16-12-2022 प्रात:मुरली ओम् शान्ति "बापदादा" मधुबन

मीठे बच्चे - बाप को और चक्र को याद करो, मुख से कुछ भी बोलने की दरकार नहीं, सिर्फ इस नर्क से दिल हटा दो तो तुम एवर निरोगी बन जायेंगे''

 

प्रश्नः-

बाप डायरेक्ट आकर अपने बच्चों की श्रेष्ठ प्रालब्ध बनाने के लिए कौन सी राय देते हैं?

 

उत्तर:-

बच्चे, अब तुम्हारा सब कुछ खत्म होने वाला है।

कुछ भी काम नहीं आयेगा इसलिए सुदामे की तरह अपनी भविष्य प्रालब्ध बना लो।

बाप डायरेक्ट आया है तो अपना सब कुछ सफल कर लो।

हॉस्पिटल कम कॉलेज खोल दो जिससे बहुतों का कल्याण हो।

सबको रास्ता बताओ। श्रीमत पर सदा चलते रहो।

 

  • ओम् शान्ति।
  • बेहद का बाप बच्चों को समझा रहे हैं।
  • समझाया उसको जाता है जो बेसमझ होते हैं।
  • तुम जानते हो कि बरोबर सब पतित हैं और पतित-पावन बाप को याद करते हैं।
  • पतित मनुष्य को जरूर बेसमझ कहेंगे।
  • सभी बुलाते हैं कि हे पतित-पावन आकर हमको पावन बनाओ।
  • भारतवासी जानते हैं कि सतयुग में यह भारत पावन था।
  • पावन गृहस्थ धर्म था, इस समय पतित गृहस्थ अधर्म है।
  • धर्मात्मा पावन को कहा जाता है।
  • इस भारत में 5 हजार वर्ष पहले जब लक्ष्मी-नारायण का राज्य था तो उनको पावन राज्य कहा जाता था।
  • नर और नारी दोनों पावन थे।
  • बाप बैठ समझाते हैं आधाकल्प से भक्ति मार्ग चला है।
  • जप-तप आदि करना, वेद अध्ययन करना, यह सब भक्ति मार्ग है, इससे मुझे कोई प्राप्त नहीं कर सकता।
  • मुझ बाप को जानते ही नहीं हैं।
  • यह सब वेस्ट आफ टाइम, वेस्ट आफ इनर्जी करते हैं।
  • द्वापर से लेकर भक्ति मार्ग शुरू होता है।
  • फिर देवतायें वाम मार्ग में जाते हैं।
  • लाखों करोड़ों रूपया खर्च कर देवताओं के मन्दिर बनाते हैं।
  • सोमनाथ का मन्दिर कितना हीरे-जवाहरों से सजा हुआ था।
  • उस समय के हिसाब अनुसार करोड़ों रुपये खर्च नहीं किया होगा क्योंकि उस समय तो हीरे-जवाहर आदि का दाम कुछ भी नहीं रहता।
  • इस समय अगर वह मन्दिर होता तो अथाह पदमों की मिलकियत हो जाए।
  • अब बाप समझाते हैं मीठे बच्चे वेद, शास्त्र अध्ययन करना, यह भक्ति है, उसको ज्ञान नहीं कहा जाता।
  • सतयुग में तीर्थ आदि नहीं मानते हैं।
  • गंगा-जमुना नदियाँ तो सतयुग में भी हैं। अभी भी हैं।
  • सतयुग में कोई तीर्थ करने के लिए नदियाँ नहीं थी।
  • बाप तो है ज्ञान का सागर, वह बैठ ज्ञान देते हैं।
  • आधाकल्प यह भक्ति चलती है।
  • पहले अव्यभिचारी भक्ति होती है।
  • शिव की ही पूजा करते हैं।
  • फिर देवताओं की, अभी तो भक्ति व्यभिचारी हो गई है।
  • भक्ति करते, शास्त्र आदि पढ़ते रहते हैं तो सब भगत हो गये।
  • सजनियाँ मुझ एक साजन को याद करती हैं।
  • भक्तों की रक्षा करने वाला है भगवान।
  • तो जरूर भक्ति में तकलीफ होती है तब तो कहते हैं आकर हमको लिबरेट करो।
  • दु:ख से मुक्त करो।
  • गाइड बन मुक्तिधाम में ले चलो।
  • उनको यह पता नहीं है कि भगवान कौन है।
  • शिव वा शंकर के मन्दिर में जाते हैं।
  • शिव-शंकर को इकट्ठा कर दिया है।
  • हैं दोनों अलग-अलग, वह निराकार, वह सूक्ष्म शरीरधारी।
  • वह मूलवतन में रहने वाला, वह सूक्ष्मवतन में रहने वाला।
  • तो बाप समझाते हैं मन्दिर में बैल दिखाते हैं।
  • समझते हैं शिव-शंकर की बैल पर सवारी थी।
  • अब शिव के लिए कहते हैं वह सर्वव्यापी है।
  • ऐसे नहीं कहेंगे कि शिव शंकर सर्वव्यापी हैं।
  • एक परमपिता परमात्मा निराकार को कहते हैं।
  • अब बाप कहते हैं देखो मैं निराकार तुमको कैसे पढ़ाता हूँ।
  • बैल पर कोई सवारी थोड़ेही होती है।
  • हमारी सवारी बैल पर क्यों दिखाई है?
  • मैं तो साधारण मनुष्य तन में प्रवेश करके आता हूँ।
  • इनके 84 जन्मों की कहानी बैठ तुमको सुनाता हूँ।
  • तुम भी ब्रह्मा मुख वंशावली आकर बने हो।
  • इनका नाम है भागीरथ अर्थात् भाग्यशाली रथ क्योंकि पहले-पहले यह सुनते हैं और यही सौभाग्यशाली हैं।
  • सतयुग में बहुत थोड़े होते हैं।
  • बाकी सब आत्मायें वापिस चली जाती हैं अपने घर, जहाँ से आई हैं।
  • यह कर्मक्षेत्र है।
  • सृष्टि का चक्र फिरता रहता है।
  • मूलवतन, सूक्ष्मवतन में यह सतयुग त्रेता नहीं होते हैं।
  • यह ड्रामा का चक्र यहाँ फिरता है।
  • आधाकल्प ज्ञान सतयुग-त्रेता, आधा-कल्प भक्ति द्वापर-कलियुग।
  • सतयुग में लक्ष्मी-नारायण का राज्य था फिर लक्ष्मी-नारायण दी फर्स्ट, सेकेण्ड.. राजाई चलती है।
  • त्रेता में है चन्द्रवंशी राम की डिनायस्टी।
  • सतयुग में 8 जन्म, त्रेता में 12 जन्म।
  • यह 84 जन्मों की कहानी बाप ही समझाते हैं।
  • बाप अपने ब्राह्मण बच्चों को ही मिलते हैं और किसको नहीं।
  • बच्चे बने हैं तब उनको पढ़ाते हैं।
  • बाप कहते हैं - मैं तुम्हारा बाप-टीचर-सतगुरू हूँ।
  • सद्गति कर साथ ले जाता हूँ।
  • पावन होने का बहुत सहज उपाय है, जो तुमको बतलाता हूँ।
  • यहाँ बैठ तुम क्या करते हो?
  • बच्चे कहते हैं - बाबा हम आपको याद करते हैं।
  • आपका फरमान है कि निरन्तर मुझे याद करने का पुरुषार्थ करो तो इस योग अग्नि से तुम्हारे विकर्म विनाश हो जायेंगे।
  • फिर तुम पवित्र सतोप्रधान बन जायेंगे।
  • अब तुम तमोप्रधान हो, याद से ही खाद निकलेगी।
  • कोई तकलीफ की बात नहीं।
  • एवर निरोगी बनने के लिए कितनी सहज युक्ति है।
  • देवतायें कभी बीमार नहीं होते।
  • इस याद से ही तुम निरोगी बनेंगे।
  • पाप भस्म होने से तुम पावन बन जायेंगे।
  • बड़ी भारी कमाई है।
  • घूमो, फिरो सिर्फ मुझे याद करो।
  • पहले यह प्रैक्टिस करनी है।
  • याद करने से हम 21 जन्म के लिए निरोगी बन जायेंगे।
  • कोई तकलीफ की बात नहीं, सिर्फ मामेकम् याद करो।
  • यह बाप ने आत्माओं को कहा, हे आत्मायें सुनती हो?
  • बाप मुख से कहते हैं मुझे याद करो और घर को याद करो।
  • अब यह नर्क खलास होना है।
  • जाना है अपने घर।
  • भोजन बनाते समय भी याद का पुरुषार्थ करो।
  • भल तुम कर्मयोगी हो तो भी कम से कम 8 घण्टे तक जरूर पहुँचो।
  • 5 मिनट, 10 मिनट, आधा घण्टा ऐसे चार्ट को बढ़ाते रहो।
  • जाँच करते रहो हमने कितना समय बाप को याद किया?
  • जिस बाप से वैकुण्ठ की बादशाही मिलती है, 21 जन्मों के लिए सदा निरोगी बनते हैं। कितनी सहज युक्ति है।
  • चक्र का नॉलेज समझाया है कि चोटी ब्राह्मण, देवता, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र यह चक्र याद करना है।
  • बीज और झाड़ को याद करो।
  • अभी तुम जानते हो एक धर्म की स्थापना हो तो दूसरे धर्म विनाश हो जायेंगे।
  • सतयुग में एक ही धर्म है।
  • तुमको मेहनत ही इसमें है।
  • बाप कहते हैं मुझ बीज को याद करो और झाड़ को याद करो।
  • स्थापना, विनाश और पालना... यह है बहुत सहज।
  • सहजयोग और सहज ज्ञान।
  • बीज से झाड़ कैसे निकलता है, यह तुम्हारी बुद्धि में ज्ञान है।
  • रहो भल गृहस्थ में परन्तु पवित्र रहना है।
  • यह तो अच्छा है ना।
  • बाप कहते हैं 63 जन्म तुमने नर्क में गोते खाये हैं।
  • पाप किये, अब बिल्कुल ही पाप आत्मा बन पड़े हो।
  • रावण की मत पर चलते आये हो।
  • गाँधी भी रामराज्य चाहते थे।
  • इसका मतलब रावण राज्य में थे।
  • मनुष्यों की बुद्धि कितनी मलीन हो गई है।
  • कुछ भी समझते नहीं हैं।
  • स्वर्ग कब था किसको पता ही नहीं है।
  • लक्ष्मी-नारायण को 5 हजार वर्ष हुए हैं, यह किसको मालूम नहीं है।
  • सतयुग की आयु लाखों वर्ष कह देते हैं।
  • आधाकल्प है ज्ञान, आधाकल्प है भक्ति फिर जब पुरानी दुनिया हो जाती है तो आता है वैराग्य।
  • इस नर्क से दिल हटा देते हैं।
  • तुम यहाँ बैठे बहुत कमाई करते हो।
  • बाप कहते हैं - तुम चक्रवर्ती राजा बनते हो।
  • यह तुम्हारा अन्तिम 84 वाँ जन्म है, विनाश सामने खड़ा है।
  • मृत्युलोक का विनाश अमरलोक की स्थापना हो रही है।
  • अमरनाथ बाबा से हम सत्य-नारायण बनने की सत्य कथा सुन रहे हैं।
  • है एक कथा।
  • शास्त्र आदि कितने ढेर बनाये हैं।
  • करोड़-पदम रूपये खर्च करते हैं।
  • है सब झूठ।
  • बाप सच बताए सचखण्ड की स्थापना करते हैं।
  • कितना अच्छी रीति समझाया जाता है।
  • कैसी भी अबलायें, गणिकायें, अहिल्यायें उस स्वर्ग का मालिक बन सकती हैं।
  • तुम्हारे पास अभी क्या रखा है?
  • अमेरिका में क्या है?
  • बड़े-बड़े महल हैं।
  • वह तो अभी गिरे कि गिरे।
  • स्वर्ग में तो अकीचार धन था।
  • यहाँ तो धन है ही नहीं।
  • अमेरिका के व्हाइट हाउस को क्या लूटेंगे?
  • कुछ भी रखा नहीं है।
  • वहाँ सतयुग में तो गरीब से गरीब का महल भी यहाँ से अच्छा होगा।
  • चाँदी सोना लगा हुआ होगा।
  • वहाँ सब सस्ताई रहती है, सबको अपनी जमीन रहती है।
  • सुदामे का मिसाल... भक्ति मार्ग में दो मुट्ठी ईश्वर अर्थ देते आये हो।
  • कोई 5-10-100 रुपये भी दान करते हैं, जिसका एवजा दूसरे जन्म में मिलता है इसलिए ही मनुष्य दान-पुण्य आदि करते हैं।
  • कोई हॉस्पिटल खोलते हैं तो दूसरे जन्म में तन्दरुस्ती अच्छी मिलती है।
  • कोई बीमारी नहीं होती है।
  • कोई कॉलेज बनाते हैं तो दूसरे जन्म में पढ़कर होशियार हो जाते हैं।
  • एक जन्म का फल दूसरे जन्म में मिलता है।
  • अब परमपिता परमात्मा निराकार बाप तो दाता है।
  • बाप कहते हैं - बच्चे एक हॉस्पिटल कम कॉलेज खोलो, इसमें बहुतों का कल्याण होगा।
  • इसका फल तुमको 21 जन्म के लिए मिलेगा।
  • वह है इनडायरेक्ट एक जन्म के लिए, यह है डायरेक्ट, 21 जन्मों के लिए प्रालब्ध मिलती है क्योंकि अब बाप डायरेक्ट बैठे हैं।
  • समझाते हैं तुम्हारा सब कुछ खत्म होने वाला है।
  • महल माड़ियाँ सब मिट्टी में मिल जानी हैं इसलिए अब भविष्य की कमाई करो जो तुम्हारे काम आये।
  • जो भी आये उसको रास्ता बताओ, बाप को याद करो तो तुम्हारी कट निकलेगी। पारलौकिक बाप है।
  • बाप कहते हैं श्रीमत पर चलने से तुम स्वर्ग के मालिक, पारसबुद्धि बन सकते हो।
  • कितनी युक्तियाँ भी समझाते रहते हैं।
  • हर एक के कर्म का हिसाब अपना-अपना है।
  • बाप कर्म-अकर्म-विकर्म की गति बैठ समझाते हैं।
  • कोई भी तकलीफ हो तो सर्जन के पास आकर श्रीमत लो।
  • अहिल्याओं, कुब्जाओं... सबको यह रास्ता बताना है।
  • पवित्रता पर ही हंगामा होता आया है।
  • विष नहीं दिया तो मारने लग पड़ते।
  • घर से निकाल देते हैं।
  • कितना हंगामा करते हैं।
  • बाबा कहते हैं इस ज्ञान यज्ञ में असुरों के विघ्न बहुत पड़ेंगे।
  • अबलाओं पर अत्याचार बहुत होंगे और सतसंगों में कभी अत्याचार नहीं होते हैं।
  • यहाँ पर विघ्न पड़ते हैं।
  • बाबा कहते हैं - कितने पतित बन पड़े हैं।
  • अभी तुम पवित्र बनते हो - पावन दुनिया का मालिक बनने के लिए।
  • बाप का फरमान है यह अन्तिम जन्म पवित्र बन मुझे याद करो तो विकर्म विनाश हों।
  • इसका नाम ही है सहज राजयोग और कोई शास्त्र में यह युक्ति नहीं है।
  • गीता में है देह के सब धर्म त्याग मुझ अपने बाप को याद करो।
  • अब श्रीकृष्ण तो भगवान है नहीं।
  • भगवान सब आत्माओं का बाप एक है।
  • शरीर का लोन लिया है, यह है भाग्यशाली रथ।
  • इनको खुशी तो होती है कि मेरा शरीर भगवान काम में लाते हैं।
  • इस शरीर में बाप आकर सबका कल्याण करते हैं।
  • बाकी बैल आदि नहीं है।
  • इन बातों को नया क्या समझे।
  • अच्छा!
  • मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

  • धारणा के लिए मुख्य सार:-
  • 1) इस अन्तिम जन्म में सम्पूर्ण पवित्र बन बाप की याद में ही रहना है।

    इस पतित दुनिया से दिल हटा देना है।

    2) स्वदर्शन चक्रधारी बनना है।

    हॉस्पिटल कम कॉलेज खोल अनेकों का कल्याण करना है।

    हर कदम पर सुप्रीम सर्जन से श्रीमत लेनी है।


  • ( All Blessings of 2021-22)
  • दिव्य बुद्धि द्वारा त्रिकालदर्शी स्थिति का अनुभव करने वाले सफलतामूर्त भव

    ब्राह्मण जन्म की विशेष सौगात दिव्य बुद्धि है। इस दिव्य बुद्धि द्वारा बाप को, अपने आपको और तीनों कालों को स्पष्ट जान सकते हो।

    दिव्य बुद्धि से ही याद द्वारा सर्व शक्तियों को धारण कर सकते हो।

    दिव्य बुद्धि त्रिकालदर्शी स्थिति का अनुभव कराती है, उनके सामने तीनों ही काल स्पष्ट होते हैं।

    कहा भी जाता है जो सोचो, जो बोलो, आगे पीछे का सोच समझकर करो।

    परिणाम को जानकर कर्म करने से सफलता अवश्य होती है।



  • (All Slogans of 2021-22)
    • यथार्थ निर्णय देना है तो रूहानी फखुर (नशे) द्वारा बेफिक्र स्थिति में स्थित रहो।
    BK Naresh Bhai's present residence cum workplace