार बाप ही कहते हैं अपने को आत्मा अशरीरी समझो।
- तुम अशरीरी (नंगे) आये थे।
- उन्होंने फिर नागा समझ लिया है।
- भक्तिमार्ग में अयथार्थ उठा लिया है।
- बाप ने कहा - अपने को देह से अलग समझो।
- देह अहंकार छोड़ो, देही-अभिमानी बनो।
- सारी आयु तुम अपने को देह समझते आये हो।
- अभी यह अन्तिम जन्म है।
- अभी तुमको देही-अभिमानी बनना है।
- सतयुग में देवतायें आत्म-अभिमानी थे।
- उनको मालूम रहता था कि एक शरीर छोड़ दूसरा लेना है।
- खुशी से पुराना शरीर छोड़ नया लेते हैं।
- संन्यासी तो यह सिखला न सकें।
- वह काल को जीत नहीं सकते।
- तुम बच्चे काल पर जीत पाते हो।
- वह निवृत्ति मार्ग वाले हैं।
- वह फिर अपने संन्यास धर्म में आयेंगे।
- प्रवृत्ति मार्ग में आ न सकें।
- वह भी भारत के लिए अच्छा धर्म है।
- पवित्र बनते हैं भारत की महिमा इतनी बड़ी है जितनी बाप की बड़ी है।
- भारत ही पवित्र था, अब नहीं है।
- भारत सबका तीर्थ स्थान है।
- सब मनुष्य मात्र की अभी सद्गति होगी।
- कहते हैं गॉड फादर इज़ लिबरेटर।
- दु:ख से लिबरेट कर शान्तिधाम में ले जाते हैं।
- अगर भारतवासियों को मालूम होता तो सर्वव्यापी नहीं कहते।
- शिवजयन्ति यहाँ मनाते हैं।
- गाते भी हैं कि हे पतित-पावन।
- निराकार बाप को ही याद करते हैं।
- भारतवासी ही गाते हैं।
- सबसे जास्ती पावन वही बनते हैं।
- तुम समझते हो बिल्कुल राइट बातें हैं।
- बाकी शास्त्र तो ढेर हैं, हर धर्म वाले अपनी-अपनी किताब बनाते हैं।
- नये-नये धर्मों का बहुत मान होता है।
- भारतवासी द्वापर से गिरते ही आये हैं।
- अभी सब पतित बन पड़े हैं।
- सारी दुनिया पतित-पावन बाप को याद करती है।
- ऐसे बाप का जन्म यहाँ होता है।
- सोमनाथ का मन्दिर भी यहाँ है, इनको अगर जान जायें तो सब एक पर ही फूल चढ़ायें क्योंकि वह सबका लिबरेटर है।
- हमारा तो एक दूसरा न कोई।
- कोई मरता है तो उन पर फूल चढ़ाते हैं।
- शिव-बाबा तो मरते नहीं हैं।
- सबको शान्तिधाम ले जाते हैं।
- शिव के मन्दिर जहाँ-तहाँ हैं।
- विलायत में भी शिवलिंग को सब पूजते हैं।
- परन्तु यह पता नहीं है कि हम इनको क्यों पूजते हैं।
- बाप स्वयं बैठ समझाते हैं कि शिवजयन्ति के बाद श्रीकृष्ण जयन्ति भारत में ही होती है।
- शिव जयन्ति के बाद नई दुनिया आती है।
- बाप आते हैं पुरानी दुनिया को नया बनाने।
- भारत सबसे ऊंच है।
- नाम ही है पैराडाइज़।
- तुम सब खुश होते हो कि अभी हम स्वर्ग की स्थापना कर रहे हैं श्रीमत पर।
- हम खुदाई खिदमतगार हैं, सैलवेशन आर्मी हैं।
- सारी दुनिया को रावण की जंजीरों से तुम छुड़ाते हो।
- तुम जानते हो बाबा के साथ हम भारत की खिदमत कर रहे हैं।
- गाँधी जी ने फारेनर्स से छुड़ाया परन्तु कोई सुख तो नहीं हुआ और ही दु:ख हो गया। लड़ते-झगड़ते रहते हैं।
- बाप कहते हैं मैं आता हूँ रावण की जंजीरों से छुड़ाने।
- रावण की जंजीरों के कारण अनेक प्रकार की जंजीरें हैं।
- सतयुग में यह होती नहीं।
- वहाँ दु:ख की कोई बात नहीं।
- यहाँ तो कितने व्रत नेम रखते हैं।
- यह सब करते हैं श्रीकृष्णपुरी में चलने लिए।
- अब बाप बच्चों को समझाते हैं फादर शोज़ सन, सन शोज़ फादर।
- तुम सबको घर का रास्ता बताते हो।
- इसको भूल-भूलैया का खेल कहा जाता है।
- भक्ति में कितना माथा मारते हैं परन्तु बाप से वर्सा कोई ले न सकें।
- भक्ति, तप, दान करते-करते माथा टेकते रहते हैं।
- रास्ता बताने वाला एक ही बाप है।
- अगर कोई रास्ता जानता हो तो बताये।
- इससे सिद्ध है कि कोई भी जानते ही नहीं हैं।
- कोई को रास्ते का मालूम ही नहीं है।
- अभी सब मच्छरों सदृश्य वापिस जाने वाले हैं।
- सबके शरीर खत्म होंगे।
- बाकी आत्मायें हिसाब-किताब चुक्तू कर वापिस जायेंगी।
- इनको कयामत का समय कहा जाता है।
- मनुष्य दीपावली पर साल का फ़ायदा नुकसान निकालते हैं।
- तुम्हारी है कल्प-कल्प की बात।
- अभी तुमको 21 जन्म के लिए करना है।
- बाप को याद करने से जमा होगा फिर 21 जन्म कोई तकलीफ नहीं होगी।
- कोई अप्राप्त वस्तु नहीं होगी।
- स्वर्ग की सारी प्राप्ति अभी के पुरुषार्थ पर होती है।
- यह बातें कोई शास्त्रों में नहीं हैं।
- अभी तुम अनुभव पा रहे हो।
- जब स्वर्ग में चले जाते हो फिर कौन बैठ लिखेंगे।
- शास्त्र आदि तो बाद में बनते हैं।
- शास्त्रों में है कि जमुना के कण्ठे पर महल थे, देहली परिस्तान थी।
- बिरला मन्दिर में लिखा हुआ है 5000 वर्ष पहले धर्मराज ने वा युद्धिष्ठिर ने परिस्तान स्थापन किया था।
- जमुना-गंगा नाम अभी तक चला आता है।
- वास्तव में ज्ञान गंगायें तुम हो।
- जमुना का इतना प्रभाव नहीं जितना गंगा का है।
- बनारस, हरिद्वार में गंगा है।
- वहाँ बहुत साधू आदि जाते हैं।
- वहाँ जाकर कहते हैं शिव काशी विश्वनाथ गंगा।
- विश्वनाथ ने गंगा बहाई, जटाओं से।
- ऐसे कहते हैं और समझते हैं गंगा के कण्ठे पर रहने से हमारी मुक्ति हो जायेगी।
- बहुत जाकर काशीवाश करते हैं।
- आगे बलि चढ़ते थे। अब कहते हैं हमारी मुक्ति हो जायेगी।
- देखो, ज्ञान मार्ग में क्या बात और भक्ति मार्ग में क्या बात है।
- कितना कान्ट्रास्ट है। आधा-कल्प अनेक प्रकार की तकलीफें उठाई।
- देवियों पर जाकर बलि चढ़े।
- अभी तुम बलि चढ़ते हो - यह सब कुछ ईश्वर का है।
- तो ईश्वर का सब कुछ तुम्हारा है।
- ईश्वर का सब कुछ है स्वर्ग।
- तुम तो अब नर्कवासी हो।
- बाप का बनकर फिर स्वर्गवासी बन रहे हो।
- बाबा की श्रीमत पर पूरा चलना पड़े।
- शिवबाबा को तो मकान आदि बनाना नहीं है।
- वह तो दाता है।
- यह सब बच्चों के लिए है।
- शिवबाबा कहेंगे तुम बच्चे ही ट्रस्टी होकर सम्भालो।
- भक्तिमार्ग में कहते हैं - शिवबाबा यह सब कुछ आपका दिया हुआ है फिर जब वापिस लेते हैं तो कितना दु:खी होते हैं।
- अब बाबा तुमसे लेते कुछ भी नहीं हैं।
- बाप सिर्फ कहते हैं इनसे ममत्व मिटा दो।
- ट्रस्टी होकर गृहस्थ व्यवहार की सम्भाल करो।
- बाकी मैं लेकर क्या करूँगा।
- तुम्हारे लिए ही सेन्टर खुलवाये हैं।
- यह हॉस्पिटल और कॉलेज कम्बाइन्ड है।
- हेल्थ और वेल्थ दोनों मिलती है।
- एज्युकेशन को सोर्स आफ इनकम कहा जाता है।
- जितना जो पढ़ते हैं वह बाप से इतना वर्सा लेते हैं।
- पुरुषार्थ पूरा करना चाहिए।
- फालो फादर और मदर, त्वमेव माता च पिता.. यह है ना।
- वह पिता आकर इनमें प्रवेश करते हैं।
- इनसे एडाप्ट करते हैं। वह माता-पिता ठहरा।
- हम तो उनकी महिमा करते हैं।
- मैं इनके मुख द्वारा कहता हूँ - तुम हमारे हो।
- तुमको मैंने एडाप्ट किया है फिर माताओं की सम्भाल लिए सरस्वती को मुकरर किया है।
- तुम छोटे बच्चे तो नहीं हो।
- बाप कहते हैं तुम हमारे बने, अच्छा अब ट्रस्टी होकर रहो।
- गृहस्थ व्यवहार की पूरी सम्भाल करो।
- सबसे अच्छा है यह रूहानी हॉस्पिटल खोलना।
- शिवबाबा कहते हैं हम क्या सम्भाल करेंगे।
- ब्रह्मा बाबा के लिए भी कहते हैं यह क्या करेंगे?
- इनके पास जो कुछ था सो शिवबाबा को दे दिया।
- ट्रस्टी बनना पड़ता है।
- यहाँ तो सब कुछ बच्चों के लिए किया जाता है।
- तुम बच्चों को ही बाबा सब शिक्षायें देते हैं।
- ऐसे नहीं यह मकान शिवबाबा वा ब्रह्मा बाबा का है।
- सब कुछ बच्चों के लिए है।
- तुम ब्राह्मण बच्चे हो, इसमें झगड़े आदि की कोई बात नहीं है।
- सबकी कम्बाइन्ड प्रापर्टी है।
- इतने सब ढेर बच्चे हो, पार्टीशन कुछ हो न सके।
- गवर्मेन्ट भी कुछ कर न सके।
- यह ब्राह्मण बच्चों का है, सब मालिक हैं।
- सब बच्चे हैं।
- कोई गरीब, कोई साहूकार - यहाँ सब आकर रहते हैं।
- कोई की प्रापर्टी नहीं है।
- लाखों की अन्दाज में हो जायेंगे।
- सब कुछ तुम मीठे बच्चों के लिए है।
- तुम हो रूहानी बच्चे।
- तुम जितना प्यारे हो उतना लौकिक हो न सकें।
- वह शूद्र जाति के तुम ब्राह्मण जाति के, इसलिए उनसे कनेक्शन टूट जाता है।
- संन्यासी यह नहीं कहेंगे यह सब तुम्हारे लिए है।
- मैं भी तुम्हारा हूँ।
- शिवबाबा कहते हैं - मैं निष्काम सेवाधारी हूँ।
- मनुष्य निष्कामी हो न सकें।
- जो करेगा उसको उनका फल जरूर मिलेगा।
- मैं फल नहीं ले सकता हूँ।
- पुरानी दुनिया, पुराने शरीर में आकर प्रवेश करता हूँ।
- यहाँ मेरे लिए यह पुराना शरीर है।
- भक्ति में मेरे लिए बड़े-बड़े मन्दिर बनाते हैं।
- इस समय देखो मैं कहाँ बैठा हूँ।
- कितना गुह्य राज़ बच्चों को समझाता हूँ।
- बाबा कोई सतसंग में थोड़ेही मुरली चलायेगा।
- बच्चों को बहुत खुशी का पारा चढ़ता है।
- बाप बैठ बच्चों को पढ़ाते हैं।
- कैसे आकर पढ़ाते हैं, यह तुम ही जानते हो।
- डरने की कोई बात नहीं है। सब बाप के बच्चे हैं।
- जो कुछ बनता है बच्चों के लिए।
- ऐसे नहीं सबको यहाँ आकर बैठ जाना है।
- तुमको तो अपने गृहस्थ व्यवहार में रहना है।
- सब आकर इकट्ठे रहें तो सारी देहली जितना तुम्हारे लिए चाहिए।
- ऐसा तो हो न सके।
- फिर भी बाप से योग लगाते रहो तो विकर्म विनाश होंगे।
- आत्मा गोल्डन एज़ड बन जायेगी, तब ही घर में जायेंगे।
- मम्मा बाबा मुआफिक इज्जत से पास होकर जाना है।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) श्रीमत पर खुदाई-खिदमतगार बनना है।
बाप का शो करने के लिए सबको घर का रास्ता बताना है।
2) ट्रस्टी होकर सब कुछ सम्भालना है।
किसी में भी ममत्व नहीं रखना है।
मात-पिता के मुआफिक इज्जत से पास होना है।
( All Blessings of 2021-22)
सम्पर्क सम्बन्ध में आते सदा सन्तुष्ट रहने और सन्तुष्ट करने वाले गुप्त पुरूषार्थी भव
संगमयुग सन्तुष्टता का युग है, यदि संगम पर सन्तुष्ट नहीं रहेंगे तो कब रहेंगे इसलिए न स्वयं में किसी भी प्रकार की खिटखिट हो, न दूसरों के साथ सम्पर्क में आने में खिटखिट हो।
माला बनती ही तब है जब दाना, दाने के सम्पर्क में आता है इसलिए सम्बन्ध-सम्पर्क में सदा सन्तुष्ट रहना और सन्तुष्ट करना, तब माला के मणके बनेंगे।
परिवार का अर्थ ही है सदा सन्तुष्ट रहने और सन्तुष्ट करने वाले।
(All Slogans of 2021-22)
- पुराने स्वभाव-संस्कार के वंश का भी त्याग करने वाले ही सर्वंश त्यागी हैं।
|