17-12-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन
मीठे बच्चे - इधर-उधर बैठकर फालतू बातों में अपना टाइम वेस्ट मत करो, बाप की याद में रहो तो टाइम आबाद हो जायेगा''
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प्रश्नः-
बाप का शो (नाम) कौन से बच्चे निकाल सकते हैं?
उत्तर:-
जो बाप समान सेवा करते हैं।
अगर हर कर्म बाप के समान हो तो बहुत बड़ा फल मिल जायेगा।
बाबा हम बच्चों को आप समान बनाने के लिए पुरुषार्थ करा रहे हैं।
प्रश्नः-
अन्तर्मुखी किसे कहेंगे? तुम्हारी अन्तर्मुखता निराली है कैसे?
उत्तर:-
सोल कान्सेस होकर रहना ही अन्तर्मुखी बनना है।
अन्दर जो आत्मा है उनको सब कुछ बाप से ही सुनना है, एक बाप से ही बुद्धियोग रख गुणवान बनना है, यही है निराली अन्तर्मुखता।
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- ओम् शान्ति।
- मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों ने यह गीत सुना।
- बाप की महिमा सुनी और बाप की महिमा का फल फिर बच्चों को मिल रहा है।
- और बच्चे फिर बाप का शो करते हैं।
- परन्तु शो तब करेंगे जब उन जैसी सर्विस करेंगे।
- वह फल भी भारी पायेंगे।
- अब तुम बच्चे प्रैक्टिकल में हो।
- भगत सिर्फ गाते रहते हैं।
- तुम जानते हो बापदादा संगम पर हमारे सम्मुख बैठे हैं।
- बाप जरूर दादा के तन से ही बतायेगा।
- यह बच्चों को पक्का निश्चय है कि हम पुरुषार्थ कर अवश्य बाप समान बनेंगे।
- बाप पतित-पावन, ज्ञान सागर है।
- उससे तुम पतित-पावनी ज्ञान गंगायें निकली हो।
- गंगायें क्यों कहा जाता है?
- क्योंकि तुम सब सजनियां हो।
- सबको हम ज्ञान गंगा ही कहेंगे।
- बच्चों को नशा चढ़ता है कि हम श्रीमत पर सारे विश्व के मनुष्य मात्र को सुख दे सकते हैं, जो और कोई नहीं दे सकता।
- अब बाप आया है सबको सद्गति देने, और दिलाते भी हैं बच्चों द्वारा क्योंकि करनकरावनहार है ना।
- तो ऐसे बाप की श्रीमत पर जरूर चलना पड़े।
- बाप कहते हैं जो करेगा और जितनी सर्विस करेगा - वही 21 जन्मों के लिए ऊंच प्रालब्ध पायेगा।
- परन्तु तकदीर में नहीं है तो कुछ करते नहीं हैं।
- है बहुत सहज।
- दिन-प्रतिदिन बाप बहुत अच्छी-अच्छी प्वाइंट्स देते रहते हैं, और बाप कहते हैं जितनी झोली भरनी हो उतनी भर लो।
- यह मालूम भी अपने को पड़ सकता है कि हम अपनी झोली अच्छी रीति भर रहे हैं या कहाँ टाइम वेस्ट करते हैं। भक्ति में तो बहुत टाइम वेस्ट किया, एनर्जी वेस्ट की, पैसे भी बरबाद किये तो मेहनत भी बरबाद की।
- देखो कितनी मेहनत करते हैं।
- जप, तप, दान, तीर्थ आदि कितना करते हैं।
- अब यह जो कुछ हुआ ड्रामानुसार।
- अभी तो है पुरुषार्थ की बात।
- जो बीत चुका उसका तो कुछ होना नहीं है।
- फिर अपने समय पर रिपीट होगा।
- अब बाप कहते हैं श्रीमत पर चलो।
- अपना टाइम यहाँ वहाँ बरबाद मत करो।
- टाइम को आबाद करो - बाप की याद में।
- बहुत बच्चे हैं जो बाप की बातें एक कान से सुनकर दूसरे से निकाल देते हैं।
- जो अच्छी रीति धारण करेंगे वह फिर औरों की भी जरूर सर्विस करेंगे।
- अपना समय कहाँ भी बरबाद नहीं करेंगे।
- बहुत बच्चे हैं जो सारा दिन बाहरमुखी रहते हैं।
- बच्चों को पुरुषार्थ कर अर्न्तमुखी बनना है।
- अन्दर आत्मा है ना।
- यह निश्चय करना है कि हम आत्माओं को बाप समझा रहे हैं कि बच्चे तुमको सोल कान्सेस होकर रहना है, सच्चा-सच्चा अन्तर्मुख इसको कहा जाता है।
- हमारे अन्तर्मुख होने की बातें ही निराली हैं।
- अन्दर जो आत्मा है उनको सब कुछ बाप से ही सुनना है।
- बाप प्यार से बच्चों को बार-बार समझाते हैं।
- मात-पिता और भी जो अनन्य भाई-बहिन हैं, जो अच्छी सर्विस करते हैं, उन्हों से तुमको सीखना है।
- भल थोड़े बहुत अवगुण तो सभी में अभी हैं।
- गाते भी हैं कि मुझ निर्गुण हारे में.. अभी तुम बच्चों को गुणवान बनना है।
- सो तब बन सकते हो जब बाप के साथ बुद्धियोग होगा।
- माया तो बहुत भटकायेगी।
- बच्चे गिरते और चढ़ते रहते हैं।
- जो बॉडी कान्सेस रहते हैं वह गिरते रहते हैं।
- जो सोल कान्सेस रहते हैं वह गिरते नहीं हैं।
- वह बाप से अन्जाम (वायदा) करते हैं कि हम यह काम करके ही दिखायेंगे।
- पूर्ण पवित्र बनकर ही दिखायेंगे।
- अन्दर में यह पक्का निश्चय करना चाहिए कि हम बाप से पूरा-पूरा वर्सा लेंगे।
- कहाँ भी फालतू टाइम नहीं गंवायेंगे।
- बच्चों को शरीर निर्वाह भी करना है।
- घरबार छोड़ना तो हठयोगी संन्यासियों का काम है।
- तुमको तो अपनी रचना की भी पूरी देख-रेख करनी है और दिल में यह निश्चय रखना है कि इन आंखों से हम जो देखते हैं, वह सब विनाश हो जाने वाला है।
- इसमें ममत्व रखने से ही अपना नुकसान करेंगे।
- ममत्व एक बाप से रखना है।
- मुख्य बात है पवित्रता की।
- इस पर भी बहुत हंगामें होते हैं।
- क्रोध पर इतना हंगामा नहीं होगा।
- बाप कहते हैं यह काम विकार तो इस समय सबमें प्रवेश है।
- सब विकार से पैदा होते हैं।
- तुम समझा सकते हो कि हम भ्रष्टाचारी को श्रेष्ठाचारी बनाने में मदद कर रहे हैं।
- अब तुम बच्चों को सोल-कान्सेस बनना है।
- पतित-पावन बाप को याद करना है।
- बुलाते भी हैं कि हे पतित-पावन आओ तो आकर क्या करेंगे?
- जरूर पावन बनायेंगे।
- यहाँ स्नान आदि की तो बात नहीं।
- बाप कहते हैं मामेकम् याद करो और कोई भी उपाय है नहीं।
- योग अग्नि से ही तुम पतित से पावन बनेंगे।
- आइरन एज़ से तुम गोल्डन एज़ में जायेंगे।
- यह एक ही उपाय है, दूसरा कोई उपाय ही नहीं।
- सब बीमारियों की एक ही दवाई है, बाप की याद।
- इससे ही सब दु:ख दूर हो जायेंगे।
- बाप की याद से वर्सा भी याद आयेगा।
- बाप माना ही वर्सा।
- लौकिक बाप भल कितना भी गरीब होगा तो पाई-पैसे, बर्तन आदि का कुछ तो वर्सा देगा जरूर।
- तो तुमको पहले बाप को फिर वर्से को याद करना है।
- बाप कहते हैं मनमनाभव, मध्याजी भव।
- बाप तुमको सभी वेदों, शास्त्रों का सार समझाते हैं।
- दूसरा कोई भी यह सार जानते ही नहीं।
- बाप सीधा कहते हैं बच्चे देह-अभिमान को छोड़ दो।
- तुमको समझना चाहिए कि हम आत्माओं से बाप बात कर रहे हैं।
- निराकार बाप निराकार बच्चों को ही कहेंगे कि तुम आत्मायें कानों से सुनती हो।
- तुम ही सब कुछ करती हो।
- कोई भी हालत में बच्चों को देह-अभिमानी नहीं बनना है।
- अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो।
- सर्विस भी करो क्योंकि देह से ही सब काम होता है।
- वह तो करना ही पड़े।
- कोई-कोई कुछ समय के लिए अनकान्सेस, बेहोश भी हो जाते हैं।
- परन्तु वह कोई ज्ञान की बात नहीं।
- यहाँ तो बाप को याद करने की ही मेहनत करनी है, जिसमें ही माया के बहुत विघ्न पड़ते हैं।
- तुम जानते हो हमने बाप की गोद ली है तो बाप को जरूर याद करना पड़े।
- भोग बनाते हो तो भी शिवबाबा को याद करना है।
- आगे भोग बनाते थे तो कृष्ण को, राम को, गुरूनानक को याद करते थे।
- गुरू-वाणी पढ़ते थे।
- याद में बनायेंगे तब तो शुद्ध होगा।
- फिर प्रैक्टिस पड़ जाती है।
- यहाँ भी बाप के याद की प्रैक्टिस पड़ जानी चाहिए।
- जितना हो सके भोग वा भोजन बनाने के समय बाबा को याद जरूर करना है, बहुत-बहुत जरूरी है।
- परन्तु बच्चे याद करते नहीं।
- भण्डारे में एक दो को याद कराना चाहिए कि बाबा को याद कर भोजन बनाओ।
- ऐसे करते-करते पक्के हो जायेंगे।
- जिनको अभ्यास नहीं होगा, वह तो कभी याद करेंगे नहीं।
- ब्रह्मा-भोजन की बहुत महिमा है तो जरूर कुछ होगा ना।
- देवतायें भी इच्छा रखते हैं ब्रह्मा भोजन की।
- तो याद में रह भोजन बनाने से अपना भी कल्याण होता है तो आने वालों का भी कल्याण होता है।
- याद में रहने से बुद्धि में आ जाता है कि हम शिवबाबा से वर्सा ले रहे हैं।
- परन्तु बच्चे याद करते नहीं हैं, यह कच्चाई है।
- आगे चलकर ऐसे बच्चे निकलेंगे जो बाप की याद में एकदम मस्त हो जायेंगे।
- याद में ही भोजन आदि बनायेंगे।
- जैसे शराब का नशा चढ़ जाता है।
- तुम बच्चों को फिर यह रूहानी बाप की याद का नशा रहना चाहिए, इससे बहुत फ़ायदा है।
- साज़न को वा बाप को याद करना है, अति मीठा बाप है।
- इन जैसा मीठा कोई होता नहीं।
- बाहर वाले तो इन बातों को जानते ही नहीं।
- देवी-देवता धर्म वाले ही समझ सकते हैं।
- त्वमेव माता च पिता.. यह एक निराकार बाप की महिमा है।
- जरूर बाप ने इतना ऊंच कर्तव्य किया है तब फिर भक्ति मार्ग में हम उनकी इतनी महिमा करते हैं।
- अब बाप कहते हैं - मीठे बच्चे और सब तरफ से बुद्धियोग हटाओ।
- सारी दुनिया से, अपनी देह से भी बुद्धि का योग हटाए मामेकम् याद करो तो तुम्हारा बेड़ा पार हो जायेगा।
- बहुत सस्ता सौदा है परन्तु लेने वाले नम्बरवार हैं।
- यह भी ड्रामा बना हुआ है।
- बाबा कितना अच्छी रीति समझाते हैं।
- सुनते भी हैं, कोई तो अच्छी रीति धारण करते हैं, कोई तो एक कान से सुन दूसरे से निकाल देते
- हैं। यहाँ सम्मुख सुनने से बच्चे रिफ्रेश होते हैं फिर बाहर जाने से भूल जाते हैं।
- कुछ भी याद नहीं रहता।
- कोई तो अच्छी रीति रिपीट भी करेंगे।
- जो बाबा ने समझाया है वह प्रैक्टिकल में करेंगे।
- सवेरे उठकर तुम बाबा की याद में भोजन बनायेंगे तो भोजन में ताकत रहेगी।
- इतना तुम बच्चों को नशा रहना चाहिए - सारे मनुष्य कुल का उद्धार करना है।
- मनुष्य कुल की ही बात है।
- ऐसे नहीं जानवर आदि का उद्धार करेंगे।
- उनका ड्रामा में पार्ट ही यह है।
- जैसा मनुष्य वैसा फर्नीचर।
- सतयुग में किचड़-पट्टी होती नहीं।
- तुम्हारे लिए कितने वैभव हैं।
- वहाँ पंछी जानवर आदि सब रॉयल होते हैं।
- जैसा मनुष्य वैसी उनकी सामग्री होती है।
- गरीब की सामग्री क्या होगी?
- साहूकार की सामग्री कितनी रॉयल होगी।
- तुम बच्चे जानते हो बाबा हमको बहुत ऊंची कमाई करा रहा है।
- फिर जितना जो करे पढ़ाई एक ही है।
- पद हर एक नम्बरवार पाते हैं।
- राजा-रानी, प्रजा, साहूकार के नौकर चाकर, गरीब के नौकर-चाकर सब होते हैं।
- बुद्धि में है कि हम अपनी राजधानी योगबल से स्थापन कर रहे हैं।
- हथियारों आदि की यहाँ बात नहीं है।
- यह है अभी की बात।
- योगबल से तुम राजाई पाते हो।
- इस समय तुम ब्राह्मणियाँ (शक्तियाँ) हो।
- सतयुग में देवियों को हथियार आदि हो नहीं सकते।
- यह है अभी की बात - ज्ञान तलवार, ज्ञान खड़ग।
- फिर वह सब स्थूल रूप में ले गये हैं।
- अब तुम्हारी सूरत और सीरत दोनों बदलती हैं।
- काले से गोरे बनते हो।
- सर्वगुण सम्पन्न और 16 कला सम्पूर्ण बनते हो, जितना जो पुरुषार्थ करेंगे, इसमें झूठ तो चल न सके।
- अगर अन्दर कुछ काला भरा हुआ होगा तो बाहर भी काला ही दिखाई पड़ेगा।
- बाबा कहते हैं - बच्चे तुम ऐसे मीठे बनो जो सब समझे तो इनको बनाने वाला कौन है।
- तुम्हारी बुद्धि में सारे सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज है।
- इस चक्र को जानने से ही तुम चक्रवर्ती राजा बन जायेंगे।
- बोर्ड लगा दो कि रचता है बाप, वही सारी नॉलेज देते हैं।
- तुम हो ब्राह्मण।
- तुम्हारी जात ही न्यारी है।
- तुम ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मणों को ही बाप नॉलेज सुना रहे हैं।
- तो शिवबाबा के साथ तुम्हारा कितना लव होना चाहिए।
- परन्तु अच्छे-अच्छे फर्स्टक्लास बच्चे योग में फेल हो पड़ते हैं।
- ज्ञान तो बड़ा सहज है।
- मुरली भी अच्छी चलाते हैं परन्तु योग में मेहनत है।
- याद से विकर्म विनाश करना - यह मेहनत है।
- बस इसमें बहुत फेल होते हैं।
- भगवानुवाच तुमको मनुष्य से देवता, पतित से पावन बनाने आया हूँ।
- ज्ञान से ही सद्गति होती है, तो ज्ञान सागर को जरूर नॉलेज देना पड़े।
- बाकी पानी का सागर वा नदियाँ थोड़ेही पावन बना सकती हैं।
- अभी तुम बच्चे समझते हो हम अपने लिए राजधानी स्थापन कर रहे हैं।
- आत्म-अभिमानी बन रहे हैं।
- हम बाबा से नॉलेज का वर्सा लेकर विश्व का मालिक बन जायेंगे।
- कहाँ उन्हों की बुद्धि, कहाँ तुम्हारी बुद्धि।
- वह सब विनाश के लिए काम करते, तुम स्थापना के लिए करते हो।
- यह बातें भूलनी नहीं चाहिए।
- परन्तु जिनकी तकदीर में नहीं है तो धारणा करते ही नहीं।
- पुरुषार्थ करना चाहिए - ऊंच पद पाने के लिए।
- हम पास होकर ऊंच नम्बर लेवें।
- चाहते तो हैं परन्तु मेहनत नहीं पहुँचती।
- यह है बेहद की पढ़ाई, बाप तो विश्व की बादशाही देते हैं।
- वन्डर है ना।
- बहुत प्यार से समझाते हैं।
- बच्चे, मुझे याद करो, हड्डी याद करना है।
- बाप फिर से आया हुआ है।
- हम जरूर बाप की मत पर चलकर पूरा वर्सा लेंगे।
- बाबा हम आपको जान गये हैं।
- बाबा को देखा भी नहीं है, घर बैठे भी टचिंग हो जाती है।
- कोई को थोड़ा सुनने से भी नशा चढ़ जाता है।
- तकदीर भी साथ देती है।
- कोई फिर संगदोष में आकर पढ़ाई छोड़ देते हैं।
- रावण मत वाले अलग हैं, ईश्वरीय मत वाले अलग हैं।
- तुम बच्चे जानते हो - कैसे राजाई स्थापन हो रही है योगबल से।
- बाहुबल अनेक प्रकार का है।
- योगबल एक ही प्रकार का है।
- अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अन्तर्मुखी बन एक बाप से ही सुनना है। एक बाप के साथ बुद्धियोग रख गुणवान बनना है। बाहरमुखता में नहीं आना है।
2) रूहानी बाप की याद के नशे में रह भोजन बनाना वा खाना है। पक्का योगी बनना है।
( All Blessings of 2021-22)
स्वराज्य की स्मृति द्वारा तूफानों को तोहफा बनाने वाले अखण्ड सुख-शान्ति सम्पन्न भव
अखण्ड सुख-शान्तिमय, सम्पन्न जीवन का अनुभव करने के लिए स्वराज्य अधिकारी बनो।
स्वराज्य अधिकारी के लिए तूफान अनुभवी बनाने वाले उड़ती कला का तोह़फा बन जाते हैं।
उन्हें साधन, सैलवेशन वा प्रशंसा के आधार पर सुख की अनुभूति नहीं होती लेकिन परमात्म प्राप्ति के आधार पर अखण्ड सुख-शान्ति का अनुभव करते हैं।
किसी भी प्रकार की अशान्त करने वाली परिस्थितियां उनकी अखण्ड शान्ति को खण्डित नहीं कर सकती।
(All Slogans of 2021-22)
- सदा भरपूरता का अनुभव करना है तो दुआयें दो और दुआयें लो।
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